प्रणव कुमार झा
नब युग छै
फेक न्यूज़ के चलती छै, नब युग छै
असल ख़बर आब गलती छै, नब युग छै।
हिंन्नू -मियाँ खूब चलय छै, नब युग छै।
आर्थिक मुद्दा आह भरय छै, नब युग छै।
की एंकर, की नेता, की धर्मsक व्यापारी
अमृतकाल में विष उगलय छै, नव युग छै।
मूर्खता केर गाल बजय सभटा डिबेट में
समझदारी के कंठ सुखय छै, नव युग छै।
नीक शिक्षा के मुद्दा गेल आब कोठी कान्ह पर
सदिखन मोबाईल पर रील चलय छै, नब युग छै।
महंगाई के डाइन कहब पुरान गप्प भेल
महंगाई आब सास कहबय छै, नव युग छै।
बेरोजगार भs क दिन भरि टंडैली करता
तै पर से बकवास करय छै, नव युग छै।
भरल जवानी जे अंकिल सब देह चोरौला
व्हाट्सप्प पर दुष्प्रचार करय छै, नब युग छै
की नेता अपराधी आ की भ्रष्टाचारी
वशिंग मशीन में सब धुलई छै, नब युग छै।
कियौ करय उपवास आंदोलन परवाह की
मिडिया नंगटे नाच करय छै, नब युग छै।
देश में कोनो अनाचार होय कान किए दी
सेलिब्रेटी सब मुँह सीने छै, नब युग छै।
एंकर बैसल कोरा में सब बेरा बेरी
नै कोनो सवाल करय छै, नव युग छै।
लागल छैथ सब करय में बस चरण वंदना
चाटब सब दरबार करय छै, नव युग छै।
नेने छलाह भार कान्ह पर ज्ञान - योग के
से झूठsक व्यापार करय छै, नव युग छै।
खेल देखाबय छै सब के दिन राति मदारी
बताह सगरो देश बनल छै, नव युग छै।
सोशल मिडिया पर पसरल छै गारि-गरौअल
सभ्य आचरण झाम गुड़ई छै, नव युग छै।
भीड़तंत्र छै भारी सबपर तानाशही
लोकतंत्र आब आह भरय छै, नब युग छै।
उदारवाद आ लोकतंत्र के चेहरा एखनो
पुरान गली में खूब लिखय छै, नब युग छै।
- प्रणव कुमार झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड नई दिल्ली
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