प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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प्रमोद झा  'गोकुल'

हिजड़

गाड़ी हुलकल जारहल छलै आ नितीश अपन उपरका बर्थ पर हिचकोला खाइत आँखि मुनने सूतल छलाह ।तखने कोनो टीसन पर झटकाक सं गाड़ी रुकलै कि हुनक आँखि अकस्मात खुजि गेलैन ।एमहर ओमहर आँखि घुमाके देखलनि ते ककरो आबाजाही नै बुझेलैन ।मात्र दूटा किन्नर थपरी बजबतै भीतर प्रवेश केलकै से देखि ओ आरो गबदी मारि निचेष्ट जकाँ आँखि मूनि लेलैन।
ओ दुनू किन्नर बोगी के दुन्नू कात सँ अपन चिरपरिचित अंदाज मे वसूली करय लागल ।सीटल साटल एकटा युवकक गाल के ऐँठैत ओ बाजलि-बड्ड सुन्नर लगै छेँ रे चिकना ! मोन ते होइये जे तोहर दुनू टमाटर सन गाल पर अपन ठोरक छाप छोड़ि दियौ !दही जेबी मे हाथ आ ला दस बीसगो रुपैया !ओ अपन हाथ बढ़बैत बाजलि ।युवक सेहो हरबरा के ओकर हाथ मे एकटा पचासक नोट थमा देलैन ।ढेर आशीर्वाद दैत ओ दोसर तेसर आ चारिम लग ऐहना अश्लील अंदाज मे बढ़ैत गेलि आ सब ओकर हाथ मे मुस्कियैत दस बीसक नोट थम्हबैत गेलै ।
ओ किन्नर नोट सब के बिलौजक अंदर ठुसैत मोहक अंदाज मे कने आर आगाँ बढ़लि तँ उपरका बर्थ पर गबदी मारने सूतल नितीश पर ओकर नजैर गेलै ।ओ सहैटके पहूँचलि ओकरा लग।
पहिने हिला डोला के देखलक ते कोनो असैर नै ।अंततः ओ अपना पर उतैर गेल ।चारू भाग नजैर खिरौलक आ अपन बम्मा हाथ ओकर मार्मिक जगह पर त दैहना हाथे जोर से गाल ऐँठैत बाजलि-किछ देबो करबिहिन कि गबदीये मारने रहबेँ रे चिकना ?ओकर अभद्रता पर भरकैत नितीश खुब जोर सँ बजलाह-
-भगै छेँ ऐठाँ से कि नै !!!
-नै •••की क लेबेँ तोँ हमर ?पैहने हमर मामूली द दे!
-नै देबौ !कहै छियौ चल जो नै ते •••कमा के नै खैल होइ छैन !
-हँ ते ठीक छै चल तोहीं राखि ले हमरा !झाड़ू पोछा से ल के खाना पीना तक सब काम क देबौ ,आ हे घरबाली से मोन उचाट भ जेतौ ते बिस्तरो के गरमा देबौ !
-बस्स•••मूह नै लगा हमरा से ! हे ले हम एत्तै ऐगला टीसन पर उतैर जाइ छी !के मूह लगाबे तोरा सब से ?
-कत्त?पैहने हम्मर द दे•••एक हाथे गट्टा पकरि आ दोसर हाथे ओकर डाँर के अपना मे सटबैत बाजलिओ।ओकरा अपना से फराक करैत नितीश बजलाह-
-हे ले दस रुपैया ••••बेसर्मीक हद होइ छै !आखिर हिजरे छियें कि ने !
की कहलिही •••हिजड़ा••••रे सुन ! जैह इस्सर तोरा आरू के बनौने छौ सैह हमरो आरू के बनौने छै ! फर्क एतबे जे प्रकृतिक देल सब वस्तु से तों आरू संपन छेँ आ हम आरू धूवा काया एक रं होइतो विपन! नर ने मादा ! हि••ज•••ड़ा••••••समाज मे उपहास आ अपमानित भय गरलमय जीवन व्यतीत करैक लेल वाध्य! तों ठीके कहलेँ मुदा सुनिले-हमहूँ कागत कलम आ सिलेट पिन्सिल ल के गेल रहियै नाम लिखबैले इसकूल ।माहटर नै लिखलकै हमर नाम आ कहलकै"तों हिजड़ा छियें !ऐ माने आफद !!चल भाग यहाँ से !!!माइयो बाप नै राखि सकलै अपन घर मे ।एक दिन निकैल देलकै ओहो सब अपना घर से आ धकेल देलकै ऐ निर्लज पथ पर जीवन व्यतीत करैक लेल ।जँ सत पूछेँ तँ सबसे पैघ हिजड़ा तोँ आ तोहर समाज छौ!!बुझलीही•••••एतबा कहैत ओकर आँखि भैर एलै आ कंठ अवरूध सेहो भ गेलै तेँ ऐ से आगाँ नै बाजि सकल ।गाड़ी मे बैसल सबहक दिस नोरैल आँखिये एक बेर देखलक आ फफकि फफकि कानय लागलि ।सब पसीन्जर अपन अपन मूड़ी खसा लेलक जेना वैह सब ऐ समाजक अपराधी हुए ।तखने गाड़ीक गति मन्द भय गेलैक।सैत कोनो टीसनआबि गेलै ।झटकाक सं गाड़ी रुकलै आ ओ भारी मोन सँ उतैर गेलि
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