नन्द विलास राय
भोँटबेच्चा
नेवालालजी रिटायर शिक्षक। भरि दिन
चौक-चौराहापर रंग-बिरंगक भाषण झाड़ैत रहै छैथ। नैतिकता, निष्ठा आ चरित्रक
बात करैत रहै छैथ। एमकी भेल पंचायत चुनावमे मुखिया पदक तीन-तीनटा
उम्मेदवारसँ भोँट दइक नाओंपर ढौआ लेलखिन। मुदा भोँट ते कोनो एक्केटा
उम्मेदवारकेँ ने देने हेथिन। राम कुमारजी मुखिया पदक उम्मेदवार छला।
विवेकजी जे नेवालालजीक बेटाक संगी छैथ, तिनके समक्ष रामकुमारजी भोँटक
नाओंपर नेवालालजीकेँ पाँचटा भोँटक लेल पनरह साए टका देने छेलैन।
आइ भोरमे चाहक दोकानपर आंगनवाड़ी केन्द्रक चर्च उठल तँ नेवालालजी लगला भाषण
झाड़ए। ओ कहए लगला- “एक्कोटा आंगनवाड़ी केन्द्र नहि चलैए। केन्द्रपर
बच्चासभक बीच पोषाहारक वितरण सेहो नहि होइए। स्कूलो सभक सएह हाल छै। सभक
नैतिक पतन भऽ गेल हेन। सभ बेइमाने भऽ गेल हेन। केकरोमे चरित्र बाँचले ने
अछि।”
जखन नेवालालजी चाहक दोकानपर ई भाषण झाड़ै छला तखन विवेको रहए। विवेककेँ नहि
रहल गेलै ओ नेवालालजीकेँ कहलकैन-
“धुरजी, अहाँ की भाषण झाड़ै छी। अपन मुँह ऐनामे देखियौ। रिटायर शिक्षक छी।
पच्चास हजार टका पेंशन भेटैए आ भोँटक नाओंपर उम्मेदवारसँ पाइ लइ छी। अहाँ
ते भोँटबेच्चा छी। अहाँ की नैतिकता आ चरित्रक बात करब।”
नेवालालजी किछु नहि बजला- “निच्चाँ मुहेँ मुड़ी गोंतने ओइठामसँ विदा भऽ
गेला।”
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