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डॉ. शिव कुमार मिश्र, संपर्क-9122686586

मिथिलाक धरोहरि अभियानी नारायण जी चौधर

मिथिलामे पोखरि खुनायब बड़ पैघ सामाजिक ओ धार्मिक कृत्य मानल जाइत अछि। पोखरि खुनायब ओकर यज्ञ केनाइ ओ सामाजिक उपयोग लेल समर्पित करब उत्कृष्ट सामाजिक कार्य मानल जाइत रहल छैक। धार्मिक व्यवस्थाक अनुसारें कोनो वर्ण वा जातिक कोनो व्यक्ति स्त्री वा पुरुष पोखरि खुनबा सकैत छथि आओर यज्ञ क' समाजकें समर्पित क' सकैत छथि। ऋग्वेदक मरुत सुक्तमे कहल गेल छैक जे प्याससँ व्याकुल भ' गौतम वायु देवताक प्रार्थना कयलन्हि जाहिसँ वायुदेवता प्रसन्न भए गौतम आश्रमक दक्षिण बिड़रोसँ माटि खोधि कय पोखरि बना देलनि। कर्णाट कालमे ज्योतिरीश्वरक वर्णरत्नाकरमे सरोवर ओ पोखरिक वर्णनक संगहि ओकर जलजीवक चर्चा अछि तहिना वर्धमान उपाध्यायक तड़ागामृतलता ओ जलाशयादिवास्तु पद्धति नामक पोथीसभमे पोखरि खुनेबाक महत्ताक वर्णन भेटैछ। एहि तरहें पोखरि खुनेबाक ओ तकर उराही करबाक परम्पराक अनुपालन मिथिलामे अनवरत होइत रहल अछि। जल संचयन हेतु पोखरि खुनेनाइ पुण्य मानल जाइत रहल। बरसातमे पानि जमा होइत छल जकर उपयोग बादमे जीव जन्तुक रक्षाक लेल होइत रहल। अकालक समयमे पोखरिक पानि पर लोक आश्रित रहैत छलाह। मिथिलाक राजा ओ जमीनदार लोकनि जल संचयन लेल पैघ-पैघ पोखरि खुनबौलनि। कर्णाटकालीन राजाक राजधानी सिमरौनगढमे कतोक पैघ-पैघ पोखरि छैक जकर उराहीमे प्रायः प्रतिवर्ष विभिन्न देवी देवताक ताहि कालक मूर्ति सभ भेटैछ। तहिना मिथिलाक प्रत्येक गाम ओ नगरमे पैघ-पैघ पोखरि देखल जा सकैछ।

एक दिस हमरा लोकनिक पुरखा पोखरि खुनाय पुण्यक काज कयलन्हि मुदा दोसर दिस पछिला किछु दशकसँ पोखरिकें भरि कय ओ अतिक्रमण कय पापक भागी लोक बनि रहल छथि। पोखरिक अतिक्रमणकारी सभ आपराधिक प्रवृत्तिक आचरण करैत छथि जाहिसँ समाजक लोक हुनक प्रतिरोध करबासँ परहेज़ करैत छथि। एहना स्थितिमे नारायणजी चौधरी सन पुण्यात्मा अपन पोखरि बचाउ (तालाब बचाओ) अभियान समितिक द्वारा पोखरिक रक्षा करबाक लेल अपन तन मन धन न्यौछावर कयने छथि।

नारायणजी मधुबनी जिलाक पंडौल थानांतर्गत इसहपुर गामक रहनिहार छथि। महावैयाकरण पं. दीनबंधु झा एहि गामक छलाह। हुनक सुपुत्र पं. गोविन्द झा प्रसिद्ध भाषाविद ओ संस्कृतक प्रकाण्ड विद्वान छलाह। एहि गामक पुरातात्विक महत्व सेहो छैक। माटि खुनबाक क्रमे कतोक पुरावशेष सभ भेटैत रहैछ। किछु पुरावशेषके हम ओतयसँ उठाय मिथिला ललित संग्रहालय, सौराठमे राखि देल। एहि तरहें इसहपुर एक ऐतिहासिक ओ पुरातात्विक महत्वक गाम अछि।

महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगामे 2017मे हमर पदस्थापन भेल। मिथिलाक धरोहरिक संरक्षण ओ संवर्धन लेल हमर काज चलैत रहैत छल। धरोहरि संरक्षण लेल संसारमे सभसँ पैघ संस्था इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इन्टैक)क दरभंगा चैप्टरक स्थापना 2016मे हमर प्रयाससँ भेल छल। इन्टैक द्वारा दरभंगा ओ मधुबनी जिलाक प्राकृतिक धरोहरिक सूचीकरण करबाओल गेल। मधुबनी जिलाक सूचीकरण पत्रकार सुनील कुमार मिश्र द्वारा कयल गेल जखन की डा सुशांत कुमार द्वारा दरभंगा जिलाक प्राकृतिक धरोहरिक सूचीकरण कयल गेल। ई काज हमरहि देख-रेखमे होइत छल। एहि बीच हमर दरभंगामे पदस्थापनक बाद नारायणजी चौधरीजीसँ संपर्क भेल। हिनक समर्पण ओ क्रियाकलापसँ हम बेसी प्रभावित भेलहुँ। हुनक काजमे हमहूँ शामिल भय गेलहुँ एवं यथासंभव सहयोग करय लगलहुँ।

चौधरी जीक इच्छा भेलनि जे बाढ़िक समस्या पर परिचर्चा होइ जकर अध्यक्षता पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा करथि। मैथिली साहित्य संस्थान, पटना पोखरि बचाउ अभियान एवं इंटैक दरभंगा चैप्टरक संयुक्त तत्वावधानमे 1 अगस्त 2019क' आदरणीय पद्मश्री मानस बिहारी वर्माजीक अध्यक्षतामे बैसार भेल। हम किछु आओर व्यक्तित्वकें आमंत्रित कय देल। नदी विशेषज्ञ आदरणीय दिनेश कुमार मिश्र, गजानन मिश्र (भारतीय प्रशासनिक सेवा), पत्रकार पुष्यमित्र, डा सुशांत कुमार, समाजसेवी उमेश राय, प्रोफेसर विद्यानाथ झा, प्रोफेसर जयानंद मिश्र प्रभृति कतोक विशेषज्ञ एहि बैसारमे सामिल भय अपन विचार रखलन्हि। नारायण जी द्वारा पोखरि ओ धार सभक दशा ओ दिशाक विषयमे विस्तारसँ प्रतिवेदन प्रस्तुत कयल गेल। कृष्ण कुमार कश्यप, मिथिलेश्वर झा, कमलेश झा, रत्नेश्वर सिंह, बदरे आलम, मोदनाथ मिश्र, राजेन्द्र सहनी समेत दरभंगाक कतोक बुद्धिजीवी सभ बैसारमे भाग लेलनि। बैसारक संचालन हम कयने छलहुँ। प्रिंट मीडिया ओ सोशल मीडिया पर ई समाचार बेस प्रसारित भेल। परिणाम भेल जे मिथिला ओ मैथिलीसँ संबंधित देशक कतोक संस्थान सभ सेहो एहि विषय पर चर्चा कयलन्हि। एक प्रकारें नारायणजीक प्रयाससँ कतोक संस्थान सभमे जागरूकता उत्पन्न भेल। सभठाम पोखरि, धार, पानि ,बाढि नियंत्रण, अतिक्रमण प्रभृतिक चर्चा होमय लागल।

धरोहरि संरक्षणक क्रियाकलापसभमे नारायणजी द्वारा हमरा सहयोग भेटय लागल। हमर प्रयाससँ इंटैक द्वारा मिथिलाक पंजी ओ पांडुलिपिक संरक्षण 2021मे ओहि संग्रहालयमे कराओल गेल। पंजी ओ पांडुलिपिक संरक्षणक दिशामे प्रायः एहन पहिल प्रयास भेल छल (पांडुलिपिक संरक्षण माने जीर्ण-शीर्ण आ खराप भेल पांडुलिपिक रासायनिक उपचार द्वारा नवीनीकरण)। नारायणजी चौधरीकें एहि काजसँ बेस प्रसन्नता भेल रहनि। एक दिन हँसी केलनि जे ई काज सभ बतहपनी छैक। हुनक कहबाक तात्पर्य छलनि जे बिना जुनून अथवा बतहपनीकें धरोहरि संरक्षणक लेल एहन काज नहि भ' सकैछ। हुनको काज जे छनि से तेहने छनि। पोखरिक सुरक्षा ओ संरक्षण एकगोट दुरूह काज छैक। आपराधिक प्रवृत्तिक लोक पोखरि पर कब्जा कयने छैक। प्रशासन ओ असामाजिक तत्व द्वारा ओकरे सहयोग भेटैत छैक। ओकर दबंगईसँ समाजक नीक लोक भयभीत रहैत छथि। तेहन स्थितिमे जँ कियो अभियान चलबैत छथि तँ हुनकर जान-मालकें सदिखन खतरा रहैत छनि। नारायण जी चौधरी ओ हुनक सहयोगीलोकनि खतराकें परबाहि बिनु कयने सदिखन अपन अभियानमे रमल रहैत छथि।

दरभंगाक प्राकृतिक धरोहरि दिग्घी ओ हराही पोखरि छैक। दरभंगा रेलवे स्टेशन द्वारा कतोक बर्खसँ एहिमे कचरा ओ दूषित पानि खसाओल जाइत छल। चौधरीजी एहिसँ आहत छलाह। कतोक बेर हमरा लोकनि एकर निदानक लेल विमर्श कयल। दिसम्बर 2021मे चंद्रधारी संग्रहालयक प्रभार हमरा भेटल। हम तुरंत रेलवेक वरिष्ठ अधिकारी सभकें पत्र लीखि कय आग्रह कयल जे रेलवेक दूषित पानिकें संग्रहालय परिसर ओ दिग्घी पोखरिमे खसेनाइ बंद कयल जाय। मीडियामे एहि समाचारकें बेस प्रसारित कयल गेल। पत्रक प्रतिलिपि पोखरि बचाउ अभियान समितिकें आवश्यक कार्रवाई हेतु सेहो देल गेल। विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2022क' महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगामे पोखरि बचाउ अभियानक संग संयुक्त तत्वावधानमे एकगोट कार्यक्रम आयोजित कयल गेल छल। जिला पदाधिकारी सहित कतोक गणमान्य नागरिक सभ उपस्थित भेलाह। चौधरी जी एवं कतोक बुद्धिजीवी सभ पोखरिक दशा ओ दिशाक विषयमे विस्तारसँ चर्चा कयलन्हि। जिला पदाधिकारीके दिग्घी पोखरिमे रेलवे द्वारा खसाओल जा रहल दूषित पानिकें देखा देल आ आग्रह कयल जे एकरा रोकल जाय। दिग्घी पोखरिक मोहार पर जे अतिक्रमण छैक सेहो देखलनि। हम कहलियनि जे ई अतिक्रमण समाजक शिक्षित लोक यथा -डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वकील, पत्रकार आदि द्वारा कयल जाइत अछि जकरा प्रशासनिक अधिकारी लोकनिक सहयोग भेटैत रहैछ। एहि बातकें ओ स्वीकार कयने छलाह।

कामेश्वर नगर परिसरक पोखरिक सौन्दर्यीकरण विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कयल गेल। पोखरिक अँगनइकें नष्ट कय देल गेल। नारायण जी ओकरा चुनौतीक लेल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनलमे मामिला दर्ज कयलन्हि। ट्रिब्यूनलक आदेशसं पोखरिक अँगनइकें ठीक कयल गेल एवं कुलपतिकें दंडित कयल गेल। हराही, दिग्घी ओ गंगासागर पोखरिक दुर्दशाक निदानक लेल चौधरी जी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनलमे मामिला दर्ज कयलनि। ट्रिब्यूनलक आदेश भेलैक जे पोखरिमे पानि खसेनाइ तुरंत रोकल जाय। से भेलैक। संगहि एक करोड़ एकसठि लाख टकाक जुर्माना सेहो लगाओल गेल। एहन न्यायादेश प्रायः पहिल बेर भेल छैक जाहिमे पोखरिक रक्षाक लेल जुर्माना भेल छैक। नारायण जी चौधरीक प्रयासक बड़ पैघ उपलब्धि ई निर्णय छैक।

मीडियामे एहि समाचारकें बेस प्रसारित कयल गेल। इन्टैक मुख्यालय द्वारा हमरा निदेशित कयल गेल जे नारायण जी चौधरी एवं हुनक पोखरि बचाउ अभियान समितिकें अभिनंदन कयल जाय। महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय, दरभंगाक सभागारमे 14 अक्टूबर 2024क एक गोट भव्य कार्यक्रम आयोजित भेल। उक्त महाविद्यालय ओ इन्टैक दरभंगा चैप्टरक संयुक्त तत्वावधानमे पोखरि बचाउ अभियान समितिकें सम्मानित कयल गेल। समिति दिससँ नारायण जी चौधरी एवं हुनक सहयोगी मोहम्मद ताशिम नबावके पाग दोपटासँ सम्मानित कयल गेल। महाविद्यालयक प्रधानाचार्यक अध्यक्षतामे जल संरक्षणक वास्ते प्रयास कयनिहार बेगूसरायक शिव प्रकाश भारद्वाजके सेहो सम्मानित कयल गेल। इन्टैक दरभंगा चैप्टरक प्रोफेसर नवीन कुमार अग्रवाल अलावा प्रोफेसर विद्यानाथ झा, प्रोफेसर मुनीश्वर यादव, डा वैद्यनाथ चौधरी बैजू, प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर भीमनाथ झा, डा वीणा ठाकुर, डा योगानंद झा, डा अवनींद्र कुमार झा, गणपति नाथ झा वैद्य, विवेकानंद झा, डा अयोध्या नाथ झा सहित शताधिक गणमान्यजन उपस्थित भेलाह। ई ओहन अवसर छल जतय दरभंगाक प्रमुख व्यक्तित्व सभ नारायण जी चौधरीकें सुनलनि एवं हुनक सम्मान समारोहक प्रत्यक्षदर्शी बनलाह। हुनक सहयोगी मोहम्मद ताशिम नबावक उद्गार ओ व्यथा कथा सुनि अत्यंत मर्माहत भेलहुँ जे कोना--कोना जान पर खेलि कय ओलोकनि पोखरिक रक्षा करैत छथि।

नारायण जी चौधरी निडर ओ कर्मठताक संगहि संकोची स्वभावक व्यक्ति सेहो छथि। जखन हुनका सम्मानक चर्चा हम कयल त' कहलनि जे हमर संपूर्ण टीम काज करैत अछि। हमर वकील कमलेश कुमार मिश्र सदिखन सहयोग लेल ठाढ रहैत छथि तखन व्यक्तिगत रूपसँ हमरा सम्मान स्वीकार नहि। हम कहलियनि जे वकील साहबक संगहि संपूर्ण टीमक सदस्य सभकें आमंत्रित कयल जाय। आओर सभ सदस्य उपस्थित भेलाह तखन कार्यक्रम आयोजित भेल। वकील साहब दिल्लीसँ नहि आबि सकलाह त' मैथिली साहित्य संस्थान, पटना द्वारा मैथिली दिवसक सुअवसर पर 7 जनवरी 2025क प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्रक कर-कमलसँ हुनका सम्मानित कयल गेल। समाजक लेल काज केनिहार एहि टीमकें सम्मानित कय कोनो संस्थान स्वयंकें गौरवशाली बुझैत अछि।

चौधरी जीक अनुसारें कोशी महासेतु निर्माणक समय विशेषज्ञ समितिक सदस्यक कहब छलनि जे ई सेतु ततेक छोट अछि जे भविष्यमे विनाशकारी साबित होयत। नारायण जी चौधरी एहि मामिलाकें उच्चतम न्यायालयमे रखलन्हि। कोर्ट कहलकनि जे उच्च न्यायालय जाउ। उच्च न्यायालयमे हिनक वकील साहब महासेतुक ठीकेदारसँ प्रभावित भेलाह आ मामिला कमजोर भय गेल (ई ओकील कियो दोसर छलाह)।  चौधरी जी कहैत छथि जे ओहि मामिलाक असरि भेलैक जे कोशी पर दोसर पुल जे मधेपुरमे बनि रहल छैक से बेस नमहर बनि रहल छैक।

पोखरि बचेबाक लेल चौधरी जी जागरुकता अभियान सदिखन चलबैत रहैत छथि। संगोष्ठी, सेमिनार, धरना, प्रदर्शन, फोटो प्रदर्शनी प्रभृतिक माध्यमसँ आम लोककें जागरूक करैत रहैत छथि। पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा, डा गणपति मिश्र सन महान व्यक्तित्वक सहयोग भेटैत रहलनि। प्रोफेसर विद्यानाथ झा, मोदनाथ मिश्र, अजित कुमार मिश्र, गजानन मिश्र, डा अवनींद्र कुमार झा, सुशांत कुमार, मुरारी कुमार झा प्रभृति कतोक बुद्धिजीवी सभक सहयोग सेहो भेटैत रहैत छन्हि।

जँ पोखरि खुनेनाइ पुण्यक काज छैक त' ओकरा भरि कय नष्ट केनाइ महापाप अवस्स हेतैक। जे पोखरिक रक्षा करैत छथि ओ हमरा नजरिमे पुण्यात्मा अवस्स छथि। धरोहरि संरक्षणक लेल नारायण जीक समर्पणसँ हम बेस प्रभावित छी आ एहन धरोहरिक सेनानीक प्रति अत्यधिक सम्मान अछि। ईश्वरसँ हुनक दीर्घायु ओ स्वस्थ जीवनक कामना करैत छी।

 

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