प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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प्रणव कुमार झा

 

नगरक सभ्य लोक

ई नगर अछि की धूला के फुकना अछि
एतुका सभ्य लोक वास्तव में आगिमुतना अछि।
कत्तौ गाछ काटि कऽ, कत्तौ पोखैर के भसा कऽ
ठाढ़ केलक अछि एत्त सभ्यता के अट्टालिका

बना लेलक अछि निगम आ नगरपालिका ।

 

रौद मे समेटल बाट पर, भागमभाग रहैत अछि सब, 

एक दोसर के दाबैत,पिचैत,भागैत डेग दैत अछि सब।

धन की मद में बढि रहल अछि अनवरत अनाचार,

लोक लाज के एत्त, रहल नहि आब कोनो विचार।

ई नगर अछि आ कि स्वप्न के लहरलुटना अछि,

एतुका सभ्य लोक वास्तव में आगिमुतना अछि।

 

कखनों सागर के लहर मे जा कऽ, कखनों पहाड़ों पर जा कऽ

स्वांग रचइत अछि प्रकृति-प्रेमी होबय के ई फोटो खिंचा कऽ;

बनल रहय ढकोसला, कोनो दाम पर हिनक सपना अछि

एतुका सभ्य लोक वास्तव में आगिमुतना अछि।

 

जै माटि से सभटा पेलैथ ओकरा ई कहैथ छैथ धूरा

पूर्वजक सभ्यता संस्कृति के बिसरलाह ई पूरा

बुझल नै छईन्ह जे अंत मे एहि माटि तर घुसना अछि

एतुका सभ्य लोक वास्तव में आगिमुतना अछि।

 

रहल नै आब एतुका माटियो सुरक्षित

कऽ देलाह ई सभ ओकरो प्रदूषित।

कि नदि कि ताल के कहु कथा !

भऽ रहल मृतप्राय ई सबहक व्यथा!

चैन भेटत कि अहांके मुईला के बाद मिलि के ऐमे  

अहाँ सभ सं ई प्रश्न पुनः पुछना अछि  ।

एतुका सभ्य लोक वास्तव में आगिमुतना अछि।

 

[प्रणव कुमार झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली]

 

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