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कल्पना
झा
बीहनि कथा
-----यदु कका के कते वर्ष क बाद तीन टा पुत्र भेलैन।समय स सब सयान भेला।समय रहिते सबके अपन जजात बखरा कैनाय उचित बुझी,गाछी गेला।हाथ में कागज देख रखबार पुछलकैन!
---कि भेल मालिक?बिना बाजयत आंखिक इशारा सं ओकरा बजौलैन।इ बरका क, ओ मांझिल के आ ओ छोटका के!
---रखबार बाजल मालिक अते तरद्दुत सं एकरा बचोलौं आ एखने कोन खगता परी गेल बखरा के!
---रे तों नय बुझबिही हमर बखरा लागय सं पहिले इ हम काज क दी। लग में ठाढ़ पोता बाजि उठल!
---बाबा ओ बड़का आमक गाछ हमर बाबू के नाम कय देब। बाऊ रे ओहि में फल नहि होय छय।
---चट ओ बाजि उठल त ।हमर बाबू सं कोनो फलक उम्मीद नय करु !
-कल्पना झा
बोकारो
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