अजित कुमार झा- संपर्क-9472834926
मिथिलाक सांस्कृतिक धरोहर केँ रक्षक: नारायण चौधरी
जौँ सत्य कही त' विदेह विशेषांक केर कड़ी मे नारायण जी चौधरी केर नाम पढ़ि आश्चर्य भेल छल। हम हिनका साहित्यकार बूझि खोजबीन क' रहल छलहुँ मुदा हिनकर कोनो पोथीक विषय मे कोनो जानकारी प्राप्त नहि भ' सकल। अपन सीमित साहित्यिक ज्ञान सँ जखन हिनका विषय मे किछु नहि ज्ञात भेल तखन अपन संकोच त्यागि एकदिन आशीष जी सँ हिनका विषय मे जानकारी लेबाक प्रयास कयलहुँ त' हमरा बड्ड लाज भेल। हम सब अपन समाजक असली हीरो सँ परिचित नहि छी से निस्संदेह लाजक गप्प भेल। ई कोनो कवि, लेखक, कथाकार, गीतकार, नाटककार अथवा राजनेता व अभिनेता नहि छथि तैँ ई जे केओ छथि से अपन समाज लेल एक तरहें अनचिन्हारे छथि। अपन समाज मे ई एकमात्र अनचिन्हार नहि छथि। एहन अनेको हेताह जे मानव कल्याण हेतु निरंतर लागल हेताह मुदा हमरा सब लेल धन्न सन। मनसा, वाचा, कर्मणा विगत एक दशक सँ ई जाहि अभियान सँ जुड़ल छथि से सर्वथा सराहनीय कार्य अछि। अपन समाजक एहन हीरो सबहक जानकारी हमरा सब केँ रहबाक चाही आ जौँ से नहि अछि त' कहबा मे कोनो संकोच नहि जे हमरा सब लेल ई लज्जाक विषय थिक। साधुवाद देबनि विदेहक टीम केँ जे अपन सबहक समाजक एहन नायक केँ अपन समाज सँ परिचित करबाबय केर सार्थक प्रयास कयलनि अछि। जाहि सम्मान एवं प्रोत्साहन केँ ई वास्तविक हकदार छथि से दियाबय केर बीड़ा विदेहक टीम उठौलनि अछि आ हिनकर अभियान हमरा सब लेल प्रेरणादायी सिद्ध होएत।
नारायण जी चौधरी सँ न' त' भेट अछि आ न' त' हिनका विषय मे विशेष जानकारी अछि हमरा। मुदा जतबे अछि ततबे सही। पहिने ई प्रवासी जीवन जीबि रहल छलथि आ माइक्रो फाइनेंस केर कार्य मे लागल छलथि। प्रवास खत्म कय जखन ई अपन गाम घर घुरि अयलाह, तत्पश्चात् अपन मिथिला मे हिनका जे अनुभव भेलनि तकर ई कहियो कल्पना धरि नहि केने छलथि। जे मिथिला पग पग पोखरि माछ मखान लेल प्रसिद्ध अछि ओत्तहि सँ पोखरि सब राता-राती गायब भ' जा रहल छल। जत्तह आम जनता कुम्भ कर्ण जँका निसभेर सूतल रहैत छथि ओहिठाम राता राती पोखरि गायब भेनाइ कोनो आश्चर्यक गप्प त' नहिए? सुनि क' आश्चर्य भ' रहल होएत मुदा एखन केर समय मे ई काज बड्ड आसान अछि। शहर केँ के कहय गाम घर मे सेहो जमीनी जल स्तर भयावह रूप सँ खसय लागल अछि आ जौँ ई क्रम अहिना चलैत रहल त' पग-पग पोखरि माछ मखान वाला मिथिलाक टैग लाइन सेहो विलुप्त भ' जायत। ई कोनो साधारण गप्प नहि अछि, ई त' हमर सबहक सांस्कृतिक विरासत पर कुठाराघात अछि। जखन पोखरिए नहि रहत तखन माछ कहाँ सँ आ मखान कहाँ सँ? ओ दिन दूर नहि जखन कि अपन सबहक आबय वाला पीढ़ी केँ "पग पग पोखरि माछ मखान" निस्संदेह फूसि गप्प बुझेतनि। जल बिनु कि जीवन केर कल्पना कैल जा सकैत अछि? कथमपि नहि। दोसर ग्रह पर जल केर खोज हेतु लगातार वैज्ञानिक सब प्रयासरत छथि। जल बिनु सब सुन्न। प्रकृति हमरा सब केँ जे अनमोल उपहार सब देने अछि से सब एक दोसर सँ जुड़ल अछि। जल नहि त' वृक्ष नहि आ वृक्ष नहि त' ऑक्सीजन नहि। सब एक दोसर केर संपोषक अछि। ग्लोबल वार्मिंग मुह बौने ठाढ़ अछि आ हमरा सब केँ अपन आबय वाला पीढ़ी लेल किंचित मात्र चिन्ता नहि अछि। सदी केर सब सँ पैघ त्रासदी कोरोना केँ कि सहजे बिसरल जा सकैत अछि? ऑक्सीजन केर अभाव मे नित्य नहि जानि कतेको लोग तड़पि तड़पि क' प्राण त्यागलनि। पैसा अछैत लोग केँ जान बचेनाइ संभव नहि भ' रहल छल। प्रकृति केर निरन्तर दोहन भ' रहल अछि। जलाशय सब विलुप्त भेल जा रहल अछि आ आधुनिकीकरण केर अंध दौड़ अथवा भेड़ चाल मे वृक्ष सब भारी मात्रा मे काटल जा रहल अछि। परिणामस्वरूप प्रकृति केर संतुलन वीभत्स रूप सँ बिगड़ल जा रहल अछि आ यदा कदा प्रकृति अपन रौद्र रूप सेहो देखाबय लेल विवश भ' जाइत अछि। वैज्ञानिक सबहक मानब छनि जे प्रकृतिक असंतुलन, आपदाक हेतु जिम्मेदार अछि।
बाढ़ि पानि केर प्रचुरता वाला मिथिला एखन मरुस्थल केर रूप लेने जा रहल अछि। नदी आब नाला केर रूप लेने जा रहल अछि आ सुखायल पोखरि पर तेजी सँ अतिक्रमण भ' रहल अछि। छठि सन महान पाबनि आब बेसी लोग छते पर अथवा दरवज्जा पर छोट छीन टंकी बना क' सम्पन्न क' लैत छथि। कुमरम केँ विधि करबाक लेल लोग पोखरि पर जाइत त' अछि मुदा डोल मे पानि ल' जा क' कहुना विधि पुराओन करय लेल विवश अछि। पछिला साल यज्ञोपवित संस्कार मे भाग लेबाक हेतु गाम गेल छलहुँ तखन एहन दृश्य देखबाक अवसर भेटल। पोखरि मे दरारि फाटल देखि छगुन्ता ल' लेने छल। प्रकृति केर संसाधनक एकटा सीमा होइत छैक तैँ एकर संरक्षण बड्ड जरुरी। हम सब अहि लेल साकांक्ष नहि छी से चिन्ताक विषय अछि। एहन मे नारायण जी चौधरी केर मिथिला आगमन आ एहन एकटा महान अभियान हेतु समर्पण केर भावना हर्षक विषय थिक। मोन सँ समर्पित भ' जखन केओ आगा बढ़ैत छथि तखन समय केँ साथ किछु उत्साही संगी सेहो भेटि जाइत छनि। नारायण जी केँ अहि नेक काज हेतु सेहो किछु उत्साही आ समर्पित साथी सबहक साथ भेटलनि आ मोन प्राण सँ मिथिला केर तालाब (पोखरि अथवा जलाशय) बचाओ अभियान मे जुटि गेलाह। वैज्ञानिक डा० मानस बिहारी वर्मा, प्रो० विद्या नाथ झा, डा० गणपति मिश्र, तसिम नवाब समेत अन्य अनेको व्यक्ति केर साथ एवं सहयोग हिनका भेटय लगलनि। फेर त' जोश के साथ ई अपन अभियान मे रमि गेलाह। असामाजिक तत्व केर धमकी सँ डेराय वाला व्यक्ति कहियो अपन लक्ष्य नहि प्राप्त क' सकैत अछि। परिस्थिति जतेक विकट होइत गेल हिनकर जोश सेहो ओही अनुपात मे बढ़ैत चलि गेल आ अपन समाज केँ जागरुक करबाक हेतु दृढ़ संकल्पित होइत चलि गेलाह। अपना मिथिला मे एहन संकल्पित व्यक्ति केँ आम नागरिक बताहे बुझैत छनि मुदा ताहि बातक परवाह हिनका नहि छनि। जौँ परवाह करैत रहितथि त' मार्ग सँ भटकि गेल रहितथि।
नारायण जी केर अहि अभियान क मुख्य उद्देश्य भूमाफिया द्वारा पोखरि केँ अतिक्रमण सँ रक्षा, प्रदूषण सँ बचाव, विलुप्त होइत पोखरि केर जीर्णोद्धार, पोखरि केँ साफ सफाई, जल संचयन, पोखरि एवं जलाशय केर सौन्दर्यीकरण, ओकर विकास एवं अपन मिथिलाक विरासत केर संरक्षण केर प्रति आम जन केँ जागरुक केनाइ छनि। दरभंगाक हराही, दिग्घी एवं गंगा सागर पोखरि जे कि लगभग 600 सँ 700 वर्ष पुरान मिथिलाक धरोहर अछि तकरा अतिक्रमण एवं प्रदूषण सँ मुक्त कराबय लेल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मे जनहित याचिका दायर केने छलथि। निरीक्षणक उपरांत रेलवे द्वारा गन्दा पानि पोखरि मे बहाबय पर 1 करोड़ 61 लाख रुपैयाक जुर्माना सेहो लागल छलै। हराही, दिग्घी एवं गंगा सागर पोखरि केँ एकीकरण एवं सौंदर्यीकरण हेतु मुख्य मंत्री द्वारा 75 करोड़ रुपैयाक घोषणा भेल अछि। एहन मे साकांक्ष रहनाइ बड्ड जरूरी छैक अथवा सरकारी ठिकेदारी मे फंड केर कोना बंदर बाँट होइत छैक से जग जाहिर अछि। मिथिला वासी मे जागरुकता एवं एकजुटता रहतै तखने अपन सबहक सांस्कृतिक विरासत केर संरक्षण संभव होएत। नारायण जी अपन उद्देश्यक प्राप्ति हेतु सजग छथि। सूतल मिथिला वासी केँ जगाबय मे लागल छथि। निरंतर नीँक व्यक्ति हिनका सँ जुड़ि रहल छनि। हिनकर नीँक स्वास्थ्य हेतु कामना करैत छी आ संगहि उम्मीद केँ जगौने छी। मात्र दरभंगेटा मे नहि मिथिलांचलक समस्त गामक लोग जौँ अपन गामक पोखरि केँ जगा लेताह, ओकर जीर्णोद्धार क' लेताह, अतिक्रमण व प्रदूषण मुक्त क' लेताह त' निस्संदेह अपन सबहक गामक खेत खरिहान लहलहा उठत। जल, जीवन, हरियाली केर सपना सेहो साकार भ' उठत आ मिथिला मे पग पग पोखरि माछ मखान वाला उक्ति कहियो किनको फूसि गप्प नहि बुझेतनि।
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