प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
वि दे ह विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly ejournal विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA.


लालदेव कामत- कथाकार नन्द विलास राय जीके कथा पोथी "असल पूजा"/ पोथी समीक्षा- "सझिया रोपनि"



कथाकार नन्द विलास राय जीके कथा पोथी "असल पूजा"

निरमलीक पल्लवी प्रकाशन सँ नन्द विलास राय जीके कथा पोथी "असल पूजा" २०२२ मेँ १०४ पृष्ठक पोथी के आइ एस बी एन -९७८-९३-९३१३५-२७-८ नं० प्राप्त छैक ,जकर दाम २०० टाका निर्धारित य। एहि मैथिली पोथीमे १३ कथा आ ९ गोट लघुकथा संग्रहित कयल गेल छैक। इंग्लिश क' फादर माने मैथिली मेँ भेल बाबू । फादर्स डे कथामे पिताक यादगारी लेल सब गोटे सब तरहेँ फेसबुक पर पोस्ट लिखैत रहल। रंजीत शिक्षामित्र (मास्टर) रहैत निर्मली बजार सँ अनेक बौस्त नगदीमे किनैत छैक,परंच अपन बाबूक लेल अर्थात् भीखारी ककाक कहलो पर हुनका ले ब्लडप्रैशर गोटी नहिं लैत छैक।जहनकि वृधापेंशनक सब टाका रंजीते ल' लेने रहैछ। ५मे दिन अकस्मात खबरि समाजमे पसरैत छैक- बुड़हा मरि गेलाह। सुगिया काकी दूनू पुरानी बैनबुता कयके इन्टरधरि पढेने रहय।से कानि-कानिके विलाप करै जे पांच दिन सँ नागा रहै ब्लडपेशरक दवाय। लोको बाजथि ओह! व्लडप्रेसरक गोलिक अभावे बेचाराक ब्रेन हेमरेज सँ अजाए मृत्यु भ' गेलैक। धरि रंजीत देखाबटी करैत अछि। कथाकार 'क दोस्त पोस्ट लिखने रहय जे फोटो पर माला पहिराकय तस्वीर पर आरती देखा रहल छलैक। वास्तविक जीवनमे पिता वा कियो भी लोक होथि ,उपेक्षा नहिं करक चाही। से संदेश एहि कथाक माध्यम सँ नन्दजी पाठक बीच देलनि अछि।
सद्यप्रकाशित एहि पोथीक अंतिम कथा थीक- छुछुनैर! एहिमे जे भाव अयलैक से लोकक स्थापित प्रतिष्ठा पर केना छनहिमे बट्टा लागि जाईछ, से देखाओल गेल छैक। रजनीक भौजी कुनौली बालीसन महिलामेहेर मालीक बरूण सेठजीके देखिकय माथपर नूआँ नहिं लैछ आब। कथीले सामाजिक रुपेँ आब कियो जनिजात ओकर लाजधाक करौ! ओ तँ नीक पत्नि दू बेटा अछैत ,घरेलू नोकरनी केँ अपन रानी जे परिस्थितिवश बना लेलकै। एक दलित उपजातिक जीबछी जुवती सँ छुतहरपनि करैत धनक बले ओकरा ढिड़हाईर बना देलकै । आ एक रूपासन टोलाक नेत्री केँ घुस फरेब दैत ममिलाके रफादफा कराबैक कुचेष्टा धरि करैछ,परंच सफल नहिं होई। अर्धांगिनी'क अन्ततः समझौला सँ बहरघारामे किरायाक मकानमे राखि द्वितीय पत्नीक दर्जा समाजमे दैत बसोबास होई छैक। कथाकार ई घटनाक्रम देखेबाक असंगत परियास केलनि अछि। जखनकि भारतीय विधि अनुसारे अदालतमे घसीटल जयबाक चाही आ फेर आगंतुक भावी शिशुक कोन तरहेँ निमरजना होयतैक से खिस्सा आगूक बढाबैत किछु नविन संदेश देखौल जयतैक तँ कथा उच्चकोटीक होइत। आ फेरो कियो बलात्कारी समाजमे तानाबाना बीनके पकठोस हेबाक धृष्टता भविष्यमे नहिं करैत।ऐ पोथीमे पाठककें दीर्घ कथा पढैत बीच-बीचमे चुटकुला रूपेँ लघुकथा पैर लगतैन। नन्द विलास जीके लघुकथा रचबाक आरम्भिक अभ्यास छैन से एहूँ पोथीमे सन्हियौने छथि। तेँ एहि पोथीक एक स्वतंत्र विधा नहिं,वरन खिचरी स्वाद लागत।

पोथी समीक्षा- "सझिया रोपनि"
नव मैथिली पोथी "सझिया रोपनि" हालहिमे पढलौंह अछि। सझिया बीहनि कथा - संग्रह केर सम्पादक छथि- डॉ. प्रमोद कुमार। हिन्दी साहित्य मेँ पंख उगे- कविता संग्रह केर रचियता प्रमोद बाबू मैथिली साहित्य सृजन मेँ अपन उपस्थिति 'मुदित मान' कविता संग्रह सँ कयलाह। हिनक जनवरी २०२१ मेँ बिहैन कथा संग्रह "कनकिरबा" आ २०२२ मेँ सद्यप्रकाशित सझिया रोपनि मैथिली भाषाक उन्नयन लेल भेलनि अछि। सन् १९८८ मेँ डाक्टर साहब सरौती कालेजक प्रिंसिपल सँ त्याग-पत्र दैत मिथिला सँ बाहर चलि गेलाह। शतघारा राजनगर सँ ओतय केन्द्रीय विश्वविद्यालय पांडिचेरी,टैगोर गवर्मेंट एण्ड साइन्स कालेजमे अर्थशास्त्र विभाग केर अध्यक्ष रहलाह। हिनक अनेकों पत्र- पत्रिका मेँ ४० सँ बेशी राष्ट्रीय -अन्तर राष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित भेल छन्हि। विदेशी छात्र'क कोर्सक प्रोग्राम आफिसर आदि अनेक पद पर कार्यरत रहि एम बी ए कोर्स लेल बहुत रास लिखबाक अवसर भेटलनि। घनेरो पत्र - पत्रिका मेँ कथा कविता संस्मरण छपलनि। बहुतो बेर सेमिनार आ कान्फ्रेंस मेँ पत्र प्रस्तुत कयने छथि। मातृभाषा प्रति हिनक अनुराग स्पष्ट झलैक रहल छैक। हिनक ५ गोट विहनि कथा ऐ पोथीमे आयल छन्हि, यथा - इंगेजमेंट, पिछरल पापा, कठखोधी, अबिहें बौआ आओर फटलाही धोती। कथाक प्रासंगिकता, भाषा -शैली, शिल्प आदि बड़ चिकन छैन। २५ पुरूष रचनाकार आ १८ स्री कथाकार 'क कुल ८६ गोट विहनिकथा सझिया कयल छैक। सब बिहनि कथा उपरा उपरी प्रशंसनीय भेल अछि।
आब समयाभावके कारण पाठक कम शव्दमे अधिक पढय-बूझय चाहैत छैक। दीर्घ कथाक संक्षेपण वा उपन्यास 'क सारांश जे सय शव्दक भीतर होय ,ओहन रोचक कथाके बीहनि कथा कहल जाईए। ई चुटकूला आ लघुकथा सँ फराक होईछ। विहनि कथाक साहित्य मेँ नव विधा'क रूपेँ अनुसंधान भेल अछि। कथाक आकार छोट रहितो एहिमे पैघ कथाक बिहनि रहैछ। जेना दूधके जमबै ले दहीक जोरन। कोनू पाठ वा पाठके पाँति मे पोथिक शिर्षक सँ सम्बन्ध नहिं दृष्टिगोचर भेल,शिवाय महाकान्त प्रसाद 'क - फूही । ऐ चारि वाक्यक विहनि कथामे नायक धानक रोपनी दूनू प्राणी करत से बीरार उखारैत काल बरबरायके फुही पड़ैत छैक। विशेष अर्थपूर्ण वार्ता करैत गाछतर सहटि कय जाईए। अपनामे एक पैघ अन्त:कथा नुकेने अछि। ई कथा अपन सामुहिकता वा सहकारिता 'क प्रदर्शन स्वरूप आवरण पृष्टक प्रतिमान गढैत एक नव आकार सझिया रोपनिक सजीव चित्र बनेलक हन्। प्रसाद जीके दू आरो विहनि कथा -गोली आओर ठकमुरी छपल छैक,जे संवेदनशील य। चर्चित युवा रचनाकार सुभाष कुमार केर तीनू बिहनि कथा'क पात्रमे मुन्ना नामक व्यक्ति रहैछ। पहिलमे ' दहेज उन्मूलन ' बाबत लूलू सँ वार्ता होइत देखाएल गेलैक। जाहिमे मुन्ना टारैत बजैछ -अगिला मास सँ ई कार्यक्रम अभियान पूर्वक करबाक होयत, कारण एहि मास जेष्ट भायक आ अगिला मास बहिणक बियाह होयत। से दहेज युक्त ! दोसरो कथामे मुन्ना'क पत्नी सुधा क' प्राईवेट चिकित्सक सोनोग्राफी करैत 'कोर्ड- वर्ड' डाइरेक्ट नाइरेशनमे कहैत छन्हि- "जय श्री कृष्णा" ! अर्थात् लड़का……./ तेसर कथामे मुन्ना ककाक फँसरी मादे मनोज भाय सँ कथाकार जिज्ञासा करैत छैक - " कर्जाक दोहरी अर्थ स्पष्ट अत्यन्त करुणा भावे कयल गेल अछि।
कापि राईट डॉ० प्रमोद कुमार जीकेँ छैन।एहि ९६ पृष्टक पोथीक दाम १५० टाका निर्धारित ; शशि प्रकाशन - कालिकापुर कयने छैक। बिहनि कथाक लेखन अभिक्रम जगेबामे मनोज कुमार कर्ण, घनश्याम घनेरो , जगदीश प्रसाद मंडल, डाक्टर रामानंद झा 'रमण' , सचिदानंद सच्चू, आशीष अनचिन्हार,डा.आभा झा साहित्यिक अक्षय भंडार केँ भरलनि अछि। एहि क्षेत्रमे नव डेग बढबैत कथा शिल्पी सबके स्वागत अछि।

-मो०७६३१३९०७६१

अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।