६.श्री विनयानन्द झा-वैदुष्य कल्पतरु कोइलख
श्री विनयानन्द झा-संपर्क-8877374666
वैदुष्य कल्पतरु कोइलख
कोइलख मिथिलाक एकटा प्रशस्त गाम अछि। यदि हम वर्तमान कोइलखक बात करी तऽ ई बिहारक किछु गाम मे सँ एक अछि जतय विद्या वैभव विस्तारक हरेक शाखा पसरल अछि। आ ई उपलब्धि मात्र उच्चे जाति सभ धरि सीमित नहि अछि जे एकरा मिथिलाक अन्य उच्च जातिक शैक्षणिक रूपसँ निपुण गाम सभक तुलनामे विशिष्ट बना दैत अछि।
मिथिलाक आन पैघ गामक विपरीत, एहिमे मन्दिर आ कुण्डक बहुतायत नहि अछि। आन पैघ गामक तुलनामे एहि ठाम पोखरिक संख्या अपेक्षाकृत कम अछि जे सङ्केत दैत अछि जे गामक मुख्य भूमि अपेक्षाकृत ऊँचाइ पर अछि। मिथिलाक बाढ़ि ग्रस्त गाम सभमे, पोखरिक बाहुल्यसँ आवासीय परिसरक ऊँचाइ बढ़बाक संभावना रहैत छै।
गाम मे दूटा प्राचीन मन्दिर अछि जे गामक पश्चिम दक्षिण मे स्थित अछि। दुनू मन्दिरक बीच गामकेँ मधुबानीसँ जोड़यवला सड़क अछि। सड़कक उत्तरमे एकटा शिव मन्दिर अछि जकरा स्थानीय रूपसँ "वनखण्डी महादेव" कहल जाइत अछि। यद्यपि गाम मे मंदिरक संख्या जनसंख्याक तुलना मे नगण्य छल, मुदा मंदिर गामक लोकक आध्यात्मिक आ सांस्कृतिक गतिविधिकेँ ओहि तरहेँ आकर्षित नहि कऽ सकल जेना लगक देवी मंदिर करैत छल।
कोइलख मधुबनी रोडक दक्षिणमे भद्रकाली मन्दिर अछि जकर मूर्तिकेँ "कोकिलाक्षी" क रूपमे वर्णित कयल गेल अछि आ ई पाल युगक कारी ग्रेनाइटसँ बनल अछि जे गामक "मोनि" (जल-प्रवाह गड्ढा/खाई) सँ निकलैत अछि ("कोइलख" हितनाथ झा द्वारा, प्रियदर्शी प्रकाशन, पटना, 2017, पृष्ठ-18 पर भीमनाथ झा )। भीमनाथ झा आ गामक आन लोकनिक अनुसार, ओहीठामक वासुदेव झा नामक व्यक्तिकेँ भेटलखिन आ हुनका अपन प्रिय देवताक रूपमे स्वीकार केलाह।
भीमनाथ झा (ऊपर), दमन कुमार झा (ये मधुबनी है, मधुबनी, 2003, पृ. 30) आ गामक अन्य लोकनिक अनुसार गामक पूर्व नाम वासुदेवपुर छल। बादमे भद्रकाली कोकिलाक्षीक नामपर एहि गामकेँ कोइलख नामसँ जानल गेल। कोकिलाक्षीसँ क्वैलख तखन कोइलख।
कोइलखक संस्कृत विद्वान सभ सेहो कोइलखक लेल क्वैलख लिखैत आबि रहल छथि। मुदा कोकिलाक्षीसँ क्वैलखमे परिवर्तित हएब प्रस्तुत लेखकक लेल ओतेक संगत नहि बुझना जाइत अछि जतेक कि संस्कृतविद् सभ द्वारा कोइलखक लेल कोइलखक कृत्रिम संस्कृतकरण कऽ "क्वैलख" लीखब। अर्थात्, संस्कृतक विद्वान सभ 'क्वैलख' एहि लेल नहि लिखैत छथि जे ई एकर प्राचीन नाम 'कोकिलाक्षी' क अपभ्रंश अछि, बल्कि एहि लेल लिखैत छथि जे एकर तत्कालीन नाम 'कोइलख' छल, जकरा संस्कृतमे कृत्रिम रूपसँ 'क्वैलख' क रूपमे कहल जा सकैत अछि। जँ एकर नाम वासुदेवपुरक बाद "कोकिलाक्षी" भेल रहैत तँ संस्कृतक पंडित सीधे कोकिलाक्षी लिखतथि ने कि "क्वैलख"। जेना कि सरिसवकेँ सषर्प लिखल जाइत अछि ने कि सरिषप या मंगरौनी लेल मंगलवनी लिखल जाइत अछि ने कि मंगरवनी।
जखन संस्कृतविद् कोइलख लेल क्वैलख लिखैत छथि तँ ई ध्वन्यात्मक रूपसँ कोकिलाक्षीक तुलनामे कोइलखक निकट अछि। जखन कोनो मैथिली 'क्वैलख' क उच्चारण करत तँ ई 'क्वैइलख' होयत। जखन कोकिलाक्षी केर अपभ्रंश "क्वैलख" नै भऽ कऽ "कोइलाक्छी>कोइलखी>कोइलख" हेतै। प्रस्तुत लेखक एहि बातसँ सहमत छथि जे कोइलख कोकिलाक्षीसँ लेल गेल अछि। मुदा एहि बातसँ सहमत नै छथि जे क्वैलख कोकिलक्षीसँ बनल अछि।
भवनाथ झा (पटना/रूपौली) द्वारा रुद्रयामलक नाम पर लिखल पाण्डुलिपि कल्याणपुर लग लदौरा (समस्तीपुर) गामसँ प्राप्त भेल छल जाहिमे मिथिलाक किछु देवस्थलक वर्णन अछि। एहिमे भगवतीपुरक भुवनेश्वरक बाद कोइलखक भद्रकाली कोकिलाक्षीक रूपमे वर्णित छथि। "हुनकर (भुवनेश्वरक) दर्शन कऽ ओहिठामसँ उत्तरमे कोकिलाक्षीक पूजा करू। ओहिठाम भद्रकालीक रूपमे एकटा सौम्यरूपा देवी छथि जे तीनू लोककेँ कल्याण करऽ वाली छथि"
दृष्ट्वा ततोप्युदीच्यां वै कोकिलाक्षीं च पूजयेत्।
भद्रकालीं सौम्यतरां त्रैलोक्यत्राणकारिणीम्।।
भद्रकालीक एहि मन्दिरक पश्चिममे कमला नदीक एकटा मृत धारा अछि जकरा लक्ष्मणा सेहो कहल जाइत अछि। एकर पश्चिममे मोतीपुर टोल अछि, जे एकटा छोट-छोट बस्ती अछि जाहिमे बेसी लोक बसैत छथि जे समयक सङ्ग मुख्य बस्तीसँ पलायन कऽ गेल छलाह। एकर पश्चिममे फेरसँ कमलाक प्राचीन मृत धारा अछि। मंदिरक पश्चिममे मोतीपुर टोलाकेँ छोड़ि आन कोनो दिशामे कोनो प्राचीन बस्ती नहि अछि। मंदिरक उत्तर आ दक्षिणमे कोनो प्राचीन आवासीय क्षेत्र नहि अपितु बाध (कृषि भूमि) आ गाछी अछि। मन्दिरक ठीक पूर्वमे एकटा छोट कुण्ड अछि। एहि कुंडक पूर्वमे एकटा सड़क अछि जे उत्तरमे ग्रामीण क्षेत्र दिस जाइत अछि आ पूर्वमे गाम स्थित अछि। ई सड़क दक्षिणमे पोखरिक दक्षिण-पूर्वी भागक समीप पूर्व दिशामे जाइत अछि आ जकर उत्तरमे मुख्य कोइलख बस्ती अछि।
भगवतीस्थान स्थित एहि कुण्डक पूर्व सड़कक पार एकटा विद्यालय आ एकर मैदान अछि, तकर बाद सरकारी अस्पताल, पुस्तकालय आदि अछि। विद्यालय परिसरक उत्तरमे खादी भंडार अछि आ एकर उत्तरमे एकटा ब्राह्मण परिवार आ ओहि परिवार द्वारा बसायल किछु आन जातिक आवासीय परिसर अछि। मन्दिरक पूर्व आ उत्तर-पूर्वमे उपरोक्त सभ निर्माण बीसम शताब्दीक पूर्वार्द्धक अछि। एकर मतलब ई अछि जे बीसम शताब्दी सँ पहिने एहि दूटा मंदिरक लग कोनो बस्ती नहि छल आ एकर निर्माण निर्जन स्थान पर कैल गेल छल।
ऊपर वर्णित वनखण्डीनाथ महादेवक पुरातात्त्विक अध्ययन भवनाथ झा (कोइलख, पृ. 121-22) कयने छथि। एहिमे दूटा शिवलिंग स्थापित अछि। मिथिलामे समाधि पर शिवलिंग स्थापित करबाक प्रथा अछि। दूटा शिवलिंगकेँ एक सङ्ग रखलासँ लेखककेँ ई प्रतीत होइत अछि जे ई कोनो धनी दम्पतिक समाधि पर बनल मन्दिर अछि।
लेखकक अनुसार दुनू मन्दिरक स्थापना काल चौदहम शताब्दीक बादक मानल जा सकैत अछि किएक तँ उपलब्ध स्रोतक आधार पर कोइलख गामक उत्पत्तिक काल चौदहम शताब्दीसँ पहिनेक नहि मानल जा सकैत अछि। कोइलखक ज्ञानी आ प्रतिभाशाली लोकक उपलब्धिक गणना तारा गनबाक जकाँ अछि। एहि गामक विद्वान सभक उपलब्धि आ एतऽ के शैक्षणिक-सांस्कृतिक संस्थानक गतिविधि पर हितनाथ झाक ग्रन्थ "कोइलख" मे सुन्दर भाषा मे विस्तार सँ वर्णित अछि। तेँ एकर पुनरावृत्ति अर्थहीन अछि।
कोइलखमे, जतय कवि काशी कान्त मिश्र कवि चूड़ामणि बनलाह, ओतहि कथाकाशमे धूककेतु चमकैत छलाह। जहाँ न्यायशास्त्रमे उन्नैसम शताब्दीमे राजा झा सन विलक्षण न्यायविद छलाह, बीसम शताब्दीमे न्यायमूर्ति सौम्य सच्चिदानन्द झा जे मधुबनी शहरक साहित्यिक सांस्कृतिक जीवनक हृदयगति छथि। जहाँ मनोज मनुज एकटा प्रभाविष्णु कलाकार छथि, ओतऽ नरेन्द्र झा सन होनहार अभिनेता अपन छोट जीवनमे रजत पटल पर अमिट छाप छोड़लनि। जहाँ मोहन झा सनक बहुजन हितायक प्रति वचनबद्ध यायावर भूदान कार्यकर्ता छलाह, ओतहि शोभकान्त आजाद एहन नेता छलाह जे अपन जीवन समाजक सेवामे समर्पित कऽ देने छलाह। एहि गामकेँ गंगादेवी (रानी चन्द्रवती) केर जन्मस्थल हेबापर गर्व अछि, जे अवयस्क अवस्थामे विवाह आ वैधव्यक प्राप्ति भेलाक बादो दुखसँ अविचलित रहि कऽ कोइलखसँ काशी धरि अनेक धार्मिक आ शैक्षणिक संस्थानक जननी आ कीर्ति ध्वजक वाहक छथि। ने केवल रानी चन्द्रवती सन बेटी सभ अपितु पुत्रवधू सभ सेहो विभिन्न क्षेत्रमे उत्कृष्टता प्राप्त कयने छथि, जाहिमे गौरी मिश्रा, वाणी मिश्रा, कुसुमलता देवी आ फुलेश्वरी देवी उल्लेखनीय छथि।
आजुक मैथिली साहित्यक चर्चा करैत छी तँ जहाँ भीमनाथ झाक व्यक्तित्व शालीनताक सागर सन गहींर अछि, ओतहि हुनक साहित्य माउंट एवरेस्ट अछि। हुनक पुत्र दमन कुमार झा सेहो अपन लेखनसँ बौद्धिक जगतमे अपन विशिष्टता स्थापित कयलनि, जाहिसँ हुनक कुलक मर्यादा मे वृद्धि भेल। गामक प्रगतिक लेल कोइलखक विश्वकर्मा समाजसँ निकलल विलायत निवासी मोतीलाल ठाकुरक महान योगदान सराहनीय अछि।
कोइलखक प्रत्येक परिवार थोकमे समाजकेँ विभूति प्रदान करैत अछि। एतऽ मात्र दू टा उदाहरण अछि। नाहस मूलक पण्डितप्रवर उमादत्तक तीनटा पुत्र छलाह, राजा, अपूछ आ खुद्दी जे क्रमशः न्याय, ज्योतिष आ व्याकरणमे अपन समयक अग्रणी विद्वान छलाह आ एहि धर्मग्रन्थ सभ लेल कोइलखक अन्तिम महामनीषी छलाह। एकहि वंशक गोवर्धन झाक तीनटा बेटा सेहो छल, दूटा आई. पी. एस. आ एकटा प्रोफेसर/प्रिंसिपल, सङ्गहि एकटा पोता आई. ए. एस.। सोदरपुरिए मूलक बबुआजी (श्रीकृष्ण) मिश्राक बेटा आ पोता इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर, प्रशासक आ राजनेता बनि गेलाह, जे सभ उच्च श्रेणीक छलाह। बबुआजी मिश्रा स्वयं उच्च कोटिक ज्योतिषी छलाह आ कलकत्ता विश्वविद्यालय मे मैथिलीक प्रोफेसर के रूप मे खुद्दी झाक उत्तराधिकारी बनलाह। सुनीति कुमार चटर्जीक सङ्ग ओ वर्णरत्नाकरक पहिल संस्करणक सम्पादन कयलनि। हुनक पुत्र सभमे भवनाथ मिश्रा बिहारक शीर्ष चिकित्सक छलाह। बबुआजी मिश्राक इंजीनियर पुत्र अनिरुद्ध मिश्राक पुत्र मोहन मिश्र सेहो चिकित्सामे उच्च श्रेणीक चिकित्सक छथि जे कालाजार नामक बिमारीक क्षेत्रमे अपन विशेष योगदानसँ बिहारकेँ गौरवान्वित कयने छथि। बबुआजी मिश्राक दोसर पुत्र हरिनाथ मिश्र अपन राजनीतिक कुशाग्रता, शुद्धता, शालीनता आ कौशल जे प्रदर्शन केलनि से विरल अछि।
एहि क्रममे बेलौंचे काको मूलक बंधुद्वय उमानाथ झा आ रमानाथ झाक नाम लेल जा सकैत अछि जे क्रमशः अभियान्त्रिकी आ प्रशासनिक क्षेत्रमे अपन दक्षताक प्रदर्शन कऽ गामकेँ गौरवान्वित केलनि।
रानी चन्द्रावतीक भाइ पण्डित गीतानाथ झाक पुत्र वीरेन्द्र नाथ झा स्वयं एकटा बहुआयामी प्रतिभा छलाह जकर व्यक्तित्वसँ गामक लोक एवं हुनक हित-अपेक्षित चमत्कृत केने छल। हिनक सब बेटा विभिन्न सेवामे अपन योगदानसँ गाम आ नाहस कुलक नाम प्रशस्त केलाह। हुनकर जेठ बेटा प्रभात कुमार झा अपन पढ़ाइक समयमे एक शानदार, मृदुभाषी, मित्र अनुरागी व्यक्ति छलाह, सङ्गहि अपन बीमा कंपनी के सेवा के दौरान एक कुशल प्रशासक आ एक कुशल पॉलिसी निर्माता सेहो छलाह। हुनकर आकर्षक व्यक्तित्व, वाक्पटुता, आ नीक स्वभाव हुनका कार्यालयक आन कर्मचारी आ सेवा प्राप्तकर्ता सभ लेल प्रिय बना देलक।
हम कोइलखक प्रारम्भिक विद्वान सभक उपलब्धिक विषयमे पर्याप्त जानकारी नहि रखैत छी। उन्नैसम शताब्दी के उत्तरार्धक विद्वान मुख्य रूप सँ एहि लेल जानल जाइत छथि कि पहिनेक दू पीढ़ीक वयोवृद्ध लोक मे एहन बहुत लोक छलाह जे हुनका देखने या सुनने छलाह। एहनमेसँ किछु व्यक्तित्वक उल्लेख ऊपर कयल गेल अछि, शेष किछु प्रमुख नाम निम्नलिखित अछि- मित्रकर झा, लुट्टी झा, गिरिधारी झा, वाणी झा, काशीनाथ झा, शिवनंदन ठाकुर, इन्द्रनाथ झा, पं. बबुए मिश्रा, पं. डोमाई मिश्रा, श्रीकांत ठाकुर विद्यालंकर, वेदानंद झा, कार्तिकेय झा, जयदेव मिश्रा, योगानंद झा, सुन्दरकांत झा, दमनकांत झा, गोवर्धन झा, मिहिर कुमार झा, शंकर कुमार झा, सुधीर कुमार झा आदि।
एहि लोक सभक उपलब्धि आ योगदानक लेल हितनाथ झाक पुस्तक "कोइलख" देखल जा सकैत अछि। यद्यपि एहि पुस्तकक लेखक स्वयं एकटा बैंक कर्मचारी छलाह, मुदा मैथिली साहित्यमे हुनकर योगदान महत्वपूर्ण अछि। हुनकर लेखन शैली सरल, स्पष्ट आ प्रभावी अछि। झारखण्डमे मैथिली साहित्यक प्रसारमे हुनकर योगदान सराहनीय अछि। ओही कोइलख पुस्तकक परिशिष्टमे दमन कुमार झा गामक साहित्यकार, कलाकार आ विद्वानक सेहो उल्लेख कयने छथि, जाहिमे नव पीढ़ीक उभरैत व्यक्तित्व सेहो शामिल अछि। एहि सूचीक आधार पर ऊपर वर्णित किछु प्रमुख नाममे बालकृष्ण झा, अरुण कुमार झा अरुण, विद्यापति ठाकुर, कामेन्द्रनाथ झा 'अमल', विद्यापति झा, लक्ष्मीनारायण चौधरी, हरेकृष्ण झा, श्रीनारायण झा, राजेन्द्रनाथ झा, अमरनाथ मिश्रा, हीरेन्द्र कुमार झा, प्रफुल्ल कोलाख्यान, निशांत चौधरी, संजय कुन्दन, शुभेंदु शेखर, अंशुमन सत्यकेतु आ मिहिर झा विदेह छथि।
हितनाथ झा (उपर्युक्त, पृष्ठ 24, अठारहम शताब्दीक न्यायविद कृष्णदत्त झाक वर्णन करैत छथि जे 1730 ई.मे जन्मल छलाह आ 1825 मे 95 वर्षक आयुमे हुनक निधन भऽ गेल छलनि। हुनक तीनटा शिष्यक नाम हितनाथ झा द्वारा बच्चा झा, बबुआ झा आ चुम्बे झाक रूपमे देल गेल अछि। एतऽ हितनाथ झाकेँ गलत जानकारी देल गेलनि किएक तँ बच्चा झाक जन्म मार्च 1860 मे भेल छलनि। बबुआ झा आ चुम्बे झा सहोदर भाइ छलाह। चुम्बे झा आ बच्चा झा समकालीन आ मित्र छलाह आ दूनू बीच अभेद मित्रता छलनि। बबुआ झा चुम्बे झाक पैघ भाय छलाह मुदा उम्रमे अतबो अंतर नहि छलनि जे ओ पैघ नहि छलाह जे 1825 मे मृत कृष्णदत्त झाक शिष्य बनि सकथि।
दमन कुमार झा, मासिक पत्रिका बटुक (प्रयाग, मई, 1965)मे मार्कण्डेय झा गोस्वामी द्वारा लिखित कोइलखक75 विद्वानक सूचीकेँ कोइलख पोथी (पृष्ठ 193) आ 'ये मधुबनी है', पृष्ठ-31) पुनः प्रस्तुत केलनि अछि। एहि सूचीक अधिकांश विद्वानपर कोइलख नामक पुस्तकमे प्रकाश नहि देल गेल अछि।
(फेसबुकसँ साभार, मूल आलेख हिंदीमे छल, जकरा लेखकक सहमतिसँ विदेह लेल मैथिली अनुवाद भेल। ई अनुवाद मूलतः AIbharat केर मशीनी अनुवाद अछि जाहिमे जे किछु गलती भेटलै से विदेह लेल आशीष अनचिन्हार दवारा संशोधित भेलै। ई अनुवाद मूल जकाँ गंभीर नहिए रहि गेल अछि तथापि लेखकक भावना पाठक धरि पहुँचिए जेतनि से उम्मेद अछि)
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