डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
दूटा कविता- मृतक/ पुरुषक समस्या
1.
मृतक
अहाँक घर मे
आगि लागल अछि
अहाँ किछु नहि बजलहुँ
बेटी सभ केँ लऽ गेल
अहाँ कोनो प्रतिक्रिया नहि केलहुँ
कुम्बाक गारि पड़ल
अहाँ किछु नहि बजलहुँ
अहाँक घर
अहाँक पूजा स्थल
अहाँक दोकान सभ टूटि गेल अहाँ चुप रहि गेलहुँ
वास्तव मे
मरल मनुक्ख एकदम चुप भ' जाइत अछि...
2.
पुरुषक समस्या
पुरुष केँ
सेहो सदिखन समस्या होइत छैक
ओतय जिनगी मे
कोनो स्वतंत्रता नहि छैक
ताना कसैत अछि
एकटा दरबज्जा पर बैसल माँ
सदिखन कहैत छथिन
जहिया सँ पुतहु घर आबि गेल छथि
विरक्त भ गेल बेटा
बेटा बहिन सभ सेहो परेशान छल
सब हमरा से चाहैत अछि धन ओकरा लगैत अछि
धन-दौलत अछि हमरा पास...
जँ हम अपन पत्नी केँ नहि स्वीकार करब
त' ओ हमरा फँसा देतीह
त' ओ हमरा पर केस दायर क' लेतीह
हमर चिता के टुकड़ा भ जायत
हम एक व्यक्ति छी
मुदा हम कतेको मे रहैत छी
ओकरा बादो केकरो उम्मीद पे
खड़ा नहि उतरि रहल छी...
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