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लाल देव कामत

विश्व शांति : पोथी चर्चा
 

वयोवृद्ध ओकिल सेहाएब उर्फ़ श्री जगदीश प्रसाद मंडल जी आब मैथिली लेखन क्षेत्रमे कोनू नव परिचय केर विषय नहिं रहलैथ। हिनक नव सृजन केर एक कथा पोथी थिक - विश्व शांति,जाहिक लोकार्पण करय सहरसा " सगर राति दीप जरय " कथा गोष्ठीमे दि० २८- १२- २०२४ ई० केँ हम गेल छलहुँ। श्री मण्डल जीक ७९म् कथा संग्रह ' विश्व शांति ' मैथिली पोथी पल्लवि प्रकाशन - निर्मली सँ बहराएल छल। से १०५ पृष्ठक सद्यप्रकाशित मातृभाषा'क पोथीके दाम २५१ टाका छैक । एहि पोथीमे दसगोट नैका कथा संग्रहित कयल गेल अछि। अनुक्रम तीन पर पाठ्य- सूचिमे केन्द्रीय खिस्सा ' विश्व शांति ' केँ स्थान देल गेल छै। एखनधरि श्री जगदीश बाबूक ९० टा मैथिली भाषा मेँ कथा संग्रह निकलि चुकल छन्हि, जाहिमे प्रमुख रूप सँ चर्चित पोथी यथा- गामक जीनगी, क्रांतियोग, सुभिमानी जिनगी, त्रिकालदर्शी, दिवालीक दीप, अपन गाम, कृषि योग, रहै जोकर परिवार, कर्त्ताक रंग - कर्मक सँग, गामक सुरति बदैल गेल , अंतिम परीक्षा, फलहार, गुलेती दास, अप्पन साति, एकलव्यपन ,आदि। हिनक मैथिलीमे १२ नाटक-एकांकी ,१२ पद्य संग्रह- कविता अनेकों वाल साहित्य पर आधारित पोथी आ नारी केन्द्रीत विमर्शक पोथीक अतिरिक्त कतेको उपन्यास सेहो प्रकाशित भेल छन्हि। देशक पंगूपन पर आयल एकमेव उपन्यास केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सेहो भेटल रहनि। ओहि पोथीक तीन भाषा ; हिंदी, अंग्रेज़ी आ डोगरीमे अनुवाद सेहो भेलैक हेन।
दू पाटन के बीचमे ' पहील कथामे सामाजिक समस्या पर सम्यक रूपेँ विचार कयल गेल य। एकदिन भोरका समय गोपीकृष्ण 'क गाम हुनक हाईस्कूली जीवनक संगी धीरेन्द्र जीक खैरवोनी सँ आगमन होय छैन। अपना ओ गामपर नहिं रहलाक कारणेँ दक्षिणवारि बाट धरि खोजी करैत ओ दूनू बापुत थोड़ेक दुर बढ़ले छलैक तँ सामने हवा खाकय अबैत गोपीकृष्ण देखाईत छन्हि। दूनू गोटेयमे वार्तालाप होई छैक आ घुमि घरमुहान होईछ। बाटमे दैंतक खुनल पोखैर बावत चर्चा होइ छन्हि। धीरेन्द्र जीके कथन होईछ-" दाँईत कि दानव केतौ अन्तय अछि, ओहो तँ हमरे अहाँ जेकाँ ने गाम- गाममे बसलो अछि आ रहबो करैए।" ता दलान पर पुईंग जाई गेला। छिपलीमे छोट बचिया कुन्तीक आनल चाह आ लोटा गीलास सँ पानि दूनू गोटय ढारिकेँ पीबैत छैक। ई कथा ग्रामीण अँचलक आन पात्र जेना-: दुनियाँ लाल , गोपी ,श्याम, मानेसर , रसीक लाल ,प्रदीप आ छात्र- छात्रागण सँ जीवन्त भऽ उठैत छै। गाममे आब रिक्शा - टमटम घोड़ा गाड़ीक जगह ओटो टेम्पू चलला सँ पथिकके समय बचैत छैक। एन एच सँ जुटल गामक सड़क आ डायवर्सन लगक पुला पक्का बनि गेला सँ बगलक खेत उबजा सँ नहिं धंगाईत- मराईत छैक। बसबिट्टिक ग्रामीण सभा सँ मानवीय विषमता पर एक सामाजिक संदेश गरीबी-अमीरी 'क प्रसारित होई अछि। पाठ-२ एक्के साधे सब सधे कथामे रामगुलाम केर गप्प- सप मनमोहन काका सँ होईछ,एकटा काजमे एक व्यक्ति पारंगत होय से फरिछायल गेल छैक। ऐ कथामे स्त्री पात्र सुधिया आ कुमुदिनी छथि। विश्व शांति कथामे जाहि विषय पर ५ मिनट समयमे अदौरिया केँ भाषण शिक्षामंत्री आ सब अध्यापक ओ छात्र लोकनिक बीच देबाक छैक, ताहि मादे किछु विशेष जनतब लेल गुरु कका ओहिठाम धरि जाई य। ओतय परसू खनक संगोष्ठी लेल नवाँ वर्गक सुखदेव बेटाकेँ काका संतुष्टी जोकर विषय बुझा दैत छथि। ई विषय तँ राष्ट्रीय आ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उठैत रहैत छै ,आईधरि सरियाकेँ फरिया नहिं पेलक हेन। तैयो ई बुझबा योग्य छैक जे विश्व छी ब्रह्म आ शांति भेल माया। ऐ दू शव्द केँ सन्धि विच्छेद करब तँ एकटा विश्व आ दोसर शान्ति भेल। ऐ कथामे अपराजिता आ सरोजिनी दूई स्त्री नाम आ सम्बोधन करय लेल किछु पुरूष नाम यथा -:
रविन्द्र बाबू ,खुशीलाल बाबू , केदार बाबू , बिमल बाबू , रूद्र चन्द्र बाबू , सिंहेश्वर बाबू ,शुभकान्त बाबू केर उल्लेखित कयल गेल छैक। चानक यात्रा विज्ञान कथाके श्रेणीमे अबैत य। विष्णुदेव चान पर जेबाक तीन व्यक्तिक सूचिमे सं एक नाम अछि। ओ चारि साल पर गाम अबैछ आ रिटायर मास्टर पढ़ुआ काका सँ परात भने भेंट करैत छै। दमयन्ति , सोनेलाल ,मनचन पात्र जीवंतता बनौने रहैछ सम्पूर्ण कथामे। छठि पाबैन चलिए रहल छै आ सूर्य तथा चन्द्रमा विषय पर खूब चर्चा चलैत छै। ओना ई लोक आस्था केर पावनि रहैत मूलतः किसानक धान तैयारीके पछाति रव्वि खेती - बाड़ी आरम्भ करैक पावनि जानल आ मानल गेल हेन। सूर्य के एक दिन पूजा सँ एहिक महत्ता पर प्रकाश नहिं पड़त ,जखनकि सूरुजे सँ माँटि आ पानि निर्मित भेल य। बीरान कथामे चम्पापुर केर श्याम बाबू आ कमलपुरके गोपाल केर भेल छैक,जिनक बाबूजी मनमोहन बिराम पढ़ल छैन। श्याम बेटी बियाह लेल खाईन-पीन करय जाई ले दूदिन पहिले अपन विजातीय साथी सँ आग्रह करैत य।जहनकि ओ अपने २० घरक देयादि आ स्वयं समंगर छैक। अपना बापों पर विश्वास नहिं रखैत, भाखै छै ओ झगर लगाउन छै। झगरू सोभावक घनश्याम बाबू ,पूहूपलाल ,देव कान्त आ सिंहेश्वर नामी छै तेँ अजाति सँ एक व्यक्ति नीजी व्यक्ति कें टेबि सरोकारीमे जाएब नीक लक्षण - सगुन बुझैत य। बदलैत बिचार घटैत आशा कथामे एक पात्र कृष्णानन राजके कमतिया बनि ३००० बिगहा कटहरबोनी अरैज लेने छै। हृदयनाथके दादा भोजपुर सँ आबि पहिने राजके सिपाही छलैक। पटवारी मुकुन्द सेहो ओम्हरे सँ मिथिलामे आबि खूब धाख जमेने रहैछ। ओकर पोता मनोज पेसर योगेसर के वियाहमे ३० लाख टाका दहेज लैछ जे कि दिल्लीमे अन्तरराष्ट्रीय कम्पनी म काज करै ,मुदा रहैत छै शराबी। बेटा - पूतौह शीला ट्रक तरमे चप्पा पड़ि जाई छै । दूनू परिवार में ई कुटमैती शोक बढा देलकै। केकरा - ले केलौं कथामे नायक रुपलाल,संगी काका जे तीन मास सँ दर्द सँ काछर कटै छैक हुनक पत्नी सेहो रूग्ण छथिन ,तकर ईलाज ले दूनू बेटामे कियो रूचि नहिं रखैत छै। सुगीया काकी फोनो करने रहथीन। अमारूपी बाली काकी सँ थाह चलला पर रुपलाल तरकारी पहुँचाबय ओतय जाई छै तँ गप्प सरक्का क्रममे जनतब होय छै जे हुनकर दूनू बेटा बाहर रहैत छै। से बड़का बेटाकेँ चारिचकिया गाड़ी बंगला रहैत अपन श्वसुर केर कैंसरक इलाज सोलहैनी खर्च सँ बम्बई म कराबैत पिताके उपेक्षा करैत कथामे एकटा तथ्य गुम रहि गेल छै। परोक्ष रूपें जानि सकैत छी पाठक जे बेटा पर पूतौहक कड़ा शासन रहल हेतैक। सेवा कथामे सेहो गमैया पात्रक नाम देखाइछ।जेना - भूषण, सुमरीतलाल ,जनकलाल, बरस्पतिया, मरनी। साढ़े चारि सालक मरनी अपन बापके कहियो नहिं देखने रहैक । तकर माय रातिमे बेटीके सुतले छोड़ि राताराति गाम सं भागि गेल छै। पराते भने महिला मण्डलीमे पेराकात कानाफूसी होय। ओहि बेटीकेँ भूषण काका पालन- पोषण अपना ओहिठाम आनि करैत एक आदर्श उपस्थित करैत छैक। हुनक ऐ घोषणाके स्वागत हुअ जे बालिग भेलासन्ता सुयोग वर सँ बियाहि देथिन। बत्तीस दांत -: कथामे गोपीनाथ, सुबुध , सुमित्रा, जीयालाल , जीबछ , पूहुपलाल रहैत छै। जगदीश प्रसाद मंडल जीक प्रायः: सब कथामे चाहक चर्च अरबैधके रहबेटा करत।


- लाल देव कामत, नौआबाखर -हटनी

 

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