अंक ४०० पर टिप्पणी
श्रीनारायण झा, कोलकाता
प्रिय सम्पादक महोदय, विदेहक अंक सभ समय स भेटैत
रहैये। एतदर्थ धन्यवाद। मिथिलाक्षर मे विदेहक सम्पूर्ण पोथी पढ़वाक सुविधा
लेल सेहो बहुत रास धन्यवाद।
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