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मुन्नी कामत
दू टा बीहनि कथा
१
सिया
-माय गे एक दिन तोरा हम चान पँ ल' जेबौ...
- हँ.. हँ... आय बड़ स्नेह झड़ै छै बाज की चाही.....?
- माय गे हम सेना मे भर्ती लेल एनडीए के फार्म भरए चाहिए चियैय तू बाबू के कहीं न.....
( सिया के बात बिंदेसर सुनैत गदगद मन सँ बाजल)
- सिया तू अपन पढ़ाई सँ समाज में हमर प्रतिष्ठा ऊँच केलअं ....
हम अहाँक अहिं सपना के पैंख देव...
२
दरेग
- कक्का ई ककरा बियैह आनलहक.... न पैर सँ चट्टी उतरैं छै आ न कोड़ा स' बेटी.... हूं.... अकरो पोसअ आ अकर बेटियों क'... ( सिलिया दोती बियाहल जोड़ी के देख तनतनैत बाजल)
- गे सिलिया ऐना किया जहर बोकरै छ', बेचारी के घाव अखन ताजा छै किया खोरचै छ'....?
तोहर चाची के मुईला कि हम बउआ के छोइर दोसर बियाह करी.... नै न...!
त' फेर ई कोना अपन बेटी के छोड़थिन.... अपन मनक भाप ठंडा कर आ हिन्द चाचीये जेका आदर- सम्मान कर।
शंकर के बात सुईन फुलिया के दुनू आँईख सँ लोड़ टघैर गेल....
मुन्नी कामत
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