साक्षत्कार- दिनेशचन्द्र गोपाल
मैथिली पत्रकारिता अयनामे अपन अनुहार देखि देखि खुश होएबा लेल करैत छी:बरिष्ठ समहित्यकार,सम्पादक श्री राम भरोस कापड़ि भ्रमर
आबक दिनमे श्री राम भरोस कापड़ि भ्रमर कोनो परिचयके मोहताज नहि छथि। विक्रम सम्वत २००८ सालमे स्व. रामगुलाम कापर आ स्व. दुखनी देबीक सन्तानकरुपमे धनुषा जिल्ला,बघचौरा गाममे जन्म लेने श्री भ्रमरक एखन धरि तीन दर्जन विभिन्न विधाक पुस्तक प्रकाशित छन्हि त जनकपुर एक्सप्रेस दैनिक(नेपाली),गामघर साप्ताहिक(मैथिली) आ आँजुर द्वैमासिक(मैथिली)के प्रधान सम्पादक,प्रकाशकक हैसियतसं संलग्न छथि। नेपालीय मैथिलीमे सशक्त हस्ताक्षरक रुपमे स्थापित श्री भ्रमर सम्पूर्ण मैथिली संसारमे अपन उपस्थितिके मजबूतीक संग राखि चुकल छथि। एखने हिनक दोसरो रुप मैथिली संसार देखलक अछि एकटा सशक्त गीतकारक रुपमे। हिनक अरिपन भिडियो एलबम हालेमे बहार भेल अछि जे काफी चर्चित भ रहल अछि। ई अनेको बिधामे अिखैत छथि मुदा मूलरुपसं ई कवि छथि आ एखन धरि हिनक तीन गोट कविता संग्रह प्रकाशित छन्हि आ चारि गोट कवितासंग्रहक सम्पादन कएने छथि।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार रामभरोस कापड़ि "भ्रमर"सं पत्रकार दिनेशचन्द्र गोपाल क बीच भेल बातचितक सारसंक्षेप एत्त प्रस्तुत अछि।
1. मैथिली पत्रकारिता कहिया सं प्रारम्भ कयल?
-हम २०३० सालमे अर्चना पत्रिकाक प्रकाशन कयल, जे अखिल नेपाल मैथिली साहित्य परिषदक प्रकाशन रहैक आ हम सम्पादक रही। बादमे हमरे प्रकाशन कर पडल जे एक दशकसं उपर धरि जारी रहल।
2. मैथिली पत्रकारिताक चुनौती आ सम्भावना केहन बुझ्ना जाइछ?
-मैथिलीमे पाठकक अभाव छैक। पत्रिका बिकाइत नहि छैक। जे केओ अपन लगानी आ प्रयाससं निकालितो अछि त ओकरा स्तरीय रचना भेटैत नहि छैक। जँ कि पत्रिका के बाजार नहि छैक,ब्यबसायिकरुपें लोक आब नहि चाहैत अछि। परिणामतः मैथिली पत्रिकारिता अबूह भ क रहि गेल छैक। बहुरंगी मिथिलाआबाज सन पत्रिका करोडो टकाक चूना लगा गेल प्रकाशकके,मिथिलाक गढमे ससरि नहि सकल। जहाा धरि सम्भावनाक गप अछि कानो तरहें उल्लासमय नहि।पेट काटि बहार बरैत रहु आ अयनामे अपन मुँह देखि देखि प्रशन्न होइत रहु।
3. मैथिली पत्रकारितामें एतेक रास चुनौती होईतो फेर साहित्यिक पत्रकारिता तरफ कोना आकर्षित भेलौ?
-कहलहु नहि, अयनामे अपन अनुहार देखि देखि खुश होएबा लेल।
4. आँजुर कतेक वर्ष सं प्रकाशित होईत अछि?
-वि.स.२०४५ सऽ शुरु भ दश बर्ष धरि चलल। फेर बन्न भ गेल से पुनः २०७१सं प्रारम्भ भेल अछि आ निरन्तर जारी अछि।
6. पञ्चायतकालमें पत्रपत्रिका प्रकाशन करब त बड दुरुह छलै , अपने कोना डेग आगा बढेलियै?
-ओहि समयमे पत्रिका दर्ता करा क प्रकाशित करब दुरुह जरुर रहै। तखन अर्चनाक प्रकाशन संकलनक रुपमे भेल रहए। आ से विशुद्ध सहित्यिक मात्र। आनो पत्रिकासब आयल रहै,सब मात्र साहित्यिक संकलनक रुपमे। राजतन्त्र आ राजाक विरुद्धमे कानो शब्द नहि आबि सकैक तकर ख्याल कर पडैक। जहाँधरि समाचारपत्रक बात छै त गामघर साप्ताहिकक प्रकाशनमे हमरा बड बड पापड बेल पडल रहए। एकदशकक अथक प्रयासक बाद तत्कालीन सीडियो दामोदर रेग्मीक सहयोगसं २०३८ सालमे एकर प्रकाशन संभब भ सकल। जे आई धरि निरन्तर जारी अछि आ मैथिलीक माइल स्टोन पत्रिका मिथिलामिहिरक बाद सबसं बेसी समय धरि नियमित चलबला पत्रिका बनि सकल अछि।
7. सरकारी प्रताडना, वा त्रासक कोनो अनुभव।
-प्रताडानाक त तेहन कानो अनुभव नहि, मुदा त्रास त निरन्तर बनल रहैत छल।
8. महाकवि विद्यापति नेपाल प्रवास सम्बन्धमे अपनेक धारणा की थिक?
-कोनो नव नहि। राजा शिवसिहक संकटकालमे महाकवि विद्यापति रानी लखिमाके सुरक्षार्थ नेपालक राजापुरामित्यक ओहिठाम ल अनलखिन्ह जे बारह बर्ष धरि रहलाह। एहि अबधिमे श्रीमद्भागवतक लिप्याँतर,लिखनावलीक रचना आ कतेको सुप्रसिद्ध गीतसभक प्रणयन कएलनि जे आइ इतिहासमे हुनक प्रमाणिक रचना मानल जाइत अछि। साँच कही त सम्पूर्ण मैथिली साहित्यके नेपालक ई पैध योगदान छैक।
9. नेपालमें मैथिली पत्रकारिता आ साहित्यिक अवस्था केहन बुझना जाईछ?
-पत्रकारिताक त कहिए देलहु,तखन साहित्यक बात करी त ई पूर्णरुपेंण जगजियार भ रहल अछि। लोकमे कानो तरहें साहित्य लेखन मात्र नहि तकरा प्रकाशनक जोश उत्पन्न भ रहलैक अछि ,एहिसं आनक भरोसे फौजदारी खेलएबाक परम्पराक अन्त होइत देखि पडि रहल छैक।
10 अपने नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठँनक प्राज्ञ परिषदमें छलौह, प्रतिष्ठानमें मैथिलीक दिशा दशा केहन अछि?
-हम अपन अबधि भरि जे किछु भ सकल कएल, यद्यपि प्रज्ञामे मैथिलीक कोनो अलगसं बजेट नहि छैक। एहनो स्थितिमे लगभग आधा दर्जन मैथिली पुस्तकक प्रकाशन आ तहिना एक दर्जन जतेक मैथिलीक बिभिन्न विधापर संगोष्ठीक आयोजन कएलहुँ। हमरा छोडला आठूवर्षसं उपर भ गेलै, एक्कोटा कोनो कार्यक्रमक सूचना नहि अछि। हमरा प्रज्ञामे रहब किछु गोटेके बोझ भ गेल रहनि। तखन एहनो अबस्थामे हुनका सभक आश्चर्यजनक चुप्पी रहस्यमय अछि।
11. राष्ट्रिय स्तर पर प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्धारा प्रकाशित आँगन मैथिली पत्रिकाक अवस्था की अछि?
-जखन हम प्रज्ञसभामे गेल रही तहिए एकर प्रकाशन करबौने रही आ हमर कार्यकालमे अनेको एतिहासिक महत्वक बिशेषाँकक प्रकाशन भेल रहैक। एम्हरो प्रकाशित होइत रहल अछि।
12 मैथिली पाठय पुस्तकक अध्ययन विद्यालयमुखी किएकनै भ रहल अछि?
-ई त पाठ्यक्रम विकास केन्द्रके पुछबाक चाही। माल जँ गुणस्तरीय छैक त बाजार त पएबाक चाही। से कोनो विद्यालय एकरा स्वीकार नहि क पाबि रहल अछि आने विद्यार्थीएके एखनका पुस्तकमे रुचि छैक। मैथिली भाषाक प्रचार प्रसार एहिसं रुकल अछि, मुदा ककरो लेल धनसन।
13. अपनेक जीवनक कोनो अविस्मरणीय पल।
-हँ, २०५२ सालमे जखन पहिल मायादेवी प्रज्ञा पुरस्कार हमरा भेटल छल। एहि दुआरे नहि जे ओकर उनतीस वर्षपूर्वक राशि पचास हजार टकाक रहै। ओ एहि दुआरे जे मैथिलीमे आई काल्हि जेना गुट बना पुरस्कार बँटबाक परम्परा विकसित भ रहल अछि , से एहिसं भिन्न सर्बथा अप्रत्याशित ओ घोषणा एखनो रोमाँचित क दैछ।
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