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हितनाथ झा-संपर्क-09430743070

जलसंरक्षण आ नारायणजी चौधरी

जल संरक्षणक महत्व आ सरकारक दायित्वक निर्वहनक एक उदाहरणसँ हम अपन आलेखकेँ प्रारम्भ करय चाहैत छी। जल संरक्षणक मुख्य साधनमे सँ एक छल पोखरि। प्रत्येक गाममे पोखरि अछि, विशालकाय एवं छोट सेहो। सरकारी एवं व्यक्तिगत दुनू। गाम-समाजक जल आपूर्ति आ जलवायुक सन्तुलन लेल कतेक आवश्यक छल, ई सर्वविदित अछि। मिथिलाक गाममे एहन बहुतो पोखरि अछि जे मिथिलाक गौरवमय इतिहासक साक्षात दर्शन करा रहल अछि। लोक कल्याणार्थ पोखरि खुनाओल जाइत छल, जाहिसँ साधारण व्यक्ति सेहो जल संकटसँ त्राण पाबि सकैत छल। पोखरिक यज्ञ होइत छल। पैघ-पैघ जमींदार अपन जमीनपर सेहो पोखरि खुनबैत छलाह। सरकार सेहो अपन दायित्व निमहबैत छल आ पोखरिक निर्माण करैत छल।

समयक परिवर्तन होइत गेलैक, जल संकट बढ़ैत गेलैक, जंगल कटैत गेलैक, पर्यावरण दूषित होइत गेलैक, पोखरि भराइत रहलैक आ सरकार ई सभ देखितो आँखि मुनैत रहलैक, एतबे नहि सरकार पर्यावरण, जल-संकटसँ उबारबाक बदला संकट बढ़यबामे सहभागी बनैत रहलैक।

एहने एक गामक दृष्टान्त नजरिपर आयल, जकरा हम अपने लोकनिक समक्ष प्रस्तुत करैत छी। मिथिलाक एक प्रसिद्ध गाम अछि कोइलख। कोइलखक पाण्डित्य परम्पराक प्रमुखतममेसँ एक अछि प. राजा झा, ज्यो. अपूछ झा एवं प.खुद्दी झाक परिवार। ई तीनू सहोदर भाइ छलाह। हुनकहि लोकनिक खुनाओल पोखरिक प्रसंग प्रो.डा.जयन्ती कान्त झाक चिन्ता सोशल मीडियापर पोस्ट कयने रहथि- "ई पोखरि प. खुद्दी झा एवं हुनक अग्रज ज्योतिर्विद प. अपूछ झाक पत्नी गुंजेश्वरी ओझाइन द्वारा निर्माण 1920-25 मे कराओल गेल छल। हालहिमे एहि पोखरिकेँ जल-जीवन-हरियालीक तहत पुनरुद्धार करबाक बदला भरबा कs एतs प्रशासनिक भवन बनयबाक लेल ग्रामीण स्तरक प्रशासनिक पदाधिकारी, अंचल, अनुमण्डल एवं जिला स्तरक पदाधिकारी आदि सक्रिय छथि। गामक एवं मिथिलाक लोक जनिक नामसँ आइयो गौरवान्वित अनुभव करैत छथि, हुनकहि कीर्तिकेँ ध्वस्त करबापर व्याकुल छथि आ हुनक नामो निशान मिटयबाक लेल छटपटा रहल छथि। एतs इहो कहब अप्रासंगिक नहि होयत जे एहि पोखरिमे यज्ञक प्रतीक चिह्न जाठि एवं किछु खतियानी जमीन ज्यो. अपूछ झाक नामसँ आइयो अछि।"

उपर्युक्त कथन एक गामक मात्र एक पोखरिक अछि, जखन कि कोइलख गाममे छह सरकारी एवं पन्द्रहसँ बेसिए पोखरि अछि आ नीक स्थितिमे तँ कम्मे अछि। आनो गामक कमोवेश यैह स्थिति हेतैक। प्रो. जयंती कान्त झा ओही परिवारक अंश छथि, तेँ चिन्तित छथि, से भ' सकैछ, मुदा जाधरि जल संकट, पर्यावरण बचयबाक लेल स्वयंसेवक/पर्यावरणविद आगाँ नहि औताह, सरकारकेँ कर्तव्यक भान नहि करओताह, ता धरि एहने स्थितिसँ हमरालोकनिकेँ जूझय पड़त।

 

2000सँ पूर्व मिथिला क्षेत्रमे पानिक ओतेक समस्या नहि रहैक। नदी, पोखरि, इनार, डबरा खत्ता आदि पर्याप्त मात्रामे रहैक। जल भरल रहैत छलैक। माल-जाल लेल सेहो काज अबैत छलैक। विकसित शहरीकरण लेल आ विकासक डेग बढ़यबाक काल अपार्टमेंट, मॉल, बाजारक आवश्यकता आ एहि हेतु भू-माफिया सभ जलाशयक उपयोग सुलभ बुझलक, सरकार उदासीन रहल तेँ ओ लोकनि पोखरि आदि भरि पैघ-पैघ मकान बनाबय लागल, तेँ धीरे-धीरे जलस्तर नीचाँक मूहें ससरय लागल, इनार-पोखरि सुखाय लागल, नलक पानि सुखाय लागल, चापानलमे पानिक स्रोत कम होअए लागल, तखन एहिपर किछु लोककेँ ध्यान अयलनि, चिन्ता भेलनि आ एहि अभियानमे जे अग्रणी भ' जुड़लाह, हुनक नाम छनि श्री नारायणजी चौधरी। नारायणजी चौधरी कोना जुड़लाह, ओ कहैत छथि जे "जल संकटक कारण 2013-14सँ दरभंगामे टैंकर द्वारा आवासीय कॉलोनीमे पीबाक हेतु आपूर्ति करय लागल। ई देखि मन झकझोरि देलक। हुनका मन पड़लनि, जखन ओ 1982-83 मे ओ दिल्लीक मुनरिका इलाकामे एहिना पानिक आपूर्ति होइत देखने रहथि। ओही समय जल संरक्षण अभियानमे जुड़ि कोना पानिक संरक्षण हो, एहिपर कार्य करी।

 

हिनक विषयमे हिनक कार्य कलापक चर्चा पहिने एहि क्षेत्रक दू वरिष्ठ विशेषज्ञक बातकेँ राखय चाहब- प्रो.डा.विद्यानाथ झा जे एम.एल.एस. एम.कॉलेज दरभंगाक प्रधानाचार्य (सेवानिवृत्त)क अध्ययनक क्रममे जिला गजेटियर 1964क अनुसार दरभंगामे 300 सयसँ अधिक पोखरि छल, जे बादमे मिल्लत कॉलेजक सहायक प्राध्यापक वनस्पति विभाग, एस. एच. वज्मीक शोधक अनुसार 1990मे 213 टा बचल रहलैक आ आब शहरी निकायक आधिकारिक आँकड़ाक अनुसार मात्र चौरासी पोखरि बचल अछि। डा. झा कहैत छथि जल निकायकेँ बचयबाक लेल आवाज उठयबाक श्रेय श्री नारायणजी चौधरीकेँ जाइत छनि।

जल निकायपर शोध कार्य करयबला बिहार सरकारक पूर्व जल संसाधन विभागक अधिकारी आइ. ए.एस. श्री गजानन मिश्र कहैत छथि- "दिन-ब-दिन जल निकायक संख्या कम भ' रहल अछि, आ सरकारक दिससँ ओकर संरक्षण करबाक आ पुनर्जीवित करबाक कोनो गम्भीर प्रयास नहि कैल जा रहल अछि। एहि स्थितिमे श्री नारायणजी चौधरी लोकमे जागरूकता अनबामे सफल रहलाह अछि। हिनकहि अथक प्रयास/संघर्ष/आन्दोलनसँ दरभंगामे किछु पोखरिकेँ अतिक्रमणसँ बचाएल गेल अछि आ किछु पोखरिकेँ पुनर्जीवित सेहो कैल गेल अछि।" हिनक विषयमे आगाँ श्री मिश्र कहैत छथि- "स्थानीय लोकक बीच हिनका पोखरिक रक्षकक रूपमे जानल जाइत अछि आ यैह एहि मुद्दाकेँ सर्वोपरि मानि सार्वजनिक पटलपर रखलनि आ संघर्ष करबाक लेल प्रेरित कयलनि।"

'एकला चलो रे'क तर्जपर चलैत अपन लक्ष्य दिस बढ़लाह तँ हिनक सङ्ग अनेक पृष्ठिभूमिक लोक आबि गेलथिन जाहिमे वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्माक सहयोग हुनक जीवनकाल तक रहलनि आ एखनहुँ सहयोग भेटि रहल छनि स्थानीय वैज्ञानिक, डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदिक जाहिसँ हिनक अभियानकेँ बल भेटैत रहतनि आ जल संरक्षणक क्षेत्रमे विशिष्ट काज होइत रहत।

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