प्रणव झा
मिथिला मे पोखरिक अतिक्रमण आ "तालाब बचाओ अभियान"
"पग-पग पोखरि, माछ-मखान" मिथिलाक पहिचान रहल अछि, जे गाम-गाम मे पोखरिक उपस्थिति आ ओहि सँ माछ आ मखानक उत्पादनक प्रचुरता देखबैत अछि। पोखरि एतुक्का जीवनक आधार रहल अछि- खेती-बाड़ी, माछ पालन, मखान उत्पादन, आ डेली केआवश्यकता जेना नहेनाइ, धोनाइ, आ माल-जाल लेल पानिक व्यवस्था एकर माध्यम सँ होइत रहल अछि। मुदा पिछला दू-अढ़ाइ दशक (2000-2025) मे ई पोखरि सभ तेजी सँ अतिक्रमणक शिकार भऽ गेल अछि। भू-माफिया सभ पोखरि सभ केँ भरबा कऽ ओहि पर मकान, दुकान, आ बिल्डिंग बनबैत जा रहल अछि। ई धंधा कमोवेश मिथिलाक सभ जिला मे फरि-फुला रहल अछि जकरा कारण मिथिलाक जल संपदा संकट मे पड़ल अछि।
ऐ संकटक बीच श्री नारायण चौधरीजी क नेतृत्व मे "तालाब बचाओ अभियान" एकटा आशाक किरण बनल। ओ अपन अथक प्रयास सँ मिथिलाक (खास कऽ दरभंगा जिलाक) पोखरिक संरक्षणक लेल माफिया, प्रशासन, आ सामाजिक उदासीनता सँ लगातार लड़ैत आबि रहल छथि। ऐ आलेख द्वारा पोखरिक ऐतिहासिक महत्व, अतिक्रमणक कुप्रभाव, माफियाक भूमिका, चौधरीजीक संघर्ष आ उपलब्धि, आ संबंधित हालक खबर पर चर्चा करबाक प्रयास अछि।
मिथिला मे पोखरि खाली पानि सँ भरल खाइध नहि अछि, बल्कि संस्कृति, अर्थव्यवस्था, आ सामाजिक जीवनक आधार रहल अछि। 1964क दरभंगा गजेटियरक मुताबिक, दरभंगा शहर मे 300 सँ बेसी पोखरि छल। उदाहरण लेल, गंगा सागर पोखरि, हराही पोखरि, आ दिग्घी पोखरि सन पोखरि ऐतिहासिक आ सामाजिक दृष्टि सँ महत्वपूर्ण रहल अछि। ई पोखरि सभ माछ पालन आ मखान उत्पादनक केंद्र छल। मखान, जे मिथिलाक विशेष उत्पाद अछि, एकर वार्षिक उत्पादन 2000क दशक मे लगभग 50,000 टन छल, जे मुख्य रूप सँ पोखरि सँ होइत छल (आब एकर उत्पादन खेत मे सेहो होबय लागल, मुदा ई दोसर विषय अछि)। मिथिला मे पोखरिक कात मे मेला, पूजा-पाठ, आ सामुदायिक आयोजन सभ प्राचीन समय से होइत आबैत रहल अछि, जे एकर सांस्कृतिक महत्व के इंगित करय अछि।
1989 मे प्रो. एस.एच. बज्मीक सर्वे मे दरभंगा मे 213 पोखरिक उल्लेख भेल, जे 25 साल मे 87 पोखरिक कमी देखबैत अछि। 2016 मे दरभंगा नगर निगमक आँकड़ा मे ई संख्या मात्र 84 रहल, जे एकर तेजी सँ लुप्त होएबाक सोझा संकेत दैत अछि। मधुबनी जिला मे 10,755 सरकारी आ निजी पोखरि छल, जाहि मे सँ क्योटी प्रखंडक तेलिया पोखरि, सिंहवाड़ाक होलिया पोखरि, आ मनीगाछीक दिग्घी पोखरि प्रसिद्ध छल। ई पोखरि जल संरक्षणक प्राकृतिक साधन छल, जे भूजलक स्तर के बना कऽ राखैत छल आ बरसातक पानि के संरक्षित करैत छल। उदाहरण लेल, गंगा सागर पोखरिक आसपासक गाम मे 1990क दशक तक हैंडपंप मे पानिक कहियो कमी नहि होय छल, मुदा एकर सिकुड़न सँ भूजल संकट शुरू भेल, जे हाल के साल मे अक्सर गर्मी के सीजन मे देखल जा रहल अछि।
2000क दशक मे मिथिला मे शहरीकरण आ जनसंख्या वृद्धिक लहर शुरू भेल। दरभंगा शहरक जनसंख्या जे 2001 मे 2.96 लाख छल, से 2011 मे बढ़ि कऽ 3.80 लाख भऽ गेल। ऐ तीव्र जनसंख्या वृद्धिक कारण जमीनक माँग बढ़ल, आ पोखरि पर भू-माफियाक नजर पड़ल। मन पोखरि (दरभंगा), नीम पोखरि (विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र), आ बाबा सागर दास पोखरि सन पोखरि पर माटि भरा कऽ अतिक्रमण शुरू भेल। उदाहरण लेल, मन पोखरि, जे कहियो 10 एकड़ मे पसरल छल, एकरा ऊपर धीरे-धीरे अतिक्रमण कऽ मकान बनेनाइ शुरू भेल आ 2008 तक एकर आकार घटि कऽ 6 एकड़ रहि गेल। 2005 मे दरभंगा मे भूजल स्तर नीचा जेबाक पहिल रिपोर्ट आयल, जेकरा चौधरीजी पोखरिक कमी सँ जोड़लखिन अछि। 2000-2010 के दशक मे लगभग 50 पोखरिक आंशिक अतिक्रमण भेल, जकरा भू-माफिया द्वारा पोखरिकेँ अतिक्रमण के नींवक रूप मे देखल जा सकय अछि।
2010-2020 के दशक पोखरि लेल सर्वाधिक विनाशकारी रहल। भू-माफिया संगठित रूप सँ पोखरि के निशाना बनौलक। 2013 मे चौधरीजीक सर्वे मुताबिक, दरभंगा जिला मे 9,113 पोखरि छल, मुदा 2020 तक ई संख्या 7,000 सँ नीचा चलि गेल। मोंगाबे (2020)क एकटा रिपोर्टक मुताबिक, मोइनी पोखरि (दरभंगा), डुमडुमा पोखरि (मधुबनी) माटी सँ भरल गेल। कोविड काल (2020-21) मे, जखन प्रशासन महामारी सँ जूझैत छल, माफिया 25 सँ बेसी पोखरिक अतिक्रमण कऽ लेलक। नीम पोखरिक उदाहरण लिय- 36 डिसमिल क्षेत्र राता-राती माटी सँ भरल गेल, आ ओहि पर खोपरी आ बांसक ढाठ बना देल गेल (डाउन टू अर्थ 2024)। मनीगाछी प्रखंड मे सूरयाही पोखरि (15 एकड़) आ जगरनाथ पोखरि (12 एकड़) पर मकान बनल। ऐतिहासिक दिग्घी पोखरि (20 एकड़) 2015 तक 8 एकड़ रहि गेल, आ हराही पोखरिक आधा हिस्सा माटी सँ पाटल गेल। 2020क बादो अतिक्रमण अनवरत जारी रहल अछि, मुदा किछु सकारात्मक कदम सेहो उठाओल जा रहल अछि। जनवरी 2024 मे ईटीवी भारतक खबरक मुताबिक, दरभंगा मे एकटा पोखरि (लाल पोखरि, 5 एकड़) रात मे माटि सँ भरल गेल। स्थानीय सुनील कुमारक बयान छल जे माफिया दिन-रात माटी भरि देलक, आ पुलिस चुप रहल। डीएम जांचक आदेश देलखिन, मुदा कार्रवाई नहि भेल। मखनाही मे 2023 मे एकटा पोखरि (10 डिसमिल)क अतिक्रमणक विरोध भेल, जकरा चौधरीजीक प्रभाव मानल गेल। फरवरी 2025 मे प्रभात खबरक रिपोर्टक मुताबिक, "तालाब बचाओ अभियान"क सदस्य के भू-माफिया सभ के तरफ से लगातार आक्रमण आ धमकी के सामना करऽ पड़ि रहल छैक। हुनका सभ के डीएम आ एसएसपी सँ मीलि कऽ माफियाक धमकी सँ सुरक्षा मंगय पड़लैन, जे देखबैत अछि जे अतिक्रमणक खिलाफ लड़ाइ कतेक कठिन छैक।
श्री नारायण चौधरीजी आ "तालाब बचाओ अभियान"
श्री नारायण चौधरीजी, जे मिथिला ग्राम विकास संस्थानक संचालक छथि, 2005 मे पोखरिक संरक्षणक मुहिम शुरू कएलखिन। एकर प्रेरणा हुनका ऑफिसक हैंडपंप के सुखबाक घटना सँ भेटल। ई घटना हुनका मिथिला मे भविष्य मे होबऽ बला जल संकट के प्रति आगाह केलक। एहि लाथे ओ राजस्थान गेलखिन, जतय जल पुरुष राजेंद्र सिंह सँ जल संरक्षणक तकनीक सिखलखिन, आ दरभंगा मे 24 टा पोखरि (जेना नीम पोखरि, मन पोखरि)क सर्वे कएलखिन। प्रशासन केँ मेमोरेंडम देलखिन, मुदा कोनो जवाब नहि भेटलनि।
2014 मे एहि संबंध मे चर्चा आ साकारात्मक योजना लेल ओ सक्रिय राजनीतिक दलक बैठक बजेलखिन। यद्यपि ई कतेक कारगर रहल ई नै कहल जा सकय अछि। आगा ओ मल्लाह एवं क्षेत्रक अन्य समुदाय सभ केँ अपन अभियान सँ जोड़लखिन। बेतागामी पोखरि (12 एकड़) बचबैत 2015 मे हुनक एकटा साथीक हत्या तक भऽ गेलै। ऐ तरहक प्रत्येक प्रयास के बाद हुनका सभ के लगातार माफियाक धमकी आ प्रशासनक उदासीनता भेटलैन। मुदा हुनक प्रयास जारी रहलएहि क्रम मे NGT मे 2016 मे केस दायर कए, संघर्ष के कानूनी लड़ाई के रूप मे लड़ब सेहो शुरू भेल। कोविड काल मे 25 पोखरिक अतिक्रमण भेल, मुदा चौधरीजी 2021 मे फेर सक्रिय भेलखिन।
हमर माननाइ अछि जे श्री नारायण चौधरी जे "तालाब बचाओ अभियान" चला रहल छैथ, ओ मिथिला राज्य के भूगर्भिक, आर्थिक आ सामाजिक तीनों पक्ष के लेल एकटा महत्वपूर्ण अभियान छैक। ताहि लेल नै खाली ऐ प्रकार के अभियान के चर्चा भेनाइ आवश्यक अछि अपितु जागरूकता के संग अपना अपना स्तर पर या संगठनात्मक रूप सँ ऐ प्रकार के अभियान के समर्थन सेहो आवश्यक छै। संगठन के प्रयास के एखन धरि किछु अन्य जे उपलब्धि नजर मे आयल अछि :
1. मखनाही पोखरि: 2023 मे 10 डिसमिल पोखरिक अतिक्रमण रुकल। मखानाही मे पोखरि भरबाक प्रयास स्थानीय लोक द्वारा रोकल गेल। ई विरोध चौधरीजीक जागरूकता अभियानक परिणाम छल। सुप्रीम कोर्टक निर्देश के हवाला दैत स्थानीय लोक सभ माफिया के पाछू हटय लेल मजबूर क देलखिन्ह।
2. प्रशासनिक दबाव: NGTक दबाव सँ कैएक टा पोखरि सँ अतिक्रमण हटल।
3. एहि वर्ष जनवरी के खबर छै जे एनजीटी दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हराही आ दिग्घी पोखरि के गंदा करय के लेल 1.61 के जुर्माना लागेलक आ आपण ड्रेनेज प्रोसेस मे आवश्यक सुधार करबाक आदेश देलक अछि।
4. जागरूकता: श्री नारायण जी के नेतृत्व मे 50 सँ बेसी गाम मे पोखरिक प्रासंगिकता आ ऐ के प्रति जागरूकता के प्रचार भेल।
5. सामुदायिक संगठन: बहुत रास गाम सभ मे तालाब रक्षा समिति बनओल जा रहल अछि।
6. संस्कृति संरक्षण: तालाब बचाओ अभियान के माध्यम से मिथिलाक धरोहरक प्रति जागरूकता सेहो बढ़ाओल जा रहल अछि।
मिथिलाक पोखरि बचबाक लेल माफिया पर कठोर कार्रवाई, प्रशासनिक जागरूकता, आ सामुदायिक भागीदारी जरूरी अछि। चौधरीजीक अभियान प्रेरणा अछि, मुदा एकर लेल व्यापक समर्थन चाही।
नारायणजी चौधरी कहैत छथि जे आब सरकार द्वारा पूरा राज्य मे पोखरि पर अतिक्रमण के पहचान कऽ अतिक्रमण मुक्त बनेबाक अभियान चलि रहल अछि। मुदा दुर्भाग्यवश दरभंगा शहर एहि मे पिछड़ल अछि। एखनहु प्रशासन पोखरि अतिक्रमण के शिकायत करय वाला के दोसर तरह सँ परेशान करैत अछि. ओकरा खिलाफ झूठ एफआईआर दर्ज करा लैत अछि। आइ धरि शहर मे कोनो व्यक्ति पर पोखरि अतिक्रमणक कोनो शिकायत दर्ज नहि भेल अछि। एहन नहि बुझाइत अछि जे हमर अभियानक कोनो असर जमीन पर पड़ि रहल अछि। लेकिन हुनकऽ अभियान केर असर ई छै कि स्थानीय लोक मे किछु चेतना भेलैक अछि। पोखरि भरैक कोशिशक विरोध कऽ रहलऽ छै। लोक के मध्य ई विचार पसरि रहल छैक जे पोखरि केकरो नाम रहितो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अहाँ ओकरा नहि भरि सकय छी कारण जे पोखरि भरला सँ सामूहिक परिवेशक नुकसान होयत छैक।
अतिक्रमणक कुप्रभाव
1. भूजल संकट: पोखरि भूजल के पोषण (रिचार्ज) करैत अछि। एकर कमी सँ दरभंगा मे 2005 सँ हैंडपंप सूखनाइ शुरू भेल। डाउन टू अर्थ (2020)क मुताबिक, बिहार मे भूजल स्तर 10-15 फीट नीचा चलि गेल अछि, जेकर 60% कारण पोखरिक अतिक्रमण अछि। उदाहरण लेल, गंगा सागर पोखरिक आसपास 2010 तक हैंडपंप मे पानी छल, मुदा 2020 तक सबमर्सिबल पंपक आवश्यकता पड़य लागल।
2.जलजमाव: पोखरि बरसातक पानीक निकासी आ संरक्षण दुनु करैत अछि। एकर अभाव सँ बरसात मे जलभराव के समस्या बढ़ल अछि, खास कऽ के शहरी आ कसबाई क्षेत्र मे। एकटा रिपोर्ट के मुताबिक मन पोखरिक सिकुड़न सँ करमगंज-रहमगंज मे 2022 मे 15 दिन धरि जलजमाव रहल।
3. जैव विविधता ह्रास: मिथिला क्षेत्र नाना प्रकारक माछक संरक्षण क्षेत्र रहल। विविध प्रकार के माछ जे मिथिलाक प्रकृतिक जलस्रोत सभ मे होइत छल से विलोपित भेल जा रहल अछि। डाउन टू अर्थ (2024)क मुताबिक, मिथिलाक 20% माछ प्रजाति लुप्त भऽ गेल अछि।
4. आर्थिक नुकसान: मल्लाह आ मखान उत्पादक समुदायक आजीविका छिनल जा रहल अछि। मोंगाबे (2020)क मुताबिक, दरभंगा मे 10,000 सँ बेसी मल्लाह मजदूरी करैत अछि, जे पोखरि आ जलाशय के सिकुड़न आ कंटैमिनेशन के कारण अपन पारंपरिक आजीविका से या त दूर भेल जा रहल छैथ या पलायन कऽ रहल छथि।
5. सांस्कृतिक क्षति: पोखरिक नाश सँ "पग-पग पोखरि"क कहावत इतिहास बनल जा रहल अछि। उदाहरण लेल, हराही पोखरि पर होबै वाला मेला 2015 सँ बंद भऽ गेल।
भू-माफियाक खेल
पोखरिक अतिक्रमणक मुख्य खलनायक अछि भू-माफिया सभ। एकर जे सेट कार्यप्रणाली अछि:
- चिह्नांकन: कमजोर/गैरमजरूआ पोखरि, जे सरकारी निगरानी सँ बाहर हो, चिन्हित कएल जाइत अछि।
- राता-राति भराई: माटी आ कचरा सँ राता-राति पोखरि भरल जाइत अछि।–
- फर्जी कागज: जमीन के निजी संपत्तिक रूप मे रजिस्ट्री बनाओल जाइत अछि।
- - निर्माण: मकान, दुकान बना कऽ बेचनाइ शुरू भऽ जाइत अछि।
- नीम पोखरिक मामला मे प्रशासनक मिलीभगतक आरोप लागल। शिकायत करय वला सुनील ठाकुर पर 2021 मे फर्जी FIR भेल। चौधरीजीक मुताबिक, ई "तीन सूत्री गठजोड़" अछि—कागज बनेनाइ, माटी भरेनाइ, आ विरोध के दबेनाइ।
- श्री नारायण चौधरीजीक अभियान मिथिला मे पोखरि संरक्षणक एकटा प्रमुख प्रयास अछि। अन्य लोक, समुदाय, आ संस्था सभ सेहो ई दिशा मे किछु कदम उठा रहल अछि। मधुबनी मे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्किल चलबयबला पूर्व मेयर प्रत्याशी रणधीर झा सेहो मिथिला के जलाशय के संरक्षण के लेल स्थानीय मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता के लेल अक्सर प्रयास करैत देखाइ दैत छथि। हाल फिलहालक मीडिया रिपोर्टिंग मे किछु अन्य जानकारी जे सामने अबैत अछि:
- बिहार सरकारक "जल-जीवन-हरियाली अभियान": बिहार सरकार 2019 मे "जल-जीवन-हरियाली अभियान" शुरू कएलक, जेकर लक्ष्य 33,000 पोखरिक जीर्णोद्धार आ जल संरक्षण छल। डाउन टू अर्थ (2020)क मुताबिक, मिथिला क्षेत्र मे सेहो ई योजना लागू भेल। उदाहरण लेल:
- •दरभंगा: 2023 तक150 पोखरिक खुदाई आ मरम्मति भेल, जेना हराही पोखरिक किछु हिस्सा।
- •मधुबनी: 2024 मे 80 पोखरिक संरक्षणक कार्य शुरू भेल, जेना क्योटीक तेलिया पोखरि। फरवरी 2025 मे सरकारक रिपोर्टक मुताबिक, दरभंगा मे 50 नव पोखरिक निर्माणक योजना स्वीकृत भेल। ई अभियान चौधरीजीक प्रयासक पूरक बनल अछि, मुदा माफियाक दबाव आ सरकारी सुस्तीक कारण एकर प्रभाव सीमित अछि।
- स्थानीय समुदायक प्रयास
- मिथिलाक गाम-टोला मे किछु समुदाय स्वयं पोखरि बचाबयक लेल आगे अबैत अछि:
- •मखनाही (दरभंगा): 2023 मे स्थानीय मल्लाह समुदाय माफियाक खिलाफ विरोध कएलक, जे चौधरीजीक प्रेरणा सँ संभव भेल। 10 डिसमिल पोखरि बचल।
- •बाजितपुर (मनीगाछी): 2024 मे गामवासी सुरयाही पोखरि (15 एकड़)क अतिक्रमण रोकलखिन, जखन माटि भरनाइ शुरू भेल छल। न्यूज़18 (जनवरी 2025)क मुताबिक, 50 लोकनि मिलिक' पुलिसक शिकायत कएलक।
- • सिंहवाड़ा: होलिया पोखरि(8 एकड़)क संरक्षण लेल 2025 मे गामक युवा समूह खुदाई शुरू कएलक, जे सरकारी सहायता सँ मुक्त छल।
- अन्य संस्था आ एनजीओ
- • मिथिला जल संरक्षण समिति: ई एकटा स्थानीय एनजीओ अछि, जे 2022 मे मधुबनी मे शुरू भेल। एकर लक्ष्य पोखरिक सर्वे आ जागरूकता अछि। 2025 तक एकरा द्वारा करीब 30 टा पोखरिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार कएल गेल आ प्रशासन केँ उचित कार्यवाई लेल सौंप देल गेल।
- • गंगा-कोसी जल संरक्षण मंच: दरभंगा आधारित ई संस्था नदी आ पोखरिक संरक्षण पर काम करैत अछि। 2024 मे ई गंगा सागर पोखरिक कचरा हटेबाक लेल अभियान चलौलक, जे लगभग 500 लोकक सहयोग सँ सफल भेल।
- • पर्यावरण संरक्षण संगठन: मधुबनी मे सक्रिय ई संगठन 2025 मे पोखरिक पुनर्जननक लेल स्थानीय स्कूलक छात्र सभक संग मीलि कऽ कार्य शुरू कएलक। उदाहरण लेल, तेलिया पोखरिक भिंडा पर वृक्षारोपण भेल।
- मिथिला मे पोखरि आ जलस्रोत बचाबयक लेल श्री नारायण चौधरीजीक "तालाब बचाओ अभियान" एकटा प्रमुख्य आधार बनल अछि अछि, जै मे बिहार सरकार, स्थानीय समुदाय, आ किछु एनजीओ आ व्यक्तिगत प्रयास द्वारा सेहो योगदान देल जा रहल अछि। हालक घटना सँ स्पष्ट अछि जे मिथिला मे जलाशय के बचेबाक लेल जागरूकता बढ़ल अछि, मुदा माफियाक दबाव आ प्रशासनिक सुस्तीक कारण चुनौती बहुत पैघ अछि। सबहक प्रयासक समन्वय सँ मिथिलाक "पग-पग पोखरि" पहिचान फेर सँ जीवित आ पुष्पित-पल्लवित कएल जा सकैत अछि।
- [संदर्भ: डाउन-टू-अर्थ,mongabay, प्रभात खबर एवं अन्य मीडिया रिपोर्ट]
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