डॉ.ज़ियाउर रहमान जाफ़री
मैथिली प्रबंध काव्य हरवहाक बेटी मे फजलुर रहमान हाशमीक दृष्टि
मैथिली साहित्यक इतिहासमे आचार्य फजलुर रहमान हाशमी जीक नाम प्रथम
मुस्लिम कविक रूपमे प्रतिष्ठित अछि | श्री हाशमी जीक जन्म 09 जनवरी 1942
कें पटनाक बराह (पटना )नामक स्थान पर भेल छल, मुदा भारत आ पाकिस्तानक
बंटवाराक बाद ओ बिहारक बेगूसरायमे शरण लेलनि। हुनक पिताजीक पाँच भाइ छलखिन,
जाहिमे सँ चारि भाइ पाकिस्तान केर कराची आ लाहौर चलि गेल छलखिन। मुदा ई छोट
बच्चा हाशमी अपन पिता ‘सलीमउद्दीन फातमी’क ई कहि कऽ रोकि देल गेलैक जे हम
सभ भारत छोड़ि कऽ कतहुं नहि जायब। जे भगवान पाकिस्तानक छैथि सैह भारतक
भगवान सेहो छैथि। ओ हमरा सबहक रक्षा सब ठाम करैत छथि, तखन अपन देश छोड़ि कऽ
की फायदा? पिताजी हुनकर बातसँ एतेक प्रभावित भेलाह जे एहि देशमे रहबाक दृढ़
निर्णय लऽ लेलनि। फजलुर रहमान हाशमीक मातृभाषा उर्दू छलनि। पढ़ल-लिखल
परिवार छल। हुनका एतय सँ नदीम आ कारवां जैसन पत्रिका प्रकाशित होइत रहल ,
बादमे हिन्दी पत्रिका ‘एक-एक क़तरा’ सेहो प्रकाशित होमय लगल छल आ ‘आज’
सेहो..
हिन्दीक एकटा महत्वपूर्ण राजनीतिक आ साहित्यिक पत्रिका ‘दूसरा मत’ केर
प्रकाशन हुनकर बेटा ए.आर आजाद द्वारा कयल जा रहल अछि। ई परिवार एखनहुं
साहित्यिक अछि। हिनक बहुतो बेटा-बेटी आ भाइ सभ रचनाकार छथि।
श्री हाशमी उर्दूमे पढ़ने छलाह। हिनकर अपन घरकें छोड़ि मैथिलीक अपभ्रंश रूप
सम्पूर्ण इलाकामे बाजल जाइत छल। घरमे ई भाषा बजनाइ मना छलैक। कारण गामक
अशिक्षित वर्गमे अइ भाषाक प्रयोग होइत छल तेँ ई मानसिकता विकसित भऽ गेल छलै
कि ई भाषा कम पढ़ल लिखल लोकक भाषा अछि। मुदा श्रीमान हाशमीकेँ एहि भाषासँ
बहुत प्रेम छलनि. गामक लोकक संग ओ यैह भाषा बजैत छलाह।विद्यापतिक देसिल
बयना सब जन मिट्ठा जकाँ हुनका ई भाषा बाजब आ सुनब बहुत पसीन छलनि. यद्यपि ई
भाषा मैथिली नहि छल मुदा मैथिलीसँ बहुत मिलैत जुलैत छल। हुनकर भाइ गुलाम
मोहीउद्दीन चाँद कहैत छलाह कि एक दिन जखन ओ ओहि भाषामे गप शुरू कयलनि तं
हुनका बहुत फटकारल गेल छलनि, मुदा ओ उतारा देलनि कि इहो एकटा भाषा अछि आ
कोनो नव भाषा सीखला पर कोनो नोकसान नहि होइत छैक। हाशमी मैथिली भाषी नहि
रहितहुं मैथिली भाषा आ साहित्य पढ़य लगलाह ।
श्री हाशमी मैथिलीमे निरंतर लेखन आ प्रकाशन शुरू कयलनि.हुनक आवाजमे एकटा
जादू छलनि, तें उर्दू मुशायराक संग हुनका मैथिली कवि सम्मेलनक सेहो दूर-दूर
सं आमंत्रिण आबैत छल।. आकाशवाणी दरभंगा आ पटनामे नियमित रूपसं प्रस्तुति
देबय लगलाह। आ बहुत कम समयमे हिन्दी आ उर्दू मैथिली कविक रूपमे हुनकर
प्रसिद्धि पसरि गेल हिन्दीमे जखन बाल कविता, लघुकथा लेख आ गजल लिखैत छलाह,
ओतहि उर्दू मे गद्य आ कविता दुनू मे पावंदी सँ लिखैत छलाह।ओहि समयक
प्रसिद्ध उर्दू पत्रिका ‘बीसवीं सदी’ मे प्रकाशित होयब गौरवक विषय छलै।
हुनक रचना ओतय निरंतर प्रकाशित होइत छल। उर्दू पत्रिका उमंग मे प्रकाशित
हिनकर गीत -
अपन जीह के असर दियौ
भले कठिन हो, ओकरा मोम मे बदलि दियौ
कतेको स्कूलमे एकटा प्रार्थनाक रूपमे गाओल जाइत छलैक। मैथिलीक जादू हुनका
पर एतेक काज केलकनि जे वर्ष 1996 मे हुनका अपन कृति अब्दुल कलाम आजाद लेल
साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित कयल गेल। एतबे नहि, साहित्य अकादमीक
सलाहकार समितिक सदस्य सेहो छलाह, आ साहित्य अकादमीक छहसँ बेसी पोथीक मैथिली
अनुवाद कयलनि, जाहिमे फिराक गोरखपुरी, मीर ताकी मीर आदिक प्रसिद्ध जीवनी
शामिल अछि.पाठ्यक्रम लेल विज्ञानक किताब सेहो लिखलनि जे बिहार सरकारक
शिक्षा विभाग सं मंजूर छल, आ स्कूलमे पढ़ाओल जाइत छल। हिनक मैथिली रचना
सेहो पाठ्यक्रममे शामिल कयल गेल। आइयो बिहार बोर्डक मैट्रिक क्लास मे हिनक
कविता ‘थर्मसक चाय’ पढ़ाओल जाइत अछि.हुनक मैथिली साहित्यिक विकास पर कतेको
लोक पीएचडी केलनि.वर्तमानमे नवल किशोर महतो मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगासँ
मैथिली साहित्य पर पीएचडी कऽ रहल छथि।हिनक कविता संग्रह ‘रश्मि रशि’ आ
हिन्दी गजलक पोथी ‘मेरी नींद तुम्हरे सपने’ हिन्दीमे प्रसिद्ध अछि, मुदा
मैथिली मे ‘निर्मोही’ आ ‘हरवहाक बेटी’क रचना हिनक अपार प्रसिद्धि प्रदान
केलक अछि निर्मोही मैथिली कविता 1977 मे समरवाल प्रिंटिंग प्रेस, लखनऊसँ
प्रकाशित भेल छल. हरवाहक बेटी हुनक दोसर कृति अछि, जे सीताक जन्मसँ शुरू
होइत अछि.एहि रचनामे सीताक वन गमनक चित्रण एहि तरहेँ कयल गेल अछि जे पढ़ैत
काल नोर निरंतर बहय लगैत अछि.एहि कृतिमे सीताक जन्म सँ लऽ कऽ परलोकमे
प्रस्थान धरिक कथा समेटल गेल अछि। रामक परम्परा आ शिष्टाचारक पालन करैत
सीताक माताक रूपमे देखाओल गेल अछि।
मैथिली खंडकाव्य हरवाहक बेटीमे अयोध्या पहुँचला पर माता सीताक स्वागत जाहि
तरहेँ होइत छैक, एहन अद्भुत घटना संभवतः कोनो आन रामकाव्य मे भेटब कठिन
अछि।श्री हाशमी इस्लाम धर्म सं संबंधित छलाह। इस्लाम धर्ममे सेहो ओ हजरत
मोहम्मदक परिवार सं आयल छलाह, एकर बादो हुनका हिन्दू धर्म पर गहीर अध्ययन
छलनि। रामायण, गीता आ महाभारतक गंभीरतापूर्वक अध्ययन केने छलाह। दूर-दूर सँ
हुनका प्रवचन लेल बजाओल जाइत छलनि। हुनका भीतर अपन वक्तृत्व कौशल सं लोक के
बान्हबाक अद्भुत क्षमता छलनि.
श्रीराम मे संबंध निर्वाहक अद्भुत क्षमता छलनि। हुनका भरत आ कैकेयीक प्रति
ओहिना प्रेम छनि जेना कौशल्या आ लक्ष्मणक प्रति छलनि।आदर्श पति, आदर्श
पुत्र आ आदर्श भाइक गुण राममे विद्यमान छलनि। रावणक प्रति सेहो हुनका हृदय
मे कोनो घृणा नहि छलनि ओ बेर-बेर लक्ष्मणसं बहुत किछु रावणसं सीखबा लेल
कहैत छथि, आ रावणकेँ मारलाक बाद, राज्य ओकर भाइकेँ देलाक बाद वापस अयोध्या
आबि जाइत छथि। रामायणक ऐहध बहुतो संवेदनशील घटनाक वर्णन श्री फजलुर रहमान
हाशमी केर काव्य संग्रह हरवहाक बेटीमे कयल गेल अछि।
मैथिलीशरण गुप्त एकटा विशिष्ट उद्देश्यक संग राम काव्य साकेतक रचना कयने
छलाह, आ ओ उद्देश्य छल उर्मिलाक विरहक वर्णन करब. गुप्त जीक साकेतक बाद राम
काव्यक लेखकक ध्यान उर्मिला पर पड़लैक,मुदा सीताक एकटा पक्ष सेहो रामक
कवितामे हेरायल छल। सीता राजा जनकक बेटी छलीह, मुदा सीताक सरल जीवनमे कतहु
राजकुमारीक चरित्र नहि भेटल।फजलुर रहमान हाशमी एहि पोथीक भूमिकामे लिखने
छथि – एहि पोथीक माध्यमे हम सभ सीताक निजीकरण कएने छी.आइ हम जानकी जीकें
राजाक बेटी मानि कऽ जे अधिकार छीनने छी से घुरा रहल छी।
खण्ड काव्य हरवाहक बेटीक कथा सीता के जन्मसँ शुरू होइत अछि. मैथिलीक
प्रसिद्ध कवि श्री हाशमी एहि हरवाहक बेटी मे लिखैत छथि -
हर जोति रहल अछि हरवहा
भेंटल एक सुता सुनयनी
वैह सुता बढ़ि कऽ कहौलनि
जग मे सीता जनक नंदिनी
आगू सभ शिष्टाचारक पालन करैत ओ सीताक सौन्दर्यक वर्णन करैत छथि -
सूरज ज्योति जकाँ मुखमंडल
आँखि छलैक हिमकर के समान
जे देखल ओ बाजि उठल
एहन देखलहूँ नहि आन
कवि स्थापित करैत छथि जे राजा जनककेँ सीताक रूप मे बेटी तं भेटलनि, एहि
संसारकेँ सीता सन स्त्री सेहो भेटलनि, जिनकर आदर्शक पालन करैत स्त्री पूर्ण
भऽ जाइत छथि।एहि कविक शब्द मे-
राजा पौलक पुत्रीअप्पन
जग पौलक इतिहास
बरखाक हरियाली सँ फिर
हरियर भेल सब घास
राम कविता के पारखी श्री हाशमी कहबाक प्रयास केलनि कि जनकक घरमे माँ सीताक
आगमन हुनकर किछु पुण्यक परिणाम छैक।
पुण्यक फल पुण्य होइत छैक
आ पापक फल पाप
महा पुण्यक बल पर बनलनि
जनक जानकीक बाप
सीता पैघ भऽ गेल छलि आ सभटा पिता जकाँ राजा जनक सेहो अपन बेटीक विवाहक
चिन्ता मे छलाह। जखन प्रतिज्ञा कऽ नेने छलाह जे कयो धनुष उठायत वैसे सीतक
विवाह योग्य मानल जयताह। मुदा हुनका इहो चिंता छनि जे एहन योग्य वर नहि
भेटत तखन माँ सीता कुमारि रहि जयती-
कइ देलन अप्पन घोषणा
भेलन विषाद पर भारी
एहन पुरुष यदि नहि भेटल
वैदेही रहत कुमारी
एहि पोथी मे आगू सीताक अपहरणक वर्णन अछि -
'ल'गेल चुरा के दसकन्धा
सीता के निज देश
अनुपस्थिति मे राम लखन के
बदलि भिक्षु सम भेष
श्री राम सीता स विरह स पीड़ित छथि.हनुमान जी ई बात नहि देखि सकैत छथि, आ ओ
माँ सीता के तकबा लेल निकलि जाइत छथि -
पवन पुत्र जा पता चलोंलन
वाटिका मे सीता
दस शीशक ज़ुल्म क कारण अछि
अति मलीन पुनीता
रावण के अपन शक्ति पर बहुत गर्व छलैक.ओकरा लगैत छैक जे ओकर विशाल सेना आ
पैघ साम्राज्य छैक. ई दुनू भाइ राम आ लक्ष्मण हमरा सभक संग की करताह?
जान क रावण हर्षित भेल
करि देवै सभाक अंत
हम्मर की बिगडि सकैत अछि
दू टा मात्र संत
राम आ रावणक बीच युद्ध होइत छैक. एकटा न्यायक प्रतीक आ एकटा अन्यायक
उदाहरण.जाहिर अछि न्याय आ अन्यायक बीच न्याय सदिखन जीतैत अछि -
युद्ध भेल आ राम हाथ सँ
सभ जुल्मी मरल गले
यहि तरह संहार दस्युक
हरवहाक पुत्री सँ भेल
हरबहाक बेटी एक मात्र राम काव्य नहि अछि , कविक दर्शन,प्रकृति वर्णन, काव्य
हेतु और महाकाव्यक गुण सेहो चित्रितअछि । हाशमी ई सत्यक उद्घाटन करैत छैक
जे हर मनुक्खक एक दिन मरबाक अछि -
रहि धरा पर जीवनधारी
एक दिन अवस्स मरैत अछि
नीक बेजाय नाम अवस्स
धरती पर पड़ल रहैत अछि
जीवनक क्षणिकता श्री हाशमीक उर्दू आ हिन्दी कविता मे सेहो देखबा मे अबैत
अछि । हिनक एकटा प्रसिद्ध कविता अछि-
हम समय के
कलंकित केने छी
हमर भाइ
हमरा सँ डरैत अछि
हमर भावना जीवित अछि
हमरा लगैत अछि जेना हम मरि गेल छी
तहिना हुनक एकटा प्रार्थना गीत मे सेहो एहने मृत्युक भाव देखबा मे अबैत अछि
-
दिन-प्रतिदिन डरा जाइत छी
हमर मित्र
हमरा इजोत
हमर पास नहि अछि
एहि तरह हम देखैत छी जे श्री फज़लुर रहमान हाशमी मैथिलीमे राम कविताक पहिल
मुस्लिम लेखक छथि यद्यपि ईहो सत्य अछि जे मुस्लिम साहित्यकार लोकनि
रामकाव्य पर आन भाषा मे बहुत कम लिखने छथि, तेँ फजलुर रहमान हाशमीक महत्व
आओर बढ़ि जाइत छनि.हुनका हिन्दू धर्मक गहीर ज्ञान छलनि, ताहि लेल ओ कोनो
पात्रक भूमिका निभा सकैत छलाह. ओ भागवत गीता के उर्दू में काव्यात्मक
अनुवाद सेहो करलकै, जेकरा उर्दू अकादमी, दिल्ली द्वारा बहुत दिन तक प्रकाशन
लेल राखल गेलै, आ बादमे खारिज कऽ देल गेलैक। हुनकर प्रकाशनाधीन एकटा किताबक
नाम हदीस का परिचय अछि जकरामे हजरत मोहम्मदक जीवनी बताओल गेल अछि । अपन एहि
विद्वताक कारण बेगूसरायक साहित्यकारमे दिनकरक बाद हुनकर नाम सम्मान सं लेल
जाइत अछि।
-डॉ.ज़ियाउर रहमान जाफ़री, (प्राध्यापक हिन्दी), ग्राम पोस्ट -माफ़ी, वाया
-आस्थावां, ज़िला -नालंदा, बिहार 803107; 9934847941
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।