प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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अंक ४०४ पर टिप्पणी

रेवतीरमण झा

आदरणीय संपादक महोदय ,
मैथिलीक ई-पत्रिका विदेहक ४०४म अंकमे आचार्य श्री रामानंद मंडलक आलेख ' मिथिला-मैथिली : असमंजसक स्थिति' पढ़लहुँ।
सभसँ पहिने अपनेक संपादक मंडलकेँ धन्यवाद द' दी जे आचार्य मंडलजीक मैथिलीक पच्छमी बोली अर्थात बज्जिकामे लिखल रचनाकेँ अपन पत्रिकामे स्थान द' देने छी।एहिना आगू मैथिलीक दक्षिणी बोली अर्थात अंगिकाके सेहो देब ,से आशा करै छी।ई ध्यातव्य जे केन्द्रीय मैथिली क्षेत्रोमे मैथिलीक अलग-अलग बोली छै।जेना श्रोतिय बोली,आम ब्राह्मण आ कायस्थक बोली तथा एहिस' इतर वर्गक बोली।जकरा ठेठ शब्दमे सोलकनक भाषा कहल जाइ छै। मिथिलाक कुजरा(मुसलमान)क भाषा सेहो मैथिलीक बोली छी।हमरा जनैत ओहू बोली सभमे लिखल रचानाकेँ मैथिली पत्रिका सभकेँ स्वीकारक चाही।एहिस' मैथिली सभ जन मिट्ठा हेतै।समाजक हर वर्ग मैथिलीके अपनेतै।हम आचार्य मंडलजीकेँ सेहो एहि लेल धन्यवाद दै छी जे ओ जबरदस्ती अपना उपर मानक मैथिली नहि थोपि,ओहि क्षेत्रक आम लोकक भाषा (पच्छिमी बोली)मे रचना करै छथि।एहिस' ओहि क्षेत्रक लोकमे जरूर अपन मातृभाषाक प्रति आवेस जगतै।
अस्तु,हम मंडलजीक विचारसँ पूर्ण सहमति रखै छै। मैथिली भाषाक क्षेत्रीय विस्तार आ आम जनक समर्थन लेल मैथिलीक समस्त बोलीके ल'क' चलब आवश्यक छै।एहिस' मैथिलीक पाठकक सीमाक विस्तार त' हेबे करतै।संगहिं संपूर्ण मैथिली भाषी क्षेत्रमे लोकभाषाक माध्यमस' शिक्षाक मार्ग सेहो प्रशस्त हेतै।
दोसर बात जे मिथिला राज्यक निर्माणक हेतु आब अपन पुरान आधार के बदलब जरूरी छै। मैथिली भाषी क्षेत्रक जिला देवघर,गोड्डा,दुमका, साहिबगंज आदि झारखंडमे चलि गेल छै। प्रस्तावित मिथिला राज्यमे शामिल करब तकनीकी रूपस' आब बेसी कठिन छै।ओना डा० जयकांत मिश्र मिथिला राज्यक समर्थन बास्ते ओहू क्षेत्रक दौरा कयने रहथि।मुदा से झारखंड बनैस' पहिने।जे किछु--
आब जखन अपन भाषा, बोलीक आधार पर बटै लेल उताहुल अछि,त' मैथिली भाषाक नाम पर राज्यक निर्माण कठिन आ अव्यावहारिक अछि।तेँ उत्तर बिहार के अलग मिथिला राज्य बनायब तार्किक अछि।ओहुना मिथिलाक एक प्रचलित नाम तिरहुतके मुजफ्फरपुर कमिश्नरी अपना जगह बचाक' अखनहु रखने अछि। अखनहु ई तिरहुत कमिश्नरी कहबैयै।एकर अतिरिक्त मिथिलाक नाम विदेह सेहो अछि।ई पश्चिम चंपारण तक अछि।पूज्य बापू अपन आत्मकथामे एकर उल्लेख कयने छथि।ओ जखन पहिल बेर(१९१७) बिहारक यात्रा पर आयल रहथि त' ओ चंपारण पहुंचि लिखने रहथि जे हम विदेह भूमि पहुंचि गेलहुँ।तेँ मिथिला राज्यक पश्चिमी सीमा त' निर्धारित अछिये।एकरा गंगा आ महानंदाक पार शेष मैथिली भाषी क्षेत्र धरि ल' जयबाक हेतै।नेपालक मिथिला राज्य,नेपालक नागरिक पर छोड़ि दियौ।
आचार्य मंडलजीक विचारमे एकेटा बात हम जोड़ै छी जे मिथिला राज्यक मांग लेल हमरा सभकेँ उत्तर बिहार के अतिरिक्त दक्षिण बिहारक संपूर्ण मैथिली भाषी क्षेत्र के शामिल करबाक चाही ।एहिस' गंगा पारक भागलपुर,बांका,मुंगेर, जमुई आदि बिहारक क्षेत्र सेहो शामिल भ' जाएत।जहाँ धरि बंगाल आ झारखंडक मैथिली भाषी क्षेत्रके एहिमे शामिल करबाक बात छै,त' एहि लेल केन्द्र सरकार पर दबाव बनाएल जाए।बांकी लेल बिहार सरकार पर ।एहिमे एहि क्षेत्रक जनताक मांग त' आवश्यक अछिये ।जन प्रतिनिधि सभक भागीदारी सेहो बड़ महत्वपूर्ण अछि ।कारण विधानमंडल आ संसदमे जनताक आबाज बनिक' ओएह ठाढ़ हेताह।
शुभकामनाक संग, भवदीय,
-रेवतीरमण झा, कैलिफोर्निया(अमेरिका)सँ

प्रणव कुमार झा

परमानंद लाल कर्ण जी विदेह के पुरना अंक पर हमर मन्तव्य के संज्ञान मे लैत एबरी तिरहुता मे लिखल लेख के देवनागरी संस्करन सेहो देलाह अछि, से देख प्रसन्नता भेल। किछ कॉमन आर्थिक टिप देलाह अछि से किछ साधारण मैथिली पाठक के लेल उपयोगी हेतईक, जिनका बुझल छल तिनका लेल रिमाइन्डर। संजोग से ऐ अंक मे हमरो एकटा कथा जे प्रकाशित भेल ओकर कथानक फ़िनान्सियल लिटरेसीए के इर्द-गिर्द घूमइत छैक। कैलाश जी कोरियाई नोबल पुरस्कार विजेता के कविता के मैथिली अनुवाद देलाह, स्वागत। नोबेल विजेता संप्रति विश्व मे कै त्तरहक भाव के कै तरहे लिखय छय आ अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद द्वारा कोना कोनो रचना सभ के विस्तार भेटय छै, ऐ से ई एकटा संकेत भेटय छय।
अलग मिथिला राज के शुरू मे हम कोनो विशेष समर्थक नै रहलहु, आ एकर परिकल्पना के ल क समय समय पर हमर कतेक प्रश्न आ संशय रहल अछि। मुदा यदि पिछला एक दशक मे मिथिला क्षेत्र के प्रति सरकार के रवैया आ एहि बीच मिथिला क्षेत्र मे आयल राजनैतिक आ आर्थिक सामाजिक जागरण (नहुए-नहुए सही) के बाद मिथिला के सार्थक विकास लेल अलग मिथिला राज्य के आन कोनो विकल्प नजरो नै आबय अछि। आचार्य रामानन्द मंडल, अपन लेख मे ऐ मादे लिखलइथ अछि जे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लगचिया गेल अछि आ जौं क्षेत्र के नेता, सिविल सोसायटी आदि एहि उचित समय मे संगठित भऽ पुरजोर प्रयत्न करय त संभव अछि जे ई माँग साकार होय। केंद्र आ राज्य सरकार के सेहो चाहिए कि बेहतर प्रशासन आ क्षेत्र के विकास लेल ऐ दिशा मे सकारात्मक प्रयास करय, साइत ऐ से हुनक पाप किछ कम होय। विपक्ष के सेहो क्षेत्र के एकटा पइघ आबादी के माँग के सकारात्मक मुद्दा बनेबाक चाहिए। अलग राज्य के माँग के संगे एकर भविष्य के आर्थिक राजनैतिक योजना आ गतिविधि पर सेहो विचार विमर्श होइत रहबाक चाहिए। बाँकि होइहे वही जो राम रचि राखा।
"कोशी कमला के बाढ़" कविता हृदय के छूलक।
-प्रणव कुमार झा, अनुभाग अधिकारी, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली,
दूरभाष (कार्यालय): 011-45493034

अंक ४०५ (हितनाथ झा विशेषांक) पर टिप्पणी

प्रणव कुमार झा

विदेह 405म अंक, हितनाथ झा विशेषांक, एक समृद्ध आ विस्तृत अंक अछि जे मैथिली साहित्य के विभिन्न आयामक सजीव प्रदर्शन करैत अछि। एहि विशेषांक मे कुल 28 टा आलेख, संस्मरण, विश्लेषण आदि समाहित अछि, जे विभिन्न क्षेत्रक विद्वान लोकनि द्वारा लिखल गेल अछि। ई बात विशेषांकक सफलताक संकेत करैत अछि। एहि लेल सर्वप्रथम विदेह के संपादक मंडल आ विशेषांक के समर्पित प्रतिभागी लेखक सभ के हार्दिक बधाइ।

विशेषांकक अध्ययन क्रम मे हम कुल अट्ठाईस आलेख सभ मे सँ करीब आधा पढ़लहुँ। हरेक लेखक विभिन्न क्षेत्रक छथि, ताहि सँ स्वाभाविक रूपे सब रचना अलग-अलग सुवास आ स्वादक संग प्रस्तुत अछि, जे विशेषांकक रोचकता आ वैविध्यताक संग पोषित करैत अछि। विशेषांकक माध्यम सँ कइएक नव वा कम जानल गोटे सँ लेखकीय परिचय भेल, जेना प्रो० महेश लाल दास, उदय चंद्र झा विनोद, कुमार विक्रमादित्य, कुमार मनीष, उज्ज्वल कुमार झा, लक्ष्मण झा सागर आदि।

डॉ. आभा झा केर रचना “भाषांतरणक उत्कृष्ट प्रयास - कविता शम्भु बादलक” अनुवाद केर एकटा विद्यार्थी के रूप मे विशेष रूपे उपयोगी आ रोचक लागल। डॉ. कैलाश कुमार मिश्र केर लेख “सारस्वत परिचायिका: कोइलख” सारगर्भित अछि आ 2018 में गामक डेमोग्राफी संगहि ग्राम जीवन के संक्षिप्त मुदा समग्र रूपे प्रस्तुत करैत अछि। कोइलख गामक नाम सँ हमरा पहिलुके परिचय छल, जखन हम पंडौल हाई स्कूल में रही। इंटर स्कूल प्रतियोगिता में एहि गामक बच्चा सभ के पुरस्कृत होयबाक चर्चा हम खूब सुनने छलहुँ। सुनय छलियै जे एहि गामक बच्चा सभ पर भगवती के विशेष आशीर्वाद रहय छैक।

विशेषांकक विभिन्न आलेख आ हितनाथ झा केर पुस्तक "कोइलख" सँ ई बात प्रमाणित होइत अछि। मुदा दोसरे ओर देखी तऽ कैलाश जी के लेख सँ ज्ञात होइत अछि जे वर्तमान (2018) में गामक साक्षरता 60% सँ कम अछि। डॉ. धनाकर ठाकुर सेहो अपन लेख में एकर चर्चा कएने छथि। कैलाश जी के अनुसार ई चिंता के विषय अछि। हम कहैत छी जे ई आश्चर्यक विषय अछि। मानल जे ई गामक प्रतिभा पर भगवती केर विशेष कृपा अछि, तऽ 40% लोक पर एतबो कृपा नहि भेल होयत जे ओ साक्षर भऽ सकय! यदि एतेक विभूति सँ सम्पन्न गाम मे एतेक लोक निरक्षर अछि, तऽ ई स्पष्ट अछि जे ई विभूतिगण सम्पूर्ण ग्राम-समाज केर शिक्षा दीक्षा के प्रति या तऽ गंभीर नहि रहलाह अछि अथवा हुनका में ई सामर्थ्य नहि छल जे ऐ आबादी के कम सँ कम साक्षर बना सकथि।

एहि विषय पर गंभीर चिंतन आवश्यक अछि। यदि गामक साक्षरता 95-100% रहितै, तऽ राष्ट्रीय आ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिथिला के आदर्श ग्रामक रूप मे ई गाम बेसी प्रभावशाली होइत। प्रो० महेश लाल दास सेहो अपन लेख में एहि दिस इंगित करैत लिखने छथि जे “पुस्तक मे ब्राह्मणेतर जाति के कोनो उल्लेख नहि अछि। संभवतः एहि वर्गक अपेक्षित विकास नहि भेल हुअऽ अथवा तुलनात्मक दृष्टिये कम विकास भेल हुअऽ, लेकिन अहिठामक जनसंख्याक कोनो परिचय आ उल्लेख एहि परिचयात्मक पुस्तक मे नहि अछि। ई पूरा कोइलख नहि बुझाइत अछि: मात्र रत्नगर्भ के दर्शन बुझाइत अछि।” कदाचित पुस्तकक उद्देश्य रत्नगर्भ के वर्णन मात्र छल, मुदा ई परिचर्चा तऽ चलिये गेल जे ग्राम जीवन के वर्णन कोनो लेख या पुस्तकक माध्यम सँ होय तऽ ओ समग्रता में होय, नहि कि एकाग्रता मे। तखने पाठक गण, विशेष रूपे ओ पाठक जे ग्राम जीवन नै जीने छथि, तिनका समक्ष ग्राम जीवन के वास्तविक चित्र प्रस्तुत भऽ सकैत अछि।

कुमार विक्रमादित्य, गद्य सँ पद्य धरिक सर्जन केर लेखा जोखा प्रस्तुत करैत पोथी-लेख रेख के माध्यम सँ मैथिली साहित्यक कतेक रास पुस्तकक संक्षिप्त परिचय आ सार दैत छथि। कल्पना झा केर पाठकीय समीक्षा, लक्ष्मण झा सागर केर संस्मरण, कुमार मनीष आ अरविन्द केर कविता शम्भु बादलक अनुवाद आ आस्वादन पर परिचर्चा, सभक अपन-अपन विशेष फ्लेवर अछि। प्रवीण कुमार झा केर आलेख “सोशल मीडियाक सदुपयोग सँ रिटायरमेंटक बाद बनल साहित्यकार हितनाथ झा” सेहो रुचिगर लागल। प्रवीण जी स्वयं सेहो सोशल मीडिया के माहिर छथि आ हितनाथ झा केर साहित्यिक जीवन आ साक्षात्कार के माध्यम सँ बुजुर्ग आ युवा पीढ़ी दुनू लेल संदेश दैत छथि। युवा लेल हितनाथ जी अपन साक्षात्कार में संदेश दैत छथि जे अपना सभकेँ सदैव अपन परिवारक आभारी रहबाक चाही। पारिवारिक जुड़ाव कायम रहला सँ भाषा आ संस्कृति के समृद्धि कायम रहत। समाज में परिवार टूटि रहल अछि। लेखक के आलोचना के अवसर बुझबाक चाही। सकारात्मक पक्ष के बेसी देखाबी। एहि सबकेँ सोशल मीडिया पर सेहो अमल में लयबाक लेल प्रयासरत रही। प्रवीण जी हितनाथ जी के बहाने सँ रिटायर बुजुर्ग के सोशल मीडिया के सदुपयोग के मार्ग देखाबैत छथि जे एकर उपयोग, भाषा, साहित्य, समाज के समृद्धि लेल कैल जा सकैत अछि आ नहि कि कुख्यात ‘व्हाट्सएप अंकल’ बनि अफवाह, गलत जानकारी, वैमनस्य आदि पसारबा में आ घटिया कंटेन्ट देखबा मे।

अपन मिथिला के सभटा गाम आदर्श गाम बनय, एहि स्वप्न के साकारताक आकांक्षाक संग अइ विशेषांक सँ जुड़ल सभ लोक केँ एक बेर पुनः बधाइ। जय मिथिला।

-प्रणव कुमार झा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली

कल्पना झा, पटना

विदेहक हितनाथ झा विशेषांक पढ़लहुँ। एक बेर फेर सँ विदेह टीम ई सिद्ध करैत देखा पड़लथि जे विदेहक विशेषांक सभ अभिनन्दन ग्रन्थ नहि रहैत अछि। विदेहक विशेषांक सभमे कोनो व्यक्ति वा संस्था, जे हुअए ताहि पर नीक- बेजाए दुनू पक्ष पर निधोख लिखल देखलहुँ। आ से हुनकर पोथी सँ ल' क' हुनकर व्यक्तित्व धरि, सभ पक्ष पर।

आशीष अनचिन्हार जीक लिखल "हम हितनाथ झाकेँ कोना चिन्हलियनि" लेखमे आमिर खान केर फिल्म पी.के केर डायलॉग पर लिखल कविताक प्रसंग आ ओहि संबंधित फेसबुक पोस्ट आ पोस्ट पर कएल गेल कमेन्ट केर माध्यम सँ परिचय - प्रसंग रोचक लागल।

आशीष अनचिन्हार जीक अन्य दूटा लेख "स्थानवर्णना, नगरवर्णना, ग्रामवर्णना (मिथिलाक संदर्भमे)" आ "पाठकीय विधा एवं हितनाथ झा" सेहो संलग्न अछि एहि विशेषांकमे। "पाठकीय विधा एवं हितनाथ झा"मे पाठकीय, समीक्षा, आलोचना एवं समालोचनाक एक्कहि गोत्रक रहितहु कोना एक दोसरा सँ भिन्न अछि, से फड़िछाओल गेल अछि।

हितनाथ झा जीक पोथी सभ पर चर्चाक गप्प करी, तँ सभ सँ बेसी लेखक संख्या "कविता शम्भु बादलक" पोथी पर अभरल । जाहिमे केदार कानन जीक "कविता शम्भु बादलक नव स्वर, नव संधान" डा. कीर्तिनाथ झा जीक "शम्भु बादलक कविता जिनगीक रोशनी", कुमार मनीष अरविन्द जीक"कविता शम्भु बादलक हजारीबाग परिसरक विशिष्ट सुगन्धिसँ महमहाइत कविता सभकें पढ़ैत" आ डॉ. आभा जीक "भाषांतरणक उत्कृष्ट प्रयास -कविता शम्भु बादलक" संलग्न अछि।

तहिना "कोइलख" पोथी पर सेहो कइअक टा लेख अभरल। जाहि मे डॉ. कैलाश कुमार मिश्र जीक "सारस्वत परिचायिका-कोइलख" आ श्री सियाराम झा 'सरस' जीक लिखल "'कोइलख' - ग्राम गाथाक विलक्षण अभिलेख" विशेष रूप सँ उल्लेखनीय अछि। नारायण झा जीक लिखल "हितनाथ झाक जीवन ओ साहित्य" नमहर आलेख छनि, मुदा उबाऊ नहि छनि। डॉ.आभा झा जीक दुनू लेख "समृद्धि दिशि बढ़ैत बाल-साहित्यमे राजापोता बलगरक मजगूत हस्तक्षेप" आ "भाषांतरणक उत्कृष्ट प्रयास -कविता शम्भु बादलक" सनगर छनि।

प्रवीण कुमार झा जीक लेख "सोशल मीडियाक सदुपयोगसँ रिटायरमेंटक बाद बनल साहित्यकार हितनाथ झा" मे हितनाथ जीक जीवन यात्राक चित्रण छनि। तथ्यपरक लेख। नीक लेख।

"हितनाथ झा समर्पित पाठक केर साकांक्ष प्रतिनिधि" एहि शीर्षक सँ लिखल लेखमे डॉ. कैलाश कुमार मिश्र जीक कहब छनि -- "हितनाथ जी मैथिली साहित्य आ रचनाकें हमरा जनैत एक
समर्पित पाठक छथि। ई गुण दुर्लभ गुण भेल आजुक समयमे जखन लोक हेंज बना रचना लिख आ ओकरा प्रकाशित करबा मे अपसियान्त छथि। किनको लग आनक रचना पढ़बाक समय नहि छनि। हितनाथ जी मुदा की नव आ की पुरान, सब रचनाकें गुरुकुल परम्परा केर वेदपाठी जकाँ धोखइत रहैथ छथि।" आगाँ ओ करैत छथि -- "मुदा हमरा कखनो काल लगैत अछि जे हितनाथ बाबू भावावेशी आ समावेशी पाठक छथि। ई बात अगर सत्य छैक तँ हिनका लेल भले जे हो, साहित्य लेल नीक बात नहि भेल! समर्पित पाठक के अपना आपमे हंस जकाँ व्यक्तित्व विकसित करक चाही। हंस व्यक्तित्व केर अर्थ भेल क्षीर-नीर-समभाव।" हिनकर कहब गलत नहि बुझाएल हमरा।

श्री सियाराम झा 'सरस' जीक लिखल "'कोइलख' - ग्राम गाथाक विलक्षण अभिलेख" जे अछि, से एकटा छोट-सन लेखमे बहुत बात समेटने सन बुझाएल। एक्कहि पैराग्राफमे पोथीक विषय-वस्तु कोना समेटि लेलनि से एकटा दृष्टान्त प्रस्तुत अछि -- "एहि पोथीमे एकहिठाम पाठक लोकनिकेँ कोइलखक इतिहास, भूगोल, अद्यतन जनसंख्या ( करीब 8500/2011) सहित 'पारिजात हरण केर कृतिकार म.म. उमापति उपाध्याय (16 में शताब्दी), मैथिली साहित्यक आद्य दू प्राध्यापक-पं. (प्रो.) खुद्दी झा एवं पं बबुआजी मिश्र (कलकत्ता वि.वि.केर प्रथम ओ द्वितीय वरेण्य शिक्षक), शास्त्रार्थ मार्तण्ड पं लुट्टी झा, रानी चन्द्रावती (बनैली राजक राजरानी आ मिथिलाक अत्साधारण समाजसेविका), श्रीकांत ठाकुर विद्यालंकार (मैथिली अकादमी. पटनाक पहिल अध्यक्ष तथा आर्यावर्त, प्रदीप, विश्वमित्र, आज, वाराणसी, दै. स्वतंत्र सन-सन अनेको पत्रक प्र. सम्पादक), पं. (महाकवि) काशीकांत मिश्र 'मधुप, पं. (प्रो.) जयदेव मिश्र, पं. हरिनाथ मिश्र (33 वर्ष धरि विधायकी, तखन सांसदो, प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवं बिहारक स्वास्थ्य मंत्री-1952-57 रहैत डी.एम.सी.एचकेँ व्यवस्थित चिकित्सा महाविद्यालय बनबौनिहार), डॉ. भवनाथ मिश्र (एम.आर.सी.पी. इंग्लैण्ड, एफ.आर. सी.पी.एफ.ए.आइ.एम.एस. लंदन-एतबा सुयोग्य पहिल मैथिल डाक्टर), योगानन्द झा (मैथिली अकादमी पटनाक निदेशक एवं भलमानुस सन कालजयी उपन्यास ओ उड़ैत वंशी कथा संकलनक रचनाकार), आइ.पी.एस. मिहिर कुमार झा. महान कथाकार घूमकेतु आ पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्र प्रभृति मैथिल रत्न सभसँ भेँट-परिचय भए सकतनि। लेखकक प्रयास स्तुत्य अछि।"

तहिना श्रीमती नीलम झा आ डा. धनाकर ठाकुर जीक टिप्पणी “त्रिवेणी" पोथी पर जे अछि, से कम शब्द मे नीक विवरण अछि। उक्त पोथीक संदर्भमे। समग्रतामे कही तँ पूर्वमे प्रकाशित विदेहक अन्य विशषांक जकाँ इहो विशेषांक पठनीय ओ संग्रहणीय अछि। निस्संदेह!

जगदीश चन्द्र ठाकुर 'अनिल'

विदेहक 405म अंकमे श्रीहितनाथ झा विशेषांक प्रकाशित भेल अछि।

एहिमे 28टा आलेखक माध्यमसँ कवि-लेखक-समीक्षक-अनुवादक श्री हितनाथजीक व्यक्तिगत, पारिवारिक आ सामाजिक आ रचनात्मक गतिविधिक महत्वपूर्ण विवरण प्रस्तुत कयल गेल अछि।
हिनक पोथी कोइलख, लेख -रेख, राजा पोता बलगर, कविता :शम्भू बादलक अतिरिक्त सम्पादित पोथी त्रिवेणी आ मैथिलीक इतिहासक रेखांकन --एहि सभ पोथीपर विभिन्न विद्वान लोकनि द्वारा विचार आ समीक्षा प्रस्तुत कयल गेल अछि।

पोथी 'कोइलख'पर श्री विनयानन्द झा, डा. धनाकर ठाकुर, डा.कैलाश कुमार मिश्र, पं. भवनाथ मिश्र,सियाराम झा 'सरस', प्रो. महेश लाल दास, उज्ज्वल कुमार झा, नारायण झा आ आशीष अनचिन्हारजी द्वारा प्रस्तुत आलेख सुचित करैत अछि जे एहि पोथीमे लेखक द्वारा कोइलख गामक विषयमे बहुत रास जानकारी देल गेल अछि तथापि बहुत जानकारीक अभाव सेहो अछि एहि पोथीमे।एहि अभावक पूर्ति हेतु आशीष अनचिन्हार जीक महत्वपूर्ण आलेख 'स्थान वर्णना, नगरवर्णना,ग्रामवर्णना' पथ प्रदर्शकक काज करतनि।

कल्पना झा आ नारायण झाक आलेखमे 'मैथिली इतिहासक रेखांकन' पोथीकें बहुत महत्वपूर्ण कहल गेल अछि। श्री उदय चन्द्र झा 'विनोद', कुमार विक्रमादित्य, कल्पना झा,डा. आभा झा सभ गोटेक आलेख पढ़ि लगैत अछि जे पोथी 'लेख -रेख'मे नव -पुरान रचनाकारक 58 टा पोथीपर जे आलेख प्रस्तुत कयल गेल अछि से समीक्षा कम अछि, पाठकीय प्रतिक्रिया बेसी अछि। पोथी 'त्रिवेणी' मे 'त्रिवेणी सम्मान'सँ सम्मानित रचनाकार लोकनिक विषयमे आ हुनक रचनापर जे विवरण प्रस्तुत भेल अछि तकर प्रशंसा कयल गेल अछि नीलम झा, नारायण झा आ डा. धनाकर ठाकुरजीक आलेखमे। पोथी 'राजा पोता बलगर' मे प्रकाशित 46 टा बाल कविताक प्रशंसा कयल गेल अछि उज्जवल कुमार झा,आभा झा आ नारायणक आलेखमे।

पोथी 'कविता : शम्भू बादलक' मे हिन्दीक कवि शम्भू बादलक 29 टा हिन्दी कविताक मैथिलीमे जे अनुवाद भेल अछि ताहि अनुवादक प्रशंसा कयल गेल अछिडा. आभा झा, डा.कीर्ति नाथ झा, केदार कानन आ कुमार मनीष अरविंदजीक आलेखमे। श्री लझ्मण झा 'सागर', प्रवीण कुमार झा, नारायण झा आ आशीष अंचिन्हार प्रस्तुत आलेखक दर्पणमे हितनाथ झाक जीवनी देखाइत अछि।

'विदेह 'क ई विशेषांक भाइ हितनाथ झाकें मैथिलीक लेल एकटा समर्पित पाठक, नीक कवि-लेखक-सम्पादक-अनुवादक आ भविष्यक नीक समीक्षकक रूपमे प्रस्तुत करैत गाम-गाथाक पूर्णताक लेल और पोथी प्रस्तुत करबाक आग्रहक संग समीक्षा-आलोचनाक क्षेत्रमे नीकसँ विशिष्ट केर यात्राक लेल प्रेरित करैत छनि। 'विदेह' ई विशेषांक प्रस्तुत करैत ई भरोस दैत अछि जे 'विदेह' विना कोनो पूर्वाग्रह केर मैथिलीमे सभहक साहित्यिक विशिष्ट योगदानकें महत्वपूर्ण मानैत अछि आ ओहि योगदानकें जन-जन धरि पहुँचयबाक लेल प्रतिबद्ध अछि।

-जगदीश चन्द्र ठाकुर 'अनिल', सम्पर्क : 8789616115



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