
कुमार मनोज कश्यप
लघुकथा- ऐलीमनी
राधाबाबू के परिवार जेहने सुसभ्य, संस्कारी; तेहने संयत। ने उधो का देना ने
माधो का लेना। परिवारक कोनो सदस्य के मुँहे कहियो कोनो बेछप अनर्गल
वार्तालाप केयो सुनने नहिं हेतै। खाईत-पिबैत नोकरिहारा परिवार अपन
दिन-दुनियाँ मे मस्त! समस्या एके टा छलैन .... बेटा के बियाह! बेटा नोएडा
मे कोनो नीक कंपनी मे ठीक-ठाक पद पर छै, तैयो कोनो वर्तुहार आबि नै रहल छै।
ऊचावर्च कतहु होईतो छै तs दोबारा घुरि नहिं अबैत छै। बेटा के दिनानुदिन
बढ़ैत उमेर पूरा परिवार के लेल भारी चिंता के विषय बनल छलै। से चिंता एकदिन
समाप्त भेलैन .... काँख तर नेना आ गाम मे ढ़िंढ़ोरा! कॉलोनीये मे मधुबनी के
स्वजातीय के कन्या के सूत्र भेटलनि। कन्यागत सेहो सभ्य, संस्कारी लोक।
देखा-सुनी, बात-विचार भेलनि ...... कथा दुहू पक्ष के जँचलनि आ अगिले लग्न
मे शुभ-शुभ कs वियाह-दुरागमन सभ सम्पन्न भेल।
मुदा नहिं जानि एहि बियाह पर कोन ग्रह के वक्र दृष्टि पड़लै! कनियाँ भड़फोड़ी
के पराते पूजा के नाम पर जे नैहर गेलिह से फेर ससुर लौटबा लेल साफे मना कs
देलखिन। भाँति-भाँति के आरोप .... दहेज उत्पीड़न, गारि-गलौज, दू-भावना,
बहिकीरणी सन व्यवहार, वरक केकरो आन संग अनैतिक संबंध...... की की नहिं!
बहुत कोशिश भेलै दुहू पक्ष सँ, माय-बाप अन्न-पानि त्यागि देलखिन; मुदा कनियाँ
टस्स स मस्स नहिं भेली आ अड़ल रहली निर्वहन हेतु पैंतीस लाख रूपया लेल।
मामिला अदालत मे जइतै, बहस मे अनेरो आरोप-प्रत्यारोप, दुहू कुलक छीछालेदर
.... एहि सभ सँ नीक भरमे-सरमे कोनो ब्योंत कs टाका देनाईये राधाबाबू के
उचित बुझना गेलनि।
ओहि दिन अपन मित्र सs भेंट कs घर घुरैत काल नजरि पड़लनि गली के कोन परहक खाली
मकान जाहि पर मोट आखर मे 'विक्री लेल' के तख्ती टाँगल देखबैत मित्र कहने
रहथिन मकान तs बड्ड नीक छै मुदा दामे तते रखने छै जे ककरो सs बात नहिं पटै
छै। ओ मकान फूल-माला सs सजाओल देखि जिज्ञासावश अपन गाड़ीक कनेक ब्रेक लगेलनि
अकानैक जे के किनलक ई घर। देखलनि वरामदा पर ओ कनियाँ एकटा पुरूख सँगे
हँसि-हँसि बतिया कs चाह पिबैत। हुनकर पैर एक्सीलेटर पर अनायासे जोर सs पड़ि
गेल रहनि।
-कुमार मनोज कश्यप, सम्प्रति : निदेशक, भारत सरकार; संपर्क : सी-11,
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