संतोष कुमार राय 'बटोही'
उर्मिलाक विद्रोह (धारावाहिक खण्ड-काव्य)
सखि ! के बुझत हमर बतिया !
केना बीतैत अछि हमर रतिया ।
माथ मे की लिखलाथि बिधना ?
की अधरम भेल कोन दिना ?
गौड़ी पुजलहुँ महादेव पुजलहुँ ।
ब्रहम पुजलहुँ शनिदेव पुजलहुँ।
सखि ! साजन भेल हमर परदेश ।
हमहुँ चलितहुँ वन पहिर साधुवेश।
नहि देखलाथि एक बेर फिरि ई आँखिक नोर ।
लखनक हिया भेल पाथर टुटल नेहियाक डोर ।
मधु मास बितल साउन बितल माघ भेल बड़ कठोर।
दरद उठल हिया मे फाटि रहल अछि अंग पोर -पोर !
सखि ! मरि रहल उर्मि संदेश पठाउ लखन केँ ।
कतेक दिन आओर लगतन्हि वन मे बलम केँ ?
अगर पति धरम होयत छै तँ पत्नी - धरम नहि ?
भाय लेल केलाथि हमरा लेल कोनहुँ करम नहि।
ई भवन,ई साज-सज्जा,ई तोशक, ई मखमल ।
लखन बिन हमरा लेल मिश्री-मेवा भेल गरल ।
सखि ! एकटा पोखरि खुनाउ लेब जलसमाधि ।
नहि रखवाक रहन्हि संगे तँ कियाक केलाथि शादी ।
सीता बहिन वन गेलीह जेठ केर संग ।
हम की कऽ दतियैन्ह हुनकर कर्म भंग ?
एक बेरि तँ हमरो मौका दैतियै यौ निर्मोही।
उर्मिला केर चरण स्पर्श करैत अछि बटोही।
-संतोष कुमार राय 'बटोही' ,
ग्राम - मंगरौना, पोस्ट - गोनौली, भाया - अंधराठाढ़ी, जिला - मधुबनी, बिहार-८४७४०१
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सम्प्रति - शिक्षक।
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