कुमार मनोज कश्यप
लघुकथा- ओहि पार
शहर मे टाउनशिप बसि रहल छलै। देखादेखी ओहो एकटा प्लॉट बुक करा लेलक एम्हर-ओम्हर सs जोगाड़ कs कs। सोचलक कहुना ने कहुना दूईयो कोठलीक मकान बना लेत तs मकान किराया बचतै। आ ओहि बचत सs धीरे-धीरे आगू घर सेहो बनि जेतै। घर बनबै के ओ नियार आ जोगाड़-व्योंत करिते छल कि अकस्मात् सुदूर शहर मे ट्रांसफर के आदेश भेटलै। अपना भरि जतेक जे किछु कs सकैत छल से केलक; मुदा ट्रांसफर रूकि नहिं सकलै। दूरस्थ हेबाक परिवार के संगे लs जेबाक अतिरिक्त कोनो द्वारा छलै नहिं! आ तैं घर बनेबाक योजना पर तत्काल विराम लगाबय पड़लै। सोचलक जे परती भूमि मे ताबत किछु गाछे लगा दियै जाहि सs जमीनो सुरक्षित रहै आ दू पाई के सम्पत्तियो ठाढ़ भs जाय।
ओ कॉलोनी आब नीक जकाँ बसि कि गेलै; शहरक पॉश कॉलोनी मे गिनती छै! एम्हर एकरो सेवानिवृति के समय लगिचा गेल छै तैं आब घर बनेबाक सुर-सार करय लागल ...... भागा-दौड़ी कs कs घरक नक्शा पास करेलक, ठीकेदार संग तय-तशफिया कs कs अगाऊ तक दs देलकै। मुदा बखेड़ा ठाढ़ भेलै गाछ काटs काल ...... पुलिस जूमि गेलै जे हरियर जिबैत गाछ आहाँ नहिं काटबा सकैत छी। ओ कतबो पुलिस संगे बहस केलक मुदा कोनो फायदा नहिं। आब दुइये टा रस्ता छलै - कोर्ट सs गाछ कटबाक आदेश करबाबs वा जमीन यथास्थिति रहs दै। दुनू विकल्प ‘भई गति साँप छुछुन्नरि केरी’ सन! माथ पकड़ि ओ ओतहि बैसि गेल। किछु फुरा नहिं रहल छलै।
आई भोरे लोक जागल तs ओतs ने कोनो गाछ; ने कोनो गाछक डारि-पात बाँचल। सभ अचंभित; एक दोसरा सs पूछारि करैत जे राता-राती ई सभ की आ कोना भs गेलै?!!
ओ बाहर गामक हरिजन बस्ती मे घर-घर घुमि रहल छल ..... एकरा बाद थानो पर तs जेबाक छै!
-कुमार मनोज कश्यप, सम्प्रति: भारत सरकारक उप-सचिव, संपर्क: सी-11, टावर-4, टाइप-5, किदवई नगर पूर्व (दिल्ली हाट के सामने), नई दिल्ली-110023, # 9810811850, ईमेल : writetokmanoj@gmail.com
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