आचार्य रामानंद मंडल-
हम उदारवादी रे/ नदी/ डोमिन
१.हम उदारवादी रे
हम छी उदारवादी रे।
हमरा दे सम्मान रे।
तोरा देबौ मान रे।
हमरा कह यौ रे।
तोरा कहबौ रौ रे।
हम रखैछी मूंछ रे।
तूहो मूंछ राख रे।
हमर मूंछ उठल रे ।
तोहर मूंछ खसल रे ।
हम धोती पहिने रे।
तूहो धोती पहिन रे।
हम पहिनव लाल रे।
तू पियर पहिन रे।
हम चनन कैली रे।
तूहो चनन कर रे।
हमर चनन लाल रे।
तोहर चनन उज्जर रे।
हम शिखा रखली रे।
तूहो शिखा राखि रे।
हमर शिखा मोट रे।
तोहर शिखा पातर रे।
हम रखली सिरत्रान रे।
तुहो राखि सिरत्रान रे।
हम पेन्हव पाग रे।
तू बंधिए मुरेठा रे।
हम तोहर पुरहित रे।
तू हमर यजमान रे।
हम तोरा कहबौ रे।
वोहे तूही करिहे रे।
रामा हम उदारवादी रे।
२.नदी
नदी हजारन बहैत,
छल छल बहैत।
पानी जेका दूध बहैत।
धरती के पर्वत जेका,
हजारन स्तन से।
पानी जेका दूध पिबैत।
हजारन पादप-अपादप ।
हजारन जीव -जंतु,
पुत्र पुत्री जेका,
माय धरती के।
परिपूर्ण करैत।
धन्य धान्य सं।
शश्य श्यामला बनबैत।
नदी नीर सं,
माय धरती के।
पानी जेका दूध बहैत।
दूधमती बहैत।
बागमती,अधबारा, लखनदेई,
कोशी, कमला, जमुरा,
माय धरती के।
हजारन नदी बहैत।
गंगा, जमुना सन।
नीर सन दूध बहैत।
हजारन स्तन सं,
रामा धरती के।
३.डोमिन
गहन के सिधा।
गेट पर से आवाज आयल।
के छी।
हम डोमिन।
खुब सुन्नर कारी युवती।
उमर इहे पच्चीस।
कान नाक सोन से अलंकृत।
पैर में चानी के पायल।
क देलक दिल के घायल।
वोकर सुन्नरता न।
जौं हम कहली।
काहे मंगैत छी भीख।
उ कहलक हम छी डोम।
गहन के सिधा हमर अधिकार।
हम कहली।
कैला बनैय छी नीच।
उ कहलक।
भगवाने बनैले हय नीच।
हम सोचे लगली।
शास्त्र बनैले हय नीच।
हम कहली।
बिहार में बनलय हय।
एगो दरोगा डोम।
आबि न मांगू सिधा भीख।
न लौटायब खाली हाथ।
हम दे देली सिधा भीख।
हमरा द्वारा से जाके।
रामा मांगे लागल।
डोमिन सिधा भीख।
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