प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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डॉ. कैलाश कुमार मिश्र
"प्रीति कारण सेतु बान्हल": सम्पादक - श्री
शीष अनचिन्हार


हमरा हाथ मे हार्ड बॉण्ड कॉपी आबि गेल अछि "प्रीति कारण सेतु बान्हल" नामक पोथी केर। एहि पोथी केर संपादक छथि श्री आशीष अनचिन्हार। पोथी केर कवर पेज, एकर कागत केर क्वालिटी, फॉण्ट, फॉण्ट साइज़, मुख्य आवरण आ पृष्ठ पेज केर रंग संयोजन, डिज़ाइन, फॉरमेट अलग-अलग विषय हेतु मैथिली लोकगीत केर आखर सँ विभिन्न खण्डक नामकरण इत्यादि एहि पोथी के विशिष्ट आ संग्रहणीय बनबैत अछि। जिज्ञासा बढ़ि गेल ने? यैह छैक एहि पोथी केर विशिष्टता। देखू कने नामकरण:

विषय सूची केर नाम छैक: आजु जनकपुर मंगल भुप सभ आओल हे…
प्रथम गणेश पद गाओल देवता मनाओल हे… : अतय आशीष अनचिन्हार जी अपन बात एहि पोथीक संपादक के रूप मे रखैत छथि।
बनहीमे मूँगिया जनमि लेल बनही लतरि गेल हे… : अतय संपादक महोदय गजेन्द्र ठाकुर आ प्रीति ठाकुर द्वारा कएल गेल किछु ओहन काज सभ सभहक सूची देने छथि जे काज मैथिली भाषा लेल पहिल छै। काजक सूची सटीक, इमानदारी सँ सभ बातक चर्च करैत अछि। केना एक व्यक्ति अपन जीवनसाथी केर सहयोग सँ असम्भव के संभव बना लैत अछि तकर रेखाचित्र थिक ई अंश।
उपरोक्त नामकरण तँ खण्ड सँ पूर्वक अछि, खण्ड केर नामांकरण तँ आब निम्न तरहेँ होइत अछि
:
खण्ड -1 : पीपरक पात अकासहि डोलय शीतल बहए बसात यौ…। एहि खण्ड मे गजेन्द्र जीक पिता, हुनक पारिवारिक एवं सामाजिक विवरण देल गेल छैक।
खण्ड -2 : पहिल पहर गौरी पूजल…।: एहि खण्ड मे प्रीति ठाकुर केर काजक आलोचना 10 गोटे द्वारा भेल अछि जे साहित्य, इतिहास, पत्रकारिता एवं अन्य विधा सँ जुड़ल लोक छथि।
खण्ड -3 : तोड़लनि धनुष कठोर हे परिछन चलू सखिया…: एहि खण्ड मे गजेन्द्र ठाकुर केर काजक आलोचना 29 गोटे केने छथि। ओना हमर मानब अछि जे गजेन्द्र जी मैथिली संस्कृति आ साहित्य केर एहेन मनीषी छथि जिनका पर 29 आलेख झुझुआन लगैत अछि। हिनका पर 29 आलेखक बाते छोड़ू 29 पोथी लिखब, सेहो न्यून होयत। जे गोटे गजेन्द्र जीक अवदान सँ परिचित छी से हमर बातक अर्थ लगा लेने हएब ! से जे हो, अहि खंड के गंभीरता सँ पढ़ल जयबाक चाही आ अहि पर अधिक सँ अधिक समालोचना सार्थक दिशा मे होबाक चाही जाहि सँ आरो पक्ष पर आ अगर कुनो पक्ष कम लिखल गेल अछि, कुनो तथ्य, बात, प्रसंग आदि छुटि गेल छैक, तकर निराकरण होबाक चाही ।

उपरोक्त बात भेल तीन खण्डक। एकरा अलावे जे इण्डेक्स इत्यादि देल गेल छैक, संपादक महोदय जे अपन बातक सार संक्षेप लिखैत छथि ताहू सभ मे गीतक आखरे नहि प्रथम पंक्ति छैक। तकर उदहारण देखल जाय:

कवन नगर के सेनुरिया सेनुर बेचे आयल रे आहे कवन नगर के कुमारी धिया सेनुर बेसाहल हे…।: अतय भेटैत अछि गजेन्द्र ठाकुर आ प्रीति ठाकुरक संपूर्ण व्यक्तिगत परिचय। ई ऐना भेल जेना विवाह मे विधिक मादे जखन सेनुर बेचे बला अबैत अछि त ओ लड़की केर विवाह केर प्रथम डेग भेल। आगाक विस्तार होइत रहैत छैक। सेनुर जीवन संग आगा बढतैक जोड़ी तकर गाथा कहैत छैक । ई प्रयोग कतेक नूतन, कतेक मिथिला केन्द्रित, कतेक लोक रंग सँ भरल अथवा उमटाम भेल छैक। एक एक आखर केना अमृत प्रमाणित भऽ रहल छैक! पाठक बूझऽ लगैत अछि जे आब ई बात प्रगाढ़ हेतैक, घरक विस्तार हेतैक, जोड़ी केर वंश वृक्ष बढतैक। कतेक सहज छैक अर्थक बाट ताकब!

करमी के लत्ती जकाँ लतरथु पुरैन जकाँ पसरथु हे…: अतय संपादक महोदय अर्थात श्री आशीष अनचिन्हार जी अपन सार संक्षेप एहि पोथीक विषय मे लिखैत छथि। एहि नामकरण मे बहुत किछु संग साहित्य भविष्य मे आरो उन्नत हो, ओहि मे नाना तरहक नव लेखन, नव स्वर, नव सफुटन, नव चेतना होइक; मैथिली साहित्य आ संस्कृति भारत के कहैत अछि विश्व साहित्य मे अपन नाम स्थापित करय, अपन डंका बजबए तकर शंखनाद छैक।

490 पृष्ठक ई पोथी जकर अँगरेजी केर टैग लाइन एकर अर्थ आरो फरिछा दैत छैक - Redefining Maithili - श्री गजेन्द्र ठाकुर केर मैथिली साहित्यक विभिन्न विधा पर योगदान, हुनक ई-पत्रिका - विदेह केर सतत प्रकाशन, तथाकथित मुख्यधारा सँ धकेल देल गेल अथवा तिरस्कृत साहित्यकार आ हुनक रचना के प्रकाशित करब, अधिक सँ अधिक पाठक धरि ल जाएब, संगहि कियोक अगर लिखैत छथि आ विदेह लग छपबाक हेतु भेजैत छथि तँ हुनक रचना के बिना कुनो पूर्वाग्रह के छापब; आ गजेन्द्र जीक एहि सांस्कृतिक यात्रा मे हुनक पत्नी प्रीति ठाकुर केर परिवारिक संग-संग साहित्यिक साहचर्य। ई पोथी जहिया सँ हमरा भेटल अछि तहिया सँ हमारा मोन मे गजेन्द्र जीक संग-संग आशीष अनचिन्हार लेल सम्मान पहिने सँ अधिक भऽ गेल अछि। गजेन्द्र जी अतबे सँ नहि रुकैत छथि। हिनकर टीम कुनो साहित्यकार अगर चौर कर्म मे लागल छथि आ ओ कतबो पैघ कियैक नहि छथि, तिनका प्रमाण संग समाजक समक्ष अनैत छथि। ई हिम्मत सबहक वश केर बात नहि छैक ! जे पाठक सब हमर कथ्य पढ़ि रहल छी से सब बूझि गेल हेबैक जे के कतऽ आ कोना साहित्य चोरी केर विधा मे लागल छलाह जिनका गजेन्द्र जी केर टीम हरदा बजा देलकनि!

कहबाक अर्थ ई जे गजेन्द्र जी मैथिली संस्कृति अथवा मिथिलाम केर अनेक पक्ष पर बिना कोनो कुनो तरहक सरकारी अथवा संस्थागत आर्थिक सहयोग के मिशन मोड पर काज कऽ रहल छथि। देख रहल छी जे कनौसी भरि काज केला सँ आ सफलता सँ लोक आत्म श्लाघा मे बताह भऽ जाइत छथि, मुदा चरैवेति-चरैवेति केर नाद लगबैत गजेन्द्र जी अपन यात्रा मे लागल छथि।

हमर परिचय हिनका अर्थात गजेंद्र जी संग 2007 -08 सँ अछि। पोथीक पन्ना उनटबैत काल हम जेना एक-एक क्षण के स्मरण करय लगलहुँ। भोगल अतीत के वर्तमान मे देखैत सभ बातक अख्यास करैत गेलहुँ। हम ताहि समय नार्थ ईस्ट भारत पर गहन काज करैत रही। गजेंद्र जी हमरा बेर-बेर लिखबा लेल आग्रह करथि। हम लिखय लगलहु। एक नव आ रचनातम्क सम्बंध बनय लागल। मैथिली साहित्य, संसार आ लेखन सँ सिनेह होमय लागल। फेर लोकक आलेख, अनेक पक्ष पर विचार, विचार आ आलेख केर अति वैज्ञानिक समायोजन एहि पोथी मे एक नव फॉरमेट , नव सोच, नव प्रयोग संग लागल। सभ आलेख केर अक्षर-अक्षर मे गजेन्द्र जी व्याप्त छथि आ संग छथिन हुनक पत्नी श्रीमती प्रीति ठाकुर। एकर महत्त्व आरो पैघ भ जाइत छैक जखन पता चलैत अछि जे पोथी केर सारथी अर्थात संपादक श्री आशीष अनचिन्हार जी छथि जे हमरा जनतब सँ 18 वर्ष सँ गजेन्द्र जी, हुनक परियोजना आ विदेह सँ 100 प्रतिशत समर्पण भाव सँ जुड़ल छथि। संपादक सही अर्थ मे एहि पोथी रूपी प्रदर्शनी अथवा exhibition केर क्यूरेटर छथि। क्यूरेटर कियैक? कियैक तँ अलग-अलग विषय आ बिंदु पर अलग-अलग विद्वान अथवा रिसोर्स पर्सन्स के ताकब , हुनका सँ बात करब, आ लेख लिखा लेब बहुत दुष्कर कार्य थिक। उदहारण केर लेल हमरा दूषण पंजी पर लिखबा लेल कहने छलाह। हम एहि विषय पर नहि लिखय चाहैत रही। दस दिन धरि आशीष जी सँ वार्तालाप होइत रहल आ अंततः आशीष जी हमरा बुझा देलनि जे हमरे लिखक चाही एहि विषय पर। परिणाम ई भेल जे पञ्जी विधा पर हमर ज्ञान बढ़ल आ एकर वैज्ञानिकता, लोक पक्ष, लोक द्वारा शास्त्रक दोख दूर करबाक प्रयोग आ प्रमाण, पञ्जी केर यथार्थ आ थोथेबाजी, पञ्जी प्रबंध सँ सम्बंधित भ्रान्ति, स्त्री मनोदशा, भविष्य हेतु पञ्जी केर व्यवहार, मिथिलाक अन्य जाति मे पञ्जी केर स्कोप, डिजिटल युग मे पञ्जी आदि अनेक बिंदु पर जेना हमर भक खुजय लागल। हमरा ई भान भेल जे पंजी पर जेना खोजी प्रवृत्ति केर काज या त साफे नहि भेल छैक अथवा बहुत नगण्य काज भेल छैक। मिथिला समाजक दर्पण भऽ सकैत अछि पंजी पर नव खोजी शोध जँ उत्तम शोधकर्ता क्षीर-नीर-समभाव केर वैज्ञानिकता आ प्रमाणिकता पर काज करथि! से के करत? कियो ने कियो अवश्य करताह। करक चाही। जकरा अहाँ अपन थाती मनैत छी ओकर कतेक गह धरि जनैत छी? ओकर सब पक्ष बुझबाक प्रयास केने छी। जकरा विज्ञान कहैत छी ताहि मे विज्ञान कतेक अछि? जकर प्रमाणिकता केर इतिहास पर ढोल आ गाल बजा रहल छी से कतेक प्रमाणिक अछि? पंजी के स्त्रीगण केर स्थान के देबाक कोशिश केलनि आ के सब ओकरा ख़ारिज केलाह? कियैक ख़ारिज भेल? राजा आ हुनकर लगिय-भगिया सब एकर कतेक विकास केलाह आ कतेक गर्त मे लऽ गेलाह? अनेक प्रश्न जे भले यक्ष प्रश्न लगैत हो, तकर उत्तर भेट सकैत अछि। मुदा काज करऽ पडत। जकर नींव गजेन्द्र जीक टीम बना चुकल अछि

हमरा स्वीकार करबा मे कोनो शंका नहि अछि जे हम जेना-जेना गजेन्द्र जीक काज सभ पढ़ैत छी तेना-तेना हमरा अपन अज्ञानता केर भान भेल जा रहल अछि! "माधब- तुम समान आरो नहि दोसर!" यैह उक्ति गजेन्द्र जी लेल उचित बुझना जा रहल अछि हमरा।

एहि पोथी मे सभ किछु भेटत - फोटो, तथ्य आ नहि जानि की-की! अगर फ़ोकट मे पढ़य चाहैत छी तँ लिंक सँ पढ़ि सकैत छी। मुदा एहि पोथी केर पढ़बाक मजा पन्ना उलटि-उलटि क चाहक चुश्की संग छैक। पोथी पढ़बाक, ओकर सज्जा देखबाक आनन्द सही अर्थ मे परमानन्द छैक। से तखन बुझबैक जखन पढ़बैक। अथवा जिनका सभके पोथी भेटल छनि से सभ कहता।

पोथी मे अतेक लोकक आलेख अछि आ सभक नाम लेब संभव नहि, तँइ किनको नाम नहि लऽ रहल छी। एक बात मुदा कहब, ई पोथी जोगा कऽ रखने अछि बात, विचार आ आलोचना (समालोचना ) अपन मिथिलाक सभ जाति, वर्ग, समुदाय, लिंग, आ भौगोलिक एवं सांस्कृतिक परिवेश केर लोकक। एक बात आरो, जे पहनहि कहि चुकल छी - सभ ठाम गजेन्द्र जी अपन पत्नी संग विद्यमान छथि। विद्यमान होबाक अर्थ भेल जे अपन लेखन कर्म, मैथिली भाषा, भाषा केर अनेक स्वरुप, साहित्य, मैथिली संस्कृति आ ज्ञान परम्परा संग छथि। एक-एक परम्परा पर बको ध्यानं बला दृष्टि रखने छथि। ज्ञान परम्परा मे ज्ञानी बनल ठाढ़ छथि। अहि दम्पतिक उपस्थिति अगर गंभीरता सँ देखबैक तँ लागत जेना ई मिथिलाक ज्ञान परम्परा केर नव्य नैयायिक होथि; सर्वतंत्रस्वतंत्र आ सब पर ध्यान लगेने। सब विषय हिनक निर्देश सँ संचालित भऽ रहल अछि। कुनो विद्वेष, कुनो गुटवाजी, कुनो क्षेत्रवाद, कुनो जातिवाद अथवा संकीर्णता कतहुँ नहि भेटत। किताबक USP (Unique Selling Price) छैक एक समर्पित, अन्वेषी, प्रयोगशील आ प्रमाणिक संपादक केर Curation जाहि कार्य मे आशीष अनचिन्हार जी अपन दक्षता प्रमाणित कएलनि अछि। हमरा तँ ईहो लगैत अछि जे एहि अति महत्वपूर्ण काजक सम्पादन आशीष अनचिन्हार सँ बढ़ियाँ कियोक नहि कऽ सकैत छल। एक एक बिंदु के पढ़ब, विषय केर चयन, ओकर अनुक्रमाणिका केर निर्माण, लोकगीत सँ सब बिंदु लेल गीतक चयन, अलग अलग बिंदु पर लिखबाक लेल विद्वान केर चयन, हुनका सब संग तारतम्य स्थापित करब, लेख लेब, ओकरा सजेब, फेर माला जकां गुथब बहुत दुष्कर काज छैक जकर सर्वश्रेष्ठ संपादन ई केलनि अछि।
एखन अतबे
शुभम भूयात

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