प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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राम शंकर झा "मैथिल"
 

ठकहरबा

 

जानि नहिं हअमर निन
कतह हेरा गेल
कोना कए हेराअ गेल
कोन गाम कोन बाट
ने कोनो सुधि
ने कोनो बुद्धि
जानि नहिं हअमर....!
केहन स्नेह केहन प्रीति
कोन डोरा सँ बनलहूँ
हे सप्ताह माई
हे विप्ताह माई
ज्यों हअमर निहोरा सुनि
कतेको रैव कतेको शैएन
ई जन्म के कहाअ
सातो जन्म अहिं कें
गोर आंचर पसारब
कनेक मैत फेरि दियौ
कनेक सुधियौ तअ लेताह
जानि नहिं हअमर....!
पेंईच ळ कतेक जतन सँ
जाहि बाड़ी मे रोपलैथ
झुमनी, सजमैन केराअ
सगरों टोल गाअम पूछि रहल
कहिया काटब केराक घौउंर
कोनाक कहिए के पतिएता
कबुला केने छि मने-मन
हे भगवती हे दीनानाथ
ज्यों कुशलेछेम आबि जेताह
पहिल छिमी सिरा आगु..
जानि नहिं हअमर....!
भोरक भुरूकबा सँ
घर दुहारि आ निपी अंगना
चट कखनो कोलखी आबि
चट कखनो भन्साघर आबि
चूल्हाक आंच कखन मिझाएळ
ने किछु सुझि रहल अछि
ने किछु बुझि रहल छि
कखन अधहन खौलल
कखन तरकारि सिझअळ
कहैत ननैद साउस
आ दिआदनि
कनियां कें अझट लागल
देखाउ हिनका ओझा-गुणी
दुहाई हे कमला माअय
जनिह हे उगलाहा दयैब
जानि नहिं हअमर....!
भगवती कें पातैर दैत
तुलसी चौरा जल ढ़ारैत
एक संझा सङ्ग एकादशी
बटुक-कुमाईर खुआबि
जानि नहिं हअमर...!
अन्हा कें कूटल सिलौट
लोरही सेहो घसाअल
मुदा नहिं घसाअल
अन्हा कें लगाओल
हअमर हाथक मेंहदी
जानि नहिं हअमर...!
दलान घरक पछुऐत मे
नानी कें देल अन्हा कें रोपल
सिंघापुरी केरा कें गाछ
कि आसिन कि भादो मास
टिपीर टिपीर मेघ बरैस रहल
केराअक पाअत पअर बुन्नी
ऐना छिटैक रहल अछि
जेना अन्हाक जुल्फीक छिंट
ई केराक पाअत टिपीर टिपीर
जेना सखुआ कांटाक टीस
जानि नहिं हअमर....!
हे छठी माय हे चौठी चान
अन्हा मीरा कें दर्द सुनलहूँ
सत्यभामाक दर्द बुझलहूँ
अन्हा ककर नहिं दुःख हरलहुँ
हअमर कहिया कखन हरब
माअ देल ई गेरुआ
बहिनक देल ई सूजनी
जाहि पअर लिखल
प्रीति सङ्ग मैथिल
मुदा आब हअम
एहि गेरुआ एहि सूजनी
मोटका आखर मे लिखब
प्रीति सङ्ग ठकहरबा...
ठकहरबा..ठकहरबा..!!

 

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