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रबीन्द्र नारायण मिश्र

बदलि रहल अछि सभकिछु (उपन्यास)- धारावाहिक

खण्ड ३१ सँ अन्त धरि

बदलि रहल अछि सभकिछु

31

नारी निकेतन कांडक कोर्टमे फैसला आबक रहैक । साल भरिसँ बेसीसँ ई मामिला चलि रहल छल । कतेको गोटेक गबाही लेल गेल । साक्ष्यसभ नेताजी आ ओकर कुनबाक संलिप्तता साबित करबामे बहुत सहायक भेलैक । स्थानीय लोकसभ सेहो बहुत मदति केलखिन। नारी निकेतनमे पाओल गेल दस्ताबेजसभ सेहो मामिलाकेँ मजगूत केलक । जज साहेब एहि बातसँ बहुत कुपित रहथि जे सरकार एहि मामिलाकेँ झँपबाक कोनो प्रयास बाँकी नहि रखलक । जज साहेबकेँ व्यक्तिगत रूपसँ प्रभावित करबाक प्रयास सेहो कएल गेल । हुनका बदमाससभ डराबक प्रयास सेहो केलक । मुदा जज साहेब अड़ल रहि गेलाह । अंततः फैसला आएल । नेताजी समेत हुनकर तमाम संगीसभकेँ आजन्म कारावासक दंड देल गेल । अफसोचक बात जे संदीप सेहो फँसि गेल । ओकर संलिप्ततामे बहुत रास सबूत नेताजीक आदमी कोर्टकेँ उपलव्ध करबा देने रहैक । ओकर सभक प्रयास रहैक जे संदीपक नाम आगू केलासँ आओर लोकसभकेँ बँचाओल जाए । मुदा से नहि भेलैक । मुदा संदीपो नहि बँचि सकल । असलमे ओ बहुत दिन धरि एहिसभमे लागल रहए । जाबे होस अएलैक ताबे बहुत देरी भए गेल रहैक । जखन मामिला सीबीआइक हाथमे अएलैक तखनहु हमसभ प्रयास केने रही जे संदीपकेँ सरकारी गबाह बना देल जाए। मुदा से भेल नहि । आखिर एहि मामिलामे न्याय भेल । न्यायो एहन भेल जे सरकारकेँ हिला कए राखि देलक। दर्जन भरि सलाहकार सेहो नेताजीक संगे एहि मामिलामे आजन्म कारावाससँ दंडित भेलाह ।
असलमे ई मामिला भइए गेल छल भयावह । नारी निकेतनक लगपासमे कतेको नरकंकाल भेटल छल। कतेको लापता महिलासभक हड्डी ओहिमे भेटल जकरा डीएनए जाँचसँ पहिचान कएल गेल । कहबाक माने जे आओर अपराधक संग-संग हत्याक जघन्य अपराध सेहो भेल छल । परिणाम सामने छल । फैसला सुनेबाक बाद जज साहेब कहलनि जे ई फैसला अखन अपूर्ण अछि कारण बहुत रास अपराधी अखनहु कोर्टक सामने नहि आनल जा सकल अछि। तेँ मामिला बंद नहि कएल जा सकत,अपितु चलिते रहत । एक-एकटा दोषीखेँ दंड देलाक बादे ई मामिला बंद कएल जा सकत । जज साहेबक उपरोक्तिसँ कोर्टमे उपस्थित नेताजीक समर्थकसभ भीतरसँ हिलि गेलाह । सभक ठोरपर फिफरी पड़ि रहल छल । आब की होएत? के बाँचत,के जहल जाएत तकर कोन ठेकान?
नारी निकेतन कांडक फैसला कोर्ट एहन समयमे केलक जखन चुनाओ माथपर छलैक । शासनक प्रमुख-प्रमुख आदमीकेँ जहल चलि गेलाक बाद महिमाक हाथ-पैर फुलि रहल छलनि । हुनका राजनीतिक कोनो अनुभव नहि रहनि। नेताजी जबरदस्ती हुनका आगू कए देने रहथि जाहिसँ कुर्सीसँ हटि गेलाक बादो असली शक्ति हुनके हाथमे रहनि। मुदा नेताजी समेत सभ प्रमुख आदमीसभ जहल पहुँचि गेलाह। पार्टीपर असामाजिक तत्वसभक कब्जा भए गेल । तकर बाद ओ सभ आपसमे बैसार केलक।
"ई समय हमरासभक लेल स्वर्ण काल अछि । महिमाकेँ आगू रखने रही आ सभटा शक्ति हमरासभ लग रहए। पहिनहुसँ बेसी नीकसँ अपन सभक कारोबार चलैत रहत ।"
"मुदा हमसभ चुनाओ कोना जिति सकब?"
"महिमाकेँ के जनैत छैक?"
"चुनाओ टाकासँ लड़ल जाइत छैक । जातिक नामपर लड़ल जाइत छैक । धर्मक नामपर एकमुस्त भोट पड़िते अछि, आगू सेहो पड़त । बस लोककेँ जगेबाक छैक । तकरबाद देखबैक की हाल रहैत छैक।"
"से कोना होएत ।"
"हेतैक ने । दू-चारिठाम दंगा करबा देल जेतैक । कोर्टसँ आरक्षणक खिलाफ फैसला करबा देल जेतैक । गरीब जनतासभकेँ टाकाक बले कीनि लेल जाएत । ट्रकक-ट्रक लोक प्रदर्शन करत । मीडिआमे अपन लोकसभ छथिहे । ओ सभ कहिआ काज अओताह? टाकामे बहुत शक्ति छैक । जतेक काज हेतैक लगा देल जेतैक । एक लगाउ,दस पाउ । फेर जखन अपन सरकार बनि जाएत,सभ सुदि-मुरक संगे ओसुल भए जाएत । कोनो चिंताक बात नहि ।"
"एहिमे बहुत खतरा बुझा रहल अछि । जँ हमरसभक योजना सफल नहि भेल तखन?"
"खतरा कथीमे नहि छैक? एतेक डरा कए जिनगी नहि चलि सकैत अछि । हमरा लोकनिक धंधामे तँ ई सभ चलिते रहल अछि। आगूओ चलत ।"
"ठीक छैक । हमसभ सएह करी ।"
एहि तरहें विचार-विमर्शक बाद ओ सभ महिमा लग पहुँचलाह । ओ एकरासभकेँ देखितहि तामसे लाल भए गेलीह।
"तोरासभकेँ एहिठाम बिना सूचनाकेँ अएबाक प्रयोजन?"
"हमसभ सभदिनसँ अहाँक परिवारक शुभचिंतक रहलहुँ अछि । नेताजीक लेल अहूँसँ बेसी हमसभ चिंतित छी। ओ जरूर छुटि कए अओताह । तखन कानूनी प्रक्रियामे किछु समय तँ लगिते छैक । ताबे हमरा लोकनिकेँ धैर्य रखबाक होएत ।"
"हम ई सभ नहि जानी । आब बहुत भए गेल । हम एहिसभमे पड़ल नहि रहि सकैत छी । हम आइए राज्यप्रमुखक पदसँ इस्तिफा देबए जाए रहल छी । अहाँ लोकनि अपन दोसर नेता चुनि लेब । एहि काजमे लागल रहब हमरा वशक नहि अछि। हमर स्वभाव आ परिस्थिति ई सभ करबाक अनुमति नहि दए रहल अछि।"
"अहाँ अगुताइ जुनि । चुनाओक घोषणा भए गेल अछि। नेताजी आ हुनकर सहयोगीलोकनि जहलमे छथि । एहन संक्रमण कालमे जँ अहूँ धैर्य नहि राखब तखन हमसभ कोना जितब?"
"से अहाँ लोकनि जानू ।"
"मुदा अहाँकेँ अपन धिआ-पुताक चिंता तँ होएत?"
"से की?"
"ओ सभ ताबते सुरक्षित अछि... ।"
"खबरदार! जँ आगू किछु बजैत गेलहुँ तँ हमरासँ खराब केओ नहि होएत ।"
मामिला बिगड़ैत देखि किछुगोटे आगू बढ़ि कए महिमाकेँ बुझेबाक हेतु एकांतमे लए गेलथि । आखिर चुनाओ धरि महिमा राज्यप्रमुखक काज करबाक हेतु तैयार भए गेलथि। सभगोटे निश्चिंत भए अपन-अपन घर वापस गेलथि ।

32

सरकारक मुफ्त योजनासभसँ सरकारी खजाना खाली भए गेल छल । सेवानिवृत्त कर्मचारीक पेनसन देब मोसकिल भए रहल छल। कार्यालयसभक बिजली,पानिक बिल तँ कम भेल मुदा आओर जरूरी समानसभक घोर अभाव भए गेल । कैकटा कार्यालयसभमे कर्मचारी/ अधिकारीक दरमाहा भेटनाइ सेहो पराभव भए गेलनि । महगाइ ततेक बढ़ि गेल जे झोरा भरि कए टाका लए गेलाक बादो एकहु सप्ताहक हेतु समानसभ नहि भेटैत छल । कहबाक मतलब जे सौंसे घोर अराजकता पसरि गेल छल । चुनाओक माहौलमे हालति बिगड़िते गेल । महिमा लाख प्रयास करथि जे एहि दलदलसँ बाहर होइ मुदा से हेबे नहि करनि ।
"एहि समयमे अहाँ कोना हमरासभकेँ छोड़ि सकैत छी?"
"मुदा हमरा वशकेँ ई सभ अछि नहि । जनतामे त्राहिमाम मचल अछि । लोक परेसान अछि । धिआ-पुताक भविष्य संकटमे अछि । एहन ठाम हम चुनाओ जँ जितिए जाएब तँ कोन फएदा होएत ।"
मुदा ओकर तथाकथित समर्थकसभ नहि मानैक । पार्टीक किछु प्रमुख नेतासभ टिकट नहि भेटबाक कारण अलग गुट बना लेलक । पार्टीक हालत ओहुना नीक नहि छलैक । नारी निकेतन कांडक बाद पार्टीक प्रतिष्ठा बहुत घटि गेल छलैक । मुदा बदमाससभक घमंड कम नहि भेल रहैक । ओकरासभकेँ विश्वास रहैक जे ओ सभ जेना-तेना चुनाओ जिति लेत,सरकार फेरसँ ओकरेसभक बनतैक । मुदा महिमा एहि बातसभसँ आश्वस्त नहि रहथि । ओ चुनाओ नहि लड़बाक घोषणा कए देलथि । ऊपरसँ पार्टीमे फूट भइए गेल रहैक । एहिसभसँ आम कार्यकर्ताक मनोवल बहुत खसि गेलैक।
आखिर महिमा अपनाकेँ राजनीतिसँ अलग करबाक दृढ़ निश्चय केलक आ ताहि दिशामे आगू बढ़ि गेलि। हम अपन कोठरीमे शक्तिनाथक संगे गप्प करैत रही। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्यमे भविष्यक योजना बनबएमे लागल रही कि महिमाकेँ अबैत देखलहुँ।
"आउ, आउ ।"
महिमा असगरे रहथि । ओ बहुत परेसान बुझा रहल छलीह । हम हुनका आश्वस्त करैत छी । शक्तिनाथ चाह अनैत छथि । हमसभ चाहक संगे गप्प करैत रहैत छी ।
शक्तिनाथ पुछलखिन-
"एहि असमयमे अहाँक आगमनक कारण?"
"कारण तँ बुझले होएत । सौंसे तबाही मचल अछि । लोक परेसान अछि । सरकारी तंत्रपर गलत लोकक नियंत्रण अछि । एहन परिस्थितिमे हम एहि फसादसभमे नहि रहए चाहैत छी । ओना हमरा एहिसभमे कहिओ रूचि रहबो नहि करए । मुदा हमरा एहिमे फँसा देल गेल । अहाँसभकेँ तँ सभबात बुझले अछि । मुदा हम आगू एहिमे लागल नहि रहि सकैत छी ।"
"मुदा एहिमे अहाँकेँ रहबाक हेतु कोनो मजबूरी नहि अछि। अहाँ जखन चाही हटि सकैत छी ।"
"बात एतेक आसान नहि छैक । हमर पार्टीपर असमाजिक तत्वक कब्जा छैक । ओ सभ हमरा घेरने अछि । लाख कहैत छिऐक छोड़िए नहि रहल अछि । मुदा हम आब तय कए लेने छी। हम एहिमे नहि पड़ब । हम अपन त्यागपत्र पठा देलिऐक अछि ।"
"अहाँक निर्णय सही बुझाइत अछि । हमसभ सभ तरहें अहाँक मदति करब ।"
"ताही आशासँ हम एतए आएल छी ।"
एन मौकापर महिमाकेँ राजनीतिसँ सन्यास लेबाक घोषणासँ समग्र विकास दलमे निराशाक माहौल बनि गेल । बहुत रास नेतासभ पहिने पार्टी छोड़ि देने रहथि । किछु आओरगोटे ओएह रस्ता धेलनि । पार्टीमे हाहाकार मचि गेल । जनतामे एहि दलक छवि ओहुना खराब भए गेल छल । बदमाससभक कोनो प्रयास सफल नहि भए रहल छलैक । जतहि देखू,ओतहि शिखाक जयगान भए रहल छल । शिखाक बैसारमे लोकक हुजुम जमा भए जाइत छल । हम आ शक्तिनाथ दिन-राति शिखाकेँ संगे गामे-गाम घुमि रहल छलहुँ । शिखाकेँ ने भूख लागनि,ने प्यास । अर्जुन जकाँ लक्ष्यक अतिरिक्त किछु नहि सुझा रहल छलनि ।
"जाबे एहि दुष्टसभकेँ कुर्सीसँ हटा नहि देब ताबे चैन नहि लेब ।" ओ बस एतबे बजैत छलि ।
जनतामे तँ जेना क्रान्ति आबि गेल छल । लोक स्वेच्छासँ दिन-राति शिखाक समर्थनमे काज करैत छल । गामे-गाम प्रचार करैत छल । मतदातासभसँ संपर्क करैत छल । शिखाक समर्थनमे माहौल बनैत देखि विरोधी सभकेँ खास कए बदमास सभकेँ सीटीपीटी गुम्म रहैक । हालात काबूसँ बाहर जाइत देखि समग्र विकास दलक लोकसभ चुनाओ स्थगित करबाक प्रयास करए लागल ।
"देशक परिस्थिति चुनाओक हेतु उपयुक्त नहि अछि । पहिने हालति ठीक होअए देबाक चाही तखनहि चुनाओ करेबाक हेतु आगू बढ़ल जाए ।"
ताहि उद्येश्यसँ ओ सभ चुनाओ आयोग पहुँचल । मुदा चुनाओ आयोग अड़ि गेल ।
"एहनो कहीं भेलैक अछि । चुनाओक घोषणा भए चुकल अछि । चुनाओ समयेपर होएत । सभकेँ एही दिशामे काज करबाक चाही ।"
चुनाओ आयोगक एहि घोषणासँ बदमाससभकेँ बहुत निराशा भेलैक । मुदा कइए की सकैत छल?
33

समग्र विकास दलक तमाम विरोधक अछैत जनता जनार्दन शिखाक समर्थनमे एकजुट भए गेल छल । जतए कतहु ओकर कार्यक्रम बनैत छल,लोकसभक मेला लागि जाइत छल । लोक शिखाकेँ सुनितहि नहि छल,अपितु किछुटाकाक योगदान सेहो केने जाइत छल । एहि तरहें प्रचुरमात्रामे धन जमा भए गेल जे चुनाओक लेल तँ पर्याप्त तँ छलहे , तकर बादो बहुत बँचि जेबाक संभावना छलहे । शक्तिनाथ एक-एक पाइक हिसाब रखैत छलाह । संगहि अगिला कार्यक्रमक योजनाकेँ अन्तिम रूप देबाक काजो ओएह देखैत छलाह । जौँ जौँ चुनाओ लगीच अबैत गेल,ई स्पष्ट होइत गेल जे विजय तँ जनक्रान्तिदलेक होएत । जखने ओ श्वेतवस्त्र पहिरने जनताक समक्ष उपस्थित होइतए तँ बिना किछु कहनहि जनताक ओकरा प्रतिए सहानुभूति भए जाइत छलैक । सभ पुछितए-
"एना किएक? बात की छैक? कोन एहन घटना भेल जे हिनका ई रूप धारण करए पड़लनि ।"
लोकसभ आपसमे चर्च करितए। एहि तरहें शिखा संगे घटित घटनासभ काने-कान यत्र-तत्र-सर्वत्र प्रचारित होइत रहितए। शिखाक जादू जनतापर काज कए रहल छलैक। लोकसभ ओकरा अपन आदर्श मानि लेने छल । ओकरा हेतु किछु करबाक हेतु तैयार छल ।
एहन प्रवल जन समर्थन आखिर चुनाओक परिणाममे प्रदर्शित भेल । तीन सएमे सँ दू सए पंचानबेटा जन प्रतिनिधि जनक्रान्ति दलक जिति गेल । ओकर अतिरिक्त पाँचटा निर्दलीय चुनाओ जितलाह । ओहोसभ मूलतः जनक्रान्ति दलेक छलाह । मुदा टिकट नहि भेटबाक कारण निर्दलीय चुनाओ लड़लाह आ जिति गेलाह । समग्र विकास दलक एकहुटा उम्मीदबार चुनाओ नहि जिति सकल। पार्टीक ई हाल होएत,से साइत केओ नहो सोचने रहल होएत । मुदा सत्य सामने छल,डंकाक चोटपर दहाड़ि पारि रहल छल ।
शिखा आइ गुलाबी रंगक सारी पहिरने छलीह । ओहीसँ मेल खाइत रंगक आओर परिधानसभ पहिरने जखन ओ मंचपर अएलीह तँ लोक एक क्षणक हेतु चकित भए गेल । चारूकातसँ फूलक वर्षा भए रहल छल । सभ आनन्दमे छल । प्रायः एही क्षणक प्रतीक्षा लोक कहि ने कहिआसँ कए रहल छल । लोकसभ करतल ध्वनिसँ हुनकर स्वागत केलक । सत्यक विजय भेल । लोकमे बहुत उत्साह रहैक। सभकेँ ओहि क्षणक प्रतीक्षा रहैक जखन शिखा राज्यप्रमुखक पदपर शपथ लेतीह । ताहि लेल कार्यवाही शुरुओ भेल । जन प्रतिनिधिसभक बैसारमे हुनकर नाम नेताक रूपमे प्रस्तावित कएल गेल । सभगोटे सर्वसम्मतिसँ हुनका नेता चुनि लेलनि । तकर बाद शिखा उठलथि। लोकसभक अनुमान रहैक जे ओ धन्यवाद देबाक हेतु आगू बढ़ि रहल छथि । मुदा हुनकर मोनमे तँ किछु आओर छलनि । ओ माइक अपना हाथमे लैत छथि । लोकसभ हुनका सुनबाक हेतु एकटक भए गेल छथि । शिखा बजनाइ शुरु करैत छथि-
"वंधुगण!
एहि ऐतिहासिक विजयक अवसरपर अहाँलोकनिक संग विजयोत्सवमे भाग लए हम अतिशय अह्लादित छी । जाहि उत्साहसँ समाजक सभ वर्गक लोक एहि चुनाओमे अपना लोकनिक दलक संगे लागल रहल,दिन-राति काज करैत रहल,ताहिसँ विजय तँ निश्चित लागि रहल छल । मुदा विजय एहन होएत जे विरोधी दलक खाता धरि नहि खुजि सकत तकर अनुमान साइते ककरो रहल होएत । असलमे जनतामे अपार शक्ति अछि। बस ओकरा जगेबाक काज छैक । ई बात नहि छैक जे विपक्षी दलक लोक सुतल रहलाह। अपितु,अपना भरि सभ किछु करैत रहलाह । अंत-अंत धरि एहि प्रयासमे रहथि जे चुनाओ रूकि जाए। मुदा समय हुनकासभक संग नहि देलक । ओ सभ एहि हालमे पहुँचि गेलाह जे हुनकर एकहुटा जन प्रतिनिधि नहि चुनल जा सकल । शिखरसँ शून्य भए जाएब एकरे कहल जा सकैत अछि।
हमरा लोकनिकेँ एहि विजयोल्लासमे अपन कर्तव्यकेँ बिसरि नहि जेबाक अछि । अपितु,जनताक विश्वासपर सही उतरबाक अछि । ताहि हेतु जे किछु त्याग,तपस्या करब जरूरी होएत से सभगोटेकेँ करबाक अछि । तखनहि समाजमे परिवर्तन आबि सकत । सही मानेमे जनतंत्र तखनि होएत । समाजक निम्नतम पायदानपर अड़कल लोकसभकेँ उठा कए ओकरासभकेँ गरिमामय जीवन-यापन करबाक व्यवस्था जाबे हमसभ नहि कए सकब ताबे ई विजय अपूर्ण अछि,अर्थहीन अछि, व्यर्थ अछि । अस्तु,हम राजनीतिसँ सन्यास लेबाक निर्णय केलहुँ अछि । ई निर्णय केलहुँ अछि जे कोनो राजनीतिक पद नहि लेब । अपितु, समाजक बीचमे जा कए दीन-दुखी व्यक्तिक हेतु काज करब । असल मानेमे परिवर्तन नीचाँसँ हेबाक छैक । सभकिछु सरकारेपर नहि छोड़ल जा सकैत अछि। ताहि हेत एहन समर्पित लोकक प्रयोजन अछि जे जमीनसँ जुड़ल होथि आ बिना कोनो लोभ-लालचकेँ जन कल्याणकेँ ध्यानमे राखि निस्वार्थ भावसँ काज करथि । तखनहि सरकारोक मदति कारगर होएत । अन्यथा फुटल डोलक पानि जकाँ सरकारी प्रयास ब्यर्थमे बहि जाएत । हमर इच्छा अछि जे राज्यप्रमुखक पदक हेतु शक्तिनाथकेँ चुनल जाए । ओ बहुत दृढ़ निश्चयी आ परिश्रमीक संगहि इमान्दार लोक छथि । हम सामाजिक क्षेत्रमे किछु आओर लोकक संगे काज करब । तकर माने ई नहि जे हुनका सहयोग नहि करबनि । जखन जे मदति हुनका चाही ताहि हेतु हमसभ तैयार छी आ रहब ।
एतेक बजलाक बाद शिखा आगू बढ़लीह आ शक्तिनाथकेँ मंचपर आगूक पाँतिमे लेने अएलीह । फूलक मालासँ शक्तिनाथकेँ लादि देल गेलनि । हम स्वयं शिखाक समर्थन करैत शक्तिनाथकेँ राज्यप्रमुखक पदक हेतु प्रस्तावित केलहुँ । ओहिठाम उपस्थित लोकसभ करतल ध्वनिसँ एहि प्रस्तावकेँ सहर्ष समर्थन केलनि । सर्वत्र खुसीक माहौल छल । लागि रहल छल जे एहि परिवर्तनक स्वरमे चिड़ै चुनमुन समेत समस्त प्रकृति अपन सहमति व्यक्त कए रहल छल । तखनहि कतहुसँ उमरैत-घुमरैत मेघ सेहो आबि गेल । झीसी पड़नाइ शुरु भए गेल । लागि रहल छल जेना प्रकृति हृदयसँ एहि युगान्तकारी परिवर्तनकेँ स्वागत कए रहल छल । सभ एकस्वरसँ कहि रहल छल-
"इनकिलाब! जिंदाबाद!"
"शिखा जिंदाबाद! शक्तिनाथ जिंदाबाद !"
"जनक्रान्ति दल जिंदाबाद!"





34

समाजमे भए रहल एहि तरहक सकारात्मक परिवर्तनसँ सभसँ बेसी परेसान नेतासभ छलाह । कारण आब हुनकासभक भोटबैंक खतम भए जेबाक संभावना देखा रहल छल । ओ सभ नव-नव समस्याक निर्माणकए समाजकेँ बँटबाक प्रयासमे रहिते छलाह । गाम-घरमे कोनो-ने-कोनो रूपमे अपन उपस्थिति बनओने रहबाक हेतु एकटा गुटक संग भए जइतथि ,भने ओ कतबो गलत किएक नहि होअए। परिणामतः बदमाससभ ढीठ भेल जा रहल छल । न्याय व्यवस्था बहुत महग आ उबाउ छल । तखन लोक जाए कतए?
एहि परिस्थितिमे शिखा एकटा आशाक किरण बनि कए समाजक सामनेमे उपस्थित छलीह । ओ अपना भरि प्रयासो करिते छलीह । मुदा समाजक अंतरविरोध समस्या बनि कए सामनेमे मुखर भए जाइत छल । आब गामसभ सहरोसँ बेसी एकाकी भेल जा रहल छल । लोकसभ अपन दरबाजा धरि सिमटि कए रहि गेल छल । घर-घर टीभी,मोबाइल.पसरि गेल छल । फेसबुक,ह्वाट्सअपपर दुनिआ भरिक समाचारसँ लोक क्षणे भरिमे अवगत भए जाइत छल । मुदा लग-पासमे की भए रहल छल तकर कोनो जानकारी लेबाक सुधि नहि रहि जाइत छल । निश्चय ई परिस्थिति बहुत बिकट छल ।
मुदा शिखा अपन बातपर अड़ल छलि । शिखा एकटा सही काजमे लागल छलि । जान रहए की जाए ओ अपन लक्ष्यक प्रति बिना कोनो प्रतिदानक अपेक्षाकेँ पूर्ण समर्पित छलि । ओकरा एहि अभियानमे असगरि नहि छोड़ल जा सकैत छल । अस्तु,हम सभ किछु छोड़ि हुनकर कार्यक्रमकेँ आगू करबामे लागल रहलहुँ। दिन-राति शिखाक संग दैत रहलहुँ ।
जेठक दुपहरिआ होअए किंवा माघक ठाड़,शिखा पैरे-पैरे गामे-गाम भ्रमण करैत रहलीह। ई क्रम एक दिन,दू दिन , दू मास,तीन मास नहि अपितु, वर्षक-वर्ष अनवरत बिना रुकने चलैत रहलीह। गौरवर्णक तेजस्वी आभासँ परिपूर्ण जखन ओ ग्रामबासी लोकनिकेँ संबोधित करथि तँ लोक भाव विह्वल भए जाइत छल । हुनकर बातकेँ अनुसरण करबाक दृढ़ संकल्प करैत छल। बात ओ कोनो तेहन कहबे नहि करथि जकरा करब कठिन होइक । जेना कोनो प्रकारक निसाँ नहि करब। नेनासभसँ नौकरी नहि कराएब,अपितु ओकरा इसकूल पठाएब । बृद्धलोकनिकेँ सादर अपन-अपन परिवारमे राखल जाएत । बिआहमे दहेज नहि लेल जाएत । बालिकाकेँ बेटे जकाँ शिक्षा देल जाएत । पारिवारिक संपत्तिमे बेटा-बेटीकेँ बरोबरिक हक देल जाएत । जात-पाँति,धार्मिक विवादसँ समाजकेँ मुक्त कएल जाएत। ई सभ बात एहन छल जाहिपर कोनो तरहक प्रश्नचिन्हक प्रश्ने नहि उठि सकैत छल। मुदा ओकर कार्यान्वयनमे परेसानी जरूर छल । कारण लोक उपदेश तँ दए दैत छल ,मुदा जखन अपनापर पड़ैक तँ टारि दैत छल।
एहि तरहें समाजमे परिवर्तनक प्रयास करैत-करैत बीस वर्षसँ बेसीए बीति गेल । हमसभ अपन सर्वस्व समाजक हेतु अर्पित कए देलहुँ। मुदा शिखा अखनहु थाकलि नहि छलीह । पूर्ण आशावान बनल रहथि । तकर अनुकूल परिणामो देखबामे आबि रहल छल । बालिकासभ डाक्टर,इंजीनियर बनि रहल छलि । गाममे सभ जातिक लोक संगे बैसि कए खाइत छलाह,उत्सव मनबैत छलाह । धर्म,जातिक विभेद समाप्त भए रहल छल । समाजमे समरसता बढ़ि रहल छल। लगैक जेना शिखाक स्वप्न साकार भए रहल अछि । बदलि रहल अछि सभकिछु । समाज नूतन स्वरुप सामने प्रकट भए रहल अछि जाहिमे सही मानमे समानताक अधिकारसभकेँ सुलभ होएत। समाजमे परिवर्तनक प्रक्रियाक पूर्णताक हेतु कोनो समय सीमा नहि राखल जा सकैत अछि,ई संभवो नहि अछि। कारण सामाजिक परिवर्तन एकटा सतत चलए बला प्रक्रिया अछि । जरूरी ई अछि जे हमसभ सकारात्मक दिशामे अपन डेग बढ़बैत रही ,सही बातकेँ सहर्ष स्वीकार करी । जकर जे हक छैक से दिऐक ।
"बहुत किछु भेलैक अछि आ आगुओ हेतैक । जाधरि सभ सुखी नहि भए जाएत, समाजसँ असमानता, गरीबी, शोषण हटि नहि जाएत ताधरि रुकबाक नहि अछि ।" से ओ कहैत रहैत छलीह। नित्य अपन कार्यक्रममे उद्घोषणा करैत रहैत छलीह-"चरैबेति! चरैबेति!
(समाप्त)




-रबीन्द्र नारायण मिश्र, पिताक नाम: स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र, माताक नाम: स्वर्गीया दयाकाशी देवी, बएस: ६९ वर्ष, पैतृक ग्राम: अड़ेर डीह, मातृक: सिन्घिआ ड्योढ़ी, वृति: भारत सरकारक उप सचिव (सेवानिवृत्त), स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, दिल्ली(सेवानिवृत्त), शिक्षा: चन्द्रधारी मिथिला महाविद्यालयसँ बी.एस-सी. भौतिक विज्ञानमे प्रतिष्ठा : दिल्ली विश्वविद्यालयसँ विधि स्नातक, प्रकाशित कृति: मैथिलीमे: प्रकाशन वर्षः२०१७ १.भोरसँ साँझ धरि (आत्म कथा),२. प्रसंगवश (निवंध), ३.स्वर्ग एतहि अछि (यात्रा प्रसंग); प्रकाशन वर्षः२०१८ ४. फसाद (कथा संग्रह) ५. नमस्तस्यै (उपन्यास) ६. विविध प्रसंग (निवंध) ७.महराज(उपन्यास) ८.लजकोटर(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०१९ ९.सीमाक ओहि पार(उपन्यास)१०.समाधान(निवंध संग्रह) ११.मातृभूमि(उपन्यास) १२.स्वप्नलोक(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०२० १३.शंखनाद(उपन्यास) १४.इएह थिक जीवन(संस्मरण)१५.ढहैत देबाल(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०२१ १६.पाथेय(संस्मरण) १७.हम आबि रहल छी(उपन्यास) १८.प्रलयक परात(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०२२ १९.बीति गेल समय(उपन्यास) २०.प्रतिबिम्ब(उपन्यास) २१.बदलि रहल अछि सभकिछु(उपन्यास) २२.राष्ट्र मंदिर(उपन्यास) २३.संयोग(कथा संग्रह) २४.नाचि रहल छलि वसुधा(उपन्यास) २५.दीप जरैत रहए (उपन्यास)।

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