प्रणव झा
इंटर/बारहमा के बाद जीवविज्ञानक विद्यार्थी के करियर विकल्प
दसवीं पास कएला क बाद जखन विद्यार्थी एगारहम वा इंटर प्रथम वर्ष कक्षा में प्रवेश लैत अछि, त ओ अपन-अपन च्वाइस आ दसवीं में प्राप्त अंक केर अनुसार कोर्सक चुनाव करैत छथि। जीवविज्ञान विषय अपने किएक चुनलहुँ अछि? एहि प्रश्न केर उत्तर में बहुतो विद्यार्थी कें सुनल हेबई कि "डॉक्टर बन' चाहैत छी"। मुदा, एहि करियर के लेल अत्यधिक फोकस, सही मार्गदर्शन, उच्चतम स्तर केर प्रतिस्पर्धा, न्यूनतम सफलता दर, आ पर्याप्त धन केर आवश्यकता होइत अछि। एहन में, बहुतो विद्यार्थी बिना सटीक योजना केर एहि रेस में दौड़ि जाय छथि। जेकर परिणाम होइत छैक जे अधिकांश विद्यार्थी रेस मे बड्ड पाछा छूटि जाय छैथ आ एमहर आमहर बौख जाय छैथ। बहुतो के सम्हरईत सम्हरईत बड्ड अबेर भऽ जाय छैक आ ओ विद्यार्थी जीवन मे अपन परिश्रम आ प्रतिभा के अनुकूल करियर प्राप्त करऽ मे अक्सरहाँ असफल या आंशिक सफल भऽ पबय छैक। ताहि लेल ई आवशकाय अछि जे जखन विद्यार्थी दसमा पास केला उत्तर आगु के पढ़ाई जीव विज्ञान विषय के संग करय के नियारय छैथ, त परिश्रम आ लगन के संग अध्ययन के संगहि विद्यार्थी आ शुभचिंतक के हुनक बौद्धिक आ आर्थिक क्षमता, परिवेश, तैयारी, एरिया ऑफ इन्टरेस्ट आदि के ईमानदारी से समीक्षा करैत करियर के अन्य विकल्प केर खोज सेहो गंभीरता से करबा के चाहिए आ प्लान बी राखबा के चाहिए जै से विद्यार्थी के समय आ मनोबल बेसी खराप नै होय आ विद्यार्थी अपन क्षमता आ प्रतिभा अनुसार अपन करियर यात्रा के लेल समय पर सही मार्ग के चुनाव कऽ सकय। वर्तमान समय मे एमबीबीएस के अलावे भी जीव विज्ञान के विद्यार्थी लेल करियर के बहुत रास अन्य विकल्प छैक, जेकर सही समय पर चुनाव, फोकस्ड अध्ययन, सही संस्था के चुनाव आदि से विद्यार्थी अपन पेशेवर जीवन मे निक करियर बना सकय अछि। अस्तु, एहि विषय पर जीव विज्ञान के विद्यार्थी के लेल किछु करियर विकल्प पर चर्चा करऽ चाहब।
एमबीबीएस (MBBS)
एमबीबीएस शुरू सँ एक सदाबहार पाठ्यक्रम रहल अछि। जकर मांग हरदम रहल, हरदम रहत। कहे के मतलब जे 100% रोजगार के गारंटी बला कोर्स। एहि समय भारत में एमबीबीएस केर एक लाख नौ हजार से किछु बेसी सीट अछि। एहि में आधा से बेसी सीट प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में अछि, जकर फीस प्रतिवर्ष 10 लाख सँ 50 लाख तक होइत अछि। सरकारी कॉलेज के बात करी त एखन 386 टा सरकारी कॉलेज देश भरि मे अछि जै मे कुल 55905 सीट उपलब्ध छैक। मुदा ऐ मे से केन्द्रीय पूल, राज्य कोटा (डोमिसाइल), विभिन्न वर्ग के आरक्षित कोटा आदि के लफड़ा आदि के कारण अलग अलग राज्य आ वर्ग के विद्यार्थी के लेल उपलब्ध सीट के संख्या ऐ आंकड़ा से बड्ड कम रहय छैक आ अलग अलग रहय छैक। अधिकांश राज्य सरकार के सीट के 85% तक ओहि राज्य के विद्यार्थी लेल सुरक्षित रहय छैक। बिहार मे एखन 13 टा मेडिकल कॉलेज मे एमबीबीएस के कुल मात्र 1615 सीट उपलब्ध छैक। त आँकड़ा से ई स्पष्ट देखल जा सकय अछि जे सगर देश के मुक़ाबला मे बिहार मे सरकारी सीट अखनहु कतेक कम छै। स्वाइत बिहारक एकटा सामान्य वर्ग केर छात्र के लेल सरकारी सीट मे बड्ड बेसी प्रतिस्पर्धा छैक। जखन की बेसी काल सेवा सब मे आजुक लोक प्राइवेट सेवा के सरकारी के ऊपर वरीयता दैत छैथ, सरकारी इसकुल (जानि बुझि के चरमरायल व्यवस्था के कारण) के ऊपर प्राइभेट इसकुल के वरीयता दैत छैथ, तथापि सरकारी मेडिकल कॉलेज लेल एतेक मारामारी के पाछा जे कारण छै से प्राइभेट के मुक़ाबला मे बड्ड कम फीस आ मोटामोटी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के मुक़ाबला मे एखनहु बेसी निक गुणवत्ता (बेसी विद्वान फ़ैकल्टी आ ट्रेनिंग मे निक केस लोड उपलब्ध होबाक कारण )। एखनो किछु सरकारी कॉलेज मे मेडिकल के पढ़ाई बीसो हजार से कम के फीस मे संभव छैक। वर्तमान मे सरकारी आ प्राइवेट कॉलेज में प्रवेश लेल NEET-UG परीक्षा होइत अछि। यद्यपि प्रवेश केर प्रक्रिया अलग अलग छैक, केन्द्रीय कौंसेलिंग जे एमसीसी कराबय छैक, राज्य के मेडिकल काउंसेलिंग आ प्राइवेट मेडिकल कॉलेज सबहक अंत मे फ्री राउंड काउंसेलिंग आदि। एकटा सामान्य छात्र के जत्त सरकारी सीट लेबऽ लेल क्वालिफाइड 720 में सँ 600-650 अंक लाब जरूरी अछि, ओहि ठाम प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मे न्यूनतम अंक प्राप्त कऽ के क्वालिफ़ाई केने सेहो प्रवेश भेट जाय छैक मुदा ओकरा लेल अत्यधिक पाई के जोगार राख़ऽ परय छै। यद्यपि निक प्राइभेट मेडिकल कॉलेज मे प्रवेश लेल सेहो 400 से ऊपर अंक लेनाई आवश्यक छैक। नीट मे क्वालिफ़ाई करबाक लेल अंक सिस्टम नै अपितु पर्सेंटाइल सिस्टम छैक। ऐ सिस्टम मे छात्र के वास्तविक स्कोर के स्थान पर ओकर सबहक तुलनात्मक अध्ययन होइत छैक। अर्थात मानि लेल जाय जे 2 लाख विद्यार्थी मे अहाँ केर स्कोरिंग डेढ़ लाख विद्यार्थी से कम अछि, त 50 पर्सेंटाइल के मानक के अनुसार अहाँ क्वालिफाइ नै भेलहु मुदा एही परीक्षा मे दू लाख आर नॉन-सिरियस विद्यार्थी बैस जाय त आहाँ वैह परीक्षा मे ओहि अंक पर क्वालिफ़ाय भऽ जेबय। किएकि वर्तमान मे करीब 15 लाख विद्यार्थी ऐ परीक्षा मे बैसई छै, त करीब साढ़े सात लाख ऐ एक लाख दस हजार सीट लेल क्वालिफाय करय छय.... आ एहन मे ई अक्सर होय छय से एक लाख के अंदर आबऽ बला बच्चा सब के एडमिशन नई होय (पाई के अभाव मे) आ साढ़े सात लाख रैंक बला के एडमिशन भेंट जाय छय। अतः विद्यार्थी आ गार्जियन सभ के ई सब बात के ध्यान मे राकबाक चाहिए।
एमबीबीएस में प्रवेश प्रक्रिया
1. नीट (NEET) परीक्षा
भारत में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेल नीट (NEET - National Eligibility cum Entrance Test) परीक्षा पास करब अनिवार्य अछि। ई एक अखिल भारतीय स्तरक परीक्षा अछि जे नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित होइत अछि।
2. पात्रता मानदंड
- शैक्षणिक योग्यता: बारहवीं में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, आ भौतिक विज्ञान में न्यूनतम 50% अंक (एससी/एसटी/ओबीसी लेल 40% अंक)।
- आयु: परीक्षा के समय न्यूनतम आयु 17 वर्ष होबाक चाही।
3. परीक्षा क' पैटर्न
नीट परीक्षा एक पेन-पेपर आधारित परीक्षा होइत अछि जे 3 घंटा 20 मिनटक होइत अछि। एहि परीक्षा में निम्नलिखित विषय सभ सँ प्रश्न पूछल जाइत अछि:
- भौतिक विज्ञान: 45 प्रश्न
- रसायन विज्ञान: 45 प्रश्न
- जीव विज्ञान (बॉटनी आ जूलॉजी): 90 प्रश्न
- कुल प्रश्न: 180 प्रश्न
प्रत्येक सही उत्तर लेल 4 अंक द'ल जाइत अछि आ प्रत्येक गलत उत्तर लेल 1 अंक कटब'ल जाइत अछि।
4. कट-ऑफ स्कोर
नीट परीक्षा में कट-ऑफ स्कोर हर साल बदलैत रहैत अछि। सामान्य वर्ग लेल 50 पर्सेंटाइल आ आरक्षित वर्ग लेल 40 पर्सेंटाइल होइत अछि। मुदा जेना कि उपर कहल गेल कट ऑफ स्कोर एडमिशन के कोनो गारंटी नै छैक, ओहि लेल बड्ड निक रैंक अथवा चिक्कन पाई भेनाई आवश्यक अछि।
5. काउंसलिंग प्रक्रिया
नीट परीक्षा में प्राप्त अंकक आधार पर काउंसलिंग प्रक्रिया होइत अछि, जइमें अहाँ विभिन्न मेडिकल कॉलेज में सीट प्राप्त करऽक लेल आवेदन करैत छी। काउंसलिंग प्रक्रिया निम्नलिखित चरण सभ में होइत अछि:
- पंजीकरण: नीट काउंसलिंग लेल ऑनलाइन पंजीकरण करु।
- चॉइस फिलिंग: अहाँक पसंदक कॉलेज आ कोर्स केर चयन करु। ।
- सीट आवंटन: नीट रैंक आ उपलब्ध सीटक आधार पर सीट आवंटन होइत अछि।
- दस्तावेज सत्यापन: सीट आवंटनक बाद आवश्यक दस्तावेजक सत्यापन करु।
- प्रवेश: सत्यापनक बाद कॉलेज में प्रवेश लेल शुल्क जमा करु।
एमबीबीएस करबाक बाट मे दिक्कत :
1. उच्च प्रतिस्पर्धा
एमबीबीएस में प्रवेश लेल अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होइत अछि। लाखों छात्र नीट परीक्षा में भाग लैत अछि, मुदा सीमित सीटक कारण बहुतो छात्रक प्रवेश नहि भ' पाबैत अछि।
2. उच्च शुल्क
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजक फीस बड्ड बेसी होइत अछि, जे सभ परिवार लेल वहन करब संभव नहि होइत अछि। सरकारी कॉलेज में सीट बड्ड कम होइत अछि, जइमें प्रवेश लेल बड्ड उच्च स्कोर चाही।
3. लंबा समय
एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा करऽ आ एकटा स्थापित विशेषज्ञ चिकित्सक बनबाक लेल लगभग 8-10 वर्ष लगि जाइत अछि, जइमें 5.5 वर्षक एमबीबीएस पाठ्यक्रम आ 3 वर्षक पीजी (DNB/MD/MS/PG-Diploma) कोर्स शामिल अछि।
4. मानसिक आ शारीरिक दबाव
एमबीबीएस के दौरान आ चिकित्सक बनबाक क्रम में अहाँक मानसिक आ शारीरिक दबाव सँ गुजरऽ पड़ैत अछि। लंबा अध्ययन समय, इंटर्नशिपक दौरान राति राति भर जागब, आ मरीजक जिम्मेदारी सँ जुड़ल दबाव अहाँक मानसिक आ शारीरिक स्वास्थ्य पर असर क सकैत अछि।
समाधान
1. उचित तैयारी आ मार्गदर्शन
नीट परीक्षा लेल उचित तैयारी आ मार्गदर्शन बड्ड महत्वपूर्ण अछि। अहाँ नीट परीक्षा लेल कोचिंग संस्थान सँ सहायता ल' सकैत छी आ नियमित रूप सँ मॉक टेस्ट द' सकैत छी।
2. विकल्पक योजना बनाबऽ
एमबीबीएस क' अतिरिक्त अन्य चिकित्सा आ बायोलॉजी सँ संबंधित पाठ्यक्रमक विकल्प राख' बड्ड महत्वपूर्ण अछि। अहाँ बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस, बीपीटी, बीवीएससी आदि पाठ्यक्रम सभ क' सेहो विचार करू।
3. आर्थिक योजना बनैबऽ
एमबीबीएस पाठ्यक्रम लेल आर्थिक योजना बनेनाइ अति महत्वपूर्ण अछि। ऐ मे गार्जियन केर भूमिका बड्ड महत्वपूर्ण भऽ जाय अछि। शिक्षा लोन के विकल्प केर विचार करू, कमाई अनुसार शुरुए से ऐ के लेल बचत विकल्प पर घंभीरता से काज आ सरकारी छात्रवृत्ति(यदि एलीजीबल छी त) लेल के जुगाड़ पर ध्यान देबऽ के दरकार राहत ।
विदेश सँ एमबीबीएस
कतेको देश में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश भारत सँ सस्ता आ सरल अछि। रूस, जॉर्जिया, नेपाल, बांग्लादेश, फिलीपींस, यूक्रेन, आदि प्रमुख देश अछि। मुदा, भारत में प्रैक्टिस करऽ लेल FMGE टेस्ट पास करऽ पड़ैत अछि, जकर सफलता दर 8% से 24% केर आसपास रहय अछि। विदेश में एमबीबीएस करब भारतीय विद्यार्थी सभक लेल एक आकर्षक विकल्प भऽ सकैत अछि, विशेष रूप सँ जखन भारत में मेडिकल कॉलेज सभ में प्रवेश लेल कठिन प्रतिस्पर्धा आ उच्च शुल्कक सामना करऽ पड़ैत अछि। विदेश में एमबीबीएस करबाक विकल्प विभिन्न कारण सँ उपयुक्त भऽ सकैत अछि, जइमें आसान प्रवेश प्रक्रिया, कम फीस, आ उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा शामिल अछि। ऐंठ हम विदेशी एमबीबीएस कार्यक्रम आ ओकरा सँ जुड़ल प्रक्रिया के विस्तार सँ देखब।
विदेश में एमबीबीएस करबाक लाभ
1. प्रवेश प्रक्रिया आसान: भारतक तुलना में विदेश में एमबीबीएस में प्रवेश पेनाय अपेक्षाकृत आसान होइत अछि। ऐ के लेल नीट (NEET) क्वालिफाई करऽ आवश्यक अछि, मुदा कट-ऑफ अंक कम होइत अछि, जेना कि उपर व्याख्या कैल गेल अछि।
2. कम फीस: भारत में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजक तुलना में बहुतो विदेशी विश्वविद्यालय में फीस कम होइत अछि।
3. उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा: बहुतो विदेशी विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय सुविधाएं आ शिक्षण मानक होइत अछि, जे छात्र केँ उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा प्रदान करैत अछि। मुदा प्रवेश से पहिने ई सभ सुनिश्चित कऽ लेबा के चाहिए ।
4. अंतरराष्ट्रीय अनुभव: विदेश में पढ़ाई करऽ सँ छात्र केँ एकटा नव संस्कृति आ भाषा केँ अनुभव होइत अछि, जे विद्यार्थी के बेसी आत्मनिर्भर आ आत्मविश्वासी बनबैत अछि।
विदेश में एमबीबीएस करबाक प्रक्रिया
1. सही देश आ विश्वविद्यालय के चयन
विदेश में एमबीबीएस करऽ लेल सही देश आ विश्वविद्यालय के चयन करब महत्वपूर्ण अछि। किछु लोकप्रिय देश जेठाँ भारतीय छात्र एमबीबीएस करऽ जाइत अछि, में शामिल अछि:
- रूस: सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी, कजान फेडरल यूनिवर्सिटी
- चीन: चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी, झेजियांग यूनिवर्सिटी
- यूक्रेन: बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी, कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी
- जॉर्जिया: त्बिलिसी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी, बटुमी शोटा रूस्तावेली स्टेट यूनिवर्सिटी
- बंगलादेश: ढाका मेडिकल कॉलेज, राजशाही मेडिकल कॉलेज
- नेपाल : त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमाण्डू विश्वविद्यालय, मणिपाल, बी पी कोइराला मेडिकल कॉलेज, नेपालगंज मेडिकल कॉलेज आदि
सही कॉलेज चुनबा मे एफ़एमजीई मे भूकाल के प्रदर्शन एकटा घटक भऽ सकाय अछि। ऐ आंकड़ा के देखऽ आ रिसर्च करऽ लेल राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के वेबसाइट पर ई लिंक देखू : https://natboard.edu.in/stats
2. प्रवेश लेल पात्रता मानदंड
विदेशी विश्वविद्यालय में प्रवेश लेल सामान्य पात्रता मानदंड निम्नलिखित भऽ सकैत अछि:
- शैक्षणिक योग्यता: बारहवीं में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, आ भौतिक विज्ञान में न्यूनतम 50% अंक।
- NEET परीक्षा: भारत सँ विदेश में एमबीबीएस कर' लेल NEET परीक्षा पास करब अनिवार्य अछि।
- आयु: प्रवेशक समय न्यूनतम आयु 17 वर्ष होबाक चाही।
3. आवेदन प्रक्रिया
- आवेदन पत्र: चयनित विश्वविद्यालयक वेबसाइट पर जा कऽ आवेदन पत्र भरू।
- आवश्यक दस्तावेज: पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, NEET स्कोर कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, चिकित्सा प्रमाणपत्र, आ पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ।
- आवेदन शुल्क: विश्वविद्यालयक नियमक अनुसार आवेदन शुल्क केर भुगतान करू।
- दस्तावेज सत्यापन: सभ आवश्यक दस्तावेजक सत्यापन कराऊ।
4. प्रवेश पत्र प्राप्ति
सभ दस्तावेज आ शुल्क जमा करबाक बाद, विश्वविद्यालय प्रवेश पत्र जारी करैत अछि। प्रवेश पत्र मिलबाक बाद, अहाँ केँ वीजा आवेदन प्रक्रिया शुरू कर' पड़त।
5. वीजा प्रक्रिया
- वीजा आवेदन: संबंधित देशक दूतावास या वाणिज्य दूतावास में छात्र वीजा लेल आवेदन करू।
- आवश्यक दस्तावेज: प्रवेश पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, वीजा आवेदन पत्र, आ वीजा शुल्क।
- वीजा साक्षात्कार: किछु मामलामें वीजा साक्षात्कार हो सकैत अछि।
6. यात्रा आ आवास
- टिकट बुकिंग: वीजा मिलबाक बाद, अहाँ अपन यात्रा क' टिकट बुक करू।
- आवास: विश्वविद्यालय या निजी आवास क' प्रबंध करू।
7. विदेश में पढ़ाई शुरू करब
- ऑरिएंटेशन: विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑरिएंटेशन प्रोग्राम में भाग लिय।
- शिक्षण सत्र: नियमित कक्षाओं आ प्रयोगशालाओं में भाग लय' शुरू करू।
ऐ सभ प्रक्रिया के लेल एकटा निक एजेंट केर हेल्प लेल जा सकय अछि। मुदा एहु मे सावधानी रखबाक दरकार अछि। किए त बहुतो एजेंट सभ फर्जीवाड़ा सेहो करय छैक।
भारत में प्रैक्टिस करबाक लेल FMGE (Foreign Medical Graduate Examination)
विदेश सँ एमबीबीएस करबाक बाद, भारत में चिकित्सा प्रैक्टिस करबाक लेल FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) पास करब अनिवार्य अछि। एकरा बादे अहाँ केँ राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) या राज्य मेडिकल काउंसिल द्वारा पंजीकरण प्राप्त होइत अछि। FMGEक पास दर लगभग 8-24% होइत अछि, जे परीक्षा क' कठिनाई क' दर्शबैत अछि।
FMGE के लेल तैयारी
- पाठ्यक्रम: भारतीय चिकित्सा पाठ्यक्रमक अनुसार तैयारी करू।
- परीक्षा पैटर्न: परीक्षा में 300 बहुविकल्पीय प्रश्न होइत अछि, जे दू’ भाग में विभाजित होइत अछि। परीक्षा मे पास होमय लेल कम से कम 150 अंक प्राप्त केनाइ अनिवार्य छैक।
- संकाय: चिकित्सा के मानक टेक्ट बुक जेना हेरिसन आदि के सघन अध्ययन करू। नीक कोचिंग संस्थान सँ मार्गदर्शन प्राप्त करू।
एत्त ई क्लियर केनाय आवश्यक अछि जे बहुत रास एजेंट आ कोचिंग सेंटर बला सब एफ़एमजीई के नाम पर विद्यार्थी आ गार्जियन सभ के ठकइ छैक, बर्गलाबय छय, दू नंबर तरीका से पास करबाक प्रलोभन देत.... परीक्षा मे घपला के बात करत ... आदि आदि... ई सब बात के अनसुना क दी आ सिलेबस के अनुसार तैयारी करी.....बेहतर कि कोर्स के दौराने ई तैयारी शुरू कऽ दी... किएकि ई तैयारी नीट-पीजी मे भी काज देत। संस्थागत रूप से ई परीक्षा कड़ाई से पूर्ण पवित्रता के संग स्वतंत्र आ निष्पक्ष रूप से लेल जाय छैक जै मे भारत के एमबीबीएस एक्जिट परीक्षा के सिलेबस अनुसार प्रश्न आबय छैक। किछ असामाजिक तत्व (अफसोस कि जै मे क्वालिफाइड डॉक्टर सभ सेहो शामिल छैक) ऐ मे धांधली, इंपर्शोनेशन, कदाचार के खूब प्रयास करय छैक, जेकरा मे से बहुतो के संस्थान द्वारा देर-सवेर पकड़िए लेल जाय छैक, जेकरा बाद चोर एजेंसी सभ के किछ होय नै होय विद्यार्थी के करियर चौपट भऽ जाय छैक, ताहि लेल दू नंबरी मार्ग से बचि क रहि, आ सही से तैयारी केला पर परीक्षा मे सफलता भेटबे करत। एफ़एमजीई परीक्षा के विषय मे विस्तृत जानकारी एनबीईएमएस के वेबसाइट पर ऐ पेज पर प्राप्त कैल जा सकय अछि : https://natboard.edu.in/viewnbeexam?exam=fmge
विदेश में एमबीबीएस करबाक सीमा
1. संस्कृति आ भाषा में अंतर: विदेश में अध्ययन करबाक क्रम में भाषा आ संस्कृति केर अंतर सँ सामंजस्य बैठाबऽ कठिन होइत अछि। नयका परिवेश आ भाषाक समाझऽ में समय लगैत अछि, जै सँ शुरुवाति समय में कठिनाई होइत अछि।
2. एफएमजीई परीक्षा: विदेश सँ एमबीबीएस कऽ कऽ भारत में प्रैक्टिस करबाक लेल FMGE परीक्षा पास करब अनिवार्य अछि। एकर पास दर बहुत कम होइत अछि, जकरा कारण सँ बहुतो विद्यार्थी के कठिनाई होइत अछि।
3. लागत: जखनकि किछु देश में एमबीबीएस फीस कम होइत अछि, ओतहि कुल मिलाक खर्च (रहब, भोजन, यात्रा, आ अन्य खर्च) बहुत रास होइत अछि। इ खर्च बहुत विद्यार्थी आ परिवारक लेल भार होइत अछि।
4. स्वास्थ्य सेवा सिस्टमक अंतर: कई एक बेर विदेशक मेडिकल शिक्षा आ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली भारतीय प्रणाली सँ भिन्न होइत अछि। एकरा कारण भारतीय संदर्भ में चिकित्सकीय प्रैक्टिस के दौरान कठिनाई भऽ सकैत अछि, एफ़एमजीई परीक्षा के तैयारी मे भी कठिनाई भऽ सकय अछि।
5. परिवार सँ दूरी: विदेश में अध्ययन करबाक कारण परिवार आ मित्र सँ दूरी होइत अछि, जे मानसिक आ भावनात्मक चुनौती ठाढ़ करैत अछि।
3. बीएएमएस (BAMS), बीएचएमएस (BHMS), बीयूएमएस (BUMS)
वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में बीएएमएस, बीएचएमएस, आ बीयूएमएस केर महत्त्व
जकरा डॉक्टर बनबाक इच्छा अछि आ जँ एमबीबीएस में सफलता नहि भेटैत अछि, त ओ बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी), बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी), आ बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी) सन वैकल्पिक पाठ्यक्रम केर चयन कऽ सकैत छथि। आयुर्वेद, होम्योपैथी, आ यूनानी चिकित्सा प्रणाली भारतक प्राचीन चिकित्सा पद्धति अछि जे हालहि में अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त केलक अछि।
नीट आधारित एडमिशन आ कटऑफ
एहि पाठ्यक्रम में प्रवेश लेल नीट (NEET) परीक्षा में अपेक्षाकृत कम अंक पर सेहो एडमिशन भेटैत अछि। जँ छात्रक नीट स्कोर एमबीबीएस लेल पर्याप्त नहि अछि, त ओ एहि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति केर पाठ्यक्रम लेल प्रवेश ल सकैत छथि।
आयुर्वेद केर बढ़ैत प्रचलन (BAMS)
आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली केर मांग काफी बढ़ल अछि, विशेष रूप सँ आधुनिक समाज में। बीएएमएस केर बाद छात्र आयुर्वेदिक चिकित्सक केर रूप में प्रैक्टिस कऽ सकैत छथि, आ कतेको राज्य में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त(ब्रिज कोर्स) कऽ के छात्र मॉडर्न मेडिसिन सेहो प्रैक्टिस करऽ में सक्षम होइत छथि। वर्तमान में, आयुर्वेदिक औषधि आ उपचारक प्रति जनमानस में भरोसा आ आकर्षण बढ़ल अछि, जे बीएएमएस केर लोकप्रियता मे वृद्धि कऽ रहल अछि।
होम्योपैथिक आ यूनानी चिकित्सा केर विकल्प (BHMS, BUMS)
होम्योपैथी आ यूनानी चिकित्सा पद्धति केर प्रति सेहो विश्वास बढ़ि रहल अछि। बीएचएमएस केर बाद होम्योपैथिक चिकित्सक केर रूप में प्रैक्टिस क सकैत छी, आ बीयूएमएस केर बाद यूनानी चिकित्सक केर रूप में कार्य क सकैत छी। भारतक ग्रामीण आ शहरी क्षेत्र में एहि चिकित्सकीय पद्धति केर प्रति विश्वास आ उपयोगिता बढ़ल अछि।
सीमा आ चुनौति
हालाँकि, एहि पाठ्यक्रम केर बाद आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, आ यूनानी डॉक्टरक मान्यता भेटैत अछि, मुदा एकर भविष्य केर संभावनाएँ आ चुनौती सेहो अछि। आधुनिक चिकित्सा प्रणालीक तुलना में आयुर्वेद, होम्योपैथी, आ यूनानी चिकित्सा के किछु हद तक कम वैज्ञानिक प्रमाण आ सीमित अनुसंधानक आधार पर चिकित्सक केर कम रुझान भेटैत अछि। एहि सँ इ सलाह देल जाइत अछि जे एहि क्षेत्र में सफलता लेल उच्च अध्ययन आ विशेषज्ञता प्राप्त करऽ के प्रयास करबाक चाही।
4. बीडीएस (BDS)
डेंटल साइंस में करियर केर विकल्प
बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) एकटा उत्कृष्ट विकल्प अछि, खास कऽ ओ छात्र लेल जे डेंटिस्ट (दाँतक डॉक्टर) बन' चाहैत छथि।
प्रवेश प्रक्रिया आ कटऑफ
बीडीएस में प्रवेश लेल सेहो नीट (NEET) केर माध्यम सँ परीक्षा देल जाइत अछि। एहि पाठ्यक्रम में एडमिशन लेल किछु कम अंक पर सेहो प्रवेश भेट सकैत अछि, खास कऽ जे छात्र एमबीबीएस केर कटऑफ में नहि आबैत छथि।
करियर विकल्प आ संभावनाएँ
बीडीएस केर बाद, अप्पन डेंटल क्लिनिक खोलल जा सकैत अछि, या कतेको सरकारी आ निजी अस्पताल में डेंटल सर्जन केर रूप में कार्य क' सकैत छी। बीडीएस केर बाद छात्र एमडीएस (मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी) केर पाठ्यक्रम सेहो कऽ सकैत छथि, जे एहि क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करैत अछि आ बेहतर करियर विकल्प खोलेत अछि।
सीमा आ चुनौति
यद्यपि, बीडीएस के बाद जॉब केर अवसर किछु सीमित होइत अछि, आ एकर आरंभिक सैलरी सेहो कतेको बार अपेक्षाकृत कम होइत अछि। विशेष रूप सँ जँ परिवार में पहिनहि सँ स्थापित क्लिनिक नहि अछि, त नव क्लिनिक स्थापित करऽ में समय आ पूंजीक आवश्यकता होइत अछि। तथापि, जँ अपन क्लिनिक सफलतापूर्वक स्थापित क लेल जाइत अछि त एहि क्षेत्र में कमाई आ प्रतिष्ठा दूनू बढ़बाक संभावना अछि।
5. बीपीटी (BPT)
फिजियोथेरेपी केर क्षेत्र में उभरैत करियर
बीपीटी (बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी) आजुक बदलैत जीवनशैली में एकटा उभरैत करियर विकल्प अछि।
प्रवेश प्रक्रिया आ करियर मार्ग
बीपीटी केर चारि वर्षक कोर्स पूरा करऽ के बाद, छात्र कतेको ओर्थोपेडिक अस्पताल, स्पोर्ट्स मेडिकल सेंटर, या पुनर्वास केंद्र में कार्य कऽ सकैत छथि। फिजियोथेरेपिस्ट केर मांग बढैत जा रहल अछि, खास कऽ कंधा, घुटना, पीठक दर्द, आ ट्रॉमा रिहैबिलिटेशन में, संगहि न्यूरल रोग, पक्षाघात, पारकिनसन आदि रोगी के बीच सेहो। संगहि खेल-कूद आदि के प्रतियोगिता बढ़वा के कारण स्पोर्ट्स के क्षेत्र मे सेहो फिजियोथेरेपिस्ट के मांग मे तेजी आबि रहल अछि।
एमपीटी केर बाद अवसर
बीपीटी केर बाद छात्र एमपीटी (मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी) केर पाठ्यक्रम सेहो पूरा कऽ के विशेषज्ञता प्राप्त कऽ सकैत छथि। ई विशेषज्ञता छात्रक करियर के आओर उन्नति प्रदान करैत अछि आ विशेषज्ञ फिजियोथेरेपिस्ट केर रूप में कार्य करबाक अवसर प्रदान करैत अछि।
सीमा आ चुनौति
फिजियोथेरेपी केर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करऽ लेल व्यक्तिगत प्रयास आ निरंतर सीखबाक प्रवृत्ति जरूरी अछि। एकर अलावा, एमबीबीएस जेकाँ ई क्षेत्र समाज में समान प्रतिष्ठा नहि पाबैत अछि, शुरुआती सैलरी या कमाई बड्ड कम सेहो भऽ सकाय अछि, मुदा लगातार सिखबाक आ मेहनत करबाक प्रवृत्ति से आगाँ निक करियर बनि सकाय अछि किए त निक फिजियोथेरेपिस्ट केर मांग आ उपयोगिता बदलैत समय में निरंतर बढ़ि रहल अछि।
6. बीवीएससी (BVSc)
वेटनरी साइंस में करियर केर संभावना
बीवीएससी (बैचलर ऑफ वेटनरी साइंस) एकटा शानदार विकल्प अछि, खास कऽ ओ छात्र लेल जे पशुपालन आ मालजाल केर देखभाल में रुचि रखैत छथि।
प्रवेश प्रक्रिया आ करियर मार्ग
बीवीएससी कोर्स मे प्रवेश के लेल 12वी के अंक अथवा नीट-यूजी स्कोर अथवा संस्था के प्रवेश परीक्षा के आधार पर होय छैक। बीवीएससी केर कोर्स पूरा करऽ के बाद, वेटनरी डॉक्टर केर रूप में सरकारी आ निजी अस्पताल, पशु चिकित्सा केंद्र, या अपन वेटनरी क्लिनिक खोलऽ के काज कऽ सकैत छी।
बढ़ैत मांग आ अवसर
भारत में पशुपालन आ डेयरी उद्योग केर विकास सँ वेटनरी डॉक्टरक मांग सेहो बढ़ल अछि। ग्रामीण क्षेत्र में पालतू पशु केर देखभाल आ चिकित्सा सेवा केर जरूरत निरंतर बढ़ि रहल अछि। एहि क्षेत्र में कएल गेल सेवा समाज आ आर्थिक दृष्टिकोण सँ महत्त्वपूर्ण अछि। संगहि शहरी क्षेत्र मे सेहो कुकुर-बिलाई आदि पोसबाक चलन बढ़ल जै से शहरी क्षेत्र मे सेहो वेटनरी डॉक्टर केर माँग बढि रहल छैक।
सीमा आ चुनौति
यद्यपि, कतेको छात्र वेटनरी डॉक्टर बनऽ में रुचि नहि देखबैत छथि, खास कऽ समाज में वेटनरी डॉक्टरक प्रति बनल किछु टैबू केर कारण। तथापि, जँ ई क्षेत्रक प्रति सही रुचि आ समर्पण अछि, त' ई एकटा सफल आ सम्मानजनक करियर साबित भऽ सकैत अछि।
7. बीएएसएलपी (BASLP)
ऑडियोलॉजी आ स्पीच पैथोलॉजी केर बढ़ैत करियर
बीएएसएलपी (बैचलर ऑफ ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी) केर कोर्स एहि क्षेत्र में उभरैत करियर केर प्रतीक अछि।
प्रवेश प्रक्रिया आ करियर विकल्प
बीएएसएलपी केर पाठ्यक्रम पूरा करऽ के बाद, छात्र ऑडियोलॉजिस्ट आ स्पीच पैथोलॉजिस्ट केर रूप में कार्य कऽ सकैत छथि। एहि क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त कऽ के छात्र अस्पताल, चिकित्सा केंद्र, आ शैक्षणिक संस्थान में कार्य कऽ सकैत छथि।
बेरोजगारी केर कम संभावना
एहि क्षेत्र में विशेषज्ञ केर कमी अछि, जेकरा कारण बेरोजगारी केर संभावना बड्ड कम अछि। छात्र एहि पाठ्यक्रम केर बाद एमएएसएलपी (मास्टर ऑफ ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी) आ डॉक्टोरल कोर्स कऽ के आओर विशेषज्ञता प्राप्त कऽ सकैत छथि।
सीमा आ चुनौति
हालाँकि, एहि क्षेत्र में कार्य कर' लेल विशेष धैर्य आ सटीकता केर आवश्यकता होइत अछि, विशेष क' बच्चा आ वृद्ध लोकनिक इलाज में। एकरा अतिरिक्त, एहि क्षेत्र में विकास आ अनुसंधान केर अभाव सेहो किछु हद तक सीमित अवसर पैदा करैत अछि।
ऑडियोलॉजी आ स्पीच पैथोलॉजी के विषय मे हमर अन्य आलेख ऐ लिंक पर पढ़ल जा सकय अछि
8. बीएससी नर्सिंग एवं बीएससी इन एलाइड मेडिकल साइंस
नर्सिंग आ एलाइड मेडिकल साइंस में करियर केर संभावना
बीएससी नर्सिंग आ एलाइड मेडिकल साइंस केर कोर्स बदलैत स्वास्थ्य सेवाक संरचना में एकटा सशक्त करियर विकल्प केर रूप में उभरि रहल अछि।
प्रवेश प्रक्रिया आ करियर विकल्प
बीएससी नर्सिंग केर पाठ्यक्रम पूरा कर' क' बाद, छात्र अस्पताल, नर्सिंग होम, आ अन्य चिकित्सा संस्थान में नर्स केर रूप में कार्य क' सकैत छथि।
मेडिकल टेक्नोलॉजी केर विविधता
एलाइड मेडिकल साइंस में बीएससी/एमएससी केर पाठ्यक्रम रेडियोग्राफी, कार्डियोग्राफी, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, एनेस्थेसियोलॉजी, आ ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजी जेकाँ विशेषज्ञता प्रदान करैत अछि। ई कोर्स पूरा कऽ के छात्र अस्पताल आ चिकित्सा केंद्र में तकनीकी विशेषज्ञ केर रूप में कार्य कऽ सकैत छथि।
बढ़ैत मांग आ भविष्यक संभावना
नर्सिंग आ एलाइड मेडिकल साइंस केर क्षेत्र में भारतक बढ़ल जनसंख्या आ स्वास्थ्य सेवा केर आवश्यकता सँ एहि क्षेत्र में विशेष मांग उत्पन्न भेल अछि। जँ छात्र एहि क्षेत्र में विशेषज्ञता आ अनुभव प्राप्त करैत छथि, त ओ एहि क्षेत्र में एकटा सफल आ स्थायी करियर बना सकैत छथि।
सीमाएँ आ चुनौतियाँ
यद्यपि, नर्सिंग केर क्षेत्र में कार्य समय आ शारीरिक-मानसिक चुनौतीपूर्ण होइत अछि। एकर अलावा, एलाइड मेडिकल साइंस केर क्षेत्र में करियर के शुरुआती में अपेक्षाकृत कम सैलरी होइत अछि, मुदा समयक संग संग विशेषज्ञता आ अनुभव सँ ई समस्या दूर भऽ सकैत अछि।
जीवविज्ञान विद्यार्थी केर लेल अन्य पाठ्यक्रम
1. बीफार्मा (B.Pharma)
- पाठ्यक्रम अवधि: 4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: अलग-अलग संस्थान केर अलग-अलग प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: फार्मासिस्ट, फार्मास्युटिकल उद्योग में अनुसंधान एवं विकास, दवा विनिर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण, ड्रग इंस्पेक्टर, मेडिकल अंडरराइटर।
- प्रमुख संस्थान: एम्स दिल्ली, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU), जामिया हमदर्द, दिल्ली।
2. बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगा (BNYS)
- पाठ्यक्रम अवधि: 5.5 वर्ष (4.5 वर्ष पढ़ाई + 1 वर्ष इंटर्नशिप)
- प्रवेश परीक्षा: NEET, अन्य संबंधित प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: नेचुरोपैथिक डॉक्टर, योग प्रशिक्षक, सरकारी आ निजी अस्पताल, वेलनेस सेंटर, स्पा आ रिसॉर्ट।
- प्रमुख संस्थान: राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, कर्नाटक, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर।
3. बीएससी/बीटेक इन बायोटेक्नोलॉजी
- पाठ्यक्रम अवधि: 3-4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: JEE Main, संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च, बायोफार्मास्युटिकल कंपनियां, कृषि बायोटेक्नोलॉजी, जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स, औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी।
- प्रमुख संस्थान: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT)।
4. बायोइन्फोर्मेटिक्स
- पाठ्यक्रम अवधि: 3-4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: बायोइन्फोर्मेटिक्स वैज्ञानिक, डेटा विश्लेषक, बायोइन्फोर्मेटिक्स सॉफ्टवेयर डेवलपर, शोधकर्ता।
- प्रमुख संस्थान: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU), दिल्ली विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)।
5. बायोस्टैटिस्टिक्स
- पाठ्यक्रम अवधि: 3-4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: बायोस्टैटिस्टिशियन, डेटा विश्लेषक, अनुसंधान वैज्ञानिक, फार्मास्युटिकल कंपनियों में विश्लेषक।
- प्रमुख संस्थान: भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), दिल्ली विश्वविद्यालय, पुणे विश्वविद्यालय।
6. माइक्रोबायोलॉजी
- पाठ्यक्रम अवधि: 3-4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: माइक्रोबायोलॉजिस्ट, अनुसंधान वैज्ञानिक, फार्मास्युटिकल आ बायोटेक्नोलॉजी कंपनी, खाद्य आ पेय उद्योग, पर्यावरण एजेंसी
- प्रमुख संस्थान: दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)।
7. बायोकेमिस्ट्री
- पाठ्यक्रम अवधि: 3-4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: बायोकैमिस्ट, अनुसंधान वैज्ञानिक, फार्मास्युटिकल आ बायोटेक्नोलॉजी कंपनी, पर्यावरण एजेंसी, खाद्य आ पेय उद्योग।
- प्रमुख संस्थान: दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)।
8. लाइफ साइंस
- पाठ्यक्रम अवधि: 3-4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: लाइफ साइंटिस्ट, रिसर्च असिस्टेंट, फार्मास्युटिकल आ बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां, शिक्षण।
- प्रमुख संस्थान: दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR)।
9. बीटेक इन एग्रीकल्चर
- पाठ्यक्रम अवधि: 4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: JEE Main, ICAR AIEEA।
- कैरियर विकल्प: कृषि इंजीनियर, कृषि वैज्ञानिक, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, अनुसंधान वैज्ञानिक, कृषि उद्योग में प्रबंधन।
- प्रमुख संस्थान: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU)।
10. डेयरी टेक्नोलॉजी
- पाठ्यक्रम अवधि: 4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: ICAR AIEEA, संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट, डेयरी प्लांट मैनेजर, गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी, डेयरी उद्योग में अनुसंधान आ विकास।
- प्रमुख संस्थान: राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), कर्नाटक डेयरी साइंस कॉलेज, गुजरात कृषि विश्वविद्यालय।
11. फूड टेक्नोलॉजी
- पाठ्यक्रम अवधि: 4 वर्ष
- प्रवेश परीक्षा: JEE Main, ICAR AIEEA।
- कैरियर विकल्प: फूड टेक्नोलॉजिस्ट, गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी, अनुसंधान वैज्ञानिक, खाद्य उद्योग में प्रबंधन।
- प्रमुख संस्थान: भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (IIFPT), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (NIFTEM), दिल्ली विश्वविद्यालय।
12. बीपीएड (B.P.Ed)
- पाठ्यक्रम अवधि: 2-4 वर्ष (डिप्लोमा आ डिग्री कोर्स)
- प्रवेश परीक्षा: संस्थागत प्रवेश परीक्षा।
- कैरियर विकल्प: शारीरिक शिक्षा शिक्षक, स्पोर्ट्स कोच, फिटनेस ट्रेनर, स्पोर्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन।
- प्रमुख संस्थान: लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (LNIPE), इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज (IGIPESS), दिल्ली।
करियर विकल्प कोना चुनी?
1. अपन पहचान करू: पहिल आ महत्वपूर्ण कदम अछि अपन शक्ति आ कमजोरी के पहिचान कऽ लेब। ई बुझबाक कोसिस करू जे अहाँ केर रुचि कथि मे अछि, अहाँक एटीट्यूड (स्वभाव) आ टेम्परामेंट (मिजाज) केहन अछि, आ अहाँ कतेक प्रतिस्पर्धा (कंपटीशन) करबाक क्षमता रखैत छी। ई आत्ममूल्यांकन अहाँक करियर विकल्प चुनबा में मदद करत।
2. उपलब्ध विकल्पक विचार करू: अपन पहचानक बाद, उपलब्ध करियर विकल्प पर विचार करू। बुझू जे कोन-कोन क्षेत्र में अहाँक रुचि, योग्यता आ ताकत के उपयोग भऽ सकैत अछि। विकल्पक बहुत छैक जेना कि ऊपर वर्णन कैल गेल छैक, तेँ सोचि-समझ कऽ विश्लेषण करब जरूरी अछि।
3. रिसोर्सेज के ध्यान राखू: करियर विकल्प चुनऽ सँ पहिने, अहाँक रिसोर्सेज (संसाधन) के ध्यान में रखबाक आवश्यकता अछि। एकरा में अध्ययनक सुविधा, गाइडेंस, समय आ धनक स्थिति प्रमुख अछि। जँ अहाँक लग पढ़ाई के लेल पर्याप्त समय, उचित गाइडेंस आ आर्थिक संसाधन अछि, त ई विकल्प अहाँक लेल सही अछि। अन्यथा, एहेन विकल्प चुनबाक प्रयास करू जे अहाँक वर्तमान स्थिति के संग-संग भविष्यक योजनाक अनुकूल होइ।
- प्रणव कुमार झा [राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली 10.08.2024]
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।