अयोध्यानाथ चौधरी
"भ्रमर"क बहुआयामिक व्यक्तित्व
गत बर्ष जनकपुरक प्रसिद्ध वेलकम होटलमे आयोजित एकटा पुस्तक समारोहमे बैनर पर लिखल' राम भरोस कापड़िक पचासम् कृति' देखि मोन जिज्ञासा भावसँ तरंगित भ' उठल। एकदम सुपरिचित व्यक्तित्व तथापि हमरा ई जानकारी नव बुझबाजोग भेल। ओना हुनका द्वारा सम्पादित- प्रकाशित" आँजुर" पत्रिकाक बाहिरी आ भीतरी आवरण पृष्ठ पर कतेक बेर हुनकर लिखित किताबसभक फोटो अभरैत रहैत छल मुदा एतेक रास किताब भ' गेल हेतनि तकर अंदाज नहि भ' सकल छल। एहि बीच जानकारी भेटल जे हुनकर दूटा किताब एखनो प्रेसमे छनि ताहिसँ अपनहुँ लोकनि हुनक निरन्तर लेखन प्रवृतिसँ आश्वस्त भ' सकैत छी । मुदा लेखनमे मात्र नहि,ओ मिथिला- मैथिली सम्बन्धित कार्यक्रम आयोजन, मिथिला- मैथिली सम्बन्धित आन्दोलन आदिमे सेहो ओतबे बढ़ि- चढ़िकय भागीदारी देखबैत देखल गेलाह अछि । से राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय दुनू स्तर पर। आ जनतब कराबी जे तकर मूल्यांकन सेहो पूर्ण रूपमे भेल छनि । ओइ मामलामे ओहन भाग्यशाली कम्मे भेटताह। उदाहरणस्वरूप नेपालमे मधेश प्रदेश द्वारा पहिल आ नव-गठित तीन सदस्यीय' मधेश प्रज्ञा- प्रतिष्ठान'क प्रमुखक जिम्मेवारी किछुए दिन पूर्व सम्हारलनि अछि । ओना एहिसँ पूर्वमे सेहो ओ नेपालक केन्द्रीय सरकार द्वारा गठित" नेपाल प्रज्ञा-प्रतिष्ठान" सन महत्वपूर्ण निकायक प्राज्ञ- सदस्यक रूपमे सेहो कार्य क' चुकल छथि । ततबे नहि, ओ नेपालक केन्द्रीय सरकार अन्तर्गत दोसर महत्वपूर्णसाहित्यिक आ प्रकाशन सम्बन्धित संस्था" साझाप्रकाशन "क अध्यक्षक रूपमे सेहो ओ अपन गहन जिम्मेवारी निर्बाह क' चुकल छथि । ई सब हुनकर कार्य- कुशलता आ चातुर्यक यथेष्ठ प्रमाण अछि ।
आब आबी हुनक कृतिसब पर दृष्टिपात करी । हुनक पहिल प्रकाशित रचना" इमान्दार बालक" नामक एकटा बालकथा छल जे1964 ई. मे मिथिला मिहिर साप्ताहिक, पटनामे छपल छल। अर्थात हुनक साहित्यिक यात्रा आइसँ54 बर्ष पहिने शुरु भेल जे एखन धरि ओहिना गतिमान अछि । हुनकासँ प्राय: एकोटा विधा छुटल नहि अछि जकरा क्रमिक रुपमे नीचाँ देबाक प्रयास कएल गेल अछि ।
हुनक कवितासंग्रहमे बन्न कोठरी, औनाइत धुआँ ( 2029 साल), नहि,आब नहि( 2036 साल) , मोमक पघलैत अधर( गीत गजल), अप्पन अनचिन्हार( 1990 ई. ) , अन्हरियाक चान( गजल संग्रह,2070 साल, आ युद्धभूमिक एसगर योद्धा( 2075 साल) आदि छनि । हुनक दीर्घ कविता' नहि, आब नहि' क नेपाली अनुवाद' भयो, अब भयो' आर हिन्दी अनुवाद' बस, अब नहीं' शीर्षकमे भेल अछि । हुनक कथासंग्रहमे तोरासंगे जयबौ रे कुजबा( 1984 ई. ), हुगली उपर बहैत गंगा(2065 साल) आ एन्टी भाइरस( 2076 साल) क नामलेल जा सकैत अछि । हुनक एकमात्र उपन्यास' घरमुहाँ' ( 2029 साल) अछि जकर अंग्रेजीमे अनुवाद भ' प्रकाशित होबय जा रहल अछि । हुनक एकटा' चीन जे हम देखल' ( 2070 साल) एकटा यात्रावृत्तान्त सेहो अछि जाहिमे चीन भ्रमणक संस्मरण अछि । हुनक कोरोना कालमे लिखल गेल एकटा लकडाउन डायरी सेहो अछि जे' कोरोनाक संत्रासमे ओझरायल जिनगी( 2070 साल) नामसँ प्रकाशित अछि ।
ओ बहुत रास नाटक सेहो लिखने छथिजेना रानी चन्द्रावती( 2045 साल) , एकटा आओर वसन्त( 2052 साल) , महिषासुर मुर्दावाद एवं अन्य नाटक( 2054 साल) तथा भैया अएलै अपन सोराज( नाटक संग्रह2067 साल) आदि । हुनकर नाटक सभक नेपाली अनुवाद' भ्रमरका उत्कृष्ट नाटकहरु( 2064 साल) नामसँ सेहो प्रकाशित अछि । हुनक किछु शोध परक पुस्तकसभ सेहो प्रकाशित अछि जेना' जनकपुरधाम र यस क्षेत्रका सांस्कृतिक सम्पदाहरू( 2056 साल) , राजकमलक कथा साहित्यमे नारी( 2064 साल) , लोकनाट्य: जट- जटिन( 2064 साल) , Cultural Heritage of Janakpur ( 2062 साल। हुनक किछु आलेख संग्रह सेहो प्रकाशित छनि जेना' मैथिली लोकसंस्कृति' ( 2066 साल), तराईको फांट देखि हिमालको कांख सम्म'( 2067 ) , मिथिलाक लोकजीवन: लोक सन्दर्भ( 2079 ) , समयको अन्तराल पछ्याँउदै( 2066 )आदि । ओ एकटा' राजा सलहेस' ( 2074 ) नामक जीवनी सेहो प्रकाशित कयने छथि।
विविध बिषयक किछु किताब सेहो लिखने छथि जेना' आजको धनुषा( 2039 साल), जनकपुर लोकचित्र( (2046 ) , ठेकान पर( विचार संग्रह) , समय- सन्दर्भ( 2068 साल) आदि ।
उपर्युक्त विवरणसँ'भ्रमर'क साहित्यिक अवदानक एकटा ब्यापक चित्र बनैत अछि । मुदा एहने ब्यापक अछि हुनक पत्रकार व्यक्तित्व जकरा सम्पूर्ण व्यक्तित्वक एकटा महत्वपूर्ण अंगके रूपमे ओकरा छोड़ल नहि जा सकैत अछि । हिनकर पत्रकारिताक इतिहास सेहो लगभग ओतबे पुरान अछि । ओ2026 साल अर्थात लगभग53 बर्ष पहिने' वैदेही' साप्ताहिकक कार्यालय प्रतिनिधिक रूपमे पत्रकारिताक शुरूआत कयलनि । तकर बाद2049 सालमे नेपालक प्रतिष्ठित दैनिक अखबारक प्रारम्भेसँ5 बर्ष धरि जनकपुर संवाददाताक रूपमे कार्यरत रहलाह। अपने सम्पादनमे गत38 बर्खसँ नेपालक एकमात्र मैथिली साप्ताहिक' गामघर'क सम्पादन आ प्रकाशन करैत आबि रहलाह अछि ।' आँजुर' नामक मैथिलीक द्वैमासिक पत्रिका विगत35 बर्षसँ सम्पादन- प्रकाशन करैत अएलाह अछि ।2054 सालसँ किछु बर्ष धरि एकटा नेपाली दैनिक' सुप्रभात'क सम्पादन- प्रकाशन सेहो कयलनि । आ2055 सालसँ अद्याबधि' जनकपुर एक्सप्रेस' नामक नेपाली दैनिक सम्पादन- प्रकाशन करैत आबि रहलाह अछि।
एकर अतिरिक्त ओ किछु पुस्तकाकार संग्रह सभक सम्पादन सेहो कयलनि जेना' मैथिली पद्यसंग्रह' ( प्रकाशन: नेपाल राजकीय प्रज्ञा- प्रतिष्ठान: 2051 साल) , लाबाक धान( कवितासंग्रह) , ' त्रिशुली' ( स्व. मथुरानन्द माथुर लिखित खण्डकाव्य, 2049 साल) नेपालक मैथिली पत्रकारिता( 2044 साल) , मैथिली लोकनृत्य: भाव- भंगिमा एवम् स्वरूप( नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान( 2061 साल), अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन आ नेपाल( 2065 साल) , हम और तुम( हिन्दी कवितासंग्रह, 2066 साल) , मैथिली नाटकसंग्रह ( 2067 ) , महाकवि विद्यापति आ नेपाल( साझा प्रकाशन, 2068 ) , मैथिली लोक- संस्कृति संगोष्ठी प्रतिवेदन( 2069 साल) , लोकनायक सलहेस( निबन्ध संग्रह- खण्ड1 तथा खण्ड2 , साल2069) , दीनाभद्री( निबन्ध संग्रह2070 , नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान) ,अहाँ जे कहलहँ( साक्षात्कार संग्रह, 2071 ) आदि ।
मतलब जे राम भरोस कापड़ि' भ्रमर ' कसाहित्यकार आ पत्रकार- दुनू व्यक्तित्व समानरूप सँ, समानान्तर रूपसँ निरन्तर गतिमान छनि । ओ सर्वदा सक्रिय रहैत छथि। एकर अतिरिक्त हिनक व्यक्तित्वक एकटा आर महत्वपूर्ण पक्ष छनि- राष्ट्रिय-अन्तर्राष्ट्रिय स्तरक साहित्यिक- सांस्कृतिक सभा-सम्मेलनमे सक्रिय सहभागिता । ओ विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगाकआजीवन सदस्यकहैसियतसँ करीब करीब प्रतिवर्ष नेपाली साहित्यकारलोकनिक टीमक नेतृत्व करैत छथि आ ताहि हिसाबसँ भारतक अनेक विशिष्ट शहरसबक भ्रमण क' चुकल छथि । ओहि संस्थान द्वारा प्रायोजितअन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक सफल आयोजन काठमाण्डूमे एक बेर आ जनकपुरधाममे दू बेर करबा चुकल छथि । कोनो सभा- सम्मेलनक आयोजनमे हुनकर ब्यबस्थापकीय क्षमताक प्रशंसा करैटा पड़त । मुदा तकर लाभ सेहो पर्याप्त रूपमे भेटि चुकल छनि आ भेटैत रहैत छनि । हमर मतलब कार्यक समुचित मूल्यांकनसँ अछि । ओ दर्जनों पुरस्कार आ सम्मानसँ विभूषित भ' चुकल छथि ।
सबटा प्राप्त सम्मान आ पुरस्कारक विवरण उल्लेख नहि क' हम किछु मात्र इंगित कर'चाहब, जेना नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्वारा प्रदत्त प्रथम' मायादेवी प्रज्ञा पुरस्कार' ( 2052 साल), विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा द्वारा' मिथिला विभूति' सम्मान, शेखर प्रकाशन, पटना द्वारा' शेखर सम्मान' , नेपाल मैथिली साहित्य परिषद, जनकपुर द्वारा' वैदेही प्रतिभा पुरस्कार', अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन, मुम्वई द्वारा' मिथिलारत्न' सम्मान, मधुरिमा नेपाल द्वारा' मधुरिमा सम्मान' , चेतना समिति, पटना द्वारा' यात्री चेतना पुरस्कार' , साझा प्रकाशन द्वारा' साझा लोक संस्कृति पुरस्कार( 2068 साल) , नेपाल सरकार द्वारामैथिली भाषा पर देबय जायवला सर्वोच्च' नेपाल विद्यापति भाषा साहित्य पुरस्कार' ( 2069 साल), रायपुर( छत्तीसगढ, भारत) द्वारा' मिथिला विभूति सम्मान' ( 2069 ) आदि । एहि सभक अतिरिक्त राष्ट्रपति द्वारा" सुप्रवल जनसेवा श्री तृतीय" (2077 साल) आ नेपाल सरकार द्वारा गद्याख्यान/ नाटकक हेतु देल जायबला" महाकवि लक्ष्मी प्रसाद देवकोटा पुरस्कार" ( 2077 ) विशेष रूपसँ उल्लेखनीय अछि ।
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्राज्ञक रूपमे चीन, बांगलादेश आ भारतक साहित्यिक भ्रमणक सुअवसर प्राप्त करब सेहो एकटा सौभाग्यक बात अछि । एकर बाद हुनका सम्बन्धित किछु विशेष उल्लेखनीय बातक जानकारी कराबी । बहुत उल्लेखनीय बात सबमे एकटा विशेष उल्लेखनीय योगदान इहो अछि जे हुनकासँ पहिने साझा प्रकाशन मात्र नेपाली किताब प्रकाशित करैत छल, मुदा ओ जखन अध्यक्ष भेलाह त' पहिल बेर" बगियाक गाछ" शीर्षकसँ एकटा मैथिली बाल कथासंग्रह प्रकाशित करौलनि । दोसर महत्वपूर्ण बात जे पहिल बेर काठमाण्डूमे ओ अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन( 2067 साल) आयोजन कैलनि जकर उद्घाटन नेपालक राष्ट्रपति आ विसर्जन नेपालक उपराष्ट्रपति कैलनि । तेसर जे काठमाण्डूमे आयोजित सार्कस्तरीय कविगोष्ठीमे ओ सर्वप्रथम मैथिलीक कविक रूपमे नेपालक प्रतिनिधित्व कैलनि । चारिम जे ओ पहिल बेर नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यक रूपमे प्रधान सम्पादकक जिम्मेवारी वहन करैत मैथिलीमे" आङन" पत्रिकाक शुभारम्भ कैलनि।
उपर्युक्त विवरणसँ मैथिली भाषा, साहित्य आ संस्कृति तथा मैथिली पत्रकारितामे हुनक विशेष अवदान दिश संकेत करैत अछि । कोनो तरहक साहित्यिक- सांस्कृतिक कार्यक्रम, सभा- सम्मेलन, गोष्ठी आदिमे हुनक ब्यबस्थापकीय क्षमताक प्रशंसा करहिटा पड़त। आयोजनक सम्पूर्ण नक्शा जेना दिमागमे बैसल रहिते छनि । ककरा कोन जिम्मेवारी देलगेलत' ओकरा पर बरसि जयताह। ओ कार्यकर्ता आर निरुत्साहित भ' जाइए। आ ताहिसँ ओकरासँ हुनक सम्बन्धमे ठंढापन आबि जाइत अछि । एकर अनुभूति जखन हिनका महिना, दू महिनाक बाद होइत छनि, तखन ओ अगे भ' क' फोन करताह, " की यौ, कत' गायब रहैत छी? एकबेर भेट होअओ ने । एना जे गायब भ' जेबै, त' काज चलतै? ताबत् धरि ओहो जे बिक्षुब्ध बनल रहैत छथि सेहो सामान्य भ' जाइत छथि आ सम्बन्धक गाड़ी पूर्ववत गतिमान भ' जाइत अछि । तैं एकरा गुण कही की अवगुण?
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