आशीष अनचिन्हार- २ टा गजल
1
सजल नयन मिथिलेश हो मालिक
कमल नयन अवधेश हो मालिक
हुनक कहब छनि जे ई सभ हमरे
हमर बचल कुन देश हो मालिक
दशा दिशा के तय करत अहि ठाँ
सड़ल गलल परिवेश हो मालिक
कनी मनी छनि आचरण हुनकर
बहुत बहुत उपदेश हो मालिक
नवे नवे अफसर नवे भाषण
सुनल सुनल संदेश हो मालिक
सभ पाँतिमे मात्राक्रम 12-1222-1222 अछि।
2
हुलहुल हुलकै अगबे उधार
तइमे बिकलै आँगन हमार
धोती कुरता बड़का टिक्का
चमचम चमकै राँगल सियार
झुट्ठे के छै सभहँक जीवन
झुट्ठे के छै खाँहिस हजार
हेबे करतै ई महामिलन
कुमारि इच्छा हाटो कुमार
किछु आदति तेहने रहै जे
हमहूँ लचार ओहो लचार
सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानल
गेल अछि। ई बहरे मीर अछि।
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