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रागिनी प्रीत
सखी
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सखी चलू पुनः एक बेर
बचपन में कुह-कुह कैs आबी।
सखी चलू पुनः एक बेर
अँगना नेनपन में घुरि आबी।
घूमि साथ पोखैर पगडंडी
भरल याद के फोड़ू हाँडी
ईंखक रस सँन चूसि-चूसि कऽ
मिठ्ठ करू मन फेर नेन्ना बनि कऽ।
सखी चलू पुनः एक बेर
यादक गुल्लक फोड़ी लुटाबी
सखी चलू पुनः एक बेर
बचपन में कुह-कुह कैs आबी।
छुपम-छुपाई खेल मोन अछि
गामक कोना बाट तकैत अछि
चलू सखी खोजी आँखि मूंदी कऽ
संग जगाबी याद नींद सँ।
सखी चलू पुनः एक बेर
बस्ता सँ किछ याद निकाली
सखी चलू पुनः एक बेर
बचपन में कुह-कुह कैs आबी।
नाव बना कागज़क बहाबी
माटी सँ घर फेर बनाबी
और उड़ा चुनरी अम्बर में
बनी चिड़ै चहकी उपवन में।
सखी चलू पुनः एक बेर
मिल कऽ प्रेमक गीत सुनाबी
सखी चलू पुनः एक बेर
बचपन में कुह-कुह कैs आबी।
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