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संतोष कुमार राय 'बटोही'
मकान मालिक: किराया घर
(एकटा संस्मरण)


शिक्षक रूप मे जहिया सँ बहाल भेलहुँ अछि, तहिया सँ दूटा मकान मालिक सँ पाला पड़ल अछि। दरिभंगा मे रही तँ ओतऽ मकान मालिक राजपूत छलाह। इस्कूल सँ तीन मिनट केँ दूरी पर डेरा छल। इस्कूल केँ आओर शिक्षकगण अइ पक्ष मे नहि छलाह जे जाहि गाम मे इस्कूल रहए ओही गाम मे डेरा लिअ। परञ्च फटफटिया गाडी चलबैत हमरा नीक नहि लगैत छल। इस्कूल सँ दूर रहला सँ समय पकड़ै मे सेहो दिक्कत होयत छै।

नवटोल मे रहलाह सँ ई भेल जे ओए गामक भोज-भात मे नत भेंटअ लागल। जन्मदिन मनौल जायत छल, बियाह होयत छल कि कियो बैकुंठ धाम जायत छल सभ मे न्यौता भेटैत छल। भोज खाऽकऽ हम मने मोटगर भऽ गेल रही। हमर धियापुत सेहो भोज-भात खायत छल। कहियो ई महसूस नहि भेल जे आन गाम मे छी। बियाह आऔर मरण मे टाका लेनिहार हमरे नियुक्त करैत छलाह ग्रामीण। देर राति तक ओई काज मे हम फिरिशान होयत छलहुँ। कहियो हिसाब-किताब मे गड़बड़ी नहि भेलै।

मकान मालिक केँ हम चाचा कहैत छलियैन्ह। हमर धियापुता बाबा कहैत छलैन्ह। बेटा बिजली विभाग पटना मे सी ए छलैन्ह । रजनीश पावनि मे आओर अवकाश मे घर अबैत छलाह। एक-दूटा जन हमेशा खटैत छलैन्ह हुनका दलान पर। गाय पोसने छलाह। गाय केँ सेवा लेल बलहावाली आओर ओकर घरवाला नियुक्त छलाह। जर्सी गाय दूध बेसी दैत छलैक। दही दूध केर हुनका घर मे कोनहुँ कमी नहि छल। रजनीश लेल घी बना-बनाकऽ रखैत छलाह।

हम हुनकर दलान मे सपरिवार रहति छलहुँ। चारू दिसा सँ दीवार सँ घेरल छल। दलान केँ सोझा मे धातरीम , लताम, आम, फूल, नींबू आओर लीची केर गाछ छल। बगल सँ सड़क जायत छल। सड़क केँ पश्चिम मे पोखरि छल। ई राजपूत केर मुहल्ला छलैक।

दलान केँ दक्खिन मे दू सै मीटर दूरी पर पैक्स भवन छै। इस्कूल जेबाक दूटा रस्ता छल। एकटा - वार्ड सदस्य लालजी केँ घर केँ बगल धरि आओर दोसर- सीताराम डीलर केँ जनवितरण केन्द्र सँ होयत निशिहारा वाला सड़क दिस।

दलान मे ग्रिल लागल छल। दीवार मे सेहो मजबूत गेट लागल छलैक। अंगना आओर दलान केँ बीच सेहो गेट छलैन्ह। अंगना मे बाथरूम छलैन्ह। बाथरूम नीक कहल जा सकैए। अंगना केँ पछैत उत्तर मे मालअ घर छेलैन्ह। मालअ घरक पछैत उत्तर मे राजपूतक कुलदेवी केँ मंदिर बनल छेलैह।

अरविंद कुँवर जी बारह बीघा जमीन केर मालिक छथि। गाछी कलम ढेर छन्हि। आम गाछ फरैत छलैन्ह। चारि कट्ठा मे मकई लगौने छथि। तीन कट्टा मे जनेर आओर गाय लेल घास उपजा रहल छथि।बाकी मे रबी आओर खरीफ फसल उपजाबैत छथि। सचेष्ट खेतिहर छथि अरविंद कुँवर जी। सीताराम डीलर सँ सरकारी अनाज सेहो उठाबैत छथि। खेती बड़ मोन सँ करैत छथि। बड़ मेहनतिया छथि वो।

हम किराया लेटे सँ देने हेबैन्ह, परञ्च कुनो शिकायत नहि । एकटा दिल्ली केँ तेखंड मे मकान मालिक छलाह जे विहनसरे सुतले मे दरबाजा खटखटाबैत छलाह किराया लेल। दरिभंगा केँ मदारपुर मे छात्रावास केँ मालिक सिद्धेश्वर साहु किराया लेल कहियो फिरिशान नहि केलक। आओर कोनहु आन चीज लेल सेहो फिरिशान नहि केलक। शकूरपुर , दिल्ली मे भैरवा जी मकान मालिक सेहो कहियो टाकाक लेल फिरिशान नहि केलक। आब हम सपरिवार दुल्लीपट्टी , जयनगर मे रहैत छी । मकान मालिक तँ छथि , परञ्च हुनकर कनिया अबनी-बटगबनी बाजैत छथि।
 

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