प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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प्रमोद झा  'गोकुल'

कतै नुकैलह?/ यैह गीत गुनगुनैय

कतै नुकैलह?

 

चण्ठ‌ ठण्ढ की

तोरो चपलकह ??

चढ़ि रथ दौरह चीरि पयोद

खारा रौद खारा रौद

कनकन्नी सुनसुन्नी छै बेजोड़

अकड़ल जकड़ल पोरे पोर ।

धधकय धधरा तोरम् तोर

तैयो नाम जपै सब तोर ।।

हुलुकि ताकि की बिलैलह मन मोद

खारा रौद खारा रौद •••••

घूरक अल्हुवा गेलैये पाकी

खोरि खोरि चौदिस हम ताकी

तैयो पुरै कहांँ ककरो छाकी

धिपले खिचड़ी खुवा गै काकी !

हंँसलै कमल जगलै आस प्रमोद

खारा रौद खारा रौद

यैह गीत गुनगुनैया

 

अमाक अन्हरिया राति हो

कि चानक धवल इजोरिया

उषाक मधुर भोर हो कि

टह टह टनक दुपहरिया ।

सरस रभस स्वाद नव नव

चाखू रभसू बनि बहु रुपिया

अदिष्ट बनल सहजोर अहाँके

काटय सतत हमर अहुरिया ।

भव सागर के के थाहि सकैछ ?

लय भावक भंजित लकुटिया

शापित जीवन संतप्त मन के

नहिं ठंढा सकैछ शीतलहरिया ।

बदहवास उड़ल होसहवास

उपहास हास दिन रतिया ।

कर्म पथक पथिक इहो बटोही

तैयो पीटय पुनि पुनि  छतिया ।

कर्मक खेल मे फेल भेलह तों

तें जुनि रुकह भव नाव खेबैया

इष्ट सिद्ध करह वा देह हतह तों

बढ़ह चलह यैह गीत गुनगुनैया ।

- प्रमोद झा  'गोकुल',  दीप,  मधुवनी (विहार)  फोन-9871779851

 

 

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