लक्ष्मण झा 'सागर, संपर्क-9903879117
मिथिला विकास परिषद, कोलकाता: हमरा दृष्टिये
हम 1983 ई. मे असम लेल कलकत्ता छोड़ल। ठीक ओही साल कलकत्तामे अशोक झाक एकटा संस्था खुजल। नाम पड़ल 'मिथिला विकास परिषद'। हमरा जखन पता चलल तखने हम कलकत्ताक बहुतो मैथिल समांग सभके कहने रहियनि जे ई संस्था कलकत्तासँ की विकास करत मिथिलाक? हमर बातक कसगर विरोध भेल छल। नव संस्था, नव जोश, नव स्फूर्ति आ नव संकल्प सहीमे शुरुआतमे किछु नीक काज सभ केलक। गिरीश पार्कमे पहिल विद्यापतिक मूर्तिक स्थापना केलक। तारासुंदरी पार्कमे यात्री (नागार्जुन)क प्रतिमा बैसौलक। मैथिली भाषाकेँ संविधानक अष्टम अनुसूचीमे शामिल करेबाक लेल बंगालक सांसद सुदीप बन्दोपाध्यायक माध्यमसँ उल्लेखनीय काज करौलक। सियालदहसँ जयनगर लेल गंगासागर एक्सप्रेस ट्रेन चलबौलक। मिथिलाक बाढ़ि पीड़ित लोक लेल राहत सामग्रीक वितरण करबौलक। गिरीश पार्कसँ भूतनाथ मंदिर धरि मैथिल समाजक स्त्रीगण सभ द्वारा कलश यात्राक आयोजन करौलक। मिथिला विभूति पर्वक आयोजनमे सांस्कृतिक कार्यक्रमक आयोजन करबैत रहैत अछि। मैथिलीक गीतगाइन प्रतियोगिताक आयोजन करौलक। टोकन पुरस्कार राशि विजयी उम्मीदवारक हाथमे नगद दैत रहल अछि। संस्थाक एक महिला प्रकोष्ठ बनल जकर सर्वेसर्वा अशोक झाक पत्नी शैल झा बनलीह। मैथिलीक पत्रिका दू तीन अंक निकालबाक बाद बन्द भय गेल। परिषद मैथिलीक नाट्य मंचन करैत रहल अछि। एतेक काज सभ भेल एहिमे परिषदक कोर कमिटीक सदस्य लोकनिक सहयोग भेटैत रहैत छल। ओ सभ छथि सर्वश्री विनय प्रतिहस्त, गोपीकान्त झा मुन्ना, रघुनाथ चौधरी, रूपा चौधरी, अंजय चौधरी, पवन ठाकुर, अरुण कुमार मिश्र, अशोक झा भोली, विनय भुषण ठाकुर, अमरनाथ भारती, आमोद झा, राजकुमार झा आदि।
हम जखन 1997 ई. मे असमसँ पुन: कोलकाता आपस आयल सपरिवार तऽ अशोक झासँ सम्पर्क भेल। हम दुनू प्राणी अशोक झाक सभ कार्यक्रममे जाइत रही। कवि सम्मेलन सभमे भाग लैत रही। एहिसँ पहिने अशोक झा अपन अधलाह व्यवहारसँ कोलकाताक बहुलांश मैथिल समाजकें नाखुश कय चुकल छलाह। स्व. बाबूसाहेब चौधरीजीकेँ प्रेसमे मारय गेल छलाह। स्व. कालीकान्त झाकेँ राम मंदिर लग उठा कऽ पटकि देने छलाह। स्व. किशोरीकांत मिश्र जीकेँ अवाच्य कथा कहि देने छलाह। अपन संस्थाक अधिकांश सदस्य सभकेँ अपमानित करय लागल छलाह। स्व. रामलोचन ठाकुरजीकेँ जे ने से कहि देने छलाह। हमरा पर कोलकाताक मैथिल समाजक लोक आ मैथिली साहित्यकार लोकनिक दबाव छल जे हम अशोक झाक संग कियैक दैत छी। तेहनो सन स्थितिमे हम अशोक झाक संग दैत रहलहुँ। साहित्य अकादेमीक मूल पुरस्कारसँ पुरस्कृत श्री मंत्रेश्वर झाजीक सम्मानमे हमरे कहला पर अशोक झा नीक आयोजन केने छलाह। हमरे कहला पर अशोक झा स्व. सत्यानन्द पाठक जीक कोलकाता आगमन पर भव्य सम्मान सभाक आयोजन केने छलाह। अशोक झाक अही सभ काजक वशीभूत भय हम हुनकर साक्षात्कार लेल आ अपन पोथीमे छापल जाहि लेल हमरा अपन मित्र वर्गमे खिधांश भेल।
हम जहन धीरे-धीरे ई बात अवलोकन कैल जे अशोक झाक ई संस्था हुनक जेबी संस्था छनि। एहि संस्थाकेँ ओ अपन राजनीतिक हित साधनक लेल सीढ़ी बनेने छथि। मैथिलीक कार्यक्रममे हिन्दी भाषी नेता सभक फौज जमा कय लैत छथि। मैथिली भाषासँ हुनका ने त कोनो स्नेह छनि आ ने कोनो समर्पण भाव। ओ एक नम्बरके नटकबाज लोक छथि। यदि ओ अपन मूँहक भाषाकेँ संयत आ शालीन रखने रहितथि त हुनका एतुक्का मैथिल समाज माथ पर रखितनि। ओ अपनाके एकोह्म द्वितीय नास्ति मानैत छथि। दोसरक केलहा काजके लेल अपन क्रेडिट लेबाक फेरमे रहैत छथि। ओ अपनाके आल इन वन मानैत छथि। हमरा समक्ष ओ एकटा मैथिलीक समारोहमे स्व. मार्कण्डेय प्रवासीजीक मैथिली कविता हम भेटब तिलकोरक लत्तीमे अपना नामे पढ़ि कऽ थोपड़ी पिटबाय लेलनि।
अशोक झाक संग हम छोड़ि देल जखन देखल जे आब ओ मैथिलीक नाम पर कटहर-आमक भोज करैत छथि। मखानक खीरक भोजकेँ मैथिलीक नाम पर भोजपुरिया समाजक बीच लोकप्रिय बनबाक लेल ढोंग रचैत छथि। ककरो कखनो कोनो बात पर ओ अपमान कय सकैत छथि। हम आ अशोक चौधरीजी कोलकाताक सभ संस्थाक एकीकृत करबाक लेल एकटा अभियान चलेलहुँ। महानगरीय संस्थाक लोकसँ उपनगरीय संस्थाक लोक सभसँ बात कैल। मुदा, एको गोटे अशोक झाक संस्थाक संग मर्जर नै गछलनि।
हमर मोबाइलमे अशोक झाक नाम पर ह्वाट्सप मैसेज भरल अछि। हम कोनो रिस्पौंस नै करैत छियनि। तैयो कोनो ने कोनो मैसेज पठबिते रहैत छथि। हमरा सेहो एकटा मंच पर अवाच्य कथा कहलनि। हमरा हार्दिक चोट पहुँचल। हम आजुक तारीखमे अशोक झा आ मिथिला विकास परिषदसँ कोनो तरहक सम्बन्ध नै रखने छी। आशीष अनचिन्हार जीक आग्रहकेँ हम टारि नै पाबि सकल रही। अन्तत: हमरा ई आलेख लिखय परल!!
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