प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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प्रोमिशा मिश्रा,शोधार्थी

रामभरोस कापड़ि 'भ्रमर' के व्यक्तित्व

श्री रामभरोस कापड़ि 'भ्रमर पूर्व अध्यक्षः साझा प्रकाशन,पूर्व परिषद सदस्य, नेपाल प्रज्ञाप्रतिष्ठान,हाल अध्यक्षः मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठान, मधेश प्रदेश, वरिष्ठ साहित्यकार तथा पत्रकारके जन्म धनुषा जिल्लाक साविक बघचौडा गाउँ पालिका ४ सम्प्रति हंसपुर नगरपालिका २ बघचौडा पूर्वटोलमे एकगोट सम्पन्न परिवारमे भेल छलनि। पिता स्वर्गीय रामगुलाम कापड़ि आ माय स्वर्गीया दुखनी देवीक छोट सन्तानक  रुपमे जन्म ग्रहण कएने भ्रमरके एकगोट भैया , एकगोट दिदी आ एक गोट बहिनी छनि। दिदीके ८६,८७ बर्षक लकझकमे ,किछुमासपूर्व  देहावसान भ गेलनि। पिता रामगुलाम कापड़ि बघचौडामे मात्र नहि परोपट्टामे प्रतिष्ठित समाजसेवीक रुपमे चिन्हल जाईत छलाह। ओ तत्कालीन बघचौडा गाउँ पञ्चायतके लगातार तीन बेर प्रधानपञ्च निर्वाचित भेल छलाह। पचासो विगहा खेत, फूलवारी, पोखरी, ईनार सहित बघचौरा आ जनकपुरधाममे सुविधा सम्पन्न पक्की घर छलनि। हुनका गामवासीसभ आदरसँ ' अधिकारी ' मालिक कहि क सम्बोधन करैत छलनि।

भ्रमरके बाल्यकाल

धनुषा जिल्लाक बघचौड़ा गाममे विक्रम शम्वत जन्म २००८ साल श्रावणमे जन्म ग्रहण कएने भ्रमरके प्रारम्भिक शिक्षा गामेमे भेल छलनि। गामेमे एकटा सम्पन्न गीरहत कन्हाई साहुक दलानपर खुजल मधुकरही निवासी गनेशलाल कर्णक चटिसारमे हुनका दुनू भाईकेजबरदस्ती पठाओल गेल रहन्हि। आनाकानी कएलापर नोकर बहादुरके कहि पाठशालामे गेला त मुदा कोनो बहन्ने जल्दीए आबि गेल। ई क्रम किछु दिन  चललै। एकर कारण रहैक मायक दुलार,खान पीन,खेलधूप। आ  जखन मन लाग लगलैक त पाछा घूमि क नहि देखलक। गूरुजीबला खाँति,बिटगरहाआदि जे भुइयाँसं होइत पाटी दुआइत धरि चलल तकरा बाद पंचायतेके यादब मिडिल इस्कूलमे नाम लिखाओल गेल आ तखन ओतहि पढैत तीन क्लासक बाद आगा पढबाक लेल जनकपुरक सरस्वती हाई स्कूलमे नाम लिखाओल गेलनि । तकरा बाद ओत्तहिसं मैटिक आ रारा बहुमुखी कैम्पससं मैथिली बिषयमे प्रथम श्रेणीमे एमए कएल । बाल्यकालहिसँ पढय लिखयमे होसिार तथा वाकपटु भेलाक कारणे हुनका सभगोटे वेस प्रेम करैत छलनि। आर्थिक, सामाजिक आ शैक्षिक रुपसँ  हुनक परिवार समाजमे प्रतिष्ठित छल तें हुनक बाल्यकाल सुखमय छलनि। अध्ययनके क्रममे जनकपुर आएलाह आ अपन स्टेशनसँ  उत्तर अवस्थित पुस्तैनी घरमे रहि अध्ययन करए लगलाह। घरसँ खाद्य समग्री अबैत छलनि आ भानस बनेवालेल भनसिया सेहो राखल गेल छलनि।

भ्रमरके शिक्षा

सबसं पहिने गामक चटिसारमे अ आ इ एसे ल खाँति बिटगरहा सब सिखलनि,पढलनि। तकराबाद पंचायतेके बेल्ही मिडिल इस्कूलमे तीन बक्षा धरि पढलाह। तकराबाद गाममे आएल एकटा गामविकास अधिकारीक उत्प्रेरणासं बाबूजी हिनका दुनू भाईके जनकपुर सरस्वती हाई स्कूलमे नाम लिखा देलकनि। जनकपुरमे अपने पक्की मकान छलनि। एकटा भनसियाक संग ओ जनकपुरके आवासपर रहि सरस्वती माध्यमिक विद्यालयसँ एसएलसीधरिक शिक्षा प्राप्त कएलनि आ प्रवीणता प्रमाणपत्र ( आई .ए. ) , स्नातक ( बी.ए. ) आ स्नातकोत्तर ( एम.ए.) धरिक अध्ययन रामस्वरुप रामसागर बहुमुखि क्याम्पस , जनकपुरधामसँ प्राप्त कएलनि। डा.धीरेन्द्रक सद्प्रयाससँ राराब क्याम्पसमे सुरु भेल मैथिली स्नात्कोत्तर विषयक ओ पहिल बैचक छात्र छलाह आ प्रथम श्रेणीमे स्नातकोत्तर उतीर्ण कएने छलाह। स्वर्गीय रामगुलाम कापड़ि आ स्वर्गिय दुखनी देवीक तेसर सन्तानक रुपमे जन्मग्रहण कएने भ्रमरके भैयाक नाम छनि सुकुमार कापड़ि , दिदीक छलनि  दाया देवी (जनिक हालेमे स्वर्गवास भ गेलनि) आ बहिनके सोनावत्ती देवी। भ्रमरके विवाह किसोरावस्थामे  धनुषा जिल्लाक भगवानपटी गाममे दलतीया देवीसंग भेल छनि। हुनका तीनगोट पूत्र आ दूगोट पुत्री छनि। जेठ पुत्र रामनारायण कापड़ि जनकपुर एक्सप्रेसके सम्पादक छथि आ राजनीतिमे सेहो संलग्नछथि तँ माझिल प्रदीप कापड़ि नेपाल खाद्य संस्थानमे कार्यरत छथि। छोट  संदीप कापड़ि उच्च कोटिक कम्युटरक ग्राफिक एक्सपर्ट छथि आ अपने व्यावसाय करैत छथि। दुनू बेटीक विवाह भ' गेल छनि।

साहित्यमे अएबाक प्रेरणा

सरस्वती हाई स्कूलमे अध्ययनरत्त रहल समय हुनका सम्पर्क भेलनि  डा.धीरेश्वर झा ' धीरेन्द्र ' संग। जे हुनक घरके परोसेमे भाडा ल' रहैत छलाह आ राराब क्याम्पसमे अध्यापन करैत छलाह। डा.धीरेन्द्रक सम्पर्कमे अएलाक पश्च्यात् हुनक आकर्षण साहित्यदिसि भेलनि। यद्यपि पत्र पत्रिका , साहित्यिक उपन्यास तथा कथा कविताआदि पढवाक रुचिमे हुनकामे पहिनहिसँ छलनि। ओ हिन्दीक पुस्तक,पत्र पत्रिका पढबामे रुचि रखैत छलाह। पछाति डा. धीरेन्द्रक प्रेरणासँ मैथिलीमे लिखय लगलाह। हुनक पहिल रचना वालकथा अछि  इमानदार वालक ई कथा तत्कालीन समयमे प्रतिष्ठित मैथिली साप्ताहिक मिथिला मिाहिरक १९६४ ई. मे प्रकाशित भेल छल। तहिया हुनक उमेर १२ वर्षमात्र छल। तहिएसँ ओ अपन नामक पाछाँ ' भ्रमर ' लिखब सुरु कएलनि१   

भ्रमरके व्यवसायिक जीवन

त्रिभुवन विश्वविद्यालयक आंगिक क्याम्पसके रुपमे रहल रामस्वरुप रामसागर बहुमुखि क्याम्पस, जनकपुरसँ मैथिली विषयमे प्रथम श्रेणीमे  स्नातकोत्तर ( एम ए ) कएने छलाह भ्रमर। मुदा ओ सरकारी सेवामे नहि गेलाह। त्रि.वि.वि. मैथिली शिक्षण विभागक  तत्कालीन अध्यक्ष डा.धीरेश्वर झा 'धीरेन्द्र' हुनका बेर बेर प्राध्यापन पेशामे अएबाक वास्ते आग्रह कएने छलाह मुदा ओ विश्वविद्यालय सेवामे जएबाक अपेक्षा पत्रकारिता, स्वतन्त्र लेखन , अध्ययन , अनुसंधान आ यात्रामे रमल रहबाक निर्णय कएलनि। आर्थिक रुपसँ सवल तथा व्यावहारसँ स्वच्छन्द विचारक भेलाक कारणे ओ स्वतन्त्र पेसा अर्थात् पत्रकारिता आ स्वतन्त्र लेखन विधा चुनलनि। 

भ्रमर २०२६०२७ सालमे वैदेही साप्ताहिकके कार्यालय प्रतिनिधिक रुपमे  पत्रकारिता प्रारम्भ कएने छलाह। २०४६ सालक राजनीतिक परिवर्तन पश्च्यात् देशमे बहुदलीय प्रजातन्त्र स्थापना भेल। निजी क्षेत्रसँ सेहो  ब्रोडसिट पत्र पत्रिकासभक प्रकाशन सुरु भेल। राजधानीसँ प्रकाशित एहि पत्र पत्रिकामध्य कान्तिपुर पब्लिकेशनके कान्तिपुर दैनिक सेहो छल। भ्रमर २०४९ सालसँ कान्तिपुरके जनकपुर संवाददाताक रुपमे काम कएलनि। कान्तिपुर प्रकाशन भेलाक शुरुक ५ वर्षधरि ओ एहि पत्रिकाक जनकपुर समाचारदाताक रूपमे काज कएलनि ।

कान्तिपुर राष्ट्रिय दैनिकसँ पहिनहि ओ मैथिलीक पत्रकारिताक क्षेत्रमे स्थापित भ चुकल छलाह। प्रकाशक सम्पादकके रुपमे हुनक पहिल पत्रिका मैथिलीमे छल जकर नाम छल  अर्चना (२०३० साल)। ई पत्रिका दश बर्षसं उपर चलल। मैथिली संसारमे मिहिर बाहेकक पत्र कम्मे छल वा नगण्य  छल। एहनमे अर्चना अपन पातरो कायामे नेपाल भारतक खनेको रचनाकारके आगा लएबामे महत्वपूण भूमिकाक निर्वाह कएलक।् डा. भीमनाथक शब्दमे एकर सम्पादक श्री भ्रमरक स्वच्छ दृष्टिक कारणें ,अपन श्रीणो कलेबरमे ई महत्वपूर्ण भ गेल अछि। अर्चना ओहि समयक प्रकाशन छल जहिया नेपाली बाहेकके पत्रके दर्ता नहि कएल जाइत छर्लक। तखन मैथिली सामयिक संकलन कहि एकर प्रकाशन भेल छल। अनेको बाधा ब्यबधानक बादो अर्चना चौदह पन्द्रह बर्ष निकलल। नेपालक पहिल आ एखन धरि एक मात्र मैथिली साहित्यक इतिहासकार डा. प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन अपन नेपालक मैथिली  पत्रकारिताःएकटा सर्वेक्षण शिर्षक आलेखमे लिखै छथिअर्चना(२०३०,फागुन)क मुख्य एद्येश्य नेपालमे हेराएल,भोतिआएल,अनचिन्हार मुदा प्रतिभासम्पन्न साहित्यकार लोकनिक स्वस्थ्य साहित्यके मैथिली संसारक आगां राखब छलैक। और ओ विगत प्रकाशन धरि अपन घोषित उद्येश्यक सभ अनुरुप चलि रहल अछि। हमरा लग अर्चनाक बारह बर्षक जीवन यात्राक (२०३०२०४५)उपलब्धि ६२टा अंक प्रत्यक्ष अछि। अर्चना भ्रमरक एकल प्रयास आ साहसिक प्रयासे चलि रहल अछि। ओ अर्चनाक माध्यमे नेपालक मैथिली चेथना,भाषायी सामथ्र्य एवं रचनाधर्मिताके यथासमय प्रस्तुत करबामे सफल भेल छथि। साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त मैथिली पत्रकारिताक इतिहास पुस्तकमे श्री अमरजी लिखने छथिअर्चना नेपालमे एकमात्र एहन पत्रिका अछि  जे मातृभषाक अर्चनामे अपन सम्पूर्ण शक्ति समर्पित कएने अछि।अर्चनाक एखन धरिक योगदान उल्लेखनीय अछि।३

 

 तकराबाद नेपाली मासिक अंजुली आ मैथिली द्वैमासिक आंजुर। विसं २०३९ सालसँ हुनक सम्पादन आ प्रकाशनमे सुरु भेल छल गामघर मैथिली साप्ताहिक जे आईधरि निरन्तर प्रकाशित होइत आबि रहल अछि। यी देशक पहिल मैथिली समाचार पत्र अछि जे करीव ३९ वर्षसँ निरन्तर प्रकाशित भ रहल अछि। एहि साप्ताहिक मार्फत मैथिली आ नेपालीक अनेकौ साहित्यककार आ पत्रकारक जन्म भेल अछि। स्थानीय नेपाली दैनिकसभ सुप्रभात (२०५४) के प्रारम्भिक सम्पादक सेहो ओएह छलाह। सम्प्रति जनकपुर एक्सप्रेस (२०५५) के सेहो प्रकाशन करैत छथि।   

पत्रकारिता,स्वतन्त्र लेखनसंगहि ओ नेपाल सरकारक साझा प्रकाशनके अध्यक्षक रुपमे सेहो काज कएने छथि। साझा प्रकाशनके इतिहासमे ओ पहिल मधेसी अध्यक्ष भेलाह। नेपाली भाषा आ नेपाली कर्मचारीसभक बोलबाला रहल साझा प्रकाशनके ओ अपन एक वर्षक कार्यकालमे कायापलट क देने छलाह। पहिल बेर नेपाली बाहेकके दोसर भाषा मैथिलीक पुस्तक सेहो हुनके कार्यकालमे प्रकाशन भेल छल। नेपाली साहित्यकारसभक चित्रक संग मैथिलीक महाकवि विद्यापतिक चित्र सेहो प्रकाशन करौलनि।  साझा प्रकाशनके  अध्यक्ष पदपर आसीन रहिते काल हुनका नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्राज्ञ परिषद सदस्य नियुक्त कएल गेलनि। तकराबाद ओ साझा प्रकाशनसँ  राजिनामा द' प्राज्ञपरिषद सदस्यक रुपमे चारिवर्ष काज कएने छलाह। प्राज्ञके रुपमे ओ मैथिली लोक संस्कृतिउपर उल्लेख्य काज कएलनि आ करबौलनि। हुनक सकृयतामे सलहेस, दीनाभद्री, जटजटिन सदृश्यक लोकगाथा,लोकनाट्यसभक विषयमे अध्ययन अनुसंधान , लेखन आ प्रकाशन भेल। जे लोक साहित्यक अनुसन्धाताक हेतु सन्दर्भ सामग्रीक रुपमे नेपाल भारतमे मान्य अछि। 

भ्रमर भाषा, साहित्य, संस्कृतिसंगहि साहित्यक प्रायः सम्पूर्ण विधामे धुरझार लिखैत आएल छथि। एकरा अतिरीक्त ओ उच्चकोटीक फोटोग्राफर आ चित्रकार सेहो छथि। एखनधरि भ्रमरद्वारा लिखल गेल  मैथिली ,नेपाली,हिन्दी आ अंग्रेजी भाषाक करीव ५० गोट पुस्तक प्रकाशित भ चुकल अछि। हुनक टटका पुस्तक अछि मिथिलाक लोक जीवनः लोक सन्दर्भ जकर बिमोचन जनकपुरमे भेल जाहिमे पटनासं डा. रमानन्द झा रमण,कोलकातासं अशोकजीजी,दरभंगासं डा. भीमनाथ झा,चन्द्रेश लगागत काठमाण्डूसं नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक कुलपति गंगा प्रसाद उपेती आएल छलाह। हुनक लेखनी एखनहुँ चलिए रहल छनि।  

मानसम्मान

भ्रमर मैथिलीसंगहि नेपाली साहित्यक सेहो प्रसिद्घ साहित्यकार छथि। साहित्यक प्राय ः सम्पूर्ण विधामे ओ निरन्तर सृजनारत्त छथि। एहि कारणे ओ मैथिली आ नेपाली दुनू साहित्यदिसक पुरस्कार आ सम्मान प्राप्त कएने छथि। नेपाल राजकीय पज्ञाप्रतिष्ठानद्वारा प्रदत्त प्रथम ' मायादेवी प्रज्ञापुरस्कार२०५२ (रु.५००००।)सँ ओ पुरस्कृत छथि। तहिना विद्यापति सेवा संस्थान, दरभङ्गाद्वारा ' मिथिला विभूति ' सम्मान , शेखर प्रकाशन , पटनाद्वारा ' शेखर सम्मान ', नेपाल मैथिली साहित्य परिषद्, जनकपुरद्वारा ' वैदेही प्रतिभा पुरस्कार ', अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन मुम्बईद्वारा ' मिथिलारत्न ' सम्मान प्राप्त कएने छथि त मधुरिमा नेपालद्वारा ' मधुरिमा सम्मान ', चेतना समिति, पटनाद्वारा यात्री चेतना पुरस्कार, साझा प्रकाशनद्वारा साझा लोक संस्कृति पुरस्कार२०६८ आ नेपाल सरकारद्वारा स्थापित विद्यापति पुरस्कार कोषद्वारा वर्ष २०६९के मैथिली भाषा साहित्य पुरस्कार२०६९ सेहो प्राप्त कएने छथि। २ लाख राशिक उक्त पुरस्कार मैथिली साहित्यमे प्रदान कएल जायबला सर्वाधिक राशिक पुरस्कार अछि। (२०६९),रायपुर(छत्तीसगढ,भारत)द्वारा मिथिला विभूति सम्मान(२०६९) मैथिल समाज ,रहिका(मधुबनी ,विहार,८ अप्रिल २०१८ई.) नेवारी भाषा साहित्यक संस्था केशवलाल वाखं सिरपा कथा पुरस्कार(२०७० जेठ २१ गते), हुनक घरमुहाँ उपन्यासके लेल रु. पचास हजारक गंकी धुस्वां बसुन्धरा पुरस्कार प्राप्त(२०७१) लगायत दर्जनो सम्मान, पुरस्कार प्राप्त। एकरा संगहि हुनका पार्वती प्रतिष्ठान, सिसोटिया सर्लाहीद्वारा 'पार्वती सम्मान'सहित दर्जनो सम्मान आ पुरस्कार प्राप्त छनि।

सामाजिक क्षेत्रमे सकृयता

रामभरोस कापड़ि'भ्रमर 'के मुख्य परिचय एकगोट साहित्यकार आ कुशल पत्रकारक छनि मुदा ओ सामाजिक आ राजनीतिक क्षेत्रमे सेहो ओतवे सकृय छथि ताहिबातक जानकारी बहुत थोर लोकके छनि। साहित्यिक स्रस्टाक रुपमा ओ मैथिली भाषा, साहित्य, कला, संस्कृतिक सेवा क रहल छथि त विभिन्न संघ संस्थामे संलग्न रहि भाषा,साहित्य, कला,संस्कृतिक संस्थागत विकासमे सहयोग क रहल छथि। तहिना राजनीतिक क्षेत्रमे सेहो हुनक अहम योगदान छनि। तत्कालीन कटरैत गाउँ पञ्चायतके उपाध्यक्षक रुपमे निर्वाचित भ' ओ गाम पञ्चायतके विकास निर्माणमे अहम योगदान देने छलाह त अपन पुस्तैनी गाम बघचौडामे अवस्थित उच्च माध्यमिक विद्यालयके व्यवस्थापन समितिक अध्यक्षके रुपमे ओ विद्यालयके शिक्षाक गुणस्तर बढैबामे अहम योगदान देलनि।

ओ मैथिली साहित्य उत्सव , नेपालक अध्यक्ष , तराई जनजाति अध्ययन प्रतिष्ठान, जनकपुरके अध्यक्ष, जनकपुर ललित कला प्रतिष्ठान, के अध्यक्ष, दीनानाथ भगवती समाज कल्याण गुठी, जनकपुरके सचिव, पत्रकार महासंघ , धनुषाक राष्ट्रिय पार्षद आदिक रुपमे सेहो उत्कृष्ट काज कएने छथि। काठमाण्डुमे आयोजित सार्कस्तरीय कवि गोष्ठीमे मैथिली भाषाक प्रतिनिधित्व सेहो कएने छलाह।

मधेस आन्दोलनमे योगदान ः

पत्रकारितासंगहि ओ मधेश आ मधेशीक विचार , समस्या आ समस्या समाधानक उपायआदिपर निरन्तर चिंतन मनन करैत रहैत छथि। २०६३ सालक मधेश आन्दोलनमे ओ अपन पत्रिका गामघर तथा जनकपुर एक्सप्रेस दैनिकके माध्यमसँ आन्दोलनके पक्षमे जनमत बनैबामे अहम योगदान देलनि। ओ स्वयं सेहो आन्दोलनके पक्षमे सडकपर उतरलाह आ अधिकारविहीनसभक अधिकार सुनिश्चित करैबामे सकृयता देखौलनि। ओतबे नहि,मधेश आन्दोलनक समयमे भातीय मिडिया आन्दोलनके गलत ब्याख्या क रहल छल , ओ एकरा नेपालसं अलग हइबाक आन्दोलनक रुपमे प्रचा,ित करैत छल , तखन बिचार भेलै जे ओइपारक समडियाके कोना अबगत कराओल जाए। समस्या ईहो रहैक जे ओ सभ ककरा कहल पर बिश्वास क सकैत अछि। तखन तय भेलैक जे भ्रमरजी उपयुत्तः पात्र हयताह आ हुनकासं सम्पर्क कएल गेल। ओ तत्काल स्वीकार क लेने रहटि।आ तखन घनघोर बर्षाक बीच पटना गेलाह राति दू बजे। मधेश आन्दोलनक कमाण्डर उपेन्द्र यादबजीसं लगातार सम्पर्कमे छलाह।दोसर दिन भेने अपन सम्बन्धके प्रयोग क मिडियाके धखाइते बजाओल गेल। हिनका चिन्ता छलनि  जे ओ सभ कतेक रीस्पोन्स करैत अछि।मुदा जखन अति संक्षिप्त सूचना पर मिसडया पर्सनसभक जे यपस्थिति भेल ओ अदभूत छल। बक्ताक रुपमे भ्रमरजी मधेश आन्दोलनक इीतवृति सुनौलकनि आ स्पक्ष्ट कयलनि जे ई आन्दोलन अलगावक नहि जूडावक अछि जे दू नम्बरसं एक नम्बरक नागरिक बनि देशक मूलधारमे आब चाहैत अछि जकरा अदौसं अलग रखबाक बाज होइत आएल छल। पत्रकार सम्मेलनक सफलता तखन बुझमे आएल जखन भोरका अखबारमे ई समाचार लगभग प्रत्येक अखबारमे आएल।

प्रथम मधेस आन्दोलनके अनुभव आ आन्दोलनके नामपर समाजमे पसरल साम्प्रदायिक द्वन्दके निरुत्साहित करैत सामाजिक सरभावक सन्देहके आधार बना ओ एकगोट उपन्यास लिखलनि  घरमूँहा। जकर मुख्य विषयवस्तु मधेश आन्दोलन अछि। एहि उपन्यासकृ हिन्दी, भोजपुरी आ नेपाली भाषामे अनुवाद सेहो भ' चुकल अछि। एही उपन्यासपर हिनका पचास हजार टकाक गंकी धुस्वाँ वसुन्धरा पुरस्कार पुरस्कार भेटल छन्हि।

रुची आ स्वभाव

भ्रमर व्यक्तिगत जीवनमे निक निकुत खायबला आ ब्राण्डेड कपडा पहिरनिहार व्यक्ति छथि। आर्थिक रुपसँ सक्षम परिवारमे जन्मल भ्रमरके बाल्यकालक यी सौख एखनहुँ विद्यमाने अछि। मंहग मोवाईल, कम्प्युटर, क्यामरा हुनक दोसर सौख थिक। कैमरामे नीक फोटो खिचब आ एहि फोटोसभके सुरक्षित राखब हुनक विशेषता छनि। एकर अतिरित ओ फिल्म निर्माण, फिल्म लेखनआदि कलामे सेहो निपुण छथि। ओ अध्ययन आ भ्रमण करबामे सेहो विशेष रुचि रखैत छथि। ओ नेपाल आ भारतसंगहि चीनक सेहो भ्रमण कएने छथि।

संदर्भ-

१) अजय अनुरागी ः लोकान्तर डटकम ः अनलाईन पत्रिका। प्रकाशन ःकात्तिक २, २०७६

२) गामघर साप्ताहिक,२०४१ चैत १ गतेक अंक सं।

3) मैथिली पत्रकारिताक इतिहासः श्री चन्द्रनाथ मिश्र अमर,मैथिली अकादमी,पटना

  

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