भीमनाथ झा-संपर्क-7482066855
लोकजीवनपर समेकित आलोक
श्री भ्रमरजीक साहित्यचास बहुफसिला छनि । कोनो खेत एकफसिला होइ छै, कोनो दुफसिला छै जे बड़ उपजाउ ताहिमे तेसरो फसिल सुतरिए जाइ छै । ओहन खेत 'सोनाक टुकड़ी' कहबै छै । मुदा, हिनक खेतमें कोनों एहन फसिल छैके नै भरिसक जे उपजल नहि होइन, उपजैत नहि होइनि । इहो सुनने छिऐ जे केहनो उर्वर भूमि एकनेएक दिन उस्सर भऽ जाइ छै, जखन ओकर नमी सुखा जाइछै । मुदा, हिनक खेतक नमी तँ दिनानुदिन हरिआएले जाइत देखै छियनि । एहन जमीनके की कहबै ? हीराक टुकड़ी, पन्नाक टुकड़ी, मोतीक टुकड़ीजे कहि लियौ, सभ छजतै । तैं ने, बरु उनचासो बसात बहि जाओ, तैयो हिनक चासक पचासो गाछ सभ ऋतुमे लहलहाइते देखै छियनि ।
कविता, कथा, उपन्यास, नाटक, एकांकी, निबन्ध, यात्रा संस्मरण, रिपोर्ताज, शोध, समीक्षा, टिप्पणी, डाइरी आदिआदि, जकर ओरसँ अनवरत चलि रहल छथि, तकर छोर एखन बहुत दूर छनि । बीचक जगहकेँ लगातार भरैत चलबाक छनि । से ई कऽ रहला अछि । हम एकरा मध्यान्तर सैह मानैत छियनि । अपने पूछब कोना ? हम कहब तकर प्रमाण थिक ई पोथी 'मिथिलाक लोकजीवन ः लोकसन्दर्भ' । एते दिन में जतेः ई पढ़ललि अछि, जते ई देखलनि अछि, जते ई सिखलनि अछि, जते ई लिखलनि अछि, तकर झलक तँ लगातार विभिन्न पोथी सभमे देखबैत आबिए रहल छथि । एहि कृतिमे सभटाक निचोड़ आनिकऽ राखि देलनि अछि । अर्थात एहि पोथीकें लेखकक एतबा दिनक कार्यकौशलक 'रिपोर्ट' मानि सकै छी ।
एहि पोथीक रचना सभक लेखनचक्र चारि दशकसँ उपरेक होयबाक चाही । एतावता जाहि जाहि दिशामें जतेक दूर घरि हिनक बौद्धिक प्रवेश भऽ सकलनि अछि, तकर ठोस साक्ष्य तँ अवश्य ई कृति प्रस्तुत करैत अछि ।
एतऽ विवेच्य विषयक संकेत मात्र करबाक प्रयास कयल अछि
विषय साहित्यिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक, प्राकृतिक, शास्त्रीय एवं लोकपक्षीय अछि, जकर विचारक केन्द्रमे नेपालभारतस्थ समस्त मिथिलाक्षेत्रीय भूगोल आबि गेल अछि । लेखकक दृष्टिक व्यापकता तँ विषयक विविधता, निरीक्षणक सूक्ष्मता, सोचक स्पष्टता, अभिव्यक्तिक निर्भीकता एवं तर्कक अकाट्यता ताहीसँ प्रमाणित भऽ जाइत अछि ।
विद्वान लेखक मध्यकालीन गीतक उद्धारक चिन्ता व्यक्त करैत छथि तँ तिरहुतिया गीतक तालपर सेहो झुमैत छथि । एक दिस मिथिलामे पारम्परिक कीर्तनपरम्पराक खोज करैत छथि तँ दोसर दिस शिशुगीतक विभिन्न रूपक दर्शनो करबैत छथि । ऋतुगीतक परम्परामे पावस, होरी आ वसन्तक उल्लास बँटै छथि तँ गंगाक पावनताक रक्षा एवं कमलानदीक सांस्कृतिक महत्तासँ परिचयो करबैत छथि । अपन लोकसंस्कृतिक वैशिष्टय प्रकाशनक क्रममे लोकचित्रकला, लोकनृत्य, (मिथिला आ जटाजटिन) एवं लोकदेवता (सलहेस दीनाभद्री एवं राजा भरथरी) के चरितचर्चा करैत हुनका लोकनिक महत्ता देखबैत छथि । तहिना, धनुषाक मकर, झूलन, जूडशीतल, श्रीपंचमी, परिक्रमा, छठि तथा रामनवमी सन मिथिलाक विशिष्ट पाबनितिहारकेँ सामाजिक समरसताक प्रतीक मानैत छथि । धार्मिक स्थलमे जनकपुर, अहल्यास्थान एवं दुहबी गढ़ीक विशेष उल्लेख भेल अछि । जनकपुरक एक सुविख्यात जानकी मन्दिर (नौलक्खा) के निर्माणसम्बन्धक निस्तुकी प्रमाणक अभाव मानैत ताहि दिस अनुसन्धानक हेतु विभिन्न सरकार आ जनताक ध्यान आकृष्ट करैत छथि । ऐतिहासिक घटनाक क्रममे कनिष्क आ हर्षवर्धन कें मिथिला आ नेपालसँ सम्बन्धकेँ सप्रमाण पुष्ट कयने छथि ।
नेपालमे मोडल विद्यापतिपदावलीक प्रसंग उठाय ताहिपर पाँच गोट अनुसन्धानमूलक निबन्ध लिखने छथि, जाहिमे ओकर खोज एवं तकर व्यापक अध्ययनक आह्वान कयल गेल अछि । हुनक अतिरिक्त लोककवि घाघ, कवीश्वरचन्दा झा, कविचूडामणी मधुप, महाकार्य यात्री एवं लोकगाथा उद्धारक काव्य विमर्श उपयोगी अछि । मैथिली कविता एवं पत्रकारिताक संगहिँ साहित्यमें नारी विमर्शपर फराकसँ विचार कयल गेल अछि । तहिना, एक निबन्धमें भानुभक्तक रामायण आ लालदासक रमेश्वर चरितक तुल्नात्मक अध्ययन महत्वपूर्ण अछि । एकर अतिरिक्त नेपालस्थ मैथिलीक सामाजिक, राजनीतिक, क्षेत्रीय भाषानीतिक संगहिँ शिक्षानीतिक समस्याकेँ प्रमुखताक संग उजागर कयल गेल अछि ।
अन्तमें ईहो कहब जे संवेदनशील साहित्यकार द्वारा प्राकृतिक आपदा भूकम्प आ कोरोनाक त्रासदीकँे साहित्यमें समेटबाक दामित्वके कोना छोड़ल जा सकै छल, जाहिमे सम्पूर्ण मानवता तबाह भऽ गेल !
एतावता विषयवस्तुक संकेतसँ स्पष्ट होइछ जे समीक्षित पोथी सभ वर्गके पाठकक अपेक्षा पूर्ण करबाक योग्यता रखैत अछि । सामान्य पाठककेँ एतबा जनतब प्राप्त करबा लेल सात घाटक पानि पीबऽ पडि़तनि । अनुसान्धेत्सु ओ ज्ञानपिपासु गंभीर अध्येतागणक चिन्तनक हेतु अनेक बिन्दु भेटतनि एवं हुनका लोकनिमें स्वरुचि विषयक आर अधिक जिज्ञासा जगौतनि ।
सभसँ लाभान्वित तँ दुनू पारक 'भ्रमर' प्रेमी पाठक होयता जनिका अपन प्रिय साहित्यकारक अभिनव रूपक दर्शन होयतनि । अनेक देशमे बसल प्रवासी मैथिल समाजक ओ लोकनि, जे सभ अपने मिथिलामैथिलीक गरिमामय अतीत एवं उज्ज्वल वर्तमानक गुणगान तँ सुनैत छथि, किन्तु अपन धरोहरके जानि नहि सकल रहथि, तनिका सभक हेतु तँ ई पोथी मिथि मिथिला डाइरेक्टरी कही सैह थिकनि । हर्ष अछि जे अमेरिकाक मिथिला सेंटर अपन प्रकाशनक श्रीगणेश सर्वथा उपयुक्त पोथीसँ कयलक अछि ।
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