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लाल देब कामत

लघुकथा- पंचबेदीमे धनियां/ नन्द विलास राय जीक पहिल कृति: सखारी-पेटारी

लघुकथा- पंचबेदीमे धनियां
कोसी नदी तट पर बसल एक बरबरना गाम रहय। ओहि गामक सामाजिक संचालन लेल एक कमिटी बनल छल । ताहि कमिटीक सप्ताहिक नियमित बैसारमे विविध विषय पर नजैर राखल जाए। इयह बैसकी ओहि गामक आन गाम लेल सामूहिक पूजी रहैक। दक्षिण भागक गाममे मरड़ आ उतर कातके गाममे दरबार बालाके चलती रहैय। ग्राम विकास कमिटीके मुखिया दस विगहा अस्थापात बाला लोक आओर ओकर भगिनमान बौकू बाबू केँ १५ बिगहा खेत जोतसीम रहैक। आरो श्रीमन्त ५ बिगहा सँ ऊपरके असामी पंचैतीके नियमित स्रोता बनल रहैत छला। पंचपरमेश्वर लग दण्ड जरिवानाके कैंचा सुरक्षित राखल जाइक। बैंक मेँ खाता खुजेलाक बादो सालभरिमे ई जरदगव लोकनि दशनामा टाका जम्मे नहि करैय। धनाई आ गरेश विचालक आब जे कोनो पनचैतीमे दण्डित व्यक्ति हेतई तँ ओकर जामनी बनि पंचपरमेश्वर के छक्का छोड़ाएब। से रविदिन कचहरी पर धनियां मशाला जजात रातिमे पूबारि बाध सँ उखड़ि जेबाक बुझारत भेल। सीताराम कहलकै यौ पंच लोकनि हमरा खेत सँ मामा टोलक लोक एक पुरूख आ डिहबार टोलक एक स्त्री मिलके रातिखिन धनिगाछ उखाड़ि अनलक हन। तकर प्रमाण देब जे ललबा आ बालगोविन के आंगनबाली केँ अपना धनि खेती नै रहैत ओकरा आंगनमे गमागम सुगन्ध धनिके अबैत छैक। रखबार संग दूगोटय जांच लेल पठाओल गेल। बात ध्रूब साँच निकलल। आब सफ़ेद फुसि बजबाक कोनो लाथ नहिं रहने लालवा कहलकै हम गरीब लोक छी से जे दण्ड सुनाबै जाएब ,से अदा करैक लेल तैयार छी। हुकुम भेल २५१ टाका हाजिर कर! ओ आदेशकेँ पालन केलक। दोसर तँ धनिक घरके बौकू जीक जनिजात भऽ कऽ एहन जघन अपराध केलक,रातिमे घर सं बाहर निकलल आ चोरी केलक; तेँ डबल सँ जुर्माना आर्थिक मारि पड़लैक । ओकरा नगद हाथमे नहि रहने समय ७ दिनक मोहल्लत चाहैत रहय। एक - एक व्यक्ति ऐ शर्मनाक विषयके पकड़ैत कोनू ओकर अपेक्षित केँ पाँचसय एकावन टाकाके जामिनी बनय देखय चाहैत रहय। से गरेश गछौटी भेला आ धनाईजी सीताराम केँ अपना दिस सँ अढाई सय टाका क्षतिपुर्ति दैत अपन विचारधारा केर मजरौटी बढेलक। बालगोविन फेर समय सँ ढौआ नहि दैत १५ दिनक ओरो समयके मोहल्लत मांगलक। आब तँ पँचके मुख्य लोक पर ग्रामीण सब दवाब बनौलक जे कोनू सार्वजनिक काज दण्ड के पाय सँ हुअय ,से जिनका लग जतेक पाउना अछि से ततेक राशि अबिलम्ब बैंक कोषमे जम्मा करी। आब धनियाँक सुवादक संग गाममे सर्वहारा चेतना जागि गेलैक।

नन्द विलास राय जीक पहिल कृति : सखारी-पेटारी

नव लेखनक नाम पर एम्हर किछु काज हुअय लागल अछि। किछु एहन-रहन रचनाकार लोकनि प्रगट भेलाह अछि जे अपन लिखल अपनेटा बुझैत छथि, आनों बुझय तकर परवाह नहि करैत रजनी सजनी करैछ। ताहिके विपरीत एकटा एहन हस्ताक्षर जे सौभाग्यवस विविध अनछुअल विषय पर अपन कलम चलौलनि अछि। एकटा नव मैथिली पोथी रचना जगतमे " सखारी-पेटारी" केर धमक सुनल गेल हन्। एहिबीच साहित्यसेवी श्री नन्द विलास जीक मैथिली भाषा मेँ पोथी 'कथा संग्रह ' केर सगर राति दीप जरय निर्मली कार्यक्रममे पोथी लोकार्पण भेल य। ऐ पोथीक पहिल प्रकाशन २०१३ ई०मे भेल रहय,जकर पुन: संस्करण पल्लवी प्रकाशन सँ २०२४ मे भेल अछि। एहि पोथीमे १२१ गोट पृष्ठ छै, जकर किमत भारू० दूसय टाका छै। शव्दक परिधि अनुसारे एहिमे किछु लघुकथा आ वेसी दीर्घ कथा देखल जाईछ,मुदा प्रकाशक बिहैन कथा कहि रहलाह अछि। बिहैन कथाके एक गरिमा कम शव्दक होईछ से नहि बुझाइछ। सब कथा समाजमे अपन आभा अनुसारे संदेश दैत देखाएल गेल छैक। ग्रामीण क्षेत्रमे बेटी'क वियाह-द्विरागमनमे विदाएकाल किछु संचयन कयल बौस्त सखारीमे सांठल जाइत छैक। ई सखारी-पेटारी ग्रामीण लघु कलाके सेहो प्रतीक छी, जे सिकी - मूइज सँ बनैत छैक। एहिके बीनयमे तरह- तरहके पीढ़ी दर पीढ़ी सँ चित्रकारी सीखैत मिथिलामे धरोहर रूपेँ सहेजने अछि ललना सब। से आजुक वालिका लोकनि लुरि बिसरल चलि जा रहल छैक। मिथिला पेंटिंग आ हस्त शिल्प कला रूपें एहि पौराणिक पैघ पौतीकेँ बिनबाक लुरि अक्षुण्ण राखल आ सहेजबाक आवश्यकता अछि। जीवनोपयोगी वस्तुजात ओरियाउन करैत धीयाक माय अपन मनोरथ पूर करय ले ई एकटा खुशीक प्रतीक सेहो प्रदर्शित करैछ।‌ ताहि सखारी-पेटारी मेँ प्रो० हरिमोहन झा 'क चर्चित कृति कन्यादान ओ द्विरागमन "पोथी सवर्ण समाज सांठैत रहय,सयह प्रवृत्ति केँ सर्वहारा समाजक बेटी वियाहमे आब सखारी-पेटारी 'क जगह ट्रंक वा बड़का काठक बाकसमे सांठ- उसार कयल जाईछ *सखारी-पेटारी मेँ। एहि पोथीके कथाकार अपना परिवेशमे आ जीवनमे भोगल व्यथा केँ खिस्सा बनाकय पाठकगण बीच परसलनि हन। हिनक भाषा शैली सेहो निछछ देहाती य ,जाहिमे देशज शब्दक नीक विन्यास कयल देखाईत अछि। बिहैन कथा -, लघुकथा सँ बढ़ैत अनेको कथा स्तरीय लिख चुकल छथि-रायजी। आओर कतेको विधामे मैथिली पोथी सेहो हिनक पल्लवी प्रकाशन निर्मली सँ छपि चुकल छन्हि, यथा -:
मरजादक भोज आ भरदुतिया (२०१८), सरस्वती पूजाक परसाद (२०२१), असल पूजा (२०२२) आ काव्य संग्रह मे छठिक डाला ओ हमर चारू धाम (२०१८) एवं एकांकी संग्रह -बहिनपा (२०२१) तथा पइत (२०२२) ओ एकटा संस्मरण -अपन भीतर (२०२१) मे , जाहिमे सँ किछु पन्ना खातिर कतेको पुस्तिकाक दर्जामे पड़ल छैक। सद्यप्रकाशित एहि पोथीमे कोनू कथाक केन्द्रीय शुभ संज्ञा 'सखारी-पेटारी' नै छैक। मुदा पाठककेँ असल बेटा, डॉक्टर बेटा, प्रोफेसर बेटा आ निपुतराहा शिर्षक पाठ पढ़ैत संवेदनशील लागत। आनों शिर्षक सँ कथाके गरहैन बढ़ रोचक आ अपील करैत बुझाइत अछि। रायजी अपन नव रचनाक तीनगोट पोथी मैथिली भाषा मेँ आरो लिख रहलाह छथि। एक हिन्दीमे सेहो पुस्तक निर्माण केर योजना बना रहलाह हन। साहित्य अकादमी धरि हिनक पोथीक पहुँच भेल रहय। शुभ कामना रहत।नन्द विलास राय जीक पहिल कृति : सखारी-पेटारी

नव लेखनक नाम पर एम्हर किछु काज हुअय लागल अछि। किछु एहन-रहन रचनाकार लोकनि प्रगट भेलाह अछि जे अपन लिखल अपनेटा बुझैत छथि, आनों बुझय तकर परवाह नहि करैत रजनी सजनी करैछ। ताहिके विपरीत एकटा एहन हस्ताक्षर जे सौभाग्यवस विविध अनछुअल विषय पर अपन कलम चलौलनि अछि। एकटा नव मैथिली पोथी रचना जगतमे " सखारी-पेटारी" केर धमक सुनल गेल हन्। एहिबीच साहित्यसेवी श्री नन्द विलास जीक मैथिली भाषा मेँ पोथी 'कथा संग्रह ' केर सगर राति दीप जरय निर्मली कार्यक्रममे पोथी लोकार्पण भेल य। ऐ पोथीक पहिल प्रकाशन २०१३ ई०मे भेल रहय,जकर पुन: संस्करण पल्लवी प्रकाशन सँ २०२४ मे भेल अछि। एहि पोथीमे १२१ गोट पृष्ठ छै, जकर किमत भारू० दूसय टाका छै। शव्दक परिधि अनुसारे एहिमे किछु लघुकथा आ वेसी दीर्घ कथा देखल जाईछ,मुदा प्रकाशक बिहैन कथा कहि रहलाह अछि। बिहैन कथाके एक गरिमा कम शव्दक होईछ से नहि बुझाइछ। सब कथा समाजमे अपन आभा अनुसारे संदेश दैत देखाएल गेल छैक। ग्रामीण क्षेत्रमे बेटी'क वियाह-द्विरागमनमे विदाएकाल किछु संचयन कयल बौस्त सखारीमे सांठल जाइत छैक। ई सखारी-पेटारी ग्रामीण लघु कलाके सेहो प्रतीक छी, जे सिकी - मूइज सँ बनैत छैक। एहिके बीनयमे तरह- तरहके पीढ़ी दर पीढ़ी सँ चित्रकारी सीखैत मिथिलामे धरोहर रूपेँ सहेजने अछि ललना सब। से आजुक वालिका लोकनि लुरि बिसरल चलि जा रहल छैक। मिथिला पेंटिंग आ हस्त शिल्प कला रूपें एहि पौराणिक पैघ पौतीकेँ बिनबाक लुरि अक्षुण्ण राखल आ सहेजबाक आवश्यकता अछि। जीवनोपयोगी वस्तुजात ओरियाउन करैत धीयाक माय अपन मनोरथ पूर करय ले ई एकटा खुशीक प्रतीक सेहो प्रदर्शित करैछ।‌ ताहि सखारी-पेटारी मेँ प्रो० हरिमोहन झा 'क चर्चित कृति कन्यादान ओ द्विरागमन "पोथी सवर्ण समाज सांठैत रहय,सयह प्रवृत्ति केँ सर्वहारा समाजक बेटी वियाहमे आब सखारी-पेटारी 'क जगह ट्रंक वा बड़का काठक बाकसमे सांठ- उसार कयल जाईछ *सखारी-पेटारी मेँ। एहि पोथीके कथाकार अपना परिवेशमे आ जीवनमे भोगल व्यथा केँ खिस्सा बनाकय पाठकगण बीच परसलनि हन। हिनक भाषा शैली सेहो निछछ देहाती य ,जाहिमे देशज शब्दक नीक विन्यास कयल देखाईत अछि। बिहैन कथा -, लघुकथा सँ बढ़ैत अनेको कथा स्तरीय लिख चुकल छथि-रायजी। आओर कतेको विधामे मैथिली पोथी सेहो हिनक पल्लवी प्रकाशन निर्मली सँ छपि चुकल छन्हि, यथा -:
मरजादक भोज आ भरदुतिया (२०१८), सरस्वती पूजाक परसाद (२०२१), असल पूजा (२०२२) आ काव्य संग्रह मे छठिक डाला ओ हमर चारू धाम (२०१८) एवं एकांकी संग्रह -बहिनपा (२०२१) तथा पइत (२०२२) ओ एकटा संस्मरण -अपन भीतर (२०२१) मे , जाहिमे सँ किछु पन्ना खातिर कतेको पुस्तिकाक दर्जामे पड़ल छैक। सद्यप्रकाशित एहि पोथीमे कोनू कथाक केन्द्रीय शुभ संज्ञा 'सखारी-पेटारी' नै छैक। मुदा पाठककेँ असल बेटा, डॉक्टर बेटा, प्रोफेसर बेटा आ निपुतराहा शिर्षक पाठ पढ़ैत संवेदनशील लागत। आनों शिर्षक सँ कथाके गरहैन बढ़ रोचक आ अपील करैत बुझाइत अछि। असल बेटा कथामे -निरमलीक पछबरिया गाम छजनाके जीतन मुखियक सफल जीवनक आदर्श कथा छी। ओ मल्लाह जातिक रहैत मात मारबाक जगह नीकचाह बनौनाई जनैत य। से गाम सँ नितरोज अनरोखे निर्मली टीशन लग चाहक दोकान चलाबैत गैंहकीक जश बटोरने रहैत कैंचा सँ रमना परहक एक कठा जंगलाएल जमीन बसय ले एकलाख टाकामे अरजैत छै। चटर्जी साहेबक कहल मानि छीनूं धियापुता केँ कन्भेन्ट इसकुलमे पढाबैत एकचारीके तीनमंजीला भवनमे परिणत कय लैत छैक। जीतने दूनूटा बेटा धरि इंजीनियर आ बेटी हाईस्कूलक शिक्षिका बना जाईछ,मुदा चाहक दोकानदारी छोरा दैछ। तीनू संतानक व्यवस्थित घरमे वियाहदान होईत छैक आ जमाए ओकर दरभंगा केर बैंकमे कार्यरत रहैछ,जे घर जमैया जँका जाता आबत केने रहैछ। जीतनक पत्निक मृत्युक तीन मास बाद अपनो हुनका लकबारोग सँ ग्रसित आर बी मेमोरियल मेँ जमायके सौजन्य सँ भर्ती हुअय पड़ैत छै। होस्पीटल सँ बेटी जमाय निरमली आनलखिन तँ तीनेदिनक वाद दम तोईड़ दैत छै। गोपाल मास्टर जी ,जे तानु भाय बहिनके ट्युशनो पढ़ेने रहथिन ;जीतन जीक आकस्मिक निधनके खबेर सबके दैत तीलयुगा नदीक कछेरमे अंतिम संस्कार वादमे पक्की भोजक आयोजन थे तो भेलैक। मास्टर जीक कहबके प्रत्युत्तरमे सुकल हाथजोड़ि कहलकैन -" नै गुरूदेव,हम दूनू भाँई बाबूजीक असल बेटा नै छी। हम सब बाबूजीक सेवा टहल कहाँ केलिऐन। हमरा सभक हाथक एक गिलास पानियोँ कहाँ भेटलनि बाबूजीकेँ । असल बेटा तँ हमर बहिन सुकनी आ बहनोई शंकरजी छथिन। जे बाबूजीकेँ सेवा सुश्रुषा केलखिन।" रायजी अपन नव रचनाक तीनगोट पोथी मैथिली भाषा मेँ आरो लिख रहलाह छथि। एक हिन्दीमे सेहो पुस्तक निर्माण केर योजना बना रहलाह हन। साहित्य अकादमी धरि हिनक पोथीक पहुँच भेल रहय। शुभ कामना रहत।
-लाल देब कामत मो० ७६३१३९०७६१

 

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