संतोष कुमार
राय 'बटोही'
लघुकथा- कनफुस्सी
"कान बड़ कुकुयात अछि। बुझना जायत अछि जेना कान मे किछु कुरबुरायत अछि। कान
मे काठी देला सँ नीक भs जायब " , इ फुसफुसायत बुढिया काकी आंगन सँ निकलीही।
मिथिला मे कहबी छै - "कान कौवा लs गेल ।"
दोसरक गप करबै तँ ओहीना होएत । इ बरबरायत हमर काका गली दिस सँ दालान पर
अबैत बजलाह, "बड़ दिन सँ तोरा कहैत छियौय , कनफुस्सी लकs नहि उड़, तँ तूँ
हमरा बुरबक बुझैत छैं। 'हर बहै से खर खाय बकरी खाय अँचार' , तँ आब बुझही।
ओकर हाथक तीमन तोरा बड़ नीक लगैत छलौह आओर खूब खो।"
काका काकी के दमैस कs कहैत छलथिन्ह,
"अहाँ केँ कहने छलहुँ - कुबरा के भीन कs दियौ से तँ केलियै नहि ।"
काका केँ 'रेड बेल' बैज गेलन्हि- " कथी कहलीही , फेर बाज ; हमर गाछ-विरीछ ,
खेत-खलिहान, घर-घरारी वगैरह तोहर बाप कँ छियौय जे बाँटि दियौ ? आओर भीन कs
दियौ ? धनमा केँ ससुर केँ अरजल छियैय । सिमरी वाली केँ भतार अरजने छै।"
आगाँ आओर बजैत काका क्लिन्टन ,
" हम भी नहि करबै। जकरा जतs जेबाक छौ से जो। खूब छिरहारा खेलै जो। काया मे
जहिया घुन लागि जेतौ तँ अबिएऐँह । हमर ....उपारि-उपारि केँ खैंहें।"
काका काकी केँ कहैत बजलाह , " तूंहों घंघोर जो, बड़ दिन भs गेलौ राजकुमार
कें ऐँठ चटला। आओर उहो दुनु सार केँ कही - हमर घर खाली करत। अपन- अपन दुनिया
देखतै। ससुर आओरसार केँ सोधि केँ खेतै। बड़ भs चुकलै सरकारी सेवा। नै माधो
केँ लेना नै उधो केँ देना।"
रेड बेल बजला देखि कs काकी घरारी
दिस पड़ेलीह। काका किछु दुरि हुनका पाँछा दौड़ल गेलाह - " रुक मादर के....रुक....।
रूक छिनरा केँ...रुक। "
काकी गाछी दिस निछोह भागि गेलीह। काका हकमैत ठाड़ भs गेलाह। बरबरैत चुप
भेलाह। घरारी पर लकड़ी पर बैसलाह। कनेक देर सुस्ती क फेर दलान दिस विदा
भेलाह।
अखनो धरि काका कुकुयैत छलाह , "सार सभ खाली खायत अछि आओर घर मे घुसिऐत अछि
।"
दलान सँ आंगन दिस विदा भेलाह। आंगन मे घुसैत बजलाह -" घर खाली कर तूँ दुनु
। कोरोना कहिया नै खतम भेलै। परञ्च तोरा दुनु लेल करोना छेबे करै। भाग दुनु
सार। दुनु झोंट केँ निकाल बाहर। बपौती नहि छन्हि दुनु केँ। सबहक लेल
काम-धंधा छै आओर तोरा दुनु लेल कामे नहि छै ।"
कुबरा गाम पर अगहन 2020 सँ घर ओगरने छै आओर पलटु फागुन 2020 सँ बंबई सँ आयल
तँ जै केँ नाम नहि लैत छै।
कुबरा कहैत अछि जे शहर मे काम-धंधा नहि छै। दिल्ली मे जै होटल मे काज करैत
छल ओकर मालिक करोना सँ मरि गेलाह। होटल बन्न भs गेलै।
पलटु केँ अपन खिस्सा छै । उ आब बाहर नहि जै लेल चाहैत अछि। करोना काल मे
ओकरा कोलकाता सँ पैरे आबs पड़लै तखन जाकs जान बचलै।
उ माय सँ कहैत छै -" चौक पर कही पापा केँ हमरा एकटा दोकान खोलि देत।"
काका कहैत छथिन्ह जे ओकरा दोकान नहि चलौल हेतै। ई लबड़ा -लुच्चा संगे
उठैत-बैठैत छै । टाका बुरा देत।
ई एके जिद्द पर अड़ल अछि - " हम बाहर नहि जायब। किछु करब त करब घरे पर।
करोना काल मे मृत्युक- तांडव देखि कs पलटु घबड़ायल छै। नाना नहि मरहीऐं जे
ओ आब शहर जायत। आब ओ मरत त गामे मे, जीबत त गामे मे। चाहे खाकs मरै चाहे
बिन खाकs । शहर कें जिनगी कें नरक मानैत अछि ओ।
'बउआ कहै मौसी गाम जायब' ई कहबी कुबरा लेल सही छै। कुबरा बंगलोर, गुवाहाटी,
बंबई , दिल्ली, लुधियाना, चेन्नई वगैरह घुमि-घाम कs घर ओगरने छै। ओकरा कतौ
नीक नहि लगैत छै। ओ हरदम घरवाली के खोंचा मे नुकाल रहैत अछि। सभ काज ओकरा
लेल बेकार छै। जियत त बिंदास सँ , मरत त बिंदास सँ। कमेनी-खटेनी चवन्नी खरचा
रुपया। जयनगर क॓ सैफन पर बन्नूक-बन्नूक राति कs खेलाइत अछि।
ओकर कहब अछि- नाचू तँ टाका लेल। पढल-लिखल ढेला आओर फैशन नवाबी। चोर-चोर
मसियौत। चालि-चलन नीक नहि छै। घरवाली केर गहना-गुड़िया बन्हक राखि कs
लाल-हरियर पानि पीब रहल छै। खजौली-जयनगर करैत दिन काटि रहल छै। बाप केँ
कमैत-कमैत हड्डी झलकती छै। तैँ सरिपहुँ काका केर 'रेड बेल' बजs लगैत छन्हि।
रतन केर काज नीक छेलै। मालिक नीक छेलै। अडानी ग्रुप सँ जुड़ल काज छेलै।
अडानी के हिंडन रिपोर्टक बाद शेयर गिरs लगलै आओर ओकर मालिक दिवालिया भ
गेलाह।
चलनी लकs पानि उघ्घू। ई भs रहल छै। फिरीशान भ कुबरा दर-दर केँ टोकर खा रहल
छै, परञ्च मोन माफिक काज ओकरा नहि भेट रहल छै। एक बरख सँ सौंसे भारत घुमि
रहल अछि आओर पिकनिक अपने आप मैन रहल छै।
नीक-नीक पढल-लिखल रस्ता पर बउआइत छथि।कोनो काज नहि भेटैत छै। महँगाई सभहक
नौकरी खा रहल छै। निजीकरण नौकरी खा रहल छै। आब पेट भेल सभहक पहाड़ ।
काकी केँ कानफुस्सी कके सभ मउगी हुनका गलबजौनी बनौने रहैत छै। भरि टोल मे
काकी आगि लगौने रहैत छै। के बेटखौकी हमरा घर मे नजर लगौलक। कमैत पुत घर
ओगरलक। मिश्रौलिया वाला भगता सँ देखा कs बेटखौकी सभ केँ घर मे अगराही लगौबै।
काका केँ आंगन मे उत्तर-दक्खिन दिस लेटा देने छन्हि। माथा लग आगि जैर रहल
छै। एकटा डाबा मे कुश राखल छै। काकी नोर पोछि रहल छथि।आब काका किनको नहि
डटतिन्ह। आब ओ चुप्पी साधि लेलैथ। आब काकी केर कनफुस्सी बन्न भ गेलै।
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