प्रस्तुत विशेषांकक संदर्भमे
विदेह द्वारा लेखकपर विशेषांक 'जीबैत मुदा उपेक्षित' शृखंला रूपमे कएल गेल छल 2015 सँ जकरा आब "विदेहक जीवित मैथिलकर्मी, संगीतकर्मी, साहित्यकार-सम्पादक आ रंगमंचकर्मी-रंगमंच-निर्देशकपर विशेषांक शृंखला" नामसँ जानल जाइत अछि। दिसम्बर 2022 मे विदेह "रामभरोस कापड़ि 'भ्रमर' विशेषांक" प्रकाशित करबाक सार्वजनिक घोषणा केलक आ प्रस्तुत अछि ई विशेषांक। एहि सूचनाकेँ एहि लिंकपर देखि सकैत छी-घोषणा। मैथिलकर्मीसँ हमर सभहक आशय जिनकर काज मिथिला-मैथिली-मैथिली लेल कोनो माध्यमसँ भेल हो। ओ संगठनकर्ता सेहो भऽ सकै छथि, आन भाषाक लेखक सेहो। तहिना संगीतकर्मी मने गीत-संगीतसँ जुड़ल लोक।
एहन शृखंलामे, एहि विशेषांकसँ पहिने विदेह 9 टा विशेषांक प्रकाशित कऽ चुकल अछि आ एहिठाम आब हम कहि सकैत छी जे ई एकटा चुनौतीपूर्ण काज छै। अनेक संकट केर सामना करए पड़ैत अछि लेख एकट्ठा करएमे। मुदा संगहि ईहो हम कहब जे संकटसँ बेसी हमरा लग समर्थन अछि। हँ, ई मानएमे हमरा कोनो दिक्कत नहि जे जतेक लेख केर उम्मेद केने रहैत छी हम ततेक नै आबैए, जतेक लोक लिखबाक लेल गछैत छथि से सभ अंत- अंत धरि आबि चुप्प भऽ जाइत छथि। आ एकर कारणो छै, किनको ई लागै छनि जे आनपर लिखब से हम अपने रचना किए ने लीखि लेब, किनको लग पोथिए नै रहै छनि, जखन कि हम सभ पाठककेँ विकल्प रूपमे पोथीक पी.डी.एफ फाइल सेहो देबाक लेल तैयार रहैत छी। कियो विदेहक समावेशी रूपसँ दुखी छथि, तँ किनको मित्रकेँ विदेहसँ दिक्कत छनि तँइ ओ नहि देता। बहुत लोक तँ विदेहमे एहू लेल रचना नै पठबैत छथि जे कहीं हमरा अकादमी वा धनी संस्था सभ ने देखि लिए। अकादमी आ संस्था सभ विदेहकेँ अनेरे अपन शत्रु मानि बैसल अछि आ पुरस्कारक इच्छा रखनिहार तँइ विदेहमे रचना नै पठबै छथि। एकरो हम संकटे बुझै छियै जे सभ फेसबुकपर लंबा-लंबा लेख वा कमेंट टाइप कऽ लै छथि सेहो सभ विदेह लेल हाथसँ लिखल पठाबैत छथि। जे सभ कहियो काल फेसबुकपर टाइप कऽ लीखै छथि तिनकर आलेख हम सभ टाइप करिते छी। जिनकर रचना टाइप करैत छी ताहिमे स्वतः रूपसँ टाइप केनिहारक वर्तनी आबि जाइत छै। खएर पहिने कहलहुँ जे संकटसँ बेसी समर्थन अछि तँइ आइ पहिलसँ लऽ कऽ नवम विशेषांक धरि पहुँचलहुँ हम। 2015 सँ लऽ कऽ 2023 केर मध्य धरि 9 टा विशेषांक प्रकाशित भेल मने बर्खमे एकटा। निश्चिते समर्थन बेसी भेटल हमरा। जखन कि विदेहक ई 9 विशेषांक केर अलावे आनो विषयपर विशेषांक प्रकाशित भेल अछि। एकर अतिरिक्त ईहो बात संतोषदायक अछि जे विदेहक हरेक विशेषांक अभिनंदनग्रंथ हेबासँ बाँचि गेल अछि। मुख्यधारा जकाँ विदेहकेँ अभिनंदनग्रंथ नहि चाही। अभिनंदनग्रंथ अहू दुआरे नै चाही जे ओहिसँ लेखक वा जिनकापर निकालल गेल छनि तिनकामे सुधारक गुंजाइश खत्म भऽ जाइत छै। तँइ विदेहक विशेषांकमे आलोचना-प्रसंशा सभ भेटत।
एहन नै छै जे रामभरोस कापड़ि 'भ्रमर' जीपर लिखल नै गेलै मुदा ओ सभ एकट्ठा नै भऽ सकल छै तँइ ओकर प्रभाव हेड़ा गेल छै। एहि संदर्भमे हम कहि सकै छी जे विदेहक ई प्रस्तुत विशेषांक एहन पहिल प्रयास अछि जाहिमे ई बुझबाक प्रयास कएल अछि जे रामभरोस कापड़ि 'भ्रमर' जीक रचना केहन छनि। ई अलग बात जे हम सभ कतेक सफल वा असफल भेलहुँ से पाठक कहता। एहि विशेषांक केर शुरूआत विदेहक आने विशेषांक जकाँ अछि। संगे-संग ई क्रम ने तँ उम्रक वरिष्ठता केर पालन करैए आ ने रचनाक गुणवत्ताक। हँ, एतेक धेआन जरूर राखल गेल छै जे पाठकक रसभंग नहि होइन आ से विश्वास अछि जे रसभंग नै हेतनि।
पाठक जखन एहि विशेषांककेँ पढ़ताह तँ हुनका वर्तनी ओ मानकताक अभाव लगतनि। वर्तनीक गलती जे थिक से सोझे-सोझ हमर सभहक गलती थिक जे हम सभ संशोधन नै कऽ सकलहुँ मुदा ई धेआन रखबाक बात जे विदेह शुरुएसँ हरेक वर्तनी बला लेखककेँ स्वीकार करैत एलैए। तँइ मानकता अभाव स्वाभाविक। एकर बादो बहुत वर्तनीक गलती रहल गेल अछि जे कि हमरे सभहक गलती अछि। मैथिलीमे किछुए एहन पत्रिका अछि जकर वर्तनी एकरंगक रहैत अछि आ ई हुनक खूबी छनि मुदा जखन ओहो सभ कोनो विशेषांक निकालै छथि तखन वर्तनी तँ ठीक रहैत छनि मुदा सामग्री अधिकांशतः बसिये रहैत छनि। ऐतिहासिकताक दृष्टिसँ कोनो पुरान सामग्रीक उपयोग वर्जित नै छै मुदा सोचियौ जे 72-80 पन्नाक कोनो प्रिंट पत्रिका होइत छै ताहिमे लगभग आधा सामग्री साभार रहैत छनि, तेसर भागमे लेखक केर किछु रचना रहैत छनि आ चारिम भागमे किछु नव सामग्री रहैत छनि। मुदा हमरा लोकनि नव सामग्रीपर बेसी जोर दैत छियै। एकर मतलब ई नहि जे वर्तनीमे गलती होइत रहै। हमर कहबाक मतलब ई जे संपादक-संयोजककेँ कोनो ने कोनो स्तरपर समझौता करहे पड़ैत छै से चाहे वर्तनीक हो कि, मुद्राक हो कि विचारधारक हो कि सामग्रीक हो। हमरा लोकनि वर्तनीक स्तरपर समझौता कऽ रहल छी मुदा कारण सहित। प्रिंट पत्रिका एक बेर प्रकाशित भऽ गेलाक बाद दोबारा नै भऽ सकैए (भऽ तँ सकैए मुदा फेर पाइ लागि जेतै) तँइ ओकर वर्तनी यथाशक्ति सही रहैत छै। इंटरनेटपर सुविधा छै जे बीचमे (इंटरनेटसँ प्रिंट हेबाक अवधि) ओकरा सही कऽ सकैत छी मुदा सामग्रिए बसिया रहत तँ सही वर्तनी रहितो नव अध्याय नै खुजि सकत तँइ हमरा लोकनि वर्तनी बला मुद्दापर समझौता केलहुँ। हमरा लोकनि कएलनि, कयलनि ओ केलनि तीनू शुद्ध मानैत छी, एतेक शुद्ध मानैत छी एकै रचनामे तीनू रूप भेटि जाएत। आन शब्दक लेल एहने बूझू।
भ्रमरजी नेपालक मैथिलीकेँ प्रतिनिधित्व करै छथि तँ आलेख नेपाल दिससँ सेहो आएल अछि तँइ भाषा संबंधी किछु बात देखल जाए जे कि मात्र भारतीय पाठक लेल अछि-
१) भारतीय पाठक कोनो लेखक लेल जेहन आदरसूचक शब्दक प्रयोग देखैत-पढ़ैत एलाह अछि से नेपालक आलेखमे नहि भेटैत आ नेपालक मैथिली लेल ई सामान्य बात भेलै।
२) भारतीय पाठकसभकेँ किछु शब्दक अर्थ नहि लगतनि आ एहि लेल हुनका विदेहपर उपल्बध नेपालीय मैथिली मैथिली साहित्यकेँ पढ़ए पड़तनि।
३) फान्टकेँ बदलबामे सेहो बहुत रास दिक्कत भेल छै जाहिपर हम सभ काज कऽ रहल छी।
उम्मेद अछि जे पाठक विदेहक आने विशेषांक जकाँ एकरा पढ़ताह आ पढ़ि एकर नीक-बेजाएपर अपन सुझाव देताह। विदेह अरविन्द ठाकुर विशेषांक केर पोथी रूप "स्वतंत्रचेता" केर नामसँ प्रकाशित भेल उम्मेद जे भविष्यमे रामभरोस कापड़ि 'भ्रमर' जीपर केंद्रित एहि विशेषांक केर पोथी रूप सेहो आएत।
विदेह द्वारा विशेषांक शृखंलामे प्रकाशित भेल आन विशेषांक सभहक लिस्ट एना अछि (एहिठाम जे अंकक लिस्ट देल गेल अछि ताहि अंकपर क्लिक करबै तँ ओ अंक खुजि जाएत)-
१) अरविन्द ठाकुर विशेषांक ०१ नवम्बर २०१५ अंक १८९
ई विशेषांक २०२० मे पोथी रूपमे सेहो आयल अछि। लिंक अछि:
२) जगदीश चन्द्र ठाकुर अनिल विशेषांक ०१ दिसम्बर २०१५ अंक १९१
३) रामलोचन ठाकुर विशेषांक ०१ अप्रैल २०२१ अंक ३१९
४) राजनन्दन लाल दास विशेषांक ०१ नवम्बर २०२१ अंक ३३३
५) रवीन्द्र नाथ ठाकुर विशेषांक १५ जून २०२२ अंक ३४८
६) केदारनाथ चौधरी विशेषांक १५ अगस्त २०२२ अंक ३५२
७) प्रेमलता मिश्र 'प्रेम' विशेषांक ०१ नवम्बर २०२२ अंक ३५७
८) शरदिन्दु चौधरी विशेषांक १५ नवम्बर २०२२ अंक ३५८
९) अशोक विशेषांक ०१ मई २०२३ अंक ३६९
ई तँ भेल जे काज हम सभ कऽ सकलहुँ तकर विवरण मुदा किछु एहनो घोषणा छै जे कि हम सभ नै कऽ सकलहुँ जेना २०१६ मे हम सभ परमेश्वर कापड़ि, कमला चौधरी आ वीरेन्द्र मल्लिक विशेषांक केर घोषणा कइयो कऽ नहि प्रकाशित कऽ सकलहुँ। पाठक एहि घोषणाकेँ एहि लिंकपर देखि सकै छथि- सूचना
बादमे विदेहक "वीरेन्द्र मल्लिक विशेषांक" (जे कि प्रकाशित नै भऽ सकल) लेल वीरेन्द्र मल्लिक जीक साक्षात्कार जे नबोनारायण
मिश्रजी से विदेहक ३३७म अंकमे प्रकाशित भेल पाठक एकरा एहि लिंकपर पढ़ि सकै छथि- १ जनवरी २०२२ अंक ३३७
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