प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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परमानन्द लाल कर्ण              

जीवनक आनन्द

सुशीला साँझ  मे घर एलीह तहन अपन बैग विछौना पर पटकि भनसा घर मे चलि गेलीह । भनसा घर मे काम करैत गुस्सा मे अनाप सनाप भुनभुनाईत छलीह जे घरक बहु छी तऽ सव कामक  जिम्मेवारी हमरहि अछि की ? हमरा एहि ठाम एलाक बाद सासु माँ  तऽ एना बैसि जाईत छथि , बुझना जायत अछि जे  पहिले हुनका आगु पाछु कतेको नौकर चाकर लागल छल । पता नहि कोन जन्मक दुश्मनी हमरा सँ निकालि रहल छथि। हमरा काम मे थोड़ेक हाथ वटा देतथि तऽ किछु काम हलुक भऽ जायत।

लागैत छैन जे हाथ बटैला पर हुनक हाथ पाइर घिस जेतनि ।हमहु तऽ आदमी छी । भरि दिन ऑफिस मे काम करलाक वाद थकि जाइत छी । एहि ठाम आवु तऽ भानस  भात मे जुटि  जाउ । सासु माँ के तऽ किताब पढ़ला  आ सीरियल देखवा सँ फुर्सत  नहि होयत छैन । ई कहैत भनसा  घर मे बरतन साफ करऽ लागलीह ।सुशीलाक गुस्साक कारण हुनक सासु माँ नीक सँ बुझैत छलखिन । मुदा मजबुरी छल जे भोर सँ साँझ धरि काम करैत करैत थकि जाइत छलीह । साँझ मे किछु देर अपना लेल निकालि आध्यात्मिक पुस्तक पढ़ैत छलीह आ कखनो कखनो आध्यात्मिक सीरियल टी वी मे देखैत छलीह ।दरअसल मे सुशीला आजुक जमानाक पढ़ल लिखल लड़की छलीह । हुनकर सपना छलैन जे पढ़ि लिख हम नौकरी करी । स्नातक पास केलाक वाद ओ नौकरीक प्रयास करऽ लागलीह ।एहि दौरान हुनक शादी रमेश सँ भऽ गेल । शादीक  समय सुशीला सँ स्पष्ट कऽ देने छलीह जे शादीक वाद जौं हमरा नौकरी लागत तऽ हम नौकरी करव । जौं अहाँ सहमत छी तखनहि ई रिश्ता हम कऽ सकैत छी । रमेश कें कोनो आपत्ति नहि छलनि आ नहि रमेशक माय बाबुजी के छलनि। शादीक उपरांत सुशीला नौकरीक प्रयास करऽ लगलीह । एक बरखक बाद प्रतियोगिता परीक्षा पास कऽ नीक नौकरी ज्वाइन केलीह । नौकरी मिलला  सँ ओ बड्ड खुश छलीह । सुशीलाक सासु माँ  कहलखिन जे हमरा नौकरी सँ कोनो एतराज नहि अछि , मुदा अहाँ के घरक काम काज मे हाथ बटावऽ पड़त । एहि उमर मे घरक  सव काम हम नहि कऽ पायव । ई  सुनि परिवारक सव सदस्य आश्चर्य चकित भऽ गेल । सुशीला सेहो आश्चर्य मे पड़ि गेलीह । रमेश कहलखिन - माँ अहाँ तऽ जानैत छी जे सुशीलक नौकरी कतेक कठिन सँ मिलल अछि , अहाँ सँ ई  उम्मीद नहि छल । एहि बात पर हुनकर माय कहलखिन - बेटा हम ई नहि कहैत छी जे घरक सव काम बहु करैथि । हम केवल ई कहैत छी जे हमरहु किछु सीमा अछि । उमिर बढ़ि रहल अछि । हमर शरीर दिनानुदिन कमजोर होयत । हमरा सँ जे बनि पड़त ओ तऽ हम करवे करव । एहि परिस्थिति मे सुशीला घरक साफ सफाई के लेल काम करवाक लेल एकटा औरत के राखि लेलथि । मुदा सुशीलाक घर पर नहि रहला पर घरक बाकी सव काम हुनके करऽ पड़ैत छलनि, मुदा सुशीलाक घर एलाक बाद ओ किछु नहि करैत छलखिन । तकर बाद सुशीला के करऽ पड़ैत छलनि । सासु माँक ई व्यवहार हुनका नीक नहि लागैत छलनि ।

 

घरक भानस भात करलाक बाद जखन सुशीला कें फुर्सत होयत छलनि तहन अपना माय सँ फोन पर बात करैत छलीह । केवल सासु माँक  बुराई कऽ अपन भरास निकालति छलीह । एहिना समय व्यतीत होयत छल । किछु दिनक  बाद सुशीलाक  छोट भायक  शादी भेल । सुशीलाक  भाभी नीक पढ़ाई-लिखाई कऽ नौकरी करैत छलीह । सुशीलाक माय शादीक  समय मे कहने छलखिन जे हम अपना पुतोहु के बेटी जकाँ  राखव । घर मे पुतोहु आवि गेलाक मतलब ई नहि अछि जे हम हाथ पर हाथ  राखि बैसि जाय आ घरक सव काम पुतोहु पर छोड़ि  दी । आखिर ओहो तऽ इंसान छथि । बेचारी घरक काम करतीह की नौकरी करतीह ? अपन मायक बात सुनि सुशीला बड्ड प्रभावित भेलीह आ अपना मायक सोच पर गर्व करऽ लगलीह । ओ सोचैत छलीह जे काश  ! हमरो भाग्य एहिना होयत । हमर सासु माँ हमर परेशानी के बुझतथि  । हमर माय केहन  खुलल  दिमाग के छथि आ दोसर दिस हमर सासु माँ केहन कुंठित विचार के छथिन ।

 

विवाहक अगले दिन सँ सुशीलाक भाभी नौकरी पर जा लगलीह । सुशीलाक माय सेहो अपना पुतोहु पर सव सुख सुविधाक  ख्याल राखऽ लगलीह । पुतोहुक ऑफिस जाय सँ पहिले हुनका लेल खाना बना दैत छलखिन आ टिफिन  सेहो बना कऽ दैत छलखिन । हुनका घरक कोनो काम नहि करऽ दैत छलखिन । साँझ मे ऑफिस सँ आवि ओ आराम करैत छलीह आ हुनक सासु माँ रातिक भानस भात मे लागल रहैत छलीह । सासु माँक एतेक प्यार देखि सुशीलाक भाभी गद-गद  छलीह । हुनके इच्छानुसार खाना बनैत छल । जे खाईख  इच्छा हुनका होयत छलैन वएह भोजन मे बनैत छल । सुशीलाक भाभीक सव फरमाइश  हुनक सासु माँ पुरा करैत छलखिन । किछु खुशी सँ बीतल मुदा सुशीलाक  मायक तबियत खराब भेलाक कारण ओ आब पहिले जकाँ काम नहि कऽ पावथिन । दोसर दिश सुशीलाक भाभी के काम करवाक आदत नहि छलनि तें ओ किछु नहि करैत छलखिन । मन  खराव रहलाक वादहु हुनक माँ भरि दिन घरक काम मे लागल रहैत छलीह ।

 

एक दिन सुशीला अपना माय के फोन पर बात करऽ चाहलखिन तऽ हुनक फोन ओ नहि उठा सकलखिन।सुशीलाक  चिंता भेलनि जे माय फोन किएक नहि उठोलखिन। तकर बाद कतेको दिन फोन पर बात करऽ चाहलखिन तऽ हुनक माय फोन उठा कऽ कहलनि - बेटी ! अखन काम मे व्यस्त छी । सव काम अखन पड़ल अछि थोड़ेक देर बाद हम अहाँ सँ बात करव । ई  कहि  फोन काटि देलखिन । एक दिन सुशीलाक  माय सव काम सँ निवृत भऽ विछाऊन पर आराम करैत छलीह तखन सुशीलाक  फोन आयल । फोन उठावैत कहलनि - हेलो सुशीला ! ओम्हर सँ आवाज आयल - हेलो माय गोर लगे छी । हुनकर माय कहलनि - निके रहु । अहाँ कुशल मंगल सँ छी ने ? कतेको दिनक वाद हुनका माय सँ बात करवाक मौका मिलल छल । सुशीला फोन पर अपन दुखरा गावैत कहलनि - की कहु माय ! थोड़ेक देर पहिले  ऑफिस सँ एलहुँ अछि । बड्ड थकि  गेल छी , कनेक देर आराम करलाक वाद घरक काम शुरू करव । अहाँ तऽ भाभी कें पुरा आराम करऽ दैत छी , मुदा हमर भाग्य एहन कहाँ अछि । हम घर पर एलहुँ अछि तहन हमर सासु माँ ई  कहि आँगन सँ बाहर चलि गेलीह जे हम काकाजीक आँगन मे सबसँ  भेंट कऽ आवि रहल छी । देखियो ने हुनका समय छलनि , रातिक भनसा बना कऽ राखि देथिन से नहि तऽ अखन घुमऽ चलि गेलखिन। अच्छा माय आव ई  वताऊ अहाँ ठीक छी ने ? आव तऽ अहाँ हमरा भुला गेलहुँ अछि। भाभीक  एलाक बाद तऽ अहाँ हमर फोनो  नहि उठावैत छी  जौं फोन उठावैत छी तहन कहैत छी जे बौआ बाद मे बात करव अखन बड्ड काम अछि । ई  सुनैत हुनक माय कानऽ लगलीह । कानैक  आवाज सुनैत सुशीला कहलखिन - माय ! अहाँ  किएक कानि  रहल छी ? भाभी सँ कोनो बात भेल अछि की ? बैचैनी सँ सुशीला पूछलखिन। एहि बात पर हुनक माय कहलनि - बौआ अहाँक भाभी के सव दिन हम बेटी जकाँ रखलहुँ  । हुनका कोनो तरहक  तकलीफ नहि होनि ताहि लेल हम भरि दिन काम करैत रहैत छी । मुदा अहाँक  भाभीक  एकर कोनो कदर नहि छैन । ओ भनसा घर दिश झाँकवो नहि करैत छथिन । हमरा तऽ लागैत अछि जे हम घरक नौकरानी बनि गेलहुँ अछि । सव कामक लेल ओ हमरा पर हुक्म दैत छथिन ।अपने हाथ सँ एक ग्लास पानियो नहि लैत छथिन । जखन पानि पीवाक  इच्छा होयत छैन तहन ओ हमरा कहैत छथिन हम हुनका पानि  दैत छियेन । आओर तऽ आओर भोर मे जौं टिफिन देवऽ मे कनेक देर भऽ जाय तऽ एना बाजैत  छथि जे मानु हम हुनक नौकरानी छी । आव हमर कोनो अक्ल काम नहि कऽ रहल अछि जे हम की करु ? अपन मायक सव बात सुनि सुशीला स्तब्ध रहि गेलीह । फेर ओ कहऽ लगलीह बेटी ई  सब गलती हमर अछि । अहाँक बाबुजी कतेक बेर हमरा सँ कहलखिन जे कनिया पर थोड़ेक जिम्मेदारी दीओ जाहि सँ ओ बुझथिन जे घर कोना सम्भालऽ जायत छै ? मुदा हम सोचैत छलहुँ जे भरि दिन ऑफिस मे काम करैत करैत थकि  जायत हेथिन एहि ठामक काम कोना करथिन ? बेटी ! आव हमरा एहसास होयत अछि जे अपनेक सासु माँ कतेक समझदार छथिन जे घरक सव जिम्मेवारी अपने नहि सम्भालि किछु अहाँ पर छोड़लथि ।घरक सव काम सव गोटे  मिल के करवाक चाही ।हुनक ई  फैसला बड्ड नीक छैन । अहाँक  थोड़ेक खराव लागैत होय मुदा ई वात सत्य अछि जे अपना लेल थोड़ेक समय जरुर निकालक चाही जौं अहाँक सासु माँ जकाँ समझदारी सँ काम करितहुँ तहन आई ई दिन नहि देखतहुँ ।हमहुँ हुनके जकाँ आत्मसम्मान सँ रहितहुँ।ई बात सुनि सुशीलाक आँखि सँ ढ़व-ढ़व  नोर गिरऽ लागल।

 

थोड़े देरक बाद सुशीला घर सँ बाहर एलीह तऽ देखैत छथिन जे हुनक ससुर जी कुर्सी पर बैसल छथि ।तखनहि हुनक सासु माँ सेहो काकाजीक आँगन सँ घुमि कऽ एलखिन । एहि पर हमर ससुर जी हुनका सँ पूछलखिन जे कतऽ गेल छलहुँ ? ओ कहलखिन जे काकाजीक  आँगन गेल छलहुँ । कतेक दिन भऽ गेल छल काकी सँ भेंट करवाक गेल छलहुँ । ओहि आंगनक हाल समाचार ठीक अछि ने ? हाँ, सव किछु  ठीक अछि ।सुशीलाक  माय कहलखिन जे ओहि आँगन मे पुवारी टोलक किछु लोकनि बात करैत छलखिन जे ओहि टोल मे एकटा संस्था खुलल अछि जाहि मे सव बुजुर्ग एक संग बैसि गप्प सप्प करैत छथिन । जिनका जे इच्छा होयत अछि से करैत छथि । जेना योगा क्लास चलैत अछि, डांस क्लास चलैत अछि । जे बच्चा डांस सिखऽ चाहैत छथि हुनका लेल अलग क्लास चलैत अछि ।कनिया तऽ भिनसरे ऑफिस चलि जायत छथिन तकर बाद घरक काम सव खत्म केलाक वाद हमहु सव जे एहि ठाम मक्खी मारैत रहैत छी ताहि सँ नीक होयत । कतेक देर टी वी देखी आ अखवार पढ़ी ।पता करु कोन ठाम संस्था चलैत अछि आ  कतेक पाई लागैत अछि । एहि पर ओ कहलखिन जे बुजुर्गक लेल कोनो पाई नहि लागैत अछि । बच्चा सवहक लेल फिस अछि । सव बुजुर्ग घंटा दुई घंटा बैसैत छथि तहन अपना अपना घर जायत छथि । एहि ठाम दाई सव काम कऽ दैत छथिन । छीट -फुट जे काम वांचल रहत ओ हम कऽ लेव , तकर बाद चलु ओहि ठाम थोड़ेक देर समय वितायव तऽ मन लागत आ समय सेहो कटि जायत । पहिले कहाँ मौका मिलैत छल । परिवार मे लागल रहैत छलहुँ । आव तऽ वौआ माथ उठा लेलथि  अछि । आवहु तऽ अपन समय नीक सँ वितावी ।

 

ई  वातचीत होयत छल तखनहि सुशीला घर सँ बाहर आवि कहलनि - हाँ  बाबुजी ! घर पर बैसल - बैसल बोर भऽ जायत होयव । थोड़ेक देर निकालि घुमि आयव तऽ मन बहलि जायत । आव सुशीलाक एहसास भेलनि जे हुनक सासु माँ नीक करैत छलखिन । सव दिन तऽ काम करवे केलथि आवहु तऽ आराम करथि ।

 

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