कुमार मनोज कश्यप
१ टा लघुकथा
अन्हार सs लड़ैत
लॉन मे बैसल रौद सेकैत रही तखने गेटक कॉल-बेल बाजल। गेट खोललहुँ - एकटा उन्नैस-बीस बरिसक छौंड़ा ठाढ़। कsल जोड़ि बाजल - 'सर ! आहाँ ओहि ठाम हमरा कोनो काज भेटि सकइयै ?'
- ' कोन काज?’
- ' जे भेटत…… धिया-पुता के ट्यूशन पढ़ेनाई सs लs कs शारीरिक श्रम … सभ किछु!'
- 'हमरा लsग एखन एहन कोनो काज अछि नहिं। आहाँ कतहु आर पुछियौ।'
- 'सर! आहाँ के कोनो परिचित ……!
ओकरा पर दया आबि गेल। लागल जे निश्चये ई कोनो बेसी खगता मे अछि। तखने दोसर दिस मोन मे बिजलौका जकाँ चमकल जे आई काल्हि चोर सभ चोरि सs पहिने रेकी कs कs सभ जानकारी जुटा लैत छै.…… अपनत्व बढ़बैत छै आ आराम सs वारदात के अंजाम दैत छै। फेर मोन मे आयल हाव-भाव आ चेहरा-मोहरा सs तs लुच्चा-लंपट नहिं लगैत अछि। नेपाली घर गेल अछि; कियै ने गाड़ी ताबत रोज एकरे सs धोआ ली ....... एकरो दू पाई भs जेतै आ हमरा अपने गाड़ी साफ नहिं करs पड़त। गाड़ी धोबा काल हम ओतहि ठाढ़ रहबै तs ई एम्हर-ओम्हर ताक-झाँक नहिं कs सकत। बस एकरा अपन काज सs काज। यैह सोचि कहलियै – “हमरा लsग आन कोनो काज तs अछि नहिं। हँ, एखन नेपाली गाम गेल अछि ताबत आहाँ कs रs चाही तs हम अपन गाड़ी धोबा के काज आहाँ के दs सकैत छी।“ ओ सहर्ष तैयार भs गाड़ी धोलक आ काल्हि फेर भोरे एबाक बात कहि प्रणाम कs कs चलि गेल।
गाड़ी ओ बेस नीक जकाँ धोने छल.... रगड़ि-रगड़ि कs। एहन साफ सs तs नेपाली कहियो ने धोने हैत! हम गाड़ी के चारू कात घुमि कs देखs लगलहुँ। एकटा पोस्टकार्ड खसल भेटल। लिखल छलै - 'नीरा! एखन तक हमरा कोनो काज नहिं भेटs लै। काज भेटितै हम पाई पठेबाक जोगार करबौ। ताबे डॉक्टर-दवाई तs नहिं भs पेतौ; मुदा देसी-घरेलू दवाई सs माय के जीया कs रखनाई तोहर पैघ जिम्मेदारी छौ। हिम्मत नहिं हारिहैं। भगवान संग छथुन। तोहर भैया - अमोल।'
हम ओहि चिट्ठी के हाथ मे लेने शून्य मे तकैत रहलहुँ आ फेर पर्स जेब मे रखैत पोस्ट ऑफिस दिस बिदा भs गेल रही ।
-कुमार मनोज कश्यप, सम्प्रति: भारत सरकार के उप-सचिव, संपर्क: सी-11, टावर-4, टाइप-5, किदवई नगर पूर्व (दिल्ली हाट के सामने), नई दिल्ली-110023 मो. 9810811850 / 8178216239 ई-मेल : writetokmanoj@gmail.com
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