मुन्ना जी
बीहनि कथाकें विवादक नै संवादक खगता छै
उस्सर भूमि आ बांझ स्त्री कें लोक उपेक्षित बूझैए।आ बांझ पुरूष ? पते
नै।सांच त' छै जे ओ दुनू बेकसूर ऐछ।कसरि छै ओहोन लोकक दृष्टि आ ज्ञान मे जे
ओकरा हीन दृष्टिएं देखैए। बेसी खन बस्तुक खोंट होइ सं बेसी दुसबाक प्रवृति
दोषी होइछ।आ कखनो काल ओहोन विचार हीनक मगजक सुन्नपना सेहो।कखनो अहंकार त'
कखनो स्वार्थ मे अन्हरएल।
मैथिली साहित्यक अदौ सं अपन कोनो विधा नै रहै ।प्रयासो नै कएल गेल
रहै।प्रारम्भ सं बीसम सदीक नवम दशक धरि आयात,नकल,उधार- पैंच सं काज चलैत
रहलै।आइयो एकैसम सदी मे बीहनि कथाकें अतिरिक्त सब विधा नकल वा आयातित
छै।भारतीय कथा साहित्यक विधाक आधार अंग्रेजी साहित्य छै।ओना ओहो बांग्ला
साहित्य माध्यम सं मैथिली मे पैसल।अंग्रेजी कथा साहित्यक शुरुआत उपन्यास
लेखन सं भेल ।कालान्तरे खगतावश शॉर्ट स्टोरी एलै।इएह भारतीय भाषा साहित्य
मे कहानी ,गल्प,कथा नाम सं लिखाइत रहलै।इएह कथा फरिछा मैथिली मे स्वतंत्र
विधाक रूपमे स्थापित भेलै।पांचम- छठम दशक मे हिन्दी मे कहानी सं आओर छोट
रचनाक खगता बूझैलै।त' ओ सब मिनी कहानी पछाइत लघु कहानी लिखैत......लघुकथा
पर स्थिर भ' सकल।
मैथिली बलाकें अपन कोनो उहि नै।ओ ओकर नकल केनाइ शुरू कएलनि।नीक चीजक अनुकरण
बेजए नै मुदा अंधानुकरण अनसोहांत ,ज्ञान हीन आ खतरनाक सन। मैथिलीक तत्कालीन
स्वघोषित विद्वान रचनाकार सब नकल त' केलनि मुदा विधागत ओहो शार्ट स्टोरी
रहल।यानी कथाक कायान्तरण आ नामान्तरण मात्र।
बीसम सदीक अंतिम दशक मे विश्व कथा साहित्य पुन: हल चल मचौलक।आ आब खगतावश
150,100 आ 50 शब्दक कथा लिखवाक प्रयास भेलै ।मैथिली साहित्यक तत्कालीन युवा
रचनाकार मैथिली मे सेहो एहेन रचना विधा कें खगता अकानलनि।1988 मे मोन मे
आयल अवधारणा 1991 मे प्रस्फुटित आ 1995 मे सर्वसम्मति सं बीहनि कथा नामक नव
मुदा मैथिलीक अपन स्वतंत्र विधाक सूत्रपात भैल।जकरा 20 शब्द सं 100 शब्दमे
लिखबाक प्रावधान भैल।ऐ मे बीहनि कथाक कथा तत्व ( आरम्भ,आरोह आ चरम)क
अनिवार्यता हो।इ कोनो निबंध, संस्मराणादि नै हो।एकर अंत निष्कर्ष सं नै
हो।निष्कर्ष पाठक पर ।यानी open ended.
1995 मे जहन मैथिली मे बीहनि कथा विधाक पदार्पण भेलै तहन कथा विधा स्थापित
भ' चुकल रहै।तहन मैथिली कथा साहित्य मे अंग्रेजी विधागत लघुकथा (short
story) आ तकर आगू बीहनि कथा विधा (Seed Story)।ओइ बीच कोनो जग्गह बांचल नै
रहै।ओना ओ देखाउंस वा नकल सं किछु छिटफुट रचना कथाक कायान्तरण आ नामान्तरण
क' लघुकथा नामे आयल छलै।
1995 सं मैथिली मे बीहनि कथा लिखब प्रारम्भ भेल ।तहन तीन मास पर आयोजित कथा
गोष्ठी मे बीहनि कथा पाठ होमय लागल।आ ओ क्रम जारी रहल।पछाति पत्र- पत्रिका
मे बीहनि कथा पठाओल जाय त' संपादक सब नाम बदलि छपबाक कुत्सित प्रयास
करथि।2003 मे जीवटता देखौलनि गाम- घर साप्ताहिकक संपादक श्री रामभरोस
कापड़ि भ्रमर।ऐ मे श्री राजक " वात्सल्य " बीहनि कथाकें बीहनि कथा नाम सं
प्रकाशित क' ।तकर पछातियो संपादक सब विधान्तरण क' छपबाक अनसोहांत काज करैत
रहला।
विदेह इ पाक्षिक संपादक- गजेन्द्र ठाकुर, अपन 62म अंक,अगस्त 2010मे मुन्ना
जीक बीहनि कथा ' निपुतराहा ' छपलक।तखन लेखकक भीड़ मे चाल चुल शुरू
भेलै।अक्तूबर 2010 अंक-68 विदेहक बीहनि कथा विशेषांक ( अतिथि संपादक -
मुन्ना जी) बहराइते मैथिली साहित्य जगत मे भू चाल आबि गेल।तकर बाद ऐ पर खोद
वेद शुरू भेल।आब ध्यान पड़लनि कथाक छेंट लघुकथा, ओइ सं शुरू भेल एकर तुलना।
हुनका सबहक अबोधपन आ हास्यास्पद जे अंग्रेजीक Miniature परिवारक सदस्य
बीहनि कथा ( seed story) आ कथा,लघुकथा, गल्प, कहानी।सब short story परिवारक
सदस्य ।क संग तुलना किए ? तुलना त' एक परिवारक सदस्य वा समकक्ष मे
होइत।बीहनि कथा सन सशक्त आ स्वतंत्र विधा कें अस्तित्व हीन आ मुंह दुब्बर
सं तुलना।हास्यास्पद ।आब इ क्रम बढ़ैत रहलै। पटना सं प्रकाशित घर- बाहर
,अप्रैल- जुन-2012मे आयल आलेख- बीहनि कथा संसार ।आब यथावत चलैत रहल।ओकर
पछाति सोशल मीडिया जहन सक्रिय भेलै तहन ऐ पर ओलवा दोलवा,उकटा पैंची।आ एकरा
निरस्त करवाक फतवा संग समृद्ध भेल इ विधा।प्रति रोधक अग्नि रूप देखल गेल
5जनवरी 2019 कें मैथिली - भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा आयोजित बीहनि कथा
गोष्ठी पर।किछु गैर साहित्यकार अपन आकाक इशारा पर धरना- प्रदर्शन आ आत्मदाह
पर उतरि गेलाह।हमरा सबकें हंसी लागय जे जं साहित्य सं कनिको सरोकार रहितनि
त' एहेन विभत्स काज नहिए सोचितथि।ओना नौटंकी बला लोक त' नौटंकीये करत।
एवं प्रकारैं बीहनि कथा सीढ़ी दर सीढ़ी बढ़ैत सब किछु फरिछा अन्हार सं इजोत
मे आयल।एक पेड़िया सं उच्च पथ पर आबि मोकाम दिस बढ़ैत मैथिलीक एक मात्र अपन
स्वतंत्र विधाक रूपमे स्थापित भेल।आब विवाद केनिहार सब थस लेलनि।
विवादक समय ओरा गेलै।आब आवश्यक छैक रचनाकारक पाठकक बीच संवादक।जाहि सं
ऐ विधाक सब कमी,कमजोरी रेखांकित क' आओर पुष्ट बनाओल जा सकय। एकर शुरूआत
11अगस्त 2024 कें OPC-6,WR Lane,निकट इंडिया गेट पर आयोजित विमर्श सह बीहनि
कथा पाठ सं भेल ।जाहि मे एकर विभिन्न पक्षक कमी कें सोझां राखि ओइ पर विचार
भेल। सबसं प्रमुख विन्दु छल जे एकर तय मापदण्ड सं बाहर जा किछु रचनाकार
स्टीकर बीहनि कथाक लगा दै छथिन।मापदण्डक पालन महत्वपूर्ण आ रचनाकारक पहिल
कर्तव्य ।पर जोर देल गेल। आ आगुओ ऐ बात पर ध्यानाकर्षित करैत रहबाक खगता
जानि साकांक्ष रहबा पर बल देल गेल।इ निश्तुकी मानू जे जखने कोनो काज दशगरदा
हेतै त' ओहि काजकें छिड़िएब स्वाभाविक।
आब जन जनक मगज आ ठोड़ पर बैसल ऐ विधाकें ओकर तय मापदण्ड पर नियंत्रित राखि
आगू बढ़ैत जायब समवेत जिम्मेवारी ऐछ।सब मिलि संवादहीनताकें दूर क' संवाद
स्थापित करैत एकटा श्रेष्ठ आ लोकप्रिय विधाक रूपमे सर्वोपरि स्थान पर ल'
जाइ।आ वैश्विक स्तर पर मैथिली कथा विधाक बांझपनकें दूर क' उस्सर जमीन मे
आयल हरियरीकें बनौने रही।
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।