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प्रणव कुमार झा

परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय के प्रदर्शनी

वर्तमान युग आ आबय बला युग ऊर्जा, डिजिटल, क्वान्टम, नैनोचिप आदि के उपयोग आ उपभोग से भरल युग अछि। अतः ऐ के लेल नाभिकीय क्षेत्र मे उपभुक्त पदार्थ आ दुर्लभ अर्थ माटेरियल के शोध एवं अन्वेषन एकटा महत्वपूर्ण पहलू छैक। ऐ संदर्भ मे फरवरी के महीना मे हमरा एकटा रुचिगर अनुभव प्राप्त भेल । एकटा सम्मेलन मे जयपुर जेबाक अवसर भेटल, जे अपन ऐतिहासिक धरोहर आओर गुलाबी नगरी के नाम स जानल जाय अछि। जयपुर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एकटा प्रदर्शनी में हमरा परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (Atomic Minerals Directorate for Exploration and Research - AMD) के कार्य के लग से देखबाक अवसर भेटल। ई प्रदर्शनी नै खाली खनिज आओर ओकर अन्वेषण के तकनीकी दुनिया से लोक के परिचय करा रहल छल, बल्कि इहो याद दिया रहल छल जे विज्ञान आओर मानव जिज्ञासा मिलिकऽ प्रकृति के रहस्य के उजागर करैत अछि आ कोना मनुष अपन सभ प्रकार के आवश्यकता के पूर्ति कोनो ने कोनो रुपे प्रकृति से कऽ रहल अछि। ई यात्रा वृत्तांत ओहि याद के समेटने अछि, जाहि में हम खनिज के सैंपल, ओकर उद्गम स्थल, अन्वेषण विधि आओर संस्था के संगठनात्मक ढांचा के बारे में जानलहुँ, आओर ई सेहो महसूस कएलहुँ जे एहन प्रदर्शनी युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक चेतना के जागृत करबाक में प्रभावशाली भऽ सकैत अछि।

बसंत ऋतुक रमनगर बसात आओर सूरजक  हल्लुक रौदक बीच ई विशाल आयोजन स्थल लोक के चहल-पहल से भरल छल। आयोजन स्थल पर बहुते रास संस्थान सबहक प्रदर्शनी लागल छल। एक एक कऽ के ओय प्रदर्शनी के देखईत हम एकटा संस्थान के प्रदर्शनी स्थल पर पहुंचलहु जेकर द्वार पर लागल बैनर पर लिखल छल - "परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय: जो ढूँढते हैं - वही पाते हैं"। ई पढ़िते हमर मन में उत्सुकता जागल जे कनी ऐ संस्था आ प्रदर्शनी मे लगाओल सैंपल सबहक विषय मे किछु जानल जाय।

अंदर एकटा व्यवस्थित प्रदर्शनी लागल छल। स्टॉल के कतार में चमकैत खनिज सैंपल, रंग-बिरंग चार्ट, मॉडल आदि के माध्यम से जानकारी देल जा रहल छल। ओतुक्का 2-3 टा युवा वैज्ञानिक के टीम उत्साह के साथ आगंतुक के स्वागत कऽ रहल छल। एकटा युवा वैज्ञानिक मुस्कुराइत हमरा अभिवादन केलाह। हमहू प्रतिउत्तर मे अभिवादन करैत कहलहु जे हम प्रदर्शनी मे लगाओल गेल सैंपल आ संस्थान के काज के विषय मे जिज्ञासा राखै छी। कि ओ हमरा ऐ सभ विषय मे किछु संक्षिप्त जानकारी दऽ सकय छैथ?

ओ हामी भरइत सर्वप्रथम संस्था के बारे में बतौलनि। परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय, जे संक्षेप में AMD(पखनि) कहल जाइत अछि, भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy - DAE) के अंतर्गत कार्यरत एकटा प्रमुख संगठन अछि। एकर स्थापना 1948 में भेल छल, जखन एकरा 'रेयर मिनरल्स सर्वे यूनिट' के नाम से जानल जाइत छल। समय के साथ एकर नाम आओर स्वरूप बदलैत गेल, आओर 1998 में एकरा वर्तमान नाम भेटल। एकर मुख्यालय हैदराबाद में अछि, आओर देशभर में एकर सात क्षेत्रीय केंद्र अछि, जै में जयपुर सेहो सम्मिलित अछि।

AMD के मुख्य उद्देश्य परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लेल आवश्यक खनिज, विशेष रूप से यूरेनियम आओर थोरियम, के खोज आओर अन्वेषण करब अछि। वैज्ञानिक जी बतेला जे ई संस्था नै खाली खनिज के खोज करैत अछि, बल्कि ओकर भूगर्भीय अध्ययन, विश्लेषण आओर उपयोगिता के समझबा में सेहो महत्वपूर्ण योगदान दैत अछि। संगठन के ढांचा बहु-आयामी अछि, जै में भूवैज्ञानिक, भू-भौतिकी विशेषज्ञ, रसायनज्ञ, इंजीनियर आओर ड्रिलिंग विशेषज्ञ के टीम शामिल अछि। ई सभ मिलिकऽ देश के विभिन्न हिस्सा में खनिज भंडार के पहचान आओर ओकर दोहन के प्रक्रिया मे लागल अछि अछि।

खनिज सैंपल के संग्रह प्रदर्शनी के आकर्षक हिस्सा छल। कांच के डिब्बा में विभिन्न रंग आओर आकार के खनिज सबहक सैंपल रखल छल ।वैज्ञानिक जी हमरा बतौलनि जे एकरा में से कै टा सैंपल राजस्थान के विभिन्न खदान से निकालल गेल छल, जे ई क्षेत्र के समृद्ध भूगर्भीय विरासत के दर्शबैत अछि। संगे मे एकटा यंत्र सेहो राखल छल जे रेडियोएक्टिविटी के मात्र मे मापय छल। ऐ ठाम बतबैत चली से काँच रेडियोएक्टिविटी के poor conductor होइत छैक ताहि से रेडियो एक्टिव पदार्थ सभ के सुरक्षा के दृष्टि से एहने कुचालक काँच के अंदर रखल जाय छैक। हमरा आग्रह पर ओ कनी काल लेल यूरेनियम खनिज सैंपल के काँच के बाहर केलाह त देखल जे यंत्र के रीडिंग भागय लगल। ओ हमरा एक-एक कऽ के ई सैंपल के विषय मे संक्षिप्त मे बतौलनि।

  • लेपिडोलाइट: ई हल्का बैंगनी रंग के चमकैत खनिज छल, जे राजस्थान के भीलवाड़ा जिला से लाओल गेल छल।वैज्ञानिक जी बतौलनि जे लेपिडोलाइट में लिथियम के नीक मात्रा होइत अछि, जे आधुनिक बैटरी उद्योग, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन के लेल अत्यंत महत्वपूर्ण अछि। एकर परतदार संरचना आओर चमक एकरा अनोखा बनबैत अछि।

  • फ्लोराइट: ई उदयपुर के नजदीक के खदान से प्राप्त भेल छल। एकर पारदर्शी आओर चट्टानी रूप आकर्षक छलैक।हमरा बताओल गेल जे फ्लोराइट के उपयोग औद्योगिक प्रयोजन, जेना एल्यूमीनियम उत्पादन आओर डेंटल उत्पाद में, होइत अछि।

  • पिंचब्लेंड: पिचब्लेंड यूरेनियम केरऽ प्राथमिक अयस्क छेक । ई रेडियोधर्मी खनिज छै आ एकरा यूरेनिनाइट के नाम से सेहो जानल जाय छैक । पिचब्लेंड केरऽ रंग कारी होय छै आ एकरा म॑ यूरेनियम ऑक्साइड पाओल जाय छैक ।

·       सेकेंडरी यूरेनियम खनिज: सेकेंडरी यूरेनियम खनिज ओ खनिज छै जे प्राथमिक यूरेनियम खनिज के कटाव या परिवर्तन सं बनैत छै। ई सैंपल झुंझुनू जिला के एकटा खादान से प्राप्त भेल सैंपल छल। वैज्ञानिक जी बतौलनि जे ई यूरेनियम के एकटा रूप अछि जे सतही जल के संपर्क में अबिते परिवर्तनशील रूप में परिवर्तित भऽ जाइत अछि। शोध मे एकर उपयोग छैक। कोनो खादान मे एकर सैंपल भेलटा पर ओय क्षेत्र मे यूरेनियम खनिज भेटबाक संभावना प्रस्फुटित होइत छैक। ई भारतक परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम लेल आवश्यक स्रोत सभ में सँ एक अछि।

·       थोराइट: थोरियम-समृद्ध ई खनिज माउंट आबू के क्षेत्र से प्राप्त भेल छल। एकर काला आ चमकदार रूप अत्यंत आकर्षक छल। थोरियम भविष्य में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में वैकल्पिक स्रोत के रूप में उपयोग कएल जा सकैत अछि। AMD एकरा पर सेहो गहन अनुसंधान कऽ रहल अछि।

·       डेविडाइट: ई कारी-भूरा रंगक भारी खनिज छल, जे बांसवाड़ा इलाकासँ आनल गेल छल । एकरा मे यूरेनियम के संग-संग टाइटेनियम सेहो भेटय छैक, जेकरा चलतें ई औद्योगिक आ वैज्ञानिक अनुसंधान लेल उपयोगी होइत छैक ।

·       ग्रेफाइट शिस्ट: ई चमकैत कारी रंगक छल आ उदयपुरक खदानसँ निकालल गेल छल । जखन हम ओकरा छुलहुँ तऽ स्पर्श मे चिक्कन छल । ग्रेफाइट कें उपयोग पेंसिल, बैटरी आ चिकनाई उद्योग मे कैल जायत छै। एकर परतदार संरचना देखि हम प्रभावित भेलहुं।

·       गार्नेट: ई लाल-भूरा रंगक नमूना अजमेर इलाकाक छल । गार्नेट के उपयोग गहना में सजावट के लेल आ घर्षण सामग्री के रूप में कयल जाइत अछि |

·       मोनाजाइट: ई पीयर-भूरा रंगक बालु के रूप में छल, जे राजस्थान के किछु सीमांत क्षेत्र सं लेल गेल छल। ऐ मे थोरियम छै, जे भविष्य केरऽ परमाणु ऊर्जा केरऽ संभावित स्रोत छै ।

·       अन्य दुर्लभ रेत: एहि मे जिरकोन आ इलमेनाइट सन खनिज शामिल छल जे राजस्थानक खनिज समृद्ध इलाका स आयल छल। गहना में जिरकोन आ टाइटेनियम डाइऑक्साइड के उत्पादन में इलमेनाइट के प्रयोग होइत अछि |

हम जखन यूरेनियम के प्राथमिक अयस्क से यूरेनियम के उत्पादन के बाद एकर रुपया के स्वरूप मे मूल्य पुछलहु त वैज्ञानिकजी मुस्कियाइत बजलाह जे अहाँ जानिते हेबय जे एखन भारत यूरेनियम के लेल अधिकांशतः आयात पर निर्भर छैक। ई ऊर्जा आ सामरिक रुपे एकटा अति महत्वपूर्ण पदार्थ थीक। ताहि दुआरे पाई से अधिक महत्वपूर्ण अछि उपलब्धता। मानि लेल जाय जे कोनो जियोपोलिटिकल कारण से देश मे यूरेनियम आयात बंद भऽ जाय तखन की होय। ताहि दुआरे हमर संस्थान के प्रमुख लक्ष्य छैक देश के विभिन्न भूगर्भिय भाग मे एकर अन्वेषण।

खनिज केर पहचान प्रक्रिया

आगा वैज्ञानिक जी खनिज सैंपल के परख करबाक वैज्ञानिक तरीका बतौलनि। ओ कहलक जे खनिज केर पहचान केवल ओकर रंग या बनावट से नहि होइत अछि, बल्कि ओकर घनत्व, रेडियोधर्मिता, क्रिस्टल संरचना आ रासायनिक गुण के जाँच सेहो करल जाइत अछि। स्टॉल पर एकटा छोट जिओलॉजिकल किट छल जेकरा में मैग्नेट, लघु रेडिएशन डिटेक्टर, लुइप (लेंस), आ टेस्टिंग केमिकल्स छल। हमरे सामने ओ एकटा छोट सैंपल पर रेडियोधर्मिता मीटर लगेलनि, जे तुरत बीप देलक – ई देखिकऽ हम बहुत रोमांचित भऽ गेलहुँ। वैज्ञानिक जी कहला – “ई खनिज रेडियोधर्मी अछि, आ एहि कारण एकर उपयोग आ निष्कासन के समय विशेष सुरक्षा अपनाओल जाइत अछि।”

संस्थान के संगठनात्मक ढाँचा

आगा हमरा बताओल गेल जे AMD के मुख्यालय हैदराबाद में अछि, आओर देशभर में एकर सात टा क्षेत्रीय केंद्र कार्यरत अछि – जयपुर, नागपुर, बैंगलोर, शिलॉंग, जमशेदपुर, लखनऊ आ हैदराबाद। प्रत्येक केंद्र अपन-अपन क्षेत्र के भूगर्भीय स्थिति के अनुसार कार्य करैत अछि। संस्था में सैकड़ों वैज्ञानिक, तकनीशियन आ इंजीनियर कार्यरत छैथ। भूगर्भ वैज्ञानिक (Geologists) चट्टान आ खनिज के बनावट के अध्ययन करैत छैथ, भूभौतिकी विशेषज्ञ (Geophysicists) पृथ्वी के अंदर के संरचना के पता लगबैत छैथ, आ रसायनज्ञ खनिज के रासायनिक गुण के विश्लेषण करैत छैथ। ई सब मिलिकय संयुक्त टीम बना कऽ खनिज के खोज, विश्लेषण, आ रिपोर्टिंग करैत छैथ।

ड्रिलिंग आ अन्वेषण के तकनीक

आगा एकटा छोट, पारदर्शी एक्रेलिक मॉडल के माध्यम से ई देखावल जा रहल छल जे कोना गहराई में ड्रिलिंग कऽ कऽ खनिज निकालल जाइत अछि। ड्रिलिंग एकटा अत्यंत कठिन आ खर्चीला प्रक्रिया होइत अछि, लेकिन AMD अत्याधुनिक मशीनरी आ GPS आधारित तकनीक के प्रयोग करैत अछि, जै सँ गहराई तक सटीकता से खनिज के उपस्थिति के पता लगाओल जाइत अछि।

हमरा बताओल गेल जे अन्वेषण के लेल  300 सँ 800 मीटर धरि ड्रिलिंग करय पड़ैत अछि। एकरा लेल योजना, अनुमति, संसाधन आ टीमवर्क के जबरदस्त समन्वय चाही।

यूरेनियम अन्वेषण चरण: चार्ट के माध्यम से समझ

प्रदर्शनी मे एकटा चार्ट सेहो लागल छल (संलग्न फोटो देखू) जै मे यूरेनियम केर खोज के प्रक्रिया के देखायल गेल छल । ओ हमरा बुझेबाक लेल कहलनि जे यूरेनियम के खोज ई सब चरण में होयत छैक:

1. भौतिकी सर्वेक्षण (Geological Survey): ई प्रक्रिया भौतिक सर्वेक्षण स॑ शुरू होय छै, जेकरा मे संभावित क्षेत्र केरऽ चट्टान आ माटि के अध्ययन करल जाय छै । एकरा चार्ट पर "भौतिकी सर्वेक्षण क्षेत्र अभियान" के रूप में देखाओल गेल छल | ई कदम भूवैज्ञानिक द्वारा जमीन केरऽ संरचना क॑ समझै लेल कैल जाय छै ।

2. मेटालिट डेटा के विश्लेषण (Metallite Data Analysis): एकर बाद डाटा एनालिसिस करल जाय छै, जेकरा म॑ पहल॑ स॑ उपलब्ध भू-रासायनिक आ भूभौतिकीय डाटा के अध्ययन करल जाय छै । इ स्टेप खनिज कें संभावित उपस्थिति कें अनुमान लगबय मे मदद करय छै।

3. क्षेत्रीय प्रारंभिक अभियान (Field Preliminary Survey): एहि चरण मे फील्ड मे जा कऽ नमूना एकत्रित कैल जाइत अछि । एतय गामा-रे स्पेक्ट्रोमीटर सन उपकरण के प्रयोग कयल जाइत अछि।

4. अनुशीलन आ मूल्यांकन (Exploration and Evaluation): एकर बाद खोज शुरू भऽ जाय छै, जेकरा म॑ ड्रिलिंग आ गहन सर्वेक्षण शामिल छै ।

5. चुनल साइट पर बायोफिजिकल सर्वे (Biophysical Survey at Selected Site): चयनित स्थल पर विस्तृत सर्वेक्षण कैल जायत छै, जेकरा मे माटी, पानी आ चट्टान कें रेडियोमेट्रिक विश्लेषण शामिल छै।

6. रेडियोमेट्रिक सर्वे और मापांक (Radiometric Survey and Mapping): आगा रेडियोमेट्रिक सर्वेक्षण आ मैपिंग करल जाय छै, जै मे खनिज भंडार केर सही स्थान आ विस्तार के पता चलै छै ।

वैज्ञानिक जी बतेला जे ई प्रक्रिया व्यवस्थित आ वैज्ञानिक अछि, जाहि सं पर्यावरण के कम सं कम नुकसान पहुंचेने खनिज के खोज सुनिश्चित कैल जाय अछि। चार्ट देखला पर हमरा बुझायल जे यूरेनियम के खोज कतेक जटिल आ तकनीकी रूप सं उन्नत अछि।

ई सब देखैत सुनैत मोन मे विचार आयल जे एहन प्रदर्शनी केवल सूचनात्मक नहि, बल्कि प्रेरणादायक सेहो होइत अछि - विशेष रूप सँ ओहि युवा वर्ग लेल जे देशक भविष्य गढ़ऽ चाहैत अछि। हम वैज्ञानिक जी के धन्यवाद दैत कहलहु जे अहाँ बड्ड निक जेकाँ सबटा बात बतेलहु यद्यपि किछू बात भेजा मे घुसल किछु नई घुसल (जे घूसल आ याद रहल ओहि आधार पर ई संस्मरण लिखबाक ठानलहु)। यदि अहाँ सब एहन प्रदर्शनी स्कूल-कॉलेज सब मे लगाबि त कईएक टा बच्चा सभ ऐ से लाभान्वित भऽ सकय छैथ आ ऐ क्षेत्र मे अपन करियर के लेल दिशा मोड़ि सकय छैथ। ऐ पर ओ कहला जे संस्थान कखनो के एहन प्रदर्शनी सभ स्कूल सभ मे सेहो लगाबय अछि। तखन वैज्ञानिक जी से विदा लैत हम सम्मेलन कक्ष दिस विदा भेलहु।

-      प्रणव कुमार झा [राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली]

 

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