प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
वि दे ह विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly ejournal विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA.

रबीन्द्र नारायण मिश्र

मातृभूमि (उपन्यास)- २३ म खेप

गामक सीमासँ बाहर होइत काल जयन्तक आँखिसँ नोर झहर-झहर खसि रहल छल । जानकीधामसँ शिक्षा प्राप्त केलाक बाद ओ साइते सोचने हेताह जे फेर कहिओ गाम छोड़ि कए जानकीधाम जेताह। गाम जएबाक हेतु ओ ततेक उत्सुक छलाह जे अपन शोधग्रंथक उपसंहार लिखबाक हेतु ओतए नहि रुकलाह । सोचलाह -"गामक सुरम्य ओ स्नेहमयी वातावरणमे ई काज बेसी नीक होएत । ओहिमे अपन-माटि पानिक स्वाद रहत।" मुदा परिस्थिति तेहन भए गेल जे ओहिठामसँ अचानक हुनका बिदा होबए पड़लनि। यद्यपि मोनमे ई भावना छनिहे जे ओ एकदिन फेर अपन माटि-पानिमे घुरि अओताह । जानकीधाम जाएब तँ एकटा मात्र तात्कालिक समाधान छल । मुदा ई भेल बहुत कष्टकर घटना। जाहि ठाम माताक अनन्य सिनेह ओ पिताक पाण्डित्वपूर्ण सानिध्यमे हुनकर पालन भेल ताहिठामक ॠण बिना चुकओने ओ वापस जा रहल छलाह। एक हिसाबे हुनका ई बैमानी बुझाइनि । जान चलि जाइत से बेसी नीक । तथापि ओ जीबैत छथि आ अपन प्राणप्रिय मातृभूमिसँ वंचित भए एकबेर फेर दूर जा रहल छथि। हुनका नागबाबापर मोने-मोन कैकबेर तामसो होनि । मुदा फेर अपनाकेँ रोकथि ।

"धन्यकेँ नागबाबा जे हम आइ एहि जोगर भेलहुँ अछि.नहि तँ जयन्त नामक व्यक्ति कहिआ ने बागमतीक धारमे बहि गेल रहितथि आ ककरो एहि बातक पतो लगैत कि नहि । तेँ ने सुधाकर परेसान छथि । हुनका हिसाबे तँ हम खतम  रही । मुदा भावी प्रबल ।"- जयन्त गुमसुम इएह सभ सोचैत रहथि कि रस्ताक कातमे महादेवक मंदिर देखेलनि । मोनमे भेलनि जे दर्शन कए ली।" साइत महादेव हमर दुख कम कए सकथि।"  माधव सेहो हुनकर संगे गेलाह । महादेवक दर्शन कए ओ निकलले छलाह कि गोविंद डाक देलखिन-

"गामसँ टुनटुन अएलाह अछि । किछु जरूरी समाद छनि।"

जयन्त आ माधव ओमहरे बिदा भेलाह। एहिबीच गोविंद आ नागबाबा गप्प करए लगलाह ।

"बहुत अनर्थ भए गेल ।"- गोविंद बजलाह ।

"की भेलैक?"-नागबाबा पुछैत छथि।

"बजबाक साहस नहि भए रहल अछि ।"

"बजबहक नहि तखन बुझबैक कोना?"

"टुनटुनेसँ गप्प कए लिअ ।"

"कहाँ छथि टुनटुन?"

"महादेवक दर्शन करए गेलाह अछि ।"

"ठीक छैक । आबए दिअनु ।"

गोविंद एहि दुर्घटनाक समाचार जयन्तकेँ नहि देबए चाहैत छलनि । हुनका डर रहनि जे ओ एकरा बरदास्त नहि कए सकताह। मुदा एकरा कतेक काल नुकओने रहितथि ।

टुनटुनकेँ देखितहि नागबाबा पुछैत छथि -

"की बात छैक से फरिछा कए बाजह।"

"सुधाकर आ ओकर लठैतसभ बुलडोजरसँ पाठशालाकेँ तोड़ि देलक । आब सुनैत छी ओहि जगहपर अपन घर बनाओत।"

"गौंवासभ किछु नहि कहलकैक?"

"के की कहितैक? केओ झंझटमे नहि पड़ए चाहलक । फेर ओकरा संगे तँ गुंडासभक झुंड छैक । सौंसे दछिनबारिटोलक युवकसभ ओकर पाछू-पाछू बेमत्त भेल अछि ।"

"सएह कहू? केहन भए गेल गाम? न्यायक संग देनिहार केओ नहि?"

"से नहि बाजू। उतरबारिटोल लोक जान लगा देलक । थाना धरि गेल । मुदा दरोगाजी सेहो ओकरे संग भए गेलैक । उनटे उतरबारिटोलक लोकसभकेँ धमका देलकैक । गोली-बारुद चलेबाक परिस्थिति भए गेलैक। सभ जान-बेजान भागल ।"

जयन्त एहि समाचारकेँ बकर-बकर सुनैत रहि गेलाह । किछु बाजल नहि भेलनि । पाठशालाक दुर्गतिक समाचार सुनि हुनकर हृदय विदीर्ण भए गेलनि । हुनका मोन होइत छल जे तुरंते गाम घुरि जाइ। मुदा नागबाबा अड़ि गेलाह ।

"सभ किछुक समय होइत छैक । अखन अहाँकेँ गाम गेनाइ उचित नहि होएत । सबाल मात्र ओहिठाम जेबेक नहि अछि। कोनो ओहिठाम लोकक कमी थोड़े छैक । मुदा ओ सभ झूठ-मूठमे ओझराएल रहैत अछि। यदि अहूँ सएह करए लागब तखन की फरक भेलैक? एतेक पढ़ि-लिखि कए  अहाँ अपन क्षमताकेँ एहिसभमे नष्ट करी से उचित नहि होएत । अस्तु,धैर्यपूर्वक सही समयक प्रतीक्षा करू । संप्रति हमरा लोकनि पूर्वनियोजित कार्यक्रमक अनुसार जानकीधाम चली । ओहिठाम अहाँक शोधग्रंथक विमोचन कएल जाएत । संगहि विद्वान लोकनिसँ विमर्श कए आगूक कार्यक्रम बनाओल जाएत । गोविंद आ माधव पाठशालाक सुधि लेबाक हेतु पर्याप्त छथि । ई दुनूगोटे टुनटुनक संगे गाम लौटि जाथि आ स्थितिक जानकारी लेथि । मुदा बेसी फसाद नहि करथि । समय अएलापर पाठशाला बनिए कए रहत,एकरा रोकब ककरो वशक बात नहि अछि ।"

"जे अहाँक विचार । "-जयन्त बजलाह ।

गोविंद आ माधवकेँ इच्छा रहनि जे ओ सभ जयन्तक संगे रहथि । तथापि नागबाबाक बात मानि हुनका प्रणाम कए टुनटुनक संगे गाम बिदा भए गेलाह । जाइत काल जयन्त कहलखिन-

"चिंता नहि करब । हमहु अएबे करब ।"


-रबीन्द्र नारायण मिश्र, पिताक नाम: स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र, माताक नाम: स्वर्गीया दयाकाशी देवी, बएस: ६९ वर्ष, पैतृक ग्राम: अड़ेर डीह, मातृक: सिन्घिआ ड्योढ़ी, वृति: भारत सरकारक उप सचिव (सेवानिवृत्त), स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, दिल्ली(सेवानिवृत्त), शिक्षा: चन्द्रधारी मिथिला महाविद्यालयसँ बी.एस-सी. भौतिक विज्ञानमे प्रतिष्ठा : दिल्ली विश्वविद्यालयसँ विधि स्नातक, प्रकाशित कृति: मैथिलीमे: प्रकाशन वर्षः२०१७ १.भोरसँ साँझ धरि (आत्म कथा),२. प्रसंगवश (निवंध), ३.स्वर्ग एतहि अछि (यात्रा प्रसंग); प्रकाशन वर्षः२०१८ ४. फसाद (कथा संग्रह) ५. नमस्तस्यै (उपन्यास) ६. विविध प्रसंग (निवंध) ७.महराज(उपन्यास) ८.लजकोटर(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०१९ ९.सीमाक ओहि पार(उपन्यास)१०.समाधान(निवंध संग्रह) ११.मातृभूमि(उपन्यास) १२.स्वप्नलोक(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०२० १३.शंखनाद(उपन्यास) १४.इएह थिक जीवन(संस्मरण)१५.ढहैत देबाल(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०२१ १६.पाथेय(संस्मरण) १७.हम आबि रहल छी(उपन्यास) १८.प्रलयक परात(उपन्यास); प्रकाशन वर्षः२०२२ १९.बीति गेल समय(उपन्यास) २०.प्रतिबिम्ब(उपन्यास) २१.बदलि रहल अछि सभकिछु(उपन्यास) २२.राष्ट्र मंदिर(उपन्यास) २३.संयोग(कथा संग्रह) २४.नाचि रहल छलि वसुधा(उपन्यास) २५.दीप जरैत रहए (उपन्यास)।

अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।