आशीष अनचिन्हार
अरविन्द ठाकुरः अन्हार एवं धाराक विरुद्ध ...
अरविन्द ठाकुर धाराक विरुद्ध छथि। धाराक विरुद्ध माने विकासक धाराक विरुद्ध नहि, यथास्थिति, लोभ-लालच, नीचता आदिक जे धारा छै तकर विरुद्ध छथि। अनेक उदाहरण पाठक लग हेतनि हम सेहो एकटा दऽ रहल छी।
मैथिली भाषामे जहिया-जखन कोनो खास चीजसँ चिह्नित पुरस्कारक घोषणा होइत छै। लेखक वर्ग ओही चीजपर लागि जाइत छथि। टटका उदाहरण अछि बाल साहित्य एवं अनुवाद साहित्य केर। जहियासँ अकादेमी एहि दू विधापर पुरस्कारक घोषणा केलकै। एहि दू विधामे अप्रत्याशित ढंगसँ लेखक वर्ग एलाह।
पाठक एकरा नीक बात कहि सकै छथि मुदा नीक तखन मानल जेतै जखन कि ई दूनू (बाल एवं अनुवाद) अपन निज लेखक तैयार करत। वर्तमानमे हालति ई छै जे लेखक वर्ग जँ मूल पुरस्कारसँ अपनाकेँ चुकैत देखि लै छथि तँ ओ बाल साहित्य आ अनुवाद केर पोथी छपा लैत छथि।
दोसर शब्दमे कही तऽ मूल पुरस्कारसँ चुकलाक बाद ओ बाल या अनुवाद पुरस्कारकेँ अपन अंतिम शरणस्थली मानि बैसैत छथि। मैथिलीमे बाल एवं अनुवाद पुरस्कार जतेक देल गेलैए तकर 90 प्रतिशत भाग एहने पुरस्कार प्राप्तकर्ता सभ छथि जे कि मूल रूपसँ ने बाल साहित्यकार रहल छथि आ ने अनुवादक।
बहुत बड़का-बड़का लेखक एहिमे टुटल छथि। अधिकांश लेखक अपन मूल विधा, मूल प्रकृति छोड़ि एहि बाल एवं अनुवादमे लागल छथि जे नै मूल तऽ कहुना बाल या अनुवाद पुरस्कार भेटि जाए। जेना कि हम बहुत पहिनेसँ बहुत बेर कहैत एलहुँ अछि जे अरविन्द ठाकुर केर मूल विधा वा मूल प्रकृति आलोचना-समीक्षा छनि (आ शायद पहिल बेर हमहीं कहने छी)।
अपन रचनाकालक पहिल भागमे ई कविता ओ कथा संग डटल रहलाह तऽ दोसर भागमे आन विधाक संग आलोचना एवं समीक्षामे एलाह (कथेतर गद्य केर नामसँ)। इएह अंतर अरविन्द ठाकुरकेँ आन लेखकसँ अलग करैत छनि। अरविन्द ठाकुर केर मूल प्रकृति बाल वा अनुवाद साहित्यक नहि छलनि तऽ ओ ओहिमे जबरदस्ती नहि एलाह। ई लौल नहि केलाह जे नै मूल तऽ कमसँ कम बाल वा कि अनुवाद पुरस्कार भेटि जाए।
एकर उन्टा ओ आलोचना विधाकेँ पकड़लाह, ओहि विधाकेँ जकरा बहुतो लेखक पुरस्कारक चक्करमे छोड़ि दैत छथि, अनठा दैत छथि वा ओकर स्वरूप बदलि गदगदी आलोचना कऽ दैत छथि। जँ मैथिली साहित्य केर वर्तमान समयकेँ देखल जाए ताहिमे ई घटना बहुत साहसी घटना छै। आ निश्चित तौरपर अरविन्द ठाकुर अपन वास्तविक युवा लेखक सभ लेल आदर्श साबित हेताह।
(हमर आबऽ बला पोथी 'अरविन्द ठाकुरः अन्हार एवं धाराक विरुद्ध' केर भूमिका केर अंश, ई पोथीक तात्कालिक नाम अछि। संशोधन सेहो भऽ सकैए।-आशीष अनचिन्हार)
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