प्रदीप कुमार मंडल "पबड़ा"
कुटमैती
पूस महिनाक वो दिन, सुरूज एक सप्ताहक बाद नभ में देखाओल । लोक-बेद,
माल-जाल, चिड़ै-चुनमुन्नी सब रौदक आनंद लैत छल । राधा अपना बाबा आने पिता
के पिता संग तिलासंक्रातिक चुड़ा-मुरही लऽ कऽ अपना दीदी आने पिताक बहिन के
ओहिठामक जाइत छलीह । सुमन मैट्रिकक छात्र छल । मार्च में ओकर परीक्षा छल ।
वो खटिया पर बैठ सड़क कात में पढैत छल । राधा के बाबा सुमन के पढ़ैत देख,
किछु देर रूकि, मोने मोन सोंचऽ लागल । ओह ! कतेक संस्कारी छौरा छै । देखै
में तऽ कोनो गरीबहे के बेटा लगै छै । वो पोती के कहऽ लागल । देखही ! तों
पढ़बीही एना । देखी केते मोन लगा कऽ परहै छै । राधा सुमन के देख मोनेमोन
सोंचऽ लगलीह । ओह ! कतेक सुनर छै इ लड़का । श्याम वरन, चौरगर छाती, कसल देह
राधा मोनेमोन सुमन पर मुग्ध भऽ गेलीह । राधा के बाबा सुमन के लग जा कऽ पुछऽ
लागल- बौआ, तों केकर बेटा छोहो ?
सुमन चेहा कऽ ओकरा दून्नू दिशि ताकलक । पहिले राधा के बाबा के देखलक, ताहि
के बाद राधा आ सुमन के नजरि मिलल । जखन दून्नू के नजरि मिलल तऽ कनी देर
दून्नू एक दोसरा के देखते रहि गेल । वास्तव में दून्नू महाक सुंदर छल ।
राधा गौर वर्ण के छलीह, ओकर मुखमंडल चान सन चमकैत छल । कजरारी नैन, ठाढ़
नाक आ पातर-पातर ठोर मानू सरग सऽ अप्सरा धरती पर उतरल छल । तेहने सुंदर
सुमन छल । चमकति नजरि, चाकर मांघ, मुखमंडल सऽ सुर्यक आभा चमकि रहल छल । तखन
दून्नू एक दोसरा के कियेक नहि देखत ? ओहि नैन मिलाप रुपी तंद्रा के राधा के
बाबा तोड़ैत बाजलाह - बौआ तोरे कहै छियौ । केकर बेटा छोहो ?
सुमन राधा के नजरि सऽ नजरि हटा बाजल- जी, श्री रतीचन मड़र के ।
राधा के बाबा - ओ..! तऽ तों रतीचन के बेटा छिही ।
सुमन - जी ।
राधा के बाबा - केऽ भाई छिही ?
सुमन - दू भांई ।
राधा के बाबा - तों छोट छिही की नम्हर ?
सुमन - जी, छोट ।
राधा के बाबा - बड़ भाई की करै छौ ?
सुमन - ओनर्स ।
राधा के बाबा - आ तों..?
सुमन - हमें मैट्रिक में छियै । अहि बेरि परीक्षा देबै ।
राधा के बाबा - मैट्रिक में छिही । एनाही मोन लगा कऽ पऽढ़ । हे देखै छिही,
तोहर माय-बाप बोईन दुख कऽ कऽऽ तोरा सबके पढ़बै छौ ।
सुमन - जी ।
बुढ़बा अतेक बाजि ओ आगु बढ़ऽ लागल । सुमन के ओहि बुढ़बा के गप्प नीक नहि
लागै छल । वो चाहैत छल जे इ बुढ़बा कखन एतऽ सऽ चलि जाइ ।
बुढ़बा आगु आगु आ राधा पाछु पाछु सुमन के लिहारति गंतव्य दिशि चलि गेलाह ।
ओकरा दून्नू के गेलाक बाद सुमन पढ़ाई छोड़ि सोंचऽ लागल, इ लड़की कतऽ के
छियै ? केक्कर बेटी छियै ? इ बुढ़बा ओक्कर के छियै ? सुमन के दिमाग में
घुरि फिरि रधे आबऽ लागल । वो पढ़नांई छोड़ि टहलऽ लेल निकलि गेल ।
किछु दिनक बाद सुमन साईकिल सऽ राधा के गांवक बाध केरऽ सड़क सऽ अपना बड़की
बहिन ओहिठाम जाइत छल । राधा अपना खेत में साग तोड़ै छलीह । चूंकि राधा के
खेत सड़के कात में छल । वो सुमन के दुरे सऽ आबैत देखि सड़क पर आबि गेलीह ।
सुमन नजदीक आओल तऽ राधा के देखि ओकर साईकिल अपने-आप रुकि गेल । सुमन के
रुकिते राधा बजलीह - कतऽ जाई छियै ?
सुमन - दाय ओहिठाम ।
राधा ताहि के बाद चुप भऽ गेलीह । सुमन किछु देर रुकि आगु बढ़ऽ लागल । पुनः
राधा बजलीह - जाई छियै ?
सुमन - कि, कोनो काम ?
राधा - अहां केहन मरद छियै ?
सुमन - किये, कि भेल ?
राधा - कि भेल्लै ? प्यार भेल्लै । राधा तुनकि कऽ बजलीह ।
सुमन इ गप्प सुनि मोनेमोन हर्षित भऽ बाजल - सांचे ।
राधा - सांचे नहि तऽ झुठ्ठे ।
सुमन - हमहूं अहां सऽ बहुते प्यार करै छी ।
राधा - चुपू । प्यार करै छियै । मरद कहूं एते डेरेलै ?
सुमन सकपकाए लागल । वो कोना नहि सकपकाएत ? एकगोट गरीब लड़का, लड़की सऽ परेम
के गप्प करैत अछि । (परेम, पिरीत, सिनेह, नेह इ सब बिहारक भाषा मैथिली,
मगही आ भोजपुरी केरऽ नीज शब्द थिक । प्यार, मोहब्बत हिंदी, उर्दू के शब्द
थिक ।) कोनो लड़का-लड़की के परेम मिथिला में प्रतिबंधित अछि । तखन गरीब,
मजदूरक धिया-पुत्ता तऽ डेरैबे करत । परंतु हिम्मत कऽ सुमन बाजल - नहि,
डेराई कहां छियै । हमहूं अहां सऽ प्यार करै छी । आई लव यू ।
राधा - सांच में...?
सुमन - सांच कहै छी ।
राधा - आब काइल मिलब । कहि कऽ शरमाईत भागि गेली । सुमनो अप्पन साईकिल बढ़ा
लेलक ।
आब सुमन आ राधा रोज मिलऽ लागल । रंग बिरंगी गप्प गपिआए लागल । अहि बीच
दून्नू एक दोसर के नांओ जानऽ लागल । एक दिन सुमन आ राधा ओहि बाध में बड़क
गाछ में सटि कऽ ठार भेल छल । सुमन राधा सऽ बाजल - राधा..!
राधा - ऊं...!
सुमन - एक गप्प कहौं ?
राधा - आब तऽ हम तऽन आ मोन सऽ अहांके छी । आबहु डरै छियै ?
सुमन - कि हमर प्यार बालुक ढ़ेरी तऽ नहि छियै ?
राधा इ गप्प सुनि चेहा उठलीह । वो सुमन सऽ बजलीह - अहां की बाजै छियै ?
सुमन - सांचे कहै छी ।
राधा - हम नहि बुझलौं ।
सुमन - हम गरीब के बेटा, अहां मातबर के बेटी । की गरीब आ मातबर में कुटमैती
भऽ सकै छै ?
राधा - किये नहि हेतै ? हमर माय-बाऊ नहि तैयार हेतै, तऽ अपना आर भागि कऽ
कतौ चलि जइबई। चिंता किये करै छियै ?
सुमन - राधा ! भागि तऽ जइबई, मुदा रहबै कतऽ ? ठीक छै, सब दुख उठा कऽ हम
अपना ओहिठाम लऽ जाएब । लेकिन कि हमरा ओहिठाम अहां रहि पइबई ?
राधा - मर्र..! कियेक नहि रहबै ?
सुमन - अहां हमर प्यार छियै । हम अहां के धोखा नहि दऽ सकै छी । हमरा ओहिठाम
अहां के घासों छिलऽ पड़त । माल के गोबरो करसी करऽ पड़त । आ दोसर के खेत में
बोईनो करऽ पड़त । राधा हम अहांके कहिओ चिक्कन नोंआं नहि दऽ पाएब । गहना
गुड़िया केकरा कहै छै । नोंआं फाटि जाएत तऽ पिऔन साटि कऽ पेन्हऽ पड़त ।
राधा - हमरा सब मंजूर छै । मुदा हम अहां बिना नहि रहि सकै छी । हमरा भाग
में इ्एहे लिखल छै तऽ हमहीं ने भोगबै
सुमन - नहि राधा । ई हमरा सऽ नहि हेएत । हमरा बिसरि जाऊ ।
राधा - अहां पगला गेलियै की ?
राधा के इ वचन सुनि सुमन के आंखि सऽ नोरक धार बहऽ लागल । वो अप्पन गरीबी पर
पछताए लागल । सुमन के कानैत देखि राधा बजलीह - सुमन, अहां एना किये कानै
छियै ? की अहांके राधा पर विश्वास नहि यऽ ?
सुमन - हमरा राधा पर खुब विश्वास छै । मुदा किसुन मजबूर छै ।
राधा के चाहत किसुन थिक, आ किसुन के चाहत राधा । कि राधा आ किसुन एक भऽ
पाओल । नहि ! बेचारी राधा किसुन के इंतजार में जीवन गुजारि देलीह । मुदा
किसुन कहि कऽ तऽ गेल, मुदा बहुरल नहि । किसुन के नहि बहुरनाहि, ओकर मजबुरी
छल । सुमन बाजल- राधा, अहां हमरा बिसरि जाऊ । हम अहां के जोगरक नहि छी ।
पुनः आंखि सऽ लोर झहराबऽ लागल ।
राधा - सुमन, नहि कानू । सब ठीक भऽ जेतै । चुप भऽ जाऊ । अपना हाथ सऽ राधा
सुमन के आंखिक लोर पोछैत बाजलीह- सुर्य उगनाई बन्न कऽ देतय, चान अपन इजोर
देनाई बन्न कऽ देतय । मुदा हम अहां के नहि छोड़ि सकै छी । वो शैर बाजलीह -
अहीं हमर दिन, अहीं राति छियै ।
अहां छी दीपक, हम बाति छियै ।।
सुमन चुप भऽ आंखिक लोर पोछैत बाजल - राधा, इ सब कहै में आसान छै, करै में
बड़ कठिन । हम अहांके फेर कहै छी । घर पर जा कऽ अहां बढ़िया सऽ सोचबै । चलू
बहुते देर भऽ गेलै । सुमन साईकिल ओर बढ़ल आ राधा राय-गोट के अढ़ में नुका
अपना खेत दिशि चलि गेलीह ।
राति में राधा बिस्तर पर गेलीह । मुदा ओकरा आंखि सऽ नीन्न कोश भरि दूर छल ।
ओकरा रहि रहि सुमन के बात यादि आबैत छल । राधा हमरा ओहिठाम अहां के घासों
छिलऽ पड़त, दोसर के खेत में बोईनो करऽ पड़त । नहि ! नहि !! हम एहन काम नहि
करबै । हमरा बाप के कथ्थी के कम्मी छै ? हमरा बाप के खेती जऽन बऽन करै छै,
आ हम जइबई दोसर के खेत में बोईन करऽ । नहि हम एहन काम नहि करबै । पुनः
सुतबाक प्रयास । नीन्न कोश भरि दुर । सुमन हमरा सऽ प्यार करै छै, सच्चा
प्यार । हम अहि प्यार के केन्ना ठोकरैबै ? पुनः शांत, आंखि सऽ नीन दूर ।
पुनः माथ में सुमन के गप्प उभरनाहि । नहि, बाप रे ! हम एहन काम नहि करबै ।
वो ठीक्के कहलकै, हमर प्यार बालुक ढ़ेरी छियै । केनियें हावा में उड़ि जेतै
। पुनः शांत, पुनः भावना में बहनाहि । माय बाऊ खेत बेच कऽ मोटगर दहेज इ्एह
लेऽ ने गनै छै, जे ओकरा बेटी के कहियो दुख नहि हेतै । माय बाऊ वर के खानदान
देखै छै । ओकर चालि चलाबा देखै छै । ओकरा ओहिठाम अपना बेटी के सुख खोजि, तब
बियाहै छै । नहि ! हम ओहि गरीब संग नहि भागब । ओहो तऽ खोलिये कऽ कहलकै जे
हमरा भुलि जाऊ ।
सोंचैत सोंचैत नहि जानि राधा के आंखि के नीनियां रानी कखन चुमऽ लागल । वो
राधा के आंखिके चुमैत चुमैत नहि जानि कखन सुता देलक । इ गप्प राधो के नहि
मालूम ।
भोर भेल, राधा उठलीह । अंगना में ओकर बाबा आबि बाजल - गरीबहा बेटा कहीं
पढ़लकै हन । गरीबहा झुठ्ठे के सपना देखै छै । राधा टोकैत बजलीह- कि भेलऽ
बाबा ? आरे ओहि गांओ के रतीचनमा बेटा पढ़नांई छोड़ि कऽ परदेश कमाई लेऽ भागि
गेलै । राधा मोने मोन सोचलीह । चल बढ़िया भेलै । हमर पाछु छुटल । पुनः ओकरा
माथ में सुमन के कहब यादि आबऽ लागल । राधा हम गरीब छियै । मातबर आ गरीब में
कुटमैती नहि होय छै । हां...! वो ठीक्के कहलकै, मातबर आ गरीब में कहूं
कुटमैती भेलै । अगर भइयो जाइ छै, तऽ की वो टिकै छै । नहि ! वो बढ़िया कयलकै
। बियाह के बाद कुछों हेबतै, ओहि सऽ पहिलिये वो हमरा सऽ दूर भऽ गेलै ।
भगवान वो जतऽ रहै, ओकरा खुश रखियोहो ।
-प्रदीप कुमार मंडल "पबड़ा"; 9771245676
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