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अजित कुमार झा- संपर्क-9472834926

घरमुहाँ: मधेशी आन्दोलन आ सामाजिक समरसताक दस्तावेज

विदेह अपन श्रृंखला मे अहि बेर एक एहन विभूति केँ ऊपर विशेषांक निकालबाक नेयार केने अछि जे दुनु पारक मिथिला, मैथिली एवं मैथिलक मध्य सांस्कृतिक, सामाजिक एवं साहित्यिक क्षेत्र मे सेतुक कार्य क' रहल छथि। जनकपुर धाम बिनु मिथिलाक चर्च अधूरा अछि। मानलहुँ जे नेपाल मे ई सब मधेशी कहाइत छथि मुदा हमरा सब लेल त' अपन सहोदरे छथि। जनकपुर धाम सँ पुनौरा केँ भिन्न कोना मानि सकैत छी। भनहि दुनुक मध्य सीमा रेखा घीचि देल गेल अछि मुदा दुनुक अन्तर्मन मे एक्कहि तरहक सभ्यता ओ संस्कृति अछि आ ई सब अहिना सम्भव नहि होइत छैक, अहि केँ लेल सेतुक आवश्यकता होइत छैक आ ताहि मे सँ एक छथि नेपालक धनुषा केर बघचौरा गामक मैथिलीक लब्धप्रतिष्ठ बहुआयामी साहित्यकार  श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' जे वर्तमान मे जनकपुर धाम मे रहैत छथि। लगभग पाँच दशक सँ निरन्तर माँ मैथिली केर सेवा मे लागल छथि। साहित्यक लगभग सभ विधा मे उत्कृष्ट रचनाक हिनकर अपन संसार छन्हि। विदेह पर बहुत किछु उपलब्ध छन्हि जकर आनन्द निःशुल्क उठाओल जा सकैत अछि। संपादन मे सेहो निष्णात छथि। हिनक रचना संसार त' बड्ड पैघ छन्हि मुदा एखन हम चर्चा करब हिनक उपन्यास "घरमुँहा" केर।

जनकपुर ललित कला प्रतिष्ठान, जनकपुर धाम सँ सन् 2012 मे प्रकाशित हिनक पहिल उपन्यास "घरमुहाँ" मधेश आन्दोलनक व्यथा कथा अछि। अपन रचना प्रसंग मे श्री भ्रमर जी लिखने छथि : ' मैथिली मे समालोचकक कमी छैक आ ताहुमे नेपालक रचना पर लिखबाक ककरा पलखति छैक। नेपाल मे त' आर अकाले छैक। तखन रचनाक मूल्यांकन भ' नहि सकल तैँ अपन लेखन केँ आनक आँखिए किंवा पाठकक आँखिए तौलबाक अवसर नहि भेटल।' मुदा हिनकर रचनाक मूल्यांकन त' अहि पारक वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार सब निरंतर करैत रहलनि अछि आ जे भी कमी रहि गेल छल तकर पूरा करबाक प्रयास विदेह क' रहल अछि।

'भ्रमर' जी केर उपन्यास "घरमुहा" मधेशी आन्दोलनक पृष्ठभूमि पर लिखल एक अद्भुत कृति अछि।नेपालक दक्षिणी भागक मैदानी (तराई) क्षेत्र केँ मधेश आ अहि तराई मे रहय वाला भारतीय मूल केँ लोग जे मैथिली, थारु, अवधी एवं भोजपुरी भाषी छथि तिनका सब केँ एत्तह मधेशी कहल जाइत छैक। कहबाक कोनो प्रयोजन नहि जे हिनकर सबहक खानपान, रहन सहन सब अपने सन छन्हि। मुदा एत्तह हिनका सब सँ संवैधानिक भेद भाव केँ कारण अहि आन्दोलनक प्रयोजन पड़लै।  आखिर पहाड़ी आ मधेशी मे भेदभाव किएक? अपन अधिकार केर प्राप्ति हेतु कतेको शहीद भ' गेलाह। नेता सब केँ कि छैक, पिसाइत त' अछि आम जनता चाहे ओ मधेशी होइक आ कि पहाड़ी?

जुलुश सड़क पर नारा बाजी करैत आगू बढ़ि रहल अछि आ लोगक करमान लागल छैक। जखन कोनो भी पहाड़ी केर घर अथवा दोकान देखाइ पड़ैत छैक अहि भीड़ मे सन्हिआयल उपद्रवी तत्व अपन हाथ साफ क' लैत अछि। मधेशी आन्दोलन उग्र रूप धारण क' चुकल छल। इम्हर घर केँ भीतर पहाड़ी मास्टर साहेब रमेश उपाध्याय अपन घर मे अहुरिया काटि रहल छथि। स्कूल, कालेज, दोकान आ अन्य सब बन्द छल मुदा पेटक धधकैत आगि कत्तहु शान्त रहौ? आ अहि केँ लेल चाही रुपैया आ मास्टर साहेब केँ हाथ खाली छलनि। धीया पुता केँ लेल  चिन्ता होइत छन्हि तैँ तैयार भ' ' घर सँ निकलि बैंक जयबाक नेयार केने छथि। मास्टर साहेब केर पत्नी सरिता हिनका बैंक जाय सँ रोकबाक प्रयास करैत छथिन्ह मुदा मास्टर साहेब कहैत छथि : ' अहाँ व्यर्थे चिन्तित होइत छी। हमरा केओ किछु नहि कहत। भरल शहर मे त' हमर विद्यार्थी अछि। ककरो हम बिगाड़ने नहि छियै त' के की करत!' खिड़की सँ हुलकी मारि स्थितिक टोह लेबाक प्रयास करैत छथि आ आन्दोलनी भीड़ केँ उपद्रव देखि निकलबाक हिम्मत नहि जुटा पबैत छथि। मास्टर साहेब केँ अपन शहर डेराओन लागि रहल छलनि आ एहन मे फोनक घंटी सुनि भयभीत भ' जाइत छथि मुदा हिम्मत जुटा क' फोन उठाबैत छथि। भय दूर होइत छन्हि किएक त' ओम्हर सँ अपन मीत जगमोहन केँ आवाज सुनि हिनका बल भेटि जाइत छन्हि। सुख दुःख केर साथी अपन मीत पर हुनका पूरा भरोसा छलनि। ओम्हर हिनकर मित्र मधेशी आन्दोलन मे जी जान सँ लागल छथि मुदा अपन पहाड़ी मीत मास्टर साहेब केर सुरक्षा हुनका लेल चिन्ताक विषय छल। अहि संकट केँ समय मे जगमोहन अपन मीत केँ सपरिवार अपना घर पर आबय लेल जिद्द पर अड़ल छथि मुदा  मास्टर साहेब केँ होइत छन्हि जे जौँ ओ अपन घर छोड़ि मीतक घर पर चलि जेताह त' आन्दोलनक धार कमजोर पड़ि जेतैक। जगमोहन केँ पुरना दिन सब मोन पड़ैत छन्हि तैँ अपन मीतक लेल आन्दोलन केर राह सँ हटय लेल सेहो तैयार भ' जाइत छथि मुदा मास्टर साहेब  सप्पत दैत अपन मीत केँ रिकि लैत छथि। जगमोहन मोन मसोसि क' रहि जाइत छथि। ओना मास्टर साहेब केँ मोन होइत छन्हि जे अहि आन्दोलन मे ओ अपन मीत जगमोहन अधिकारी केँ साथ देथु आ सड़क पर उतरि मधेशी आन्दोलन जिन्दाबादक नारा लगाबथि मुदा पहाड़ी छथि आ घर मे नेपाली बजैत छथि एहन मे मधेशी सबहक केहन प्रतिक्रिया रहतनि से चिन्ताक विषय छन्हि।

लगातार आठ मास सँ आन्दोलन जारी छल। सबहक जीवन अस्त-व्यस्त भेल छलै। कोनो भी आन्दोलन हेतु पूँजी केर आवश्यकता होइत छैक आ अहि कार्यक बीड़ा उठौने छलथि दक्षिण बारी टोलक कहबैका कामेश्वर सिंह। हिनक पुत्र राजीव जेँ कालेज मे पढ़ैत छल से अहि आन्दोलन मे जी जान सँ जुटल छल। जुलुश मे शामिल उपद्रवी तत्व केँ देखि राजीव केँ चिन्ता सेहो होइत छलै। सरकारक तरफ सँ वार्ता केर आश्वासन भेटैत छैक आ ई खबर सुनि मास्टर साहेब केँ होइत छन्हि जे चिन्ता टरल मुदा सब 'बुढ़ियाक फूसि'। वार्ता विफल होइत छैक आर आन्दोलन तीव्र मुदा मास्टर साहेब केँ पूरा भरोसा छलनि जे एक-न'-एक दिन सरकार केँ झुकहे पड़तैक आ मधेशी सब केँ न्याय भेटि क' रहतैक चाहे अहि लेल वार्ताक कतेको दौड़ चलतैक। हिनका लेल चिन्ताक मुख्य विषय छलनि सामाजिक समरसताक लोप भेनाइ। पहाड़ी लोग सब केँ धमकी भेटनाइ शुरु भ' गेल छलै आ लोग औने पौने दाम मे अपन बाप दादाक बनाओल घर आ जमीन केँ बेचि पलायन करय लेल मजबूर होइत छथि।

वार्ताक कतेको असफल दौड़ केँ उपरांत 30 अगस्त 2007' 26 बूँदा पर सहमति बनि जाइत छैक। आन्दोलन बन्द होइत अछि। विजय जुलुश निकलैत अछि। मुदा नेपाल सरकार मधेशी सबहक खुशी मे फेर ग्रहण लगौलक आ तकर नतीजा होइत छैक जे मधेशी आन्दोलन पुनः धधकि उठैत छैक। अनिश्चितकालीन नाकाबंदीक घोषणा होइत अछि। सोरह दिनक नाकाबंदी सँ राजधानी काठमांडू मे हाहाकार मचि जाइत छैक आ बाध्य भ' ' नेपाल सरकार केँ झूकय पड़ैत छैक आ आठ बूँदा सहमतिक उपरांत संविधान सभाक निर्वाचनक तैयारी प्रारम्भ होइत अछि।  नीँक संख्या मे मधेशी चुनाव जीति क' अबैत छथि आ नेपाल मे एकटा न'ब अध्यायक श्री गणेश होइत छैक।

दुनु पक्षक सहमतिक उपरांत जे  मास्टर साहेब मधेश जिन्दाबादक नारा लगौने छलथि आ संगहि नीँक दिनक परिकल्पना केने छलथि से वर्तमान परिस्थिति मे श्रापित भ' कुहरि रहल छलथि। संपूर्ण मधेश मे विभिन्न समूहक नाम पर चंदा उगाही, अपहरण, धमकी देनाइ शुरु भ' जाइत अछि। सशस्त्र आन्दोलनक नाम पर आम पहाड़ी केर जीवन नर्क भेल जा रहल छल। वास्तविकता त' ई छल जे संपूर्ण आन्दोलन गुंडा तत्व केर द्वारा 'हाइजैक' ' जाइत छैक। अपनो सबहक देश मे एखन धरि जतेक भी आन्दोलन भेल अछि तकर अन्तिम परिणाम इएह भेल अछि। मास्टर साहेब केँ फोन पर लगातार दस लाख रुपैया देबाक लेल धमकायल जा रहल छन्हि। मास्टर साहेब अपन घर जमीन सब बेचि अपन परिवारक संग कोनो सुरक्षित स्थान पर पलायन करबाक योजना अपन पत्नी सरिता केँ समझाबैत छथि। अतेक आसान काज त' नहि छैक अपन बाप दादाक डीह पर सँ पलायन केनाइ मुदा इतिहास गवाह अछि जे मजबूरी मे लोग की नहि करैत अछि? इम्हर मास्टर साहेब तैयारी मे जुटल छथि आ ओम्हर कालेज सँ घुरैत काल हिनकर बेटी किरण केर अपहरण भ' जाइत छन्हि। अपहर्ता दस लाख रुपैया नहि देला पर अथवा पुलिस केँ कोनो तरहक सूचना देला पर  हिनकर बेटी किरण केँ जान सँ मारि देबाक धमकी देने छलनि। अपन मोनक व्यथा मास्टर साहेब ककरा कहितथि? हुनकर मीत जगमोहन सेहो कत्तहु बाहर निकलल छलथि।

किरण केर प्रेमी राजीव केँ अहि बातक किछु भनक लगैत छैक त' ओ अपन स्तर पर खोजबीन करैत अछि आ अपहर्ता सबहक पर्दाफाश करय मे सफल होइत छैक आ मास्टर साहेब सँ भेँट करय अबैत छथि त' जगमोहन सँ ज्ञात होइत छन्हि जे ओ अपन घर बेचि क' अपन परिवारक संग सँझुका बस सँ काठमांडू लेल विदा भ' गेलाह। ओ अपन मीत केँ ऊपर भरोसा नहि क' सकलाह आ सुरक्षित स्थान केँ लेल भारी मोन सँ प्रस्थान क' गेलाह। राजीव, ओकर पिता कामेश्वर सिंह आ जगमोहन मास्टर रमेश उपाध्याय केँ रोकय लेल निकलैत छथि। अपन प्रभाव सँ कामेश्वर सिंह बस रोकबाबय मे सफल होइत छथि आ मास्टर साहेब केँ बस सँ उतारल जाइत छन्हि। अहि अपहरण मे के शामिल छल आ इंसानी रिश्ता कोना तार तार भ' रहल अछि तकर अद्भुत वर्णन भेल अछि अहि उपन्यास मे जे बिनु पढ़ने नहि समझि सकैत छी। मास्टर साहेब केँ घर  घुरि चलबाक लेल कामेश्वर सिंह आ जगमोहन अनुनय विनय करैत छथि मुदा जखन बेघर भ' गेलाह त' आब केहन मोह? मुदा एहि उपन्यासक एक सुखद अन्त होइत अछि आ मास्टर साहेब केँ जखन अपन घरक मादे सही जानकारी भेटैत छन्हि तखन घर घुरय लेल मानि जाइत छथि आ उमटाम लादल गाड़ीक घरमुहाँ बैल जँका मास्टर रमेश अधिकारी केर डेग फरहर आ जी हल्लुक बुझा रहल छलनि।

अहि उपन्यासक उद्गार मे साहित्यकार श्री राजेन्द्र विमल जी बहुत सटीक लिखने छथि :  "मैथिलीक ख्यातनामा आख्यान कार श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर'क पहिल उपन्यास 'घरमुहाँ' नेपालक मधेश आन्दोलन सँ उपजल उमड़ल जन आकांक्षा, मोहभंग, विकृति, पीड़ा, भावनात्मक उद्वेलन, विक्षोभ आ जटिलता केँ घोर यथार्थ परक चित्रावली उरेहैत समन्वय दर्शन संग मर्मस्पर्शी इति पबैत अछि।"

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