प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

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प्रमोद झा 'गोकुल'

आङ उघार छी हम/ पुरना पाजी


आङ उघार छी हम

झर झर झहरय
जेना फूल सिंहार
टप टप टपकय
जेना ओसक फुहार
तहिना नोरक टघार छी हम
मौलल फूल बेकार छी हम ।
बात बात मे अभहेला
डेग डेग पर ठेलमठेला
गुड़ गुरु चिन्नी चेला
जत'तत' रेलमपेला
खिन्न मन लाचार छी हम
मानू एक विचार छी हम ।
चौदिस तम,तम तम करय
प्राण अवग्रह जतय ततय
ज्ञान इजोतक मन्त्र जपय
अज्ञान मुक्का मुकियाबय
दुर्दिनक मारल अभिशाप छी हम
सप्त रथीक धरि अनुचक्र छी हम ।
भूखल पेट तृषित कण्ठ
आहो भर रे केओ चण्ठ !
छुछ्छ डीङ हाँकय लण्ठ
सब सुखी वसन आकण्ठ
रुदन मे घोर चीत्कार छी हम
वसन बिनु आङ उघार छी हम ।
 


पुरना पाजी

सुन रे चोट्टा! उखारिके खुट्टा
मारब सटका धैके पोने पर।
कनडेरियो तकलेँ सीमा दिस
ठाढ़े छौ रे! वलरामक हर !!
चक्र सुदर्शन चकभौर कटै छौ
चाक चौबन्द चारु, चारू कात
तीर धनुष संधानित श्री रामक
तैयारे रह खाइले हनुमानक लात।।
रण चंडी बनिके दुर्गा अनेको
कालीक खर्ग करै छैन चमचम
खप्पर भरि अरि रक्त पियैले
लप लप जीहक लाली अनुपम ।।
कहा सुनीक बात नै आब
सीधे मारबौ छाती पर मुक्का ।
मुहंँ कान भसकाइयेके छोड़बौ
गुरगुरबैत रहियेँ तखन तों हुक्का।।
सत्य अहिंसाक पथ अनुगामी हम
तेँ बूझ नै हमरा कखनो बाबाजी।
बूझल हमरो बलधिङरो करैमे
अदौक छेँ तोँ रे पुरना पाजी !!
-प्रमोद झा 'गोकुल', दीप मधुवनी (विहार), फोन-९८७१७७९८५१

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