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डा० राम भरोस कापड़ी "भ्रमर" : एक व्यक्तित्व
स्वनामधन्य ७१ वर्षीय बघचौरा गाम निवासी श्री रामभरोस कापड़ी एक व्यक्तियेटा नहिँ अपने आपमे एक संस्था सन लोक छथि। ई बहुआयामी प्रतिभा'क धनी साहित्यकार छथि। हिनक जन्म २००८ संवत् ,साउन मास तदनुसार ५ मई १९५१ केँ नेपाल देशक धनुषा जिला केर गाउं पालिका वार्ड -४ बघचौरा नामक गाममे भेल छन्हि। वर्तमान मेँ ई रहय छथि उप नगरपालिका वार्ड १ शिवपथ जनकपुरधाममे,जतय ओ पाँच दशक सँ अहर्निश मैथिली साहित्य लेल सेवा करैत अयलाह अछि। हिनक दादा मिठू लाल पेसर मनोरथी क' पुत्री दाया रहनि आ पुत्र राम गुलाम व पुत्रवधू दुखनी देवी केँ दू पुत्र क्रमश: सुकुमार आ रामभरोस एवं एक पुत्री सोनावती भेलनि। रामभरोस कापड़ी जीक किशोर अवस्था मे धनुषा जिलाक भगवानपट्टी गामक दलतीया देवी केँ संग विवाह भेलनि,जाहि सँ तीन पुत्र क्रमशः राम नारायण कापड़ी- जनकपुर एक्सप्रेस क'सम्पादक आ राजनीति सँ सम्बन्ध , प्रदीप कापड़ी - नेपाल खाद्य संस्थान मेँ कार्यरत आ संदीप कापड़ी - उच्च कोटिक कम्प्यूटर ग्राफिक एक्सपर्ट , एवं दू विवाहित बेटी प्रमिला छन्हि। कापड़ी जीक साहित्यिक नाम 'भ्रमर ' शव्द चर्चित छन्हि। बालपनमे हिनक शिक्षा - दीक्षा गामेक एक गिरहस्त कन्हाई साहूक दलान पर मधुकरही निवासी गणेश लाल कर्ण जीक चटिसारमे शूरू भेलनि। हिनका ५०बिगहा जमीन जत्था आ जनकपुर टीशनक उत्तरवारि कात पक्का मकान रहनि, ततहि रहिकय सरस्वती हाई स्कूल सँ मैटरिक पास कयलाह। ओ त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू के अन्तर्गत रामस्वरूप रामसागर बहुमुखी क्याम्पस सँ मैथिली विषय(पहिल बैच) मेँ एम ए,पी एच डि० (मानद) धरि कयने छथि। नेपालक मधेशक सरकार अपना प्रदेशमे मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठान'क गठन कय लम्वित ऐ योजनाके मंत्री परिषद सँ मंजूरी दैत हिनका संचालन समिति केर अध्यक्ष बनौलक हन्। साहित्य क्षेत्रमे हिनक ५०म् कृति मिथिला'क लोकजीवन; लोक संदर्भक किछ मास पूर्व जनकपुर धाममे विमोचन भेल छल। एहि सँ पूर्वहि ओ नेपाल सरकारक नियुक्तिमे साझा प्रकाशन अध्यक्ष आ नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक परिषद् सदस्य भ' चुकल छथि।
भाषा समृध्दि लेल भ्रमरजी ओतुका मुख्यमंत्री लालबाबू राउत जीके ज्ञांपन दैत एक समय बुझौने रहथिन - स्थानीय किछु संघ , संस्था के उठल माँगपर सहानुभूति पूर्वक विचार कयल जाय। आब मधेश सरकार अपन प्रदेशमे मातृभाषा उत्थानक लेल एतुका संस्कृति, कला, नाट्य, संगीत, पुरातत्व अधिक उत्थान हेतु काज आरंभ केलक। एहि विभाग क' विकासमे लागल, हेरायल , नुकाएल प्रतिभा सबके खोजिकय तकर संरक्षण , सम्बर्धनक संगहि ,सम्मान आ पुरस्कारक व्यवस्था ई प्रतिष्ठान करबे करत , पुस्तकाकार प्रकाशन सेहो । पूर्वमे रामभरोस जीकेँ नेपाल विद्या मैथिली भाषा साहित्य पारोतोषिक सेहो भेटल छन्हि। हिनका नामे आरो अनेक पुरस्कार भेटल छन्हि।
नेपाली आदि कवि बसकट्टा भानुक प्रथम कविता सँ प्रेरणा पाबि ओ बन्न कोठरी औनाईत धुआँ रचलनि। नेपाल' क पहिल 'क' श्रेणिक मैथिली भाषा मेँ "आंजुर - पत्रिका" केर विगत ३२ शाल सँ सम्पादन करैत आबि रहलाह अछि। जेबकट्टा गिरहकट्टा गरदनिकट्टा'क इतिहास कोना लिखू हम , श्रद्धांजलि रूपेँ - आजुक संदर्भमे भानुकेँ प्रति हिनक श्रद्धांजलि कविता पढैत पाठक निमग्न भ' जाईत छैक। हिनक दीर्घ कविता 'नहिँ आब नहिं ' पाठ्य करय योग्य पाठकके बुझाई छन्हि।कथा विधामे हिनक - तोरा संग जेबौ रे कुजबा केँ मैथिली अकादमी- पटना सँ १९८४ मेँ पुरस्कृत कयल गेल रहनि।गजल संग्रह- मोमक पघलैत अधर-१९८३,गीत गज़ल संग्रह अपन अनचिन्हार- कविता संग्रह १९९०,रानी चन्द्रवती ,नाटक - एकटा और बसंत , महिषासुर मुरादाबाद,अन्ततः कथा संग्रह, मैथिली संस्कृति बीच, रमाउंदा- सांस्कृतिक निवंध संग्रह नेपाली मेँ आ हिनक " नहिं आब नहिं" केर मैथिली अनुवाद भयो अब भयो, मनु ब्राजाकी द्वारा कयल गेलनि अछि। कविता - बिसरल - बिसरलसन, जनकपुर लोक चित्र ( मिथिला पेंटिंग),लोक नाट्य : जट जटिन (अनुसंधान) छन्हि। हिनक सम्पादन कयल - मैथिली पद्य संग्रह,लाबाक धान कविता संग्रह-माथुरजीक " त्रिशुली" खंडकाव्य, मैथिली पत्रकारिता, मैथिली लोकनृत्य: भाव भंगिमा एवं स्वरूप - आलेख संग्रह बहुचर्चित भेल रहनि। हिनक प्रमुख पोथी :- युद्ध भुमिक एसगर योध्दा, हुगली उपर बहैत गंगा, डॉ ० प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' आ नवारम्भ प्रकाशन सँ बहराएल ' एन्टीवायरस पोथी , सुली पर ईजोत प्रकाशित छन्हि। मैथिल लोक-संस्कृति विविध आयाम- ने.प्र.प्र. आ मिथिलाक सपुत : राजा सलहेस - दीनाभद्री,अहाँ जे कहलहुँ,अन्हरियाक चान,लोक नायक सलहेस (द्वितीय खण्ड),समयको अन्तराल पहुचाउँदै, सीमा के आर- पार,चीन- जे हम देखल( यात्रा संस्मरण) केर जोरा नँय छैक।
हम सब मैथिली भाषी लोक राम भरोस कापड़ी भ्रमर जीके गीति रचना भिडियों एलबंम निम्नलिखित सुनि कीर्त कृत्य होइत छी। यथा -:
१. अहाँ आबि की छनकय हमर कंगना
२. आउ,आउ,आउ दिल खोलिकऽ आउ
३. प्रिय प्राणनाथ सादर प्रणाम यौ
४. मचल आई होरी हो
५. मनके भीतर दर्द भरल अछि
६. बहमुआ हो , करि दैहो नैहर केँ विदाई
७. रूनझुन रुनझुन बाजे पैजनिया हो
८. पाबिने हमई जोरिया
९. राखी केँ बन्धनमे भैया ...
राम भरोस कापड़ी पिछरल समाज मेँ शिर्ष साहित्य सेवी छथि। कोनू नौकड़ी स्कूल- कालेजमे नहिं केलनि। हिनक रचना संसार बोडरके दूनू पार खुब धूम मचेने छैक आ व्यापक समृध्दिक आचरण ग्रहण कयने छैक। कोनू पुस्तकालयमे एकठाम अध्येताके पढबाक हिनका मादे मातृभाषा अनुराग जानि सकबाक खगौट तँ अछिये।सवासय पोथीक सँख्याँ पुरना से हार्दिक शुभकामना