प्रमोद झा 'गोकुल'
रोपब लात हम तकरा मत्था
रूप बसन्ती काया तोहर
हमहूँ सजलौं भेलौं लाल ।
चल घर सँ निकलै जाइ जो
देशक भीतर ढुकलौ काल ।।
धवल हिम उत्तुंग शिखर पर
चमकै शिव त्रिशूल विकराल ।
विंध्य गिरि पर दुर्गा हुम्हरथि
सुनिले स्वर खर्गक तत्काल ।।
गंगा यमुनाक स्वर लहड़ी मे
माँ भारतीक करुण पुकार ।
भीतर बाहर जे शत्रु संवाहक
झटसे करू एके संग संहार ।।
हे भारतक धीर वीर बेटा बेटी !
हुरदंगी आतंकीके दियौ गलहत्था ।
सीमा पर जे ढीठ डीठ देखाबय
रोपब लात हम तकरा मत्था ।।
-प्रमोद झा 'गोकुल', दीप,मधुवनी (विहार), फोन-9871779851
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