प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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प्रमोद झा  'गोकुल'

नागरिकता

आइ भोरे से दिनकर के मेघ झपने छैन ।झिहिर झिहिर हवा आ टिपिर टिपिर पानि ठण्ढ के और बढ़ा देने छै आ तै पर से विरोधी दलक आन्दोलन आर हरकम्प मचा देने छै ।केहनो हमय रहौ जाय ते पड़बे करतै, जखन गछने छियै तखन उपैये की!तै पर से ऐ बैसारी मे दू सय रुपैया आ नास्ता पानी सेहो देतै
एहन खराब मौसम मे दरो देहारी कहाँ कतौ लगै छै?भेलै ते भैर दिनका बात ,साँझ पड़ैत घर ते चैलिये एबै! टेक्टरो जे घड़ी ने एलैये कलौवो बनिये गेल हेतै, खा पी के तैयार भ'जाइ छी ।कने आंगन जा के देखै छियै बनरझुल्ला बाली के खाना बनौलकै कि नै! घरबाली के मनुहार करैत बाजल ललन कामैत-
-खाना बैन गेलै बनरझुल्ला बाली ?
-एत्ते सबेर पेट मे खौंती किए फेकने छै आइ एकरा?
--हम लरम से कहै छियै आ ई बैंह गरम से बाजै छै! आइ जेबै धरना परदर्शन मे ,बैठल ठाँ कि अल्हुवा तौलबै? तेँ
जाइ छियै ओत्तै ।दौ झपसिन दू कौर सुअन,नै ते सतुवे गूर पर निमेरा कर' पड़तै ।
-हे लौ !थारी आगाँ मे रखैत बाजलि बनरझुल्ला बाली ,पुनः किछु सोचि- ऐ धरना परदर्शन से की हेतै?
-से की जान' गेलियै हम ? सुनै छियै मोदी सरकार कोनो कानून पास केलकैहे, तकरे विरोध मे ।
-मर ! मोदी सरकार ते बड निम्मन काम सब केलकैहे !आइ तक गरीबक सुरता एना भ'के कियो कहाँ लेने छलै! तखन विरोध कथी के? एगो बात बुझाबौ ते ई!
-कथी !
-ऐ कानून के नाम की छै?
-से हम की जान'गेलियै?
-तखन ई जाइ छै कथी ले ?
-दू सय रुपैया ले!
-तखन ई नै जाउ!
-से किए?
-जखन एकरा कुछो बुझले नै छै त'की कर' जेतै?
-पाइ ल' नेने छियै नेताजी से!
-भाँड़ मे जाउ पाइ आ नेताजी !कोनो नीके बात ले सरकार कानून बनौने हेतै ।हम पूछै छियै बौवा के, ओ ते पढ़ल लिखल छै !
-पुइछ लौ!
-बौवा रौ!
-हँ गै माय!
-कोन कानून पास केलकैहे मोदी सरकार!
-नागरिकता संशोधन कानून!
-ऐ से की हेतै?
-आन आन देश से लुटि पिट के जे हिन्दू सिख इसाइ आ पारसी भाइ बहीन एत' एलैहे ओकरा नागरिकता भेटतै ।अपने आरू जकाँ ओकरो सब के सुबिधा आ अधिकार भेटतै ,सएह!
-ऐ मे हर्जे की छै? ओ सब सबटा गमा के ऐ ठाँ एलैहे, अपने जैनके कि ने! तखन जँ ई कानून पास भेलैहे त' कोन अनर्थ भ' गेलै ? कान खोइल के सूनि लौ! जँ ई ऐ ठाँ से ससरलै ते कोनो करम बाँकी नै रखबै एकरा हम ।
-ठीक छै, जखन यैह मना करै छै ते नै जेबै! भारी मन से बाजल ललन ।
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--प्रमोद झा "गोकुल", दीप,मधुवनी (विहार), फोन+९८७१७७९८५१

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