अंक ४०८ पर टिप्पणी
डा. वी. एन. झा
श्रीमान ! मैथिली व मिथिला के
विकास में एतैक गुनी लोक १९८० के दशक वा ओहु सँ पहिनें सँ संघर्षरत छथिन ई
बुझि कें प्रसन्नता भेल I ताहू सँ बेशी प्रसन्नता ई बात सँ भेटल जे कोलकाता
के मैथिल भाषी MVP में अत्यंत गतिशील छथिन्ह I मुदा इहो विचार अनिवार्य अछि
जे सम्प्रति गुनी लोक के बाद दोसर-तेसर पीढ़ी के हेतिन I मैथिली भाषा व एही
सँ जुड़ल विशेष संस्था कें अपन जड़ सँ जुड़ल रहब अपेक्षित ही नहिं अपितु
अनिवार्य अछि I अतएव मैथिली के भविष्य कोलकाता नहिं अपितु मिथिला कें
केंद्र में रखे पडत I हमर अभिप्राय कोलकाता कें कोनों तरह अवमानना के नहिं
अछि I वो लोकनि महत्वपूर्ण कार्य का रहल छथिन I MVP के सभु सदस्य एही पर
विचार करैथ से उचित I
एक बात आओर मन में आबि रहल अछि जे मैथिली भाषा के चहुमुखी विकास खातिर एहि
में विज्ञान व तकनीकी विधा के समावेश अत्यावश्यक अछि I अतएव मैथिल भाषी
विज्ञान व तकनीकी विद कें भाषा सँ जुड़े लेल आमंत्रित करू I शुरू शुरू
अवश्य दिक्कत हएत मुदा शनैः शनैः भाषा प्रगति करत I सम्प्रति जीवन यापन के
हर क्षेत्र तकनिकी सँ जुड़ल अछि अतएव मैथिली में एकर समावेश परमावश्यक अछि
I- सप्रेम डा. वी. एन. झा, Scientist 'F', Ex Jt Dir, DRDO
प्रणव झा
संगठित भ के नै रहनाई मैथिल समाजक एकटा अवगुण बला पुरान पहचान रहल अछि।
प्रो0 हरिमोहन झा अपन खिस्सा "ब्रह्मा के शाप" के माध्यम से ऐ अवगुण पर
चोटगर कटाक्ष केने छैथ त ओत्तई तीर्थयात्रा नामक कथा पात्र के माध्यम से
भगवान जगन्नाथ से निवेदन करय छथिन जे भगवान हमर देश के लोक सब में एकता होय
ओ सभ संगठित भ के रहैथ यैह अहाँ से विनती करय छी। यैह अवगुण एकटा पैघ कारण
रहल अछि जे तेजस्वी मैथिल समाज देश दुनिया के पटल पर कदाचित ओ स्थान नै बना
सकल जे आन आन समाज आई बनउने अछि। तथापि मिथिला मैथिली के नाम पर संगठन
विभिन्न स्थान आ काल में बनैत आ चलैत रहल अछि। ओना त कोनो संगठन के कुछ गुण
अवगुण रहिते छैक। एहन में कोनो मैथिल संगठन के बहुत प्रभावी आ क्रन्तिकारी
इतिहास होय ई ताकब या ऐ कसौटी पर कसब ओत्ते युक्तिसंगत नै हेतैय। यद्यपि
हमर मानब अछि जे साईत ई संगठन सभ समय के संग पहिने सँ बेसी कारगर भ रहल अछि
आ आशा कैल जा सकय अछि जे ऐ संगठन सबहक माध्यम सँ मैथिल समाज बेसी सशक्त आ
संगठित बनत। कोनो पत्रिका के माध्यम से संगठन के इतिहास, कार्य आ
कार्यप्रणाली आदि पर चर्चा, आलोचना, समलोचना आदि निश्चिते संस्था के परिचय
विस्तार दैत छैक संगे एकर इतिहास आ वर्त्तमान के अभिलेखित क भविष्य क लेल
संदर्भित क मैथिल समाज के संगठनक भविष्य के बाट सेहो देखा सकय अछि। मिथिला
विकास परिषद कलकत्ता विशेषांक के हम एहि रूप में देखय छी। विदेह ऐ से
पहिनेहो किछु संगठन पर विशेषांक निकालने अछि जै में एमएसयू विशेषांक सेहो
छल। मिथिला मैथिली बढ़ईत रहय सैह कामना। संगे नरेन्द्र झा विशेषांक के मोन
पारैत एकटा विचार मोन में आयल जे अंग्रेजी वर्ष 2025 में विदेह के एकटा
विशेषांक "वर्तमान में मिथिला में उद्योग, व्यापार आ रोजगार" पर सेहो
निकालबाक विषय में सोचबाक चाही। जय जानकी।
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