प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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बिजय कुमार मिश्र

रामभरोस कापडि़ 'भ्रमर'जीक संग साक्षत्कार

 

१. राम भरोससं भ्रमर कोना बनलहुं ?

(१) ई गप थिक हाईस्कूलक। जखन मैट्रिकके परीक्षामे फाँर्म  भरबाक समय अएलैक त किछु मित्र कहलनि  जे नाम एहिमे भरबैक ओ स्थायी भऽ जाएत। हम 'भ्रमर' उपनामसं गद्य पद्य लिखैत रही। भेल जं एकरा फाँर्ममे लिखिदेबैक त 'भ्रमर' हमर स्थायी उपनाम भऽ जाएत। आ ताही लौल सं हम एकरा लिखने रही। मुदा हमर प्रधानाध्यापकके ई नहि पचलनि। ओ तकरा कटैत हमरा निक जकां फटकारलनि  सभ चाहता है कि कविए बन जाएं..।

यद्यपि ओत हमर नाम त काटि देल गेल, मुदा हमर मोनमे उठल जे लक्ष रहए से एकटा संकल्प रुपमे रुपान्तरित होइत 'भ्रमर' उपनामक संग रचनाशील रहल। आ आइ हमर संग एहि तरहें जूड़ल अछि जे मैथिली मे जं 'भ्रमर' कही त प्रायः लोक हमरे बुझैत अछि।

२. नाटक,रंगमंच,गीत आदिक राम भरोस  साहित्यसृजनक भ्रमरक कोना बनलहुं ?

(२) हम कहिचुकल छी शुरुएसं 'भ्रमर' लिखैत रहलहुँ। प्रायः तहिया हमरा लागल रहए   'भ्रमर'सं जते राग रंगक बोध होइत छैक ओ हमर काँच मोनपर हावी भऽ गेल छल। तएँ गीत हो, नाटक हो अथवा साहित्यक अन्य विधा..। हम निरन्तर 'भ्रमर' उपनामक संग लिखैत रहलहूँ।

३. सुनल अछि लोक गीत आ अन्य गीतक कैसेट सेहो कयने छी।ओकर परिणाम कहु ?

(३) हम बच्चेसं गीतक प्रति आकर्षित रहलहूँ। हाइस्कूलमे रहैत आठ पन्नाक एकटा गीत संग्रह 'जवानीक दिन' नामसं निकालने छलहूँ। जे रेलवे स्टेशन पर एकटा गायक द्वारा गाओल जाइत छल। बादमे हमर बहुतो गीत प्रसिद्घ भेल। नेपाली फिल्म 'सीता'मे होरी गीत खूब चर्चित अछि। तहिना मैथिली टेलीफिल्म 'एकटा आओर बसन्त' मे दूटा गीत फिल्मांकन भेल जाहिमे 'सखी हे सावनके बुन्न झिसी काफी लोकप्रिय रहल। किछु वर्ष पूर्व 'अरिपन' नामसं ९ गोट गीतक एलबम बहार केलहूँ जे भिडियो एलवम के रुपमे श्रोताबीच पसीन कयल गेल। हमर अपन यूटयुव चैनल अछि   'म्यूजिक' मिथिला' ताहिमे हमर आनो आनो गीत सभ राखल अछि।

्४. अपन साहित्य साधना,कला आ सांस्कृतिक साधनाक दस्ताबेजी शक्ल देबाक आबश्यकता कोना बुझलहुं ?

(४) नेपालमे पुस्तक प्रकाशनक अभाव रहलैक। जहिया हम लिखब शुरु कयने रही  आंगुरपर गन जोग लेखक रहथि। ताहूमे पूर्णकालिक त नहिए। सभ कतौ ने कतौ रोजगारीमे लागल छलाह। हम जं कि ताहिसं मुक्त रही, पूर्णकालिक लेखक रहलहुँ।  आ आइ पचास सं उपर पुस्तक प्रकाशित भऽ सकल अछि आ से विभिन्न विधाके। हमर सदैब मान्यता अछि अपन चिन्तन मननके दस्ताबेजी रुपमे राखि देबाक चाही। पाटकके तकर मूल्यांकन कर देबाक चाही। अपनेसं अपन लेखन वा ब्यक्तित्वके माथ पर चढा क राखब उचित नहि।

५.साहित्य, सिनेमा आ समाजक सरोकारके नकारल नहि जा सकैछ। एहिमे फिल्म निर्माणक भूमिका केहन हयबाक चाही ?

(५) साहित्य सिनेमा आ समाज एक दोस।राक अभिन्न थिक। एक दोसराक विना ककरो मोजर नहि भऽ सकैछ। साहित्य जहिना समाजके सचेत करैत अछि, सिनेमा सेहो सामाजिक सदभाव आ प्रेमके स्थापित करबाक माध्यम होइछ। तखन जत्त साहित्य अपनबाट छोड़बाक गलती करैत अछि, सिनेमा सेहो नीक सन्देश प्रवाहित नहि कऽ पवैत अछि। तएँ फिल्म सोद्येश्य आ सभके संग लऽ चलबाक सामथ्र्य रखनिहार हयबाक चाही आ ताहिमे साहित्य ओकरा अर्थ प्रदान करैत अछि।

६.मिथिलाक लोक अबदानके संरक्षित करबाक लेल फिल्म निर्माणक महत्व कतेक ?

(६) हम पहिने कहल अछि समाजक खूजल चित्रण थिक फिल्म। एत मिथिला आ मैथिल समाजक जीवन पद्घति, ओकर व्यथा कथा, हास परिहास सभक संगोरक संग फिल्म बनत त ओकर महत्ता अपने आप समाजमे स्थापित भऽ जाएत।

७. फिल्म निर्माणक दृष्तिएं पुनौराधाम,जनकपुरधाम आ सीतामण्ी यथेष्ट शूटिंग मानल जाइछ। माता जानकी कहाँ धरि एहि लोकेशनमे जगह पौलनि अछि ?

(७) देखू ई त जानकारीक विषय भेल जे मां जानकीक जन्मस्थली सभक परिवेशमे फिल्म निर्माणक कतेक संभाव्यता छैक आ तकर उपयोग कतेक कयल गेल अछि। ओना फिल्मकार लोकनि एहि लोकेशन पर निरन्तर शूटिंग करैत अएलाह अछि। भले ओकर विषय वस्तु, मां सीताक जीवनपर  आधारित नहि हो। नेपालीमे फिल्म बनल छल   सीता। मुदा ओ जनकपुरक पृष्टभूमि पर नवकथाक संग पैघ बजेटक फिल्म छल। हमर गीत एही फिल्ममे राखल गेल छल। आइ काल्हि जनकपुरधाम जानकीमंदिर लगायतमे एकटा नेपाली फिल्मक शुटिंग एकमास सं भऽ रहल अछि। नाम अछि भागवत गीता। मुदा कथा किछु आरे र्छैक। काल्हिए पुनौराधाम गेल रही। ओत कहल गेल जे एत्त शूटिंग होइत रहैत अछि। कोनो भिडियो अथवा शर्ट फिल्म आदिक। मात्र रामायणकालीन चरित्रके लऽ फिल्म बनल हो   हमरा ज्ञात नहि अछि।

८.नेपालक फिल्म उद्योग आआ काठमाण्डूमे गायक गायिकाक संग गीतक भण्डार अछि। ओहिसं मिथिलांचल कहाँ धरि लाभान्वित भेल अछि ?

(८) नेपालमे नीक फिल्म उद्योग छैक। हं, एकरालेल कोनो फिल्मसीटी नहि भऽ पौलक अछि। तएँ एकर शूटिंग एहिना बौआ बौआ कऽ कयल जायत अछि। ढेरो कलाकार छथि, दर्जनो गीत बनैत अछि। एकसं एक गायक छथि मुम्वई धरिजा कऽ फिल्मक प्रोसेस होइत छैक। भारतीय गायक गायीकासं गीत गबाओल जाइत र्छैक। जं कि उदितनारायणजी नेपालीए छथि तं कही हुनको सं गीत गबाओल जाइत छन्हि। तखन एहि इण्डस्ट्रीजसं मिथिलाञ्चलके की उपलब्धि त गोलमोल शब्दमे कही त शून्य। कोनो स्थान विशेषपर शूटिंग कऽ लेब अथवा कोनो मिथिलाञ्चलक कलाकारके छोट मोट रोल दऽ  उपकृत कऽ देब समग्ररुपें 'लाभान्वित'क श्रेणीमे नहि आनल जा सकैछ। हं तखन एक आधटा फिल्म आएल अछि जरुर जाहिमे मधेशक चरित्रकें आगां लाबि कथाके ओजन देल गेल अछि।

९.आधुनिकताक अनर्गल प्रभाव आ अपसंस्कृतिक परिवेश सिनेमाके दोषी मानेत अछि।एहना स्थितिमे मैथिली फिल्म निर्माण कोना हयबाक चाही ?

(९) आधुनिकताक नामपर जाहि तरहें फिल्मके कथानक आ अहिरन पहिरनकें नवरुप दऽ देल गेल अछि, ओ सर्वथा चित्तनीय विषय अछि। तखन दर्शककें अपना दिश घिचबाक लेल आ बाक्सअफिस पर पाइ असूलके लेल मात्र एकर उपयोग भऽ रहल अछि। एहन धारणा जं बनैत रहत त नीक फिल्मक गुंजायश कम भऽ जाएत। भोजपुरी फिल्मक बढ़ैत डेगक पाछांक कथासं मैथिली फिल्म निर्माता लोकनिकें शिक्षा लेबाक चाही, नक्कल कक नहि, ओहिसं जं कोनो नकारात्मक गन्ध अबैत छैक त बचि कऽ रहबाक लेल। हमरा सभक अपने समाजमे बहुतो एहन विषय अछि। तकर उठान कऽ दर्शक वीच आयल जा सकैत छैक। तकरा लेल व्यवसायिक निर्माता, निर्देकक जरुरति छैक जे मैथिलीमे नहि अछि। किछु बनल, चलबो कयल फेर जे हुसल त सम्हरल नहि।

१०.अपन महत्वाकांक्षी साहित्य आ सांस्कृतिक यात्राक मुख्य मुख्य अंशक बर्णन करी?

(१०) साहित्य आ संस्कृति हमरा सभक प्राण अछि। जाहि परिवेशमे हम काज करैत छी ताहिमे त आर एकर जिम्मेवारी बढि गेल छैक। हमसभ एहि पक्षके आगां लयबाक लेल प्रतिवद्घतापूर्वक लागी।

 जहिया कहियो साहित्य सेवाक अभियान शुरु करने रहि तहिया मात्र अपन साहित्यिक इच्छा पूर्तिक लेल उत्साहित भऽ लागल रही। बादमे जखन हम ई अनुभव कएलहुँ, मैथिली भाषा, साहित्यमे हमरा सन लोकक काज करब कठिन छैक आ संख्या सेहो नगण्य छैक त ई हमर मीशन भऽ गेल। जाति पाति आ वर्ग विभेदक जालमे फसल मैथिलीके सभ वर्ग क्षेत्रक भाषाक रुपमे स्थापित करबाक एकटा लगन हमर महत्वाकांक्षाके आगा बढौलक आ संभवतः तकरे परिणाम स्वरुप हम निरन्तर समाजसं प्राज्ञिक व्यक्तित्व आ संस्थासं सम्मानित होइत रहलहुँ अछि।

    भले हमर अभियान देरीसं मान्यता प्राप्त कैलक आ तकर कारण एकला चलो केर बाध्यता रहल। मुदा जखन स्वीकृत भेलहुँ त तेहने सम्मान आ अबसर अबैत गेल। हमर इएह साहित्यिक आ संस्कृतिक यात्रा हमरा नेपालक बहुत प्रतिष्ठित संस्थान 'साझाप्रकाशन'क पहिल मधेशी अध्यक्ष बनौलक, नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक परिषद् सदस्य बनौलक आ एखन मधेश प्रदेश सरकार द्वारा गठन कएल गेल 'मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठानक अध्यक्षक रुपमे काज करबाक अवसर प्रदान कएल गेल अछि। कहबाक जरुरति नहि, जाहि साहित्यिक आ सांस्कृतिक यात्राके लेल हम निरन्तर निजी स्तर पर लागल रहलहुँ, आव सरकारी स्तर पर ताहूसं नीक ढंगसं, उचित प्रक्रियासं एहि क्षेत्रक लेल काज कऽ सकब।


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