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सुभाष
कुमार कामत
३ टा बीहनि कथा
१
चॉकलेट
- आई दू कप मीठगर चाह बनाऊ
- अहाँके तऽ डागदर मीठ से परहेज़ करै लेल कहनै छथि
- तें न आई टा कहि छी
- किया आई किछ विशेष अछि की?
- रेडियो पर नै सुनलिए जे "आई चॉकलेट डे छियै" ।आब दाँत त अछि नै ।कम सँ कम संग बैठ मीठगर चाहो तऽ पीबी।
२
नून
- हे यै ! काल्हि सँ तिमन मे नून कनि कमे डालब
- किया "तिमन बेसी नूनगर भऽ गेल की'
- तिमन तँ निमन्न अछि
- तखन 'डागदर कहलैथ कि नून कम खाई लऽ'
- नै यै
- तखन किया कहै छिए "नून" कम
- हम अहाँ तऽ किसान छी। अपना सभकेँ दर्दक केय बूझत। "अखन बाजार मे हमर अहाँक फसल सँ बेसी महंग नून बिक रहल छै" ।
३
ऑनलाईन
- हे ये! कनिया
- हँ माँ, कि कहै छथिन
- हमर पोती 'नव कनिया बैनि दोसर घर जा रहल अछि' ओतह केना रहत, कखैन खैति कखैन न?
- से तऽ माँ ठीके कहै छथिन
- एकटा काज करूँ न, मकई के लावा, मुरही, सतूआ बुच्चीक अलग सँ द दियो
- मैया अहूँ न। आब ओ समय नै रहल जे आहाँ सोचे छिए। जे मोन करि से खाऊ, आब सब किछु बनल - बनैल आॅनलाईन भेटैंत अछि।
-सुभाष कुमार कामत
घोघरडीहा, मधुबनी
8271282752
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