प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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७.डा.धनाकर ठाकुर-कोइलख

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डा.धनाकर ठाकुर-संपर्क-9430141788

कोइलख

श्री हितनाथ झाक स्वग्रामगाथा "कोइलख" देखबाक आइ सुअवसर भेटल। अपन मातृक बहिनक सासुरक कारण भूला-चलता आकर्षण पहिनहिसँ छल। कोइलख मिथिलाक किछु मुख्य गाममे एक अछि जतय पांडित्यक परम्परासँ आधुनिक अंग्रेजी शिक्षणमे संक्रमणसँ व्युत्पन्न अनेकानेक विभूति पर केन्द्रित पोथी अपन संकलन लेल साधुवादक पात्र अछि। कोईलख पर केन्द्रित अनेक लेख सेहो यैह प्रतिबिंबित करैत अछि जाहिमे दमन कुमार झाक लेख पुस्तकसँ अधिक जतय परिपूरित अछि सुमनजीक कोईलखक अनुभव बनबैत अछि कियैक कोइलख उदाहरणीय जाहि भाव पर पुस्तक बढैत कोनहु गाँव लेल संग्रहणीय पोथी होइत प्रेरक अछिए। साहित्य अकादमी पुरस्कारप्राप्त मैथिलीक सिपाही भीमनाथ झा पर पन्ना नहि होएब पुस्तकक अपूर्णता दिस संकेतक भनहि लेखकक अग्रज नाते पक्षपात डरे छोड़ि देल गेल वा हुनक लेखों सम्पूर्ण कयल गेल हो। बबुआजी मिश्रक 1918 मे ब्रजमोहन ठाकुरक संग कोलकाता विश्वविद्यालयमे मैथिली अनबाक चर्चा अयबाक छल। रानी चन्द्रावतीक अलावे हमर माए सन अनेक आओर कोइलख बेटी पर ध्यान जेबाक छल। गामक आँकडा गामक परिचय लेल पर्याप्त आमुख नहि बनबैत अछि। कोइलख सामाजिक जीवनमे अवदान जेना एक संगे बरियातीक संगहि मिथिला - मैथिलीक अस्मिताक रक्षा लेल अवदान पर चर्चा अयबाक छल। एहन-एहन किछु कमी रहितहुँ लेखक प्रशंसाक अधिकारी जे प्रयासमे रहितहुँ हुनक मोनमे बसल गाम पृष्ठ पर उतरि चुकल अछि।

ओना कोइलखमे दू टा जीरो माइल अछि एकर कहुत सभ किछुक केन्द्र अछि भगवती स्थान। हितनाथ झाक गाँव पर लिखल 210 पृष्ठक पोथीक आवरणकें देखेबाक छल किन्तु रहि गेल देखबैत अन्तहीन बाट miles to go before I sleep जकाँ गिनबैत नामी-गिरामी लोक सभा-समितिक चर्चा। जे पढताह पोथी पकड़ि लेताह संस्कृताह अंग्रेजिया दूनू जीरो माइल। 1835 मेकालीय शुरू भेल कुशिक्षा दू पीढ़ीकेँ अवरोध रहितहुँ शेष पड़ि गेल संस्कृत पीठ बिला गेल जे एकहि समय शताधिक महामहोपाध्य रखैत छल। गाम कोनो तरहेँ आन जकाँ श्रेय लैत रहल से बात अलग। हरिबाबू मंत्री भेलाह शोभाबाबू आजादहिं रहि गेलाह गाम धरि सीमित। सूचीबद्ध सूचना  कोनहुँ गाम लेल ईर्ष्याक बात तें हम एहि गामहिंक दू पोल लेलहुँ जे प्रतीक अछि।

जे एहेन विद्वानलोकनिक गाम ओकर साक्षरता मात्र 59.70% गनाओल बड़का लोकमे केवल वीरूबाबू गामक भेलाह।

भारतक गाम टूटत की कोइलखहुँक बाँचत। उमापतिक गाम सुमनसँ योगानन्द मधुप भीमनाथ तक उत्पन्न केलक मैथिलीक ग्रहणक समय 'प्रभात' किन्तु की प्रभात भेल? 1933-34 दू साल भरिमे कीर्तिमान स्थापित कएलक कालकलवित भेल जेना आन सैकड़ों मैथिली पत्रिका। कारण हितनाथजी नहि ताकि पओलाह किन्तु अमरजी लिखने छथि (ओहि आसपास) 1936 मे ओड़िशा प्रान्त गठित भेल करीब 150 ओड़िया पत्रिका निकलय लागल ( चलियो रहल छै) हमहूँ ओहि कोइलखसँ 17.10.1993 सँ पदयात्रा शुरू केने छलहुँ मैथिलीक रक्षा लेल वृद्ध मोहन भूदानी बालक संजीव ठाकुर मात्र हमरा सन बलिक छागर सन संग राँटी तक गेलाह। ओहि दिन गामक चारि पाँच सौ लोक दुर्गापाठ छोड़ि दोसर गाम तक ओहि गामक दोसर तक पोथी हितनाथजी नहि दोसर प्रान्त वा देशक आबि एहि जीरो माइल सँ लिखैत। जे छथि सभ जएताह ज़नाब, मर ममिऔत नरेंद्र कुमार झा किन्तु अहाँक पोथी रहि जायत। हमरा पता अछि अनेक गाम लिखलन्हि लिखि रहल छथि किन्तु सब जोड़लहिं मिथिला नहि होयत यदि सभ मिथिला लूल नहि हेतैक नीलकंठ तकैत सीमोल्लंघन करैत पूजित सन्नध शस्त्र छुपाओल शमीवृक्षसँ उतारल चाही जे बतौनाइ कोनहु एहन कोनहु पोथीक युगधर्म।

भीमनाथजी अहाँक अग्रज भेलाक कारण 42 क्रममे नहि आबथि से लेखकीय धर्मक विरूद्ध (यैह बात डा. गणेश्वर झा हमर अपन बहिनोइकें कोनहु एहन क्रममे हमर नाम छोड़य पर कहने छलखिन्ह)

लेखक काफी श्रम कय उत्तम प्रस्तुति कयलन्हि जे मैथिलीक विकासक अनेक महत्वपूर्ण आयाम सक्षित केलक अछि तें सभ लेल पठनीय।

(फेसबुकसँ साभार)

 

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