२०.कुमार मनीष अरविन्द-कविता शम्भु बादलक हजारीबाग परिसरक विशिष्ट सुगन्धिसँ महमहाइत कविता सभकें पढ़ैत
कुमार मनीष अरविन्द
कविता : शम्भु बादलक (हजारीबाग परिसरक विशिष्ट सुगन्धिसँ महमहाइत कविता सभकें पढ़ैत)
श्री हितनाथ झाजी हजारीबागसँ जखन फोन पर ई सूचना देने छलाह जे ओ आदरणीय डॉ० शम्भु बादलजीक किछु हिन्दी कविता सभक मैथिलीमे अनुवाद केलनि अछि आ ओकरा सभकें पुस्तिकाक रूप मे छपवा लेबाक मोन बनौलनि अछि, तँ हम हुनका ई सुझाव देने छलियनि जे एहिमे कमसँ कम एतेक कविता तँ अवश्य सम्मिलित रहय, जे प्रकाशित सामग्री पुस्तकक श्रेणीमे आबि सकय। ई कयलासँ अनुवादक ई काज अपन दीर्घकालिक महत्व बनाकऽ राखि सकत।... आ आइ आब एहि अनुवादक पोथीपर किछु बजबाक मौका भेटलापर, सभसँ पहिने तँ हम बधाइ देबय चाहैत छियनि श्री हितनाथ झा जीकें आ आदरणीय डॉ० शम्भु बादलजीकें। हितनाथ झा जीकें बधाइ एहि कारणें जे ई शम्भु बादल जीक कविता सभक चयन आ अनुवाद बहुत मोनसँ अपन साहित्यिक ऊर्जाक श्रेष्ठ निवेश करैत कयलनि अछि ।... आ डॉ० बादलकेँ बधाइ एहि कारणें जे हुनक श्रेष्ठ रचना आब मैथिली भाषाक विद्वज्जन लोकनि आ सामान्य पाठककेँ सुलभ रूपें उपलब्ध भऽ रहल छन्हि पढ़बा आ गुनवा लेल। डॉ० शम्भु बादल मैथिली साहित्यक मैदानमे सेहो श्रेष्ठ आ निस्सन रचनाकारक रूपमे परिचिति पाबय जा रहलाह अछि। अस्तु !
'कविता : शम्भु बादलक' शीर्षक सँ छपल एहि 115 पृष्ठक पोथीमे शम्भु बादलजीक कुल 29 गोट हिन्दी कविताक श्री हितनाथ झाजी द्वारा कयल गेल मैथिली अनुवाद मैथिलीक रुचि सम्पन्न पाठक वर्ग लेल कलात्मकताक संग परसल गेल अछि। एकर प्रकाशन किसुन संकल्प लोक, सुपौल द्वारा कयल गेल अछि। पोथीक पहिल संस्करण 2023 ई०मे बहरायल अछि आ पेपरबैक संस्करणमे एकर मूल्य 150 टाका मात्र राखल गेल अछि। कुल मिला कऽ गप्प करी तँ पोथीक छपाइ सफाइ नीक अछि। एहि लेल प्रकाशनक सर्वेसर्वा श्री केदार काननजीकें बधाइ ।अनुवादक एहि पोथीमे प्रारम्भ मे डॉ० कीर्त्तिनाथ झाजीक डेढ़ पृष्ठक टिप्पणी अछि। उल्लेखनीय अछि जे कीर्त्तिनाथ झाजी स्वयं नीक अनुवादक छथि आ हुनक मलयालमसँ 'कुरल'क मैथिली अनुवाद लोकप्रिय भेल अछि। तकर बाद प्रकाशकीयक रूपमे पोथीमे श्री केदार कानन जीक दू पृष्ठक टिप्पणी सेहो सम्मिलित अछि। आ तखन सभसँ अंतमे अनुवादक श्री हितनाथ झाजीक दू पृष्ठसँ थोड़े बेसीक आत्मकत्थ। एहि तीनू टिप्पणी आ कि मंतव्य आ कि परिचयसँ पोथीक काव्य-वस्तुसँ पाठकक प्राथमिक परिचय अवश्य भऽ जाइत छन्हि, से कहबाक अछि हमरा ।
ई पोथी हमरा सौभाग्यसँ खास आदरणीय शम्भु बादल जीक हाथें राँचीमे दिनांक 19.11.2023 कें प्राप्त भेल। ई सूचना भेटल छल जे एके दिन पहिने दिल्लीसँ प्रकाशक द्वारा पठाओल गेल हिनका भेटल छलन्हि, तें लगैत अछि जे संभवतः हम पहिले व्यक्ति रहल होयब, जिनका ई पोथी कविक हार्थे भेटल छलन्हि। मने बुझू जे कोनो फिल्मक रिलीज भेलापर फर्स्ट डे, फर्स्ट शो सन.....
एहि पोथीक कविता सभकें पढ़ैत हम बेर-बेर हितनाथ जीक कविता आ शब्द-दुनू चयनक मोने-मोन प्रशंसा करैत रहलहुँ। कारण एहि चयनित कविता सभकें पार करैत पाठककेँ मूल रचनाकारक कविता सभक तासीरक पता तँ लगबे करैत छैक, संगे-संग पाठककेँ रचनाकार डॉ० शम्भु बादलक व्यक्तित्व आ हुनक जीवन-संघर्षक अनेक छवि आ आयामक झलक सेहो भेट जाइत छैक सुलभ रूपें । ई निश्चये एहि संग्रहक कविता सभक आ तकरा सभकें मैथिलीमे अनुदित करबाक क्रममे शब्दसभक चयनक विशिष्टता हम मानैत छी ।... साधुवाद हितनाथ जी।
आब अबैत छी कवितासभक गुणवत्ता आ अनुवादकेर श्रेष्ठता पर। पहिने कविता सभक गुणवत्ता आ ओकर सभक प्रभाव पर दृष्टिपात कऽ ली तँ लगैत अछि जे शम्भु बादल जीक पुरान आ नव करीब-करीब सभटा प्रसिद्ध आ लोकप्रिय रचनासम कें छाँटि कऽ अनुवादक एहि पोथी मे राखि लेलन्हि अछि। ओना हम ई दावा किन्नहुँ नहि कऽ रहल छी जे हम डॉ० शम्भु बादलजीक सम्पूर्ण हिन्दी पद्य रचना सभक पाठ आ परिशीलन कयने छी, मुदा वर्ष 2005 में अपन हजारीबाग पदस्थापनक समयसँ हुनकासँ (आ अपने सभसँ) जे परिचय रहल अछि आ एतय मासिक साहित्यिक गोष्ठी सभ मे जे हुनक रचनासभ सुनैत रहलहुँ अछि, ओहि परिचयक अधिकारसँ ई तँ विश्वासक संग कहि सकैत छी जे कविक सर्वकालिक श्रेष्ठ रचनासभ एहि पोथीमे एक ठाम मैथिली भाषामे अनूदित भऽ कऽ संगृहीत हेबाक ई एकटा पैघ काज भेल अछि।
बहुत लोक ई विचार व्यक्त करैत रहैत छथि जे हिन्दीक वस्तुकें मैथिलीमे अनूदित करबाक कोनो आवश्यकता नहि, किएक तँ हिन्दी जानय बला लोक मैथिलीक रचना पढ़ि कऽ ओकरा बूझि सकैत छथि आ तहिना मैथिली जानय बला पाठक हिन्दीमे लिखल गद्य आ कि पद्यके नीक जकाँ बूझि सकैत छथि। मुदा हम एहि विचारसँ किन्नहु सहमत नहि होइत छी। जें कि मैथिलीक शब्द सभक अपन विशिष्ट माधुर्य, अपन फराक अर्थरूप आ अपन अलग प्रभाव छैक, तैं हिन्दीक नीक-नीक रचनासभक मैथिलीमे अनुवाद कयल जेबाक हम समर्थक छी। हम स्वयं परमाणु बमक विध्वंस पर केन्द्रित जापानी कविता सभक हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद कयने छी जे 'त्रासदीक तऽर में' शीर्षकसँ साहित्य अकादेमी, नई दिल्लीसँ 2022 मे छपल अछि।... एहि अनुभवक आधारपर हम ई बात विश्वाससँ कहि सकैत छी जे हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद कऽ लेब कोनो बहुत सरल काज नहि छैक, ई ततबे कठिन काज छैक, जतेक कोनो आन भारतीय भाषासँ अपन मातृभाषामे कयल जाय बला अनुवाद-कार्य।
तें हमरा लगैत अछि जे डॉ० शम्भु बादलक कविता सभक जे ई अनुवाद श्री हितनाथ झाजी कयलन्हि अछि, से एकटा विशिष्ट काज भेल अछि मैथिली लेल, किएक तँ मैथिलीक पाठक एहि महत्वपूर्ण कविता सभक आस्वादन मैथिलीमे कऽ सकताह। आब आउ किछु विशिष्ट कविता सभपर गप्प करी।
अहाँ 'माँ' शीर्षक कविता पढू। अहाँक सोझाँ कविक सम्पूर्ण बालपनक चित्र अपन सम्पूर्ण मार्मिकता आ स्पष्टताक संग सहजें उपस्थित भऽ जायत। भावक उद्वेगसँ आवेशित भऽ उठब अहाँ। जँ सस्वर पाठ कऽ रहल होई आ कतहु बीचमे जाकऽ कण्ठ रुद्ध भऽ जाय, तँ से कोनो आश्चर्यक गप्प नहि। ई कविता पढ़ैत अहाँ स्वयं अपन मायक विषयमे सोचबा लेल बाध्य भऽ जायब। ई छैक एहि रचनाक सहजता आ एकर गहींर मार्मिकताक स्तर !
अहाँ 'हजारीबाग' शीर्षक कविता पढ़बै तँ अहाँक मस्तिष्कमे एहि शहरक सम्पूर्ण इतिहास, चित्रसभक श्रृंखलाक रूपमे कौंध उठत जेना। 'कोल्हा मोची' पढ़ियौ.... आ होइत अंतमे कोल्हाक, बेटाक तमतमायल मुँह, फूटल ढ़ोल आ विधायकक हाथक दारू.. देखार देत ।
अहाँ 'आउ बाघ' शीर्षक कविता पढू अहाँकें पूँजी निवेशक लेल आमंत्रणक सभटा तरी-घटी बुझा जायत। किछु पाँती देखियौ एकर -
"आउ बाघ ! / एहि रूपें आउ / हमरा नीक लागए / कोनो सुन्दर आवरणमे आउ / बस, पंजा देखाइ ने पड़य काका ! / दाँत केओ देखि ने लेअए, हे हमर आका !" ...
अहाँ 'रचनाकार एवं जनता' शीर्षक 'पोखर बाबू' पढ़ब, अहाँ 'जनताक कवि' पढ़ब कऽ सकबाक सामर्थ्य छैक शब्द सभमे, ओकर रचना पढ़ब, अहाँ 'चाँद मुर्मू' पढ़ब, अहाँ सगरे विषय केर आ अहाँकेर मर्म पर चोट अर्थसभमे, ओकर प्रभाव में ! 'घर' 'गुजरा' आ 'भाइजी' शीर्षक कविता सभसँ पार होइत अहाँ समाजक विकृत रूपक यथार्थकें सूक्ष्मतासँ देखि परेखि सकब ।... आक्रोश सँ भरि उठब अहाँ! आ अंतमे आबि जखन अहाँ 'सार्वजनिक सूचना' पढ़ब तखन तँ बिना चमत्कृत भेने नहि रहि सकब । ऐतेक थोड़ शब्दमे बाजारवादक भयावह आ घृणित मूल स्वरुपक वर्णन करैत ओकर बखिया उखाड़ल जाइत हम पहिने कतहु नहि देखने छलियैक।
सार रूपमे कही तँ हिन्दीसँ मैथिलीमे अनूदित ई कविता सभ सरल अछि, सहज अछि, चित्रमय अछि आ ठीक-ठीक वएह बात कहि सकबामे सक्षम अछि, जे एकरा सभकेँ कहबाक छैक ! आ इएह कारण छैक जे अधिकांशतः अतुकांत रहितो ई कविता सभ लोकप्रिय भेल आ अपन रचनाकार कवि शम्भु बादलकें खूब चिन्हार बनौलक। सम्पूर्ण पोथीसँ एकटा आर अनूदित कविता, जकर शीर्षक छैक 'सार्वजनिक सूचना'क किछु पांति एतय अहाँ सभक समक्ष रखबासँ हम स्वयंकेँ रोकि नहि पाबि रहल छी -
"खुजि गेल / खुजि गेल / बजार खुजि गेल
मुक्त भ' गेल बजार / मने मुक्त बजार खुजि गेल
एना कही मार्केट ओपने भ' गेल /
अर्थात् ओपेन मार्केट स्टार्ट भ' गेल /
मार्केट बिग बिग्गर बिगेस्ट / अछि अहाँ जतय जाउ
जे करबाक हो / करू / कैंची-सूइ-ताग / जल-जमीन-जंगल / मिल-कारखाना-व्यवसाय / फूड-फ्लैट-फीमेल / कार-हेलीकॉप्टर प्लेन/ हथियार बिस्फोटक-बम / गुण्डा-लुटेरा-हत्यारा / ........
सम्बन्ध-जाति-धर्म। / रंगकर्मी-संस्कृतिकर्मी-मिडिया / विधायिका-कार्यपालिका-न्यायपालिका / अपन-अपन ढंग सँ / उपलब्ध अछि बजार मे....
आ एहि तरहक अनेक कविता सभक घाटी कें पार करैत जखन अहाँ पोथीक अंतिम शब्द धरि पहुँचब तँ एहि पोथीकेँ पढ़बाक समेकित प्रभाव अहाँकेँ जेना किछु बेसी धनीक बनाकऽ छोड़त, से धरि हम बहुत विश्वासक संग कहि सकैत छी। आ विश्वासक संग इहो कहि सकैत छी जे हिन्दीसँ मैथिलीमे अनूदित कविताक पोथी सभमे ई पोथी बहुत समय धरि अपन विशिष्ट स्थान बनाकऽ राखत आ शम्मु बादल सन सुच्चा आ जमीनसँ जुड़ल रचनाकारक परिचय मैथिल पाठक लोकनिकेँ दैत रहतन्हि। से ई एहि कारणें जे झारखण्डक हजारीबाग परिसरक जल, जंगल आ जमीनक सुगन्धिसँ महमहाइत कविता सभ जे मैथिली भाषामे रूपान्तरित भेल अछि, तँ स्वतः एकटा विशिष्टता एहि रचनासभमे घोरा गेल छैक, एकटा विशेष माधुर्य, एकटा विशेष मार्मिकता, एकटा विशेष अर्थवत्ता आ एकटा विशेष प्रभाव।
तँ एहि विशेष अनुवाद-काज लेल एक बेर रचनाकार आ अनुवादक - दुनू क लेल फेर सँ हार्दिक बधाइ दैत छियन्हि ।
(फेसबुकसँ साभार)
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