डा.रामदयाल राकेश
पुस्तक जे हम पढल-एन्टी भाइरसक कथात्मक संसार
राम भरोस कापडि 'भ्रमर' मैथिली साहित्य आ संस्कृतिके क्षेत्रमे परिचयके मुहताज नहि छथि। ओ एकसाथ कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार, कवि, संस्कृतिविद आ यात्रा संस्मरण लिखनिहार छथि। एक शब्दमे कहल जाए त ओ बहुमुखी प्रतिभाक धनी साहित्यकारके रुपमें, सुपरिचित व्यक्तित्व छथि। समीक्ष्य कथा संग्रह, एन्टीभाइरसमे संग्रहित किछु कथासभ स्तरीय, पढनीय आ संग्रहनीय भऽ सकैत छैक तेकर विस्तृत व्याख्या, विश्लेषण, चर्चा परिचर्चा बहुतो अर्थमे समय सापेक्ष, सान्दर्भिक आ समसमायिक संसारके विभिन्न परिस्थिति एवं दृष्टिकोणसँ कएल जा सकैत छैक। मुदा संस्पेन्स यहाँ एकर बैशिष्टयके उद्धारित करवाक प्रयास कऽ रहल छी।
भ्रमरक कथा सभ अपन समय आ समाजके अर्थपूर्ण आख्यान कहल जा सकैत अछि। वास्तवमे हुनक दृष्टिबोध अत्यंत व्यापक अछि आओर कथात्मक संसारक आयाम सेहो विस्तृत एवं वैशिष्टपूर्ण छैक। एक ओर किछु कथा महानगरीय जीवनक ऐना कहल जा सकैत छैक त दोसर दिश ग्रामीण जीवनक या जनपदीयक जीवनक जीवंत दस्तावेज। मिथिलाञ्चलक जनजीवनक विविधरंग, विविध पक्ष, विभिन्न आयामक उदधाटन करबामे हुनका महारत हासिल भेल छन्हि। समीक्ष्य कथासंग्रहक सभ कथा रेखांकित कर योग्य छैक आ कथा शिल्पक दृष्टिकोणसँ बेजोड कहल जा सकैत अछि।
कथासंग्रहक किछु कथाक परिवेश आ पृष्ठभूमि मिथिलांचलक माइट पाइनसँ सम्बन्धित छैक आ मिथिलांचलक सामाजिक संरचनामे जे अभूतपूर्व परिवर्तन दिनानुदिन राखल जाइत छैक तकर सटीक आ सांदर्भिक संकेत एवं सूचना पाठक सभके दऽ सकैत छैक। कथाकार मनोयोगपूर्वक एवं महत्वसँ कथाक शिल्य (ड्राफ्ट) तैयार करबामे निपुण देखि पड़ैत छथि।
भायरससं युक्त संसारमे भ्रमर एण्टी भाइरसयुक्त कथा लिखवाक साहस जुरा सकैत छथि मगर परिवेश एवं पृष्ठभूमि त जनकपुरसँ काठमाण्डूधरिक जीवनके चित्रणमे लगनशील भऽ जनकपुरमे रमाएके लालसो व्यक्र कऽ रहल छथि। हुनको पत्नीके काठमाण्डूक वातावरणमे कोनोरस नै भेटइत छैक तखन ओ काठमाण्डू जयबाकप्रति हुनका कोनो चाव नहि देखल जाइत छैक। दाम्पत्य जीवनमे कोनो भाइरसके प्रवेश नहि होय एकर खूब ध्यान रखैत छथि ताहिलेल अपने परिश्रम पर हुनक ध्यान बेशी रहैत छैक। दु घंटाके बदले चार घंटा खाना पकाबेमे लागि जाओ कोनो बात नहि मगर घरक भायरसके भयसे ओ परेशान भऽ जाइत छथि। यी भाइरस कि छैक त कोनो दोसर जनानी के खाना पकएवाकलेल नहि राखि सकैत छैक। यी भाइरस वास्तविक भाइरससँ भयानक लगैत छन्हि।
आइसीयू कथामे दरभंगाके अस्पतालक अनुभव आ बारेमेके बेचैनीक बेबाक चित्रण भेटैत छैक। अपन बेमार भाईके पीडासँ पीडित कथाकारके अनुभूति कत्तेक दरद पैदा करैत छैक देखू ! जीवन आ मृत्युक बीच संघर्ष करैत हमर भैया, हमर अभिभावक...। हमरा लेल आब असहनीय भेल जा रहल अछि।
'अमृत पान' कथामे कथाकार मधेश आन्दोलनके दौरान पावनि तिहारक सनेस समयपर नहि पठा सकल घर परिवार आ धार्मिक चित्रमे सफल देखना जाइत छथि। दोसर दिश तिलवा चूड़ा कतेक सुअदगर लगैत छैक जे अमृत पानसँ कम नहि छैक। दोकान पर चाहकप देवबाला मरद एकरा सवारमे चाहके चुस्की सदाके लेल विसर जाइत छैक। कथाकारके सांस्कृतिक संचेतना कतेक धनीभूत छैक तकरे स्पष्ट चित्रण करबामे सफल छथि।
क्था द्वितीय क्षेणीक एकटा डिब्बामे यात्रा करवाक आनन्दानुभूति आ यौनिक आकर्षणके आनन्दके वर्णनमे कथाक कथावस्तु सफल छैक।
'क्वार्टर नं. एफ तीन' कथामे धऽ क्वार्टर कोशी प्रोजेक्टमे काजकएनिहार सभक हेतु बनाओल क्वार्टर छैक। यही क्वार्टरके पुरान या नव अनुभव वर्णन त छैहे आत्मीय सम्मानके संभावनाके तलाशमे मानवीय संवेदनाके बटोरबामे कथाकार सफल देखना जाइत छथि। पराकंपन शीर्षक कथा १९९२ सालके महाभुकम्पके पराकंपनके पृष्ठभूमिमे लिखल गेल छैक। नव घरके निर्माणके परिक्षण आ यही घरमे वासके खुशी कतेको बेरक पराकम्पनसँ परिवर्तित नहि भऽ सकैत छैक। यी कथामे सेहो कथाकार मानवीय संवेदनाके स्रोत तयारीमे बहुत राश सभक खरच कएने छथि आ भौतिक सुख प्रतिमे प्रसन्नताके वर्णन। परिवर्तन शीर्षक कथामे दाम्पत्य जीवनके द्वन्द चित्रण कएल गेल छैक आ यी द्वन्दके वर्णनमे कथाकार द्विविधा ग्रस्त मन स्थितिके वर्णनमे सेहो सफल। यी कथाके कथावस्तुके कथानकमे मैथिली आ हिन्दीके पुट रडक कथाउपर स्वाभाविकताके निर्वाह कएने छथि।
मुनिया टी स्टल मिथिलाञ्चलके जीवनमे प्रायः धटित होमवाला कथानकके कथाउपर अपना प्रतिभासँ प्रकट करबाक लेल प्रयासशील देखना जाइत छथि। गामघरमे कोनो चाहक दोकानमे एहन घटना प्रायः घटित होइत रहैत छैके। दोकानपर यदि कोनो सुन्नरी छैक त ओकर दोकान खुब चलैत छैक ओहि दोकानपर खूब भीड रहैत छैक आ किसम किसिमके गहँकी अनाई स्वभाविक छैक। कतेक गँहकी सभ चाहक लाथे आ लाभसँ बेसी रमौलवालीके रुपरंग आ हावभाव पर भमरा जकाँ रस चुसक लेल ललाहित रहैत छैक। एकदिन ओ सुन्नरि अपन पति बला बच्चा सभके छोडि क एकटा छौडा रामधनक साथे भागि गेलै। यी गामघरके लेल सभसँ बेसी चर्चित धटना भऽ गेलै जे सर्व स्वभाविक छैक।
समीक्ष्य संग्रहके मास्टर पिस कथा छैक अन्नधन लक्ष्मी। यी कथा मधेशके धरातलीय यर्थाथके चित्रणमे सफल छैक। एकरा युवक आ युवतीके मन स्थिति आ मनोविज्ञानके चित्रणमे बेजोड छैक। एकरा परित्यका युवती जे प्यारके फंदामे पडि़े गर्भवती भऽ जाइत छैक आ ओकरा ओकरे अफिसके आदमी धोखा दऽ दैत छैक। एहिमे ओकर बेदनाके बड़ सटिक ढंगसं व्यक्त कएलगेल छैक। यी युवती एकटा पुरुषसे पताडि़त आ दोसर महिलासँ विक्षिप्त।ँ ऐह कथाके मुख्य उदेश्य छैक। रेमीटान्स आर्थिक उन्नति त व्यक्तिके जीवनमे आनि दैत छैक मगर सामाजिक संरचनाके भत्ताभंूगं कऽ दैत छैक।
मगर यी कथाके सुखान्त बनाबक कला कथाकारक विशेषता मानल जाए सकैत अछि। सम्पूर्ण कथा बेदनासँ भरल छैक मगर एकर अन्त सुखान्त पक्षके सराहनीय दंग कथाकारके कलाकारिताके विशेषता छैक।
गंगा प्रसादक स्वायतता शीर्षकमे सुगाक मार्फत गणतंत्र व्यवस्थापर व्यंग्यक वाण प्रहार प्रशंसनीय कहल जा सकैत छैक।
'प्रतीक्षामे' कथा ग्रामीण जिन्दगी आ शहरी जीवनके बीचके अन्र्तद्वन्दक चित्रण करबामे सफल मानल जा सकैत छैक। दू संस्कृति आ भाषाके कारणेें जिन्दगी द्वन्दमे फस जाइत छैक आ सच्चा सुखभोगसे बँचित। एकटा कहबीमे सम्पूर्ण कथाक सारांश स्पष्ट भऽ जाइत छैक लेना न देना विनु छुछुरीके बेना।
'दहेज' शिर्षक कथामे पुराने विषयवस्तु के वर्णनके माध्यमसँ कथाकार नव समस्या या ज्वलंत समस्या जे मिथिलाञ्चलके छैक तेकर बेबाक वर्णन आधुनिक संदर्भमे करब हुनक उदेश्य देखना जाइत छैक। खाडीक देशमे काज करबाक शान शौकत के प्रदर्शन आ दहेजके वेशी माँगसँ सम्पूर्ण मिथिलाञ्चल आकान्त अछि। कन्या पक्ष कलपैत कल्पैत कहैत छैक जे हमरा हैसियतसँ बेशी माँग भेल मगर एकर कोनो सुनुवाई बर पक्षके लोकसभसँ नहि भेलासँ सम्पूर्ण परिवारमे निराशा होनाई कोनो आश्चर्यक गप्प नहि छैक। कथाकारके कटु सत्यमे कतेक सत्यता छैक देखू
"आब त बिआहमे मोटरसाइकल नहि होइत तँ विआहे कैंसिल। एम्हर घरवालीसँ बेसी महत्व भऽ गेल छैक मोटरसाइकलके। विआहसँ पूर्व घरवालीके अनुहार नहि, मोटरसाइकल के अनुहार देखऽ चाही। एहिसँ पीडा, अपमान दुर्घटना सेहो बेसीय धटित भऽ रहल अछि। मुदा बेटाबाला सभकलेल धनसन।"
'उडान' कथा नया कथात्मक शैलीमे लिखल गेल छैक। यी कथा नाटकीय शैलीमे लिखि क कथाकार भ्रमर नव प्रयोग करबाक कोशिशमे छथि। दश दृश्यमे लिखल कथाक निचोड़मे की छैक त अपने धरती पर प्रेम आ संस्कार पएबाक। 'उडान' शीर्षक कथाके मुख्य केन्द्र सेहो रेमिटेन्से छै जेकरा चल्ते सामाजिक आ पारिवारिक सम्बन्धके नकारात्मक असर देखना जाइत छैक। तसर्थ कथाकारके कथन सार्थक छैक ः
हमर उडानमे अहाँसभके साथ चाही।
आ आब होरी आबि गेलै शीर्षकमे सांस्कृतिक जीवनके जीवैत करबाक लेल कथाकार सक्रिय एवं सचेष्ट देखना जाइत छथि। फगुआ मिथिलांचलक एकटा बड महत्वपूर्ण एवं मौलिक पर्व मानल जाइत छैक आ एकर रंगीनी नशा युवा युवतिके समान रुपसँ देखल जाइत छैक। कथाकार भ्रमरके शब्दमे ः "मने फगुआक रंग दुनू दिश चढल रहैक। होरी है..।"
चौतावरके चिताकर्षक लोकगीतके समावेश सँ यही कथाक कथात्मक सौन्दर्यमे चारि चाँद लगवाएक लेल कथाकार प्रयत्नशील बुझाइत छथि जेना ः
"घुरती बेरमे डफलिया सभ चेतावर गाबए लगैक चैत मास गेनमा फुलाएबल हो रामा...।
कि सइया नहि आएल।"
'सपना' शीर्षक कथामे देशमे विभेदक कारणे मधेश आन्दोलनक आरंभ भेल रहैक तेकरे कथावस्तु बना क कथाकार एही कथाके निर्माण करब उचित ठानि क बाप मायके सपनाके सचित्र चित्रण करमे सफल देखना जाइत छैक। जीवनभर अयोधी अपन नोकरीकालमे विभेदके शिकार भेल आ अन्तमे अपना बले अशोकके बी.ए.पास कएलाके बादो सिपाही पद पर भर्ना नहि करवा सकल तेकर वेदना व्यक्त करमे सफल भेल छैक। सीमापरक भूत शीर्षक कथामे कथाकार चिंतित होयब स्वाभिक छैक। बेटी रोटी के सम्बन्ध जे शताब्दीसे कायम छैक नेपाल आ भारतमे ओकरा आइके राजनीतिमे समाप्त नहि कऽ देइक तेकर चिंताके खूब निमन दंगसँ व्यक्त कएने छथि। एकटा स्तंभके कारणे दुई देशक विभाजनके पीडा सीमावर्ती इलाकाके लोकसभ भोगि रहल छैक। कथाकारक कथन मार्मिक छैक ः
"पता नहि, आब सीमा पर ठाढ ई उजरका स्तंभ ओकरा भूत जकाँ कहिया धरि डेरबैत रहतै।"
इजोरिया रातुक सपना बहुत राशि कथासँग्रह सभमे प्रकाशित भेल कथा अछि। ताही वास्ते समीक्ष्य कथासँग्रहमे संकलित करवाक कोनो औचित्य नै देख रहल छी। अन्तमे कथाकारक शैली बड परिमार्जित आ प्रशंसनीय छैक आ एहिसं कथामे एकर प्रभावसँ मिठास आओर बढि गेल छैक।
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।