प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक सम्पादकीय- गजेन्द्र ठाकुर/ विदेह ई-लर्निङ्ग
वि दे ह विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly ejournal विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA.

१.१.गजेन्द्र ठाकुर- नूतन अंक सम्पादकीय १.२.विदेह ई-लर्निङ्ग

१.१.गजेन्द्र ठाकुर- नूतन अंक सम्पादकीय

िथिलामे बाढ़िक प्रकोप आइ काल्हि खूब अछि मुदा तकर अछैत साहित्य अकादेमीक मैथिली प्रभागक कागची कार्यक्रम सभ चलिये रहल अछि। लोक सभक समस्यासँ साहित्य अकादेमीक मैथिली प्रभागकेँ कोनो सरोकारे नै छै, कोठली आ दफ्तरेमे अन्तर्राष्ट्रीय स्तरक गोष्ठी सभ भऽ जाइ छै, अभिलेखने तँ करबाक छै, मुदा तै किरदानीक अभिलेखन एतऽ कएल जा रहल अछि।

२.१

समानान्तर धाराक लोककेँ सतर्क रहबाक आवश्यकता अछि। मैथिली साहित्यमे ब्राह्मणवादी प्रवृत्ति अछि बा नै, ऐपर इण्डिया हैबीटेट सेण्टरक भारतीय भाषा महोत्सव मे १२ साल पहिने हमर उत्तर अन्य प्रतिभागी माने नचिकेता, देवशंकर नवीन आ विभा रानीसँ भिन्न छल। हमर उत्तर छल जे जँ आकाशवाणी दरभंगाक गप करी तँ उत्तर हँ अछि मुदा सप्तरी आदिक एफ.एम.क गप करी तँ उत्तर नै अछि; जँ एन.बी.टी., सी.आइ.आइ.एल., साहित्य अकादेमीक मैथिली प्रकाशन/ काज देखब तँ उत्तर हँ अछि मुदा विदेहक गद्य-पद्य-अनुवाद आदिक संकलन देखब (विदेह सदेह १-३६, ऐ मे विदेह सदेह २८ अनूदित साहित्यक संकलन अछि- पी.डी.एफ.देखू विदेह पेटारमे http://www.videha.co.in/videha.htm पर) तँ उत्तर नै अछि। जँ घर बाहर, भारती-मण्डन, अंतिका, मिथिला दर्शन आदिकेँ देखब तँ उत्तर हँ अछि आ विदेहकेँ देखब तँ उत्तर नै अछि। ई विदेहमे अभिलेखित सेहो भेल।

आ आइयो हमर उत्तर सएह अछि, माने मधुबनी-दरभंगा बनाम सहरसा-सुपौल-कोसी मुख्य धाराक ब्लैकमेलर सभक किरदानी छिऐ।

अरविन्द ठाकुर जी केँ आ मारिते रास आनो लोककेँ बहुत रास लोकपर आ बहुत रास बात पर आस्था छलन्हि, किछुपर ताधरि (हुनकापर विदेह विशेषांक निकलबा काल धरि) आस टुटलो छलन्हि, किछुपर आगाँ जा कऽ टुटलन्हि जकर एकटा साधारण विवरण आगाँ देल जा रहल अछि। किछु साहित्यकार साहित्य अकादेमीक एक चण्डाल चौकरी द्वारा सम्मानित भेल, किछु दोसर द्वारा, किछु दुनू द्वारा; आ पुनः सिद्ध भेल जे ओ लोकनि जे मधुबनी-दरभंगा बनाम सहरसा-सुपौल-कोसी करै छला से मुख्य धाराक ब्लैकमेलिंग टेक्निक मात्र अछि। सम्पादकीय आ लेखकीय प्रतिबद्धता रखबा लेल समानान्तर धाराक लोककेँ सतत सतर्क रहबाक आवश्यकता अछि। अरविन्द ठाकुर जी दुनू ग्रुप द्वारा बारल छथि से सहरसा-सुपौल-कोसी करैबलाक मुँहपर समधानल चमेटा अछि, किछु गोटे रेट बढ़बैले छद्म करै छथि मुदा किछु लोक बिकाऊ नै होइ छथि।

२.२

संपादकक दायित्वबोधः संदर्भ अंतिका, गौरीनाथ एवं अरविन्द ठाकुर

फेसबुक वर्तमानक साहित्य पत्रिका अछि। ओना इंटरनेटक आन माध्यम सहित फेसबुकपर मैथिली साहित्यकेँ पसारबाक श्रेय विदेहे केर छै। फेसबुकपर बहुत रास बात होइत रहैत छै। ताजा-ताजी समाचार जे अंतिका पत्रिकामे छपल अनुवाद सभक संग्रह अंतिके पत्रिकाक संपादक गौरीनाथ (पहिने अनलकांत नामसँ रहथि) बहरिया बसातक नामसँ पोथी प्रकाशित भेल। एहि पोथीक पोस्टपर अरविन्द ठाकुरजी अपना द्वारा कएल अंतिकामे प्रकाशित अनुवाद नै हेबाक वा ओकर चर्च नै हेबाक बात उठेलाह। अरविन्दजीकेँ उत्तर दैत संपादक गौरीनाथ नकारि देलाह जे अंतिकामे अरविन्दजीक अनुवाद प्रकाशित भेल छनि। ताहिपर अरविन्द जी फेसबुकपर अंतिकामे प्रकाशित अनुवाद भेल रचनाक फोटो सहित एक टिप्पणी देलाह ओहि टिप्पणीमे विदेहक चर्च सेहो छल। विदेहक अरविन्द ठाकुर विशेषांक 01 नवम्बर 2015 अंक 189 मे प्रकाशित भेल रहए। एहिमे हुनकासँ किछु प्रश्नो पूछल गेल रहनि जाहिमेसँ एकटा अंतिका पत्रिकाक ऊपर छल। ओहि समयमे जे हुनक उत्तर छलनि से उक्त विशेषांकमे छपल। विदेह अपन पाठक लेल अरविन्दजीक टिप्पणीकेँ फेसबुकसँ लऽ कऽ एहि अंकमे दऽ रहल अछि जाहिसँ भविष्यमे पाठक लग सभ तथ्य सामने रहै। ओना पाठक जनिते हेता जे ओही विशेषांकमे अरविन्दजीसँ "मैथिली साहित्यिक राजनीतिमे सरहसा-सुपौल पीठ"पर सेहो प्रश्न भेल रहनि। अरविन्दजी ओहि समयमे एक तरहसँ एहि प्रश्नेकेँ खारिज केने रहथि। जे साहित्य केर सजग पाठक छथि से विदेह द्वारा पूछल गेल प्रश्नक महत्व 2024 मे बूझि सकै छथि। अरविन्दजी चाहथि तऽ एक बेर फेर एहि प्रश्न सभक उत्तर दऽ सकै छथि। विदेहक अरविन्द ठाकुर विशेषांक केर पोथी रूप "स्वतंत्रचेता- अरविन्द ठाकुर: व्यक्तित्व-कृतित्व" केर नामसँ 2020 मे प्रकाशित भेल। तऽ आउ पढ़ी अरविन्दजीक टटका टिप्पणी जे अंतिका पत्रिकाक संपादक ऊपर अछि। एहि टिप्पणीकेँ देबाक एकटा लाभ ईहो जे भविष्यमे कोनो लोक एकटा संपादकक की केहन दायित्वबोध होइत छै से जानि सकताह। पाठक तारतम्यता लेल विदेहक उक्त विशेषांक सेहो पढ़थि-

 

गौरीनाथ Gouri Nath  उर्फ अनलकांत जी,

संपादक, अंतिका

महोदय,

अहां झूठ बाजि रहल छी अथवा सांच कें झांपि रहल छी अथवा दुनू क्रिया एके संग कए अपन अपराध कें मेटाबै लेल बात कें गोलिआए रहल छी।अहांक प्रत्युत्तर सं एकटा संपादकक रूप मे अहांक क्षमता जिम्मेदारी पर संदेहक प्रश्नचिंह ठाढ़ होइते अछि, व्यक्ति रूप मे सेहो अहांक अविश्वसनीयता प्रकट होइत अछि।

'अंतिका' मे हमरा द्वारा अनुदित कथासभ सं संबंधित हमर सूचना  पर अहांक अज्ञानजनित प्रत्युत्तर निराशाजनक अछि।प्रथमदृष्टया ओकरा सरसरी नजर सं देखि,अहां कें अपन स्नेहाधीन मानि, हम दू पंक्ति लिखि हंसि कए टारि देलहुँ।किन्तु तेकर बाद सूतल-बैसल प्रत्येक क्षण मे अहांक पंक्ति -- "हमरा स्मरण मे अहांक अनुदित कथा एखनो नहि हमर स्मरण केर सीमा ' सकैत अछि।" -- बेर-बेर घुरिआइत रहल, हमरा बेधैत-मथैत रहल, हमरा बेचैन कए देलक।हम सदा-आनंदी लोग छी, तखनो बेधलक।छी मनुष्ये।अपमान विश्वासघात सहब कठिन होइ छै।मन मे चिंता सेहो अभरल जे जे कोय ओहि टिप्पणी-प्रतिटिप्पणी कें देखने हेता,तिनका मन मे भाव आएल हेतनि जे अरविन्द ठाकुर अपन नाम नै रहलाक चलते व्यथित छथि अथवा आनक नामसभक उल्लेख देखि डाह सं जरि रहल छथि।हम स्वयं कें एहन क्षुद्रता सं मुक्त मानै छी,तें लोकक भ्रम तोड़बा लेल पोस्ट करब आवश्यक बुझाएल।

अहांक स्मरणक सीमा नै, अपन स्मरण कें यत्नपूर्वक सीमा मे राखबाक चतुरता अछि।अलग बात जे कोय समुद्र अथवा पहाड़ कें अपन स्मरणक सीमा सं बाहर कए दिअए तहि सं समूद्र अथवा पहाड़क अस्तित्व पर कोनोटा कनिओटा संकट आसन्न नै होइ छै।हं,संबद्ध स्मरणकर्ताक स्मरण-शक्ति ओकर मानसक उपचारक बेगरता दिस संकेत अवश्य करै छै।

अन्यथा केना संभव भेलै जे 'मानुस' कथा-संग्रहक जे कथाकार 'बकलमखुद' मे -- ".....अरविन्द ठाकुर जैसे कुछ गिने-चुने से ही आत्मीय और करीबी होने का लाभ मिला....."-- लिखैत अछि,से 'अंतिका' संपादकक रूप मे अरविन्द ठाकुरक प्रकाशित-प्रमाणित रचनात्मक योगदान कें अपन आत्ममुग्धता मे 'स्मरणक सीमा' सं बाहर कए दिअए?

'अंतिका' 'गौरीनाथ' लेल हमर स्नेह सतत पैरोकारी मैथिली मे हमरा खलनायक बनैने रहल,तखनो हमर आस्था नै डगमगाएल।(#विदेह द्वारा 2015 मे लेल हमर साक्षात्कारक एकटा अंश द्रष्टव्य) आस्था डगमगाएल 'अंतिका' 'गौरीनाथ'हिक करतब सं।दुर्भाग्य !

अहि मामला कें बढ़ाएब ईहो कारण सं आवश्यक बुझाएल जे अहांक जिम्मेदारी-विहीन उत्तर मात्र हमरा सं संबद्ध नै,अंतिका कें रचनात्मक योगदान देनिहार संपूर्ण रचनाकार समाजक अपमान, अवहेलना उपेक्षा सं जुड़ल अछि।किए प्रकारान्तर सं अहां सेहो कहि रहल छिऐ जे 'लिस्ट' सं बारल 'दर्जन सं बेसी नाम', ओहि लोकनिक तुलना मे जिनकरसभक नाम अहांक 'लिस्ट' मे छै, हेय दोयम दर्जाक छथि।

अहां अपन निजी रचना मे की लिखै छी, से अहांक मर्जी। किन्तु लेखकलोकनिक योगदानहि पर अस्तित्व ग्रहण करनिहार पत्रिकाक कोनो संपादक द्वारा लेखकक योगदान कें नकारब, अवमूल्यित करब ( से ओकर जीवित रहितहि) अथवा 'स्मरणक सीमा' सं बाहर कए देब जेतबे अक्षम्य अनैतिक छै, तेतबे निन्दनीय अस्वीकार्य सेहो।

हं! सत्ता मात्र व्यक्ति, प्रतिष्ठान,गिरोह अथवा शासने टाक नै होइ छै, अवसरपरस्ती व्यावसायिकताक सेहो होइ छै अहांक प्रत्युत्तर देखलाक बाद हमरा आब शंका नै रहल जे "पत्थर तले दबी दूब उर्फ प्रवासी परिन्दे का हौसला" अजुका तारीख मे अहिसभ मे सं कोनो ने कोनो सत्ताक 'प्रतिबंध' मे हुअए, ने हुअए ओकर दबाव मे अवश्य छै।

प्रमाणक रूप मे अंतिका मे छपल हमरा द्वारा अनुदित चारि टा कथाक प्रथम पृष्ठक फोटोसभ संलग्न अछि।हमर फाइलक अनुसार एक अथवा दू टा और अनूदित कथा अंतिका मे छपल हेबाक चाही।एकरासभक दर्शन करू अपन स्मरण कें नीक सं डांट-डपट करिऔ,लज्जित करिऔ जे अहां कें एना सार्वजनिक मंच पर धोखा किए दए रहल ए।

Shri Dharam Raman Singh Raman Kumar Singh  ,संयुक्त संपादक, अंतिका

 

 

 

गंगेश उपाध्यायक तत्त्वचिन्तामणि

गंगेश उपाध्यायक तत्त्वचिन्तामणि चारि खण्डमे विभाजित अछि- १. प्रत्यक्ष (सोझाँ-सोझी), (२) अनुमान, (३) उपमान (तुलना केनाइ) आ (४) शब्द (मौखिक गवाही)। वैध ज्ञान प्राप्त करबाक ई चारिटा साधन ऐ चारि खण्डमे अछि।

खण्ड एक
प्रत्यक्ष

गङ्गेशक आह्वान: त्रिमूर्ति शिवक आह्वानसँ ई खण्ड शुरू होइत अछि।आ तेँ आह्वानक विषयपर चर्चा शुरू होइत अछि। ई मानल जाइत अछि जे कोनो परियोजनाक प्रारम्भमे भगवानक आह्वानसँ ई कार्य पूर्ण होइत अछि।

आपत्तिः जे कोनो आह्वान कोनो काज पूरा करबाक कारण अछि, से सकारात्मक बा नकारात्मक संगतिक माध्यम सँ स्थापित नै कएल जा सकैत अछि, किएक तँ एहनो भेल अछि जे कोनो आह्वानक बिना सेहो कोनो काज पूरा कएल गेल।
आपत्तिक उत्तर: एकर कारण ई अछि जे ई आह्वान पूर्व जन्ममे कयल गेल छल/ हएत।

आपत्तिः नै, ई तँ घुमघुमौआ तर्क अछि, आ ओनाहितो कोनो काज पूरा केना होइत अछि तकर अनुभवजन्य कारण सभ आह्वानकेँ अनावश्यक सिद्ध करैत अछि।
आपत्तिक उत्तर: ई प्रमाण जे आह्वान कार्य पूर्ण हेबाक कारण छै, तइमे दू चरणक अनुमान शामिल अछि। पहिल, ई जे ई शिष्ट लोक द्वारा निन्दित नै अछि वरन हुनका सभ द्वारा सेहो आह्वानसँ कार्य प्रारम्भ कएल जाइत अछि। तखन ई अनुमान लगाओल जा सकैत अछि जे काज पूरा भेनाइ फल अछि किएक तँ ई नियमित रूप सँ इच्छित अछि, आ आन कोनो फल उपलब्ध नै अछि।

आपत्ति: ई तर्क काज नै करत कारण ई पहिनेसँ ज्ञात अछि जे आह्वानक अछैतो काज पूर्ण भऽ सकैत अछि, कारण-सम्बन्ध कोनो तर्कसँ स्थापित नै कएल जा सकैत अछि।
आपत्तिक उत्तर: हम सभ ऐ तर्क (जे आह्वान कार्य पूर्ण करबैत अछि) क समर्थन लेल वैदिक आदेशक आह्वान करैत छी। मुदा कोनो एहन वैदिक कथन नै भेटैत अछि। से अनुमान कएल जा सकैत अछि जे ऐ तरहक आह्वान सुसंस्कृत लोक सभ द्वारा शुरू कएल गेल आ कएल जाइत अछि।

प्रार्थना देह (जेना प्रणाम), वाणी (गायन) आ मस्तिष्क (ध्यान) सँ होइत अछि। मुदा कोनो ईश्वरमे विश्वास केनिहार सेहो कार्य सम्पन्न कऽ लैत अछि, तँ की ओ पूर्व जन्ममे आह्वान/ प्रार्थना  केने हएत? आ आह्वानक बादो कखनो काल कार्य सम्पन्न नै होइत अछि, से की ढेर रास बाधा ओइ साधारण आह्वानसँ दूर नै भेल हएत?

ऐ तरहक तर्कसँ प्रारम्भ भेल छल ई ग्रन्थ, ७-८ सय बर्ख पहिने!

 

(सन्दर्भ: कार्ल एच पॉटर: एनसाइक्लोपीडिया ऑफ इण्डियन फिलोसोफी, १९९३; सतीश चन्द्र विद्याभूषण: अ हिस्ट्री ऑफ इण्डियन लॉजिक, १९२१)

स्टीफन एच. फिलिप्स लिखै छथि:

मिथिलामे राखल गेल पञ्जी वंशावली अभिलेखसँ पता चलैत अछि जे हुनक पत्नी आ तीनटा बेटा आ एकटा बेटी छल। एकटा बेटा छलन्हि प्रसिद्ध न्याय लेखक, वर्धमान। गङ्गेश स्पष्ट रूपसँ अपन जीवनकालमे प्रसिद्धि प्राप्त कयलनि, जकरा "जगद-गुरु" कहल जाइत अछि, जे हुनक समयक शैक्षणिक संस्थानक लेल "प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय प्रोफेसर" क लगभग समकक्ष हएत।

Genealogical records kept in Mithila suggest that he had a wife and three sons and a daughter. One child was the famous Nyaya author, Vardhamana. Gangesa apparently achieved quite some fame during his lifetime, referred to as "jagad-guru," which would be the rough equivalent of "Distinguished University Professor" for the educational institutions of his time.

[Phillips, Stephen, "Gangesa", The Stanford Encyclopedia of Philosophy (Summer 2020 Edition), Edward N. Zalta (ed.), URL = https://plato.stanford.edu/archives/sum2020/entries/gangesa/ ]

गंगेश जगदगुरु तँ रहथि परमगुरु सेहो रहथि आ परमगुरुक उपाधि हिनका अतिरिक्त मात्र नूतन वाचस्पति (वृद्ध वाचस्पतिक परवर्ती) केँ पछाति जा कऽ प्राप्त भेलन्हि।

मुदा गंगेशक संगे जे अन्याय रमानाथ झा आ उदयनाथ झा अशोक केलन्हि से बीसम आ एक्कैसम शताब्दीमे भेल आ तकर दुष्परिणाम स्टीफन फिलिप्स सन नैय्यायिक उठेबा लेल अभिशप्त भेला। एतऽ अहाँकेँ सूचित करी जे स्टीफन फिलिप्स तत्त्वचिन्तामणिक चारू खण्डक सम्पूर्ण अंग्रेजी अनुवाद केनिहार पहिल व्यक्ति छथि [Jewel of Reflection on the Truth about Epistemology: A Complete and Annotated Translation of the Tattva-cinta-mani, Bloomsbury Academic (2020)]। हुनका अलाबी वी.पी. भट्ट सेहो तत्त्व चिन्तामणिक चारिमेसँ ३ खण्डक सम्पूर्ण अनुवाद २०२१ धरि कऽ लेने छथि [१. प्रत्यक्ष (सोझाँ-सोझी), (२) अनुमान, आ (४) शब्द (मौखिक गवाही); (३) उपमान (तुलना केनाइ)बाँकी छन्हि [Word The Sabdakhanda of Tattvacintamani- With Introduction, Sanskrit Text, Translation And Explanation (2 Vols Set) 2005; Perception The Pratyaksa Khanda of The Tattvacintamani 2012 (2 Vols Set); Inference the Anumana Khanda of the Tattva Chintamani ( With Introduction, Sanskrit text, Translation & Explanation ) (2 Vols Set) 2021 Published by Eastern Book Linkers, Delhi]।

HONOUR KILLING OF GANGESH UPADHYAYA (FIRST BY RAMANATH JHA, THEN BY UDAYANATH JHA 'ASHOK' (A PARALLEL HISTORY OF MITHILA AND MAITHILI LITERATURE, WHY TODAY ITS NEED BEING FELT MORE INTENSELY?)

I was not surprised, though I must have been when I saw a monograph on Gangesh Upadhyaya, whose copyright is being held by Sahitya Akademi, the author of the monograph is Udayanath Jha ' Ashok'. I thought that Udayanath Jha ' Ashok', who has been given Bhasha Samman also, by the same Sahitya Akademi, would do some justice. But truth and research seem elusive in Sahitya Akademi monographs, at least that I found in this monograph.

I searched and searched through chapters, that now the author will show courage. But the author like Ramanath Jha seems ashamed of the roots and offspring of Gangesh Upadhyaya. He tries to confuse the issue, but there is no confusion now at least since 2009. But in 2016 Sahitya Akademi seems to carry out the casteist agenda. Udayanath Jha mockingly pretends to search his name, lineage etc, where nothing is there to search for, yet he could not muster the courage, to tell the truth, and ends up just repeating the facts in 2016 that Dineshchandra Bhattacharya already has published way back in 1958.

The honour killing of Gangesh Upadhyaya by Prof. Ramanath Jha is being taken forward by Sahitya Akademi, Delhi in a most hypocritical way.

Ramanath Jha's obscurantism vis-a-vis Panji is evident from one example. The inter-caste marriage in Panji was well known to him (but he chose to keep the Dooshan Panji secret- which has been released by us in 2009), and it was apparent that the great navya-nyaya philosopher Gangesh Upadhyaya married a "Charmkarini" and was born five years after the death of his father (see our Panji Books Vol I & II available at http://videha.co.in/pothi.htm ). Sh. Dinesh Chandra Bhattacharya writes in the "History of Navya-Nyaya in Mithila". (1958)

"The family which was inferior in social status is now extinct in Mithila----- Gangesha's family is completely ignored and we are not expected to know even his father's name-----...As there is no other reference to Gangesa we can assume that the family dwindled into insignificance again and became extinct soon after his son's death." [1958, Chapter III pages 96-99), which is a total falsehood. He writes further that all this information was given to him by Prof. R. Jha, and he seemed thankful to him.

The following excerpt from Our Panji Prabandh (parts I&II) is being reproduced below for ready reference:

 -

महाराज हरसिंहदेव- मिथिलाक कर्णाट वंशक। ज्योतिरीश्वर ठाकुरक वर्ण-रत्नाकरमे हरसिंहदेव नायक आकि राजा छलाह। 1294 ई. मे जन्म आ 1307 ई. मे राजसिंहासन। घियासुद्दीन तुगलकसँ 1324-25 ई. मे हारिक बाद नेपाल पलायन। मिथिलाक पञ्जी-प्रबन्धक ब्राह्मण, कायस्थ आ क्षत्रिय मध्य आधिकारिक स्थापक, मैथिल ब्राह्मणक हेतु गुणाकर झा, कर्ण कायस्थक लेल शंकरदत्त, आ क्षत्रियक हेतु विजयदत्त एहि हेतु प्रथमतया नियुक्त्त भेलाह। हरसिंहदेवक प्रेरणासँ- आ ई हरसिंहदेव नान्यदेवक वंशज छलाह, जे नान्यदेव कार्णाट वंशक १००९ शाकेमे स्थापना केने रहथि- नन्दैद शुन्यं शशि शाक वर्षे (१०१९ शाके)... मिथिलाक पण्डित लोकनि शाके १२४८ तदनुसार १३२६ ई. मे पञ्जी-प्रबन्धक वर्तमान स्वरूपक प्रारम्भक निर्णय कएलन्हि। पुनः वर्तमान स्वरूपमे थोडे बुद्धि विलासी लोकनि मिथिलेश महाराज माधव सिंहसँ १७६० ई. मे आदेश करबाए पञ्जीकारसँ शाखा पुस्तकक प्रणयन करबओलन्हि। ओकर बाद पाँजिमे (कखनो काल वर्णित १६०० शाके माने १६७८ ई. वास्तवमे माधव सिंहक बादमे १८०० ई.क आसपास) श्रोत्रिय नामक एकटा नव ब्राह्मण उपजातिक मिथिलामे उत्पत्ति भेल।

So, the Srotriyas as a sub-caste arose around 1800 CE as per authentic panji files. Sh. Anshuman Pandey [Gajendra Thakur of New Delhi provided me with digitized copies of the genealogical records of the Maithil Brahmins. The panjikara-s whose families have maintained these records for generations are often reluctant to allow others to pursue their records. It is a matter of 'intellectual property' to them. I was fortunate enough to receive a complete digitized set of panji records from Gajendra Thakur of New Delhi in 2007. [Recasting the Brahmin in Medieval Mithila: Origins of Caste Identity among the Maithil Brahmins of North Bihar by Anshuman Pandey, A dissertation submitted in partial fulfilment of the requirements for the degree of Doctor of Philosophy (History) in the University of Michigan 2014].

Later these Panji Manuscripts were uploaded to Videha Pothi at www.videha.co.in and google books in 2009).

The so-called Maharajas of Darbhanga were permanent settlement zamindars of Cornwallis, and there were so many in British India, but in Nepal there were none. In the annexure of our book (Panji Prabandh vol I&II), we have attached copies of genealogy-based upgradation orders (proof of upgradation for cash). So, before 1800   CE, there was no srotriya sub-caste in British India and there is no such sub-caste within Maithil Brahmins in Nepal part of Mithila even today. Srotriya before that referred to following some education stream in British India, in Nepal it still has that meaning.

ORIGINAL PANJI REFERENCES ARE PLACED BELOW:

DOOSHAN PANJI- THE BLACKBOOK

४९.

१८८/२

चर्मकारिणी

माण्डर

वभनियाम

छादन

तत्त्वचिंतामणि कारकगंगेश

छादनगंगेशक

नाँई

रत्नाकरक-मातृक (अज्ञात)

गंगेश

 

वल्लभा

भवाइ

माहेश्वर

 

 

 

 

जीवे

 

 

२१//१० छादनसँ तत्व चिन्तामणि कारक जगद्गुरु गंगेश

छादनसँ तत्‍व चिन्‍तामणि कारक

गंगेशक वल्‍लभा चर्मकारिणी पितृ परोक्षे पञ्च वर्ष व्‍यतीते तत्‍व चिन्‍तामणि कारक गंगेशोत्‍पत्ति- चर्मकारिणी मेधाक सन्‍तानक लागिमे छलन्हि

छादन सँ तत्व चिन्तामणि कारक मōō गंगेश

"तत्व चिन्तामणि कारक म. म. पा. गंगेशक विषयक लेख प्राचीन पञ्जीसँ उपलब्ध"।।

पितृ परोक्षे पंच वर्ष व्यतीते गंगेशोत्पत्तिः इति प्राचीन लेखनीय: कुत्रापि

देवानन्द पञ्जी ३९-२ छादनसँ जगदगुरू गुंरू गंगेश सुताय वभनियामसँ जयादित्य सुत साधुकर पत्नी

देवानन्द पञ्जी ३३९-३ जगदगुरू गंगेश सुत सुपन दौ भण्डारिसमसँ हरादित्य दौ.।। पुत्र सुताच गोरा जजिवाल सँ जीवे पत्नी ए सुत सन्दगहि भवेश्वर। अत्रस्थाने सुपनभ्रातृ हरिशर्म्म दारिति क्वचित् जजिवाल ग्राम

देवानन्द पञ्जी ३०=५ छादनसँ उपायकारक म.म. पा. वर्द्धमान सुताच खण्डवलासँ विश्वनाथ सुत शिवनाथ पत्नी गंगेश- म.म. वर्द्वमान/ सुपन/ हरिशर्म्म

Gangesh, the author of the Tattvachintamani, wrote one text equivalent to 12,000 texts. Now come to the fact mentioned in the Panji- it clearly states that Gangesh of Tattvachintamani was born five years after the death of his father and he married a tanner, so why did Ramanath Jha hide this from Dinesh Chandra Bhattacharya? Vardhamana, son of Gangesh, calls Gangesh sukavikairavakananenduh. But the conspiracy under which the poems of a famous scholar like Gangesh are not available today is clear from the example given above. Vasudev of Bengal was a classmate of Pakshadhar Mishra of Mithila, he came to study in Mithila, passed the shalaka examination and received the title of sarvabhaum. Vasudeva memorised the tattvachintamani of Gangesh and the nyayakusumanjali karika of Udayana. Pakshadhar and other Mithila teachers did not allow writing (copying) tattvachintamani. Raghunath Shiromani, a disciple of Vasudeva, took the right of certification after he defeated his guru Pakshadhar Mishra in a scriptural debate (shastrartha). The Navya Nyaya school was founded in Navadvipa by Vasudeva-Raghunath. Pakshadhar Mishra was a contemporary of Vidyapati (distinct from the Padavali writer who was of the pre-Jyotirishwar period) who wrote in Sanskrit and Avahatta. And the arrival of Mithila students of Bengal from Bengal stopped after Raghunath Shiromani. Gangesh Upadhyaya enjoyed 'param guru' as well as 'jagad guru' titles, the highest titles of the time and as per Panji only Vacaspati Mishra II was the other person who enjoyed the title of 'param guru'. The extinction of Navya-Nyaya School from Mithila, as described above, was a revenge of nature against the honour killing of Gangesh Upadhyaya and his family.

[Translation of the Maithili Short Story, 'Shabdashastram' (based on the true Panji records of Gangesh Upadhyaya) was done by the author Gajendra Thakur himself: published as 'The Science of Words'  Indian Literature Vol. 58, No. 2 (280) (March/April 2014), pp. 78-93 (16 pages) Published By: Sahitya Akademi]

 

-Gajendra Thakur, editor, Videha (be part of Videha www.videha.co.in -send your WhatsApp no to +919560960721 so that it can be added to the Videha WhatsApp Broadcast List.)

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१.२.विदेह ई-लर्निङ्ग

[संघ लोक सेवा आयोग/ बिहार लोक सेवा आयोगक परीक्षा लेल  मैथिली (अनिवार्य आ ऐच्छिक) आ आन ऐच्छिक विषय आ सामान्य ज्ञान (अंग्रेजी माध्यम) हेतु सामिग्री] [एन.टी.ए.- यू.जी.सी.-नेट-मैथिली लेल सेहो]

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मैथिलीक वर्तनी

मैथिलीक वर्तनी- विदेह मैथिली मानक भाषा आ मैथिली भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम

भाषापाक

मैथिलीक वर्तनीमे पर्याप्त विविधता अछि। मुदा प्रश्नपत्र देखला उत्तर एकर वर्तनी इग्नू BMAF001 सँ प्रेरित बुझाइत अछि, से एकर एकरा एक उखड़ाहामे उनटा-पुनटा दियौ, ततबे धरि पर्याप्त अछि। यू.पी.एस.सी. क मैथिली (कम्पलसरी) पेपर लेल सेहो ई पर्याप्त अछि, से जे विद्यार्थी मैथिली (कम्पलसरी) पेपर लेने छथि से एकर एकटा आर फास्ट-रीडिंग दोसर-उखड़ाहामे करथि|

IGNOU  इग्नू       BMAF-001

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Maithili (Compulsory & Optional)

UPSC Maithili Optional Syllabus

BPSC Maithili Optional Syllabus

मैथिली प्रश्नपत्र- यू.पी.एस.सी. (ऐच्छिक)

मैथिली प्रश्नपत्र- यू.पी.एस.सी. (अनिवार्य)

मैथिली प्रश्नपत्र- बी.पी.एस.सी.(ऐच्छिक)

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यू. पी. एस. सी. (मेन्स) ऑप्शनल: मैथिली साहित्य विषयक टेस्ट सीरीज

यू.पी.एस.सी. क प्रिलिमिनरी परीक्षा सम्पन्न भऽ गेल अछि। जे परीक्षार्थी एहि परीक्षामे उत्तीर्ण करताह आ जँ मेन्समे हुनकर ऑप्शनल विषय मैथिली साहित्य हेतन्हि तँ ओ एहि टेस्ट-सीरीजमे सम्मिलित भऽ सकैत छथि। टेस्ट सीरीजक प्रारम्भ प्रिलिम्सक रिजल्टक तत्काल बाद होयत। टेस्ट-सीरीजक उत्तर विद्यार्थी स्कैन कऽ editorial.staff.videha@gmail.com पर पठा सकैत छथि, जँ मेलसँ पठेबामे असोकर्ज होइन्हि तँ ओ हमर ह्वाट्सएप नम्बर 9560960721 पर सेहो प्रश्नोत्तर पठा सकैत छथि। संगमे ओ अपन प्रिलिम्सक एडमिट कार्डक स्कैन कएल कॉपी सेहो वेरीफिकेशन लेल पठाबथि। परीक्षामे सभ प्रश्नक उत्तर नहि देमय पड़ैत छैक मुदा जँ टेस्ट सीरीजमे विद्यार्थी सभ प्रश्नक उत्तर देताह तँ हुनका लेल श्रेयस्कर रहतन्हि। विदेहक सभ स्कीम जेकाँ ईहो पूर्णतः निःशुल्क अछि।- गजेन्द्र ठाकुर

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज (मुख्य) परीक्षा, मैथिली (ऐच्छिक) लेल टेस्ट सीरीज/ प्रश्न-पत्र- १ आ २

Test Series-1- गजेन्द्र ठाकुर

Test Series-2- गजेन्द्र ठाकुर

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NTA-UGC/ UPSC/ BPSC Maithili Optional- गजेन्द्र ठाकुर

मैथिली समीक्षाशास्त्र

मैथिली समीक्षाशास्त्र (तिरहुता)

मैथिली समीक्षाशास्त्र (भाग-२, अनुप्रयोग)

मैथिली प्रतियोगिता

[Place of Maithili in Indo-European Language Family/ Origin and development of Maithili language (Sanskrit, Prakrit, Avhatt, Maithili) भारोपीय भाषा परिवार मध्य मैथिलीक स्थान/ मैथिली भाषाक उद्भव ओ विकास (संस्कृत, प्राकृत, अवहट्ट, मैथिली)]

(Criticism- Different Literary Forms in Modern Era/ test of critical ability of the candidates)

(ज्योतिरीश्वर, विद्यापति आ गोविन्ददास सिलेबसमे छथि आ रसमय कवि चतुर चतुरभुज विद्यापति कालीन कवि छथि। एतय समीक्षा शृंखलाक प्रारम्भ करबासँ पूर्व चारू गोटेक शब्दावली नव शब्दक पर्याय संग देल जा रहल अछि। नव आ पुरान शब्दावलीक ज्ञानसँ ज्योतिरीश्वर, विद्यापति आ गोविन्ददासक प्रश्नोत्तरमे धार आओत, संगहि शब्दकोष बढ़लासँ खाँटी मैथिलीमे प्रश्नोत्तर लिखबामे धाख आस्ते-आस्ते खतम होयत, लेखनीमे प्रवाह आयत आ सुच्चा भावक अभिव्यक्ति भय सकत।)

(बद्रीनाथ झा शब्दावली आ मिथिलाक कृषि-मत्स्य शब्दावली)

(वैल्यू एडीशन- प्रथम पत्र- लोरिक गाथामे समाज ओ संस्कृति)

(वैल्यू एडीशन- द्वितीय पत्र- विद्यापति)

(वैल्यू एडीशन- द्वितीय पत्र- पद्य समीक्षा- बानगी)

(वैल्यू एडीशन- प्रथम पत्र- लोक गाथा नृत्य नाटक संगीत)

(वैल्यू एडीशन- द्वितीय पत्र- यात्री)

(वैल्यू एडीशन- द्वितीय पत्र- मैथिली रामायण)

(वैल्यू एडीशन- द्वितीय पत्र- मैथिली उपन्यास)

(वैल्यू एडीशन- प्रथम पत्र- शब्द विचार)

(तिरहुता लिपिक उद्भव ओ विकास)

अनुलग्नक-१-२-३    अनुलग्नक- ४-५

(मैथिली आ दोसर पुबरिया भाषाक बीचमे सम्बन्ध (बांग्ला, असमिया आ ओड़िया) [यू.पी.एस.सी. सिलेबस, पत्र-१, भाग-'ए', क्रम-५])

[मैथिली आ हिन्दी/ बांग्ला/ भोजपुरी/ मगही/ संथाली- बिहार लोक सेवा आयोग (बी.पी.एस.सी.) केर सिविल सेवा परीक्षाक मैथिली (ऐच्छिक) विषय लेल]

मैथिली-हिन्दी वार्तालाप (३ घण्टा)

मैथिली

बांग्ला

असमिया

ओड़िया

हिन्दी

उर्दू

नेपाली

संस्कृत

संथाली

NTA_UGC_NET_Maithili_01

NTA_UGC_NET_Maithili_02

GS (Pre)

Topic 1 

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यू.पी.एस.सी. आ आन प्रतियोगिता परीक्षा लेल देखू:

विदेह:सदेह १७

विदेह:सदेह २१

विदेह:सदेह २३

विदेह:सदेह २६

विदेह:सदेह २९

विदेह:सदेह ३०

विदेह:सदेह ३२

विदेह:सदेह ३३

विदेह:सदेह ३४

विदेह:सदेह ३५

 

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General Studies

NCERT-Environment Class XI-XII

NCERT PDF I-XII

Sansad TV

http://prasarbharati.gov.in/

http://newsonair.com/ 

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Other Optionals

IGNOU eGyankosh

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पेटार (रिसोर्स सेन्टर)

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मैथिली मुहावरा एवम् लोकोक्ति प्रकाश- रमानाथ मिश्र मिहिर (खाँटी प्रवाहयुक्त मैथिली लिखबामे सहायक)

डॉ. कमला चौधरी-मैथिलीक वेश-भूषा-प्रसाधन सम्बन्धी शब्दावली (खाँटी प्रवाहयुक्त मैथिली लिखबामे सहायक)

डॉ योगानन्द झा- मैथिलीक पारम्परिक जातीय व्यवसायक शब्दावली (खाँटी प्रवाहयुक्त मैथिली लिखबामे सहायक)

डॉ. ललिता झा- मैथिलीक भोजन सम्बन्धी शब्दावली (खाँटी प्रवाहयुक्त मैथिली लिखबामे सहायक)

मैथिली शब्द संचय- डॉ श्रीरामदेव झा (खाँटी प्रवाहयुक्त मैथिली लिखबामे सहायक)

दत्त-वतीक वस्तु कौशल- डॊ. श्रीरामदेवझा

परिचय निचय- डॊ शैलेन्द्र मोहन झा

English Maithili Computer Dictionary (Complete)- Gajendra Thakur

Maithili English Dictionary- गोविंद झा

राधाकृष्ण चौधरी- A Survey of Maithili Literature

राधाकृष्ण चौधरी- मिथिलाक इतिहास

जयकान्त मिश्र- A History of Maithili Literature Vol. I

राजेश्वर झा- मिथिलाक्षरक उद्भव ओ विकास (मैथिली साहित्य संस्थान आर्काइव) (यू.पी.एस.सी. सिलेबस)

दत्त-वती (मूल)- श्री सुरेन्द्र झा सुमन (यू.पी.एस.सी. सिलेबस)

प्रबन्ध संग्रह- रमानाथ झा (बी.पी.एस.सी. सिलेबस) CIIL Site

सुभाष चन्द्र यादव-राजकमल चौधरी: मोनोग्राफ

डॉ. रमानन्द झा 'रमण'

दुर्गानन्द मण्डल-चक्षु

फेर एहि मनलग्गू फाइल सभकेँ सेहो पढ़ू:-

रामलोचन ठाकुर- मैथिली लोककथा

कुमार पवन (साभार अंतिका)

पइठ (मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ कथा)     

डायरीक खाली पन्ना

अनूदित साहित्य (आन भाषासँ)- गजेन्द्र ठाकुर

विदेह:सदेह २७ (गजेन्द्र ठाकुर आ रवि भूषण पाठकक आन भाषासँ अनूदित गद्य आ पद्य- अंक १-३५० सँ)

बाल साहित्य (अनुवाद- द्विभाषिक- मैथिली-अंग्रेजी)- गजेन्द्र ठाकुर

अनुवाद  (मैथिली):

1. भारतोल्लक राजकुमारी, (बिनु शब्दक), (बाल साहित्य), (2022)

2. मू परियोजना (तिरहुता लिपि), (2023)

3. मू परियोजना (देवनागरी लिपि), (2023)

4. मसाई केर परिवर्तनकारी रेबेका, (बाल साहित्य),  (2022)

5. सुनू , (बाल साहित्य), (2022)

6. घर सभ , (बाल साहित्य), (2022)

7. एकटा नीक दिन, (बाल साहित्य), (2022)

8. चलू हम तँ ठीक छी ने! , (बाल साहित्य) ,(2022)

9. की अहाँ ऐ चिड़ै सभकेँ देखने छी?, (बाल साहित्य), (2022)

10. टोस्ट , (बाल साहित्य), (2022)

11. बड़ीटा! कनियेटा!, (बाल साहित्य), (2022)

12. एतऽ हम सभ रहै छी , (बाल साहित्य), (2022)

13. भारतोल्लक राजकुमारी, (बाल साहित्य), (2022)

14. वुयो , (बाल साहित्य), (2022)

15. कच-कच कचाक, (बाल साहित्य), (2022)

16. चुन्नू-मुन्नूक नहेनाइ, (बाल साहित्य), (2022)

17. नेना जे बैलूनसँ डेराइत छल , (बाल साहित्य) ,(2022)

18. अद्भुत फिबोनाची अंक-शृंखला, (बाल साहित्य), (2022)

19. हारू , (बाल साहित्य), (2022)

20. अखन नै, अखन नै!, (बाल साहित्य), (2022)

21. जन्मदिनक उत्सव भोज, (बाल साहित्य), (2022)

22. मोट राजा पातर-दुब्बड़ कुकुड़, (बाल साहित्य), (2022)

23. बचिया जे अपन हँसी नै रोकि सकैत छलि , (बाल साहित्य), (2022)

24. अंग्रेजी, (बाल साहित्य), (2022)

25. हम सूँघि सकै छी, (बाल साहित्य), (2022)

26. छोट लाल-टुहटुह डोरी, (बाल साहित्य), (2022)

27. करू नीक, भोगू नीक , (बाल साहित्य) , (2022)

28. ई सभटा बिलाड़िक दोख अछि! , (बाल साहित्य) , (2022)

29. चोभा आम!, (बाल साहित्य), (2022)

30. हमर टोलक बाट , (बाल साहित्य) , (2022)

31. जखन इकड़ू स्कूल गेल, (बाल साहित्य),  (2022)

32. माछी फेर आउ टाटा!, (बाल साहित्य),  (2022)

33. अमाचीक जुलुम मशीन सभ , (बाल साहित्य) ,(2022)

34. टिंग टोंग, (बाल साहित्य),  (2022)

35. पाउ-म्याऊ-वाह, (बाल साहित्य),  (2022)

36. कुकुड़क एकटा दिन, (बाल साहित्य), (2022)

37. हमरा नीक लगैए, (बाल साहित्य),  (2022)

38. रीताक नव-स्कूलमे पहिल दिन, (बाल साहित्य), (2022)

39. कनी हँसियौ ने! , (बाल साहित्य) ,(2022)

40. लाल बरसाती, (बाल साहित्य), (2022)

41. भूत-प्रेतक नाट्यशाला, (बाल साहित्य), (2022)

42. आउ पएर गानी, (बाल साहित्य), (2022)

43. कतऽ अछि ई अंक 5?, (बाल साहित्य), (2022)

मैथिली-अंग्रेजी टॉकिंग रीड-अलाउड ऑडियो बुक:

1. https://bloomlibrary.org/player/Wcf6zr5CoF (मसाई केर परिवर्तनकारी रेबेका), (बाल साहित्य), (2022)

2. https://bloomlibrary.org/player/p3sHdYBgiT (चलू हम तँ ठीक छी ने!चलू हम तँ ठीक छी ने!), (बाल साहित्य), (2022)

3. https://bloomlibrary.org/player/f19pSdhGMo (एकटा नीक दिन), (बाल साहित्य), (2022)

4. https://bloomlibrary.org/player/b2l5wesxCp (घर सभ), (बाल साहित्य), (2022)

5. https://bloomlibrary.org/player/dAzC0Fubt7 (की अहाँ ऐ चिड़ै सभकेँ देखने छी?), (बाल साहित्य), (2022),

6. https://www.youtube.com/@videha_ejournal  पर्वत ऊपर भमरा जे सूतल, (2022)

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किछु मैथिली पोथी डाउनलोड साइट (ओपन सोर्स)

NCERT BHASHA SANGAM

NCERT (Maithili-English-Hindi Conversations)

पं लक्ष्मीपति सिंह (सौजन्य रमानन्द झा "रमण")

हिन्दी-मैथिली-शिक्षक

मैथिली-हिन्दी वार्तालाप (३ घण्टा)

मैथिली (मैथिली संकेत भाषा सहित- मैथिलीमे पहिल बेर)

https://www.youtube.com/@videha_ejournal

https://youtu.be/TebuC-lrSs8

https://ncert.nic.in/bs-2021.php

Sahitya Akademi

प्रकाशन 

डिजिटल-पोथी

CIIL

अखियासल (रमानन्द झा रमण)

जुआयल कनकनी- महेन्द्र

प्रबन्ध संग्रह- रमानाथ झा (बी.पी.एस.सी. सिलेबस)

सृजन केर दीप पर्व- सं केदार कानन आ अरविन्द ठाकुर

मैथिली गद्य संग्रह- सं शैलेन्द्र मोहन झा

Archive.Org (विजयदेव झा)

Videha Maithili eBooks/ eJournals/ Audio-Video Archive

IGNCA

Maithili English Dictionary

विज्ञान रत्नाकर

तीरभुक्ति

OLE Nepal's e-Pustakalaya

पोथीक लिंक

IGNCA-ASI (search keyword Mithila)

History of Navya-Nyaya in Mithila

Studies in Jainism and Buddism in Mithila

Mithila in the Age of Vidyapati

Cultural Heritage of Mithila

Mithila under the Karnatas

Temple Survey Project ASI- English Hindi

मैथिली साहित्य संस्थान

दर्शनीय मिथिला (मैथिली साहित्य संस्थान लिंक)

Brochure 1 (मैथिली साहित्य संस्थान लिंक)

Brochure 2 (मैथिली साहित्य संस्थान लिंक)

Brochure 3 (मैथिली साहित्य संस्थान लिंक)

Brochure 4 (मैथिली साहित्य संस्थान लिंक)

Brochure 5 (मैथिली साहित्य संस्थान लिंक)

ब्लूम लाइब्रेरी मैथिली

अरिपन फाउण्डेशन

 

Pratham Books Maithili Storyweaver

 

मैथिली ऑडियो बुक्स

Videha Read Aloud Talking Maithili Audio Books (including Maithili Sign Language- Ist time in Maithili)

पोथी डॉट कॉम

I Love Mithila (पोथी डाउनलोड लिंक)

online maithili journal

owner I Love Mithila

प्यारे मैथिल चैनल- किरण चौधरी आ संगीता आनन्द

मिथिला चैप्टर

खिस्सा-पिहानी नेना भुटका लेल

जानकी एफ.एम समाचार

आकाशवाणी दरभंगा यू ट्यूब चैनल

आकाशवाणी मैथिली समाचार

आकाशवाणी अमृत महोत्सव

सुरेन्द्र राउत

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Videha e-Learning YouTube Channel

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विदेह सम्मान: सम्मान-सूची (समानान्तर साहित्य अकादेमी, समानान्तर ललित कला अकादेमी आ समानान्तर संगीत-नाटक अकादेमी सम्मान/ पुरस्कार नामसँ विख्यात)

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