प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

विदेह नूतन अंक
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अंक ४०६ पर टिप्पणी

प्रणव झा

डॉ.ज़ियाउर रहमान जाफ़री क लेख मैथिली प्रबंध काव्य हरवहाक बेटी मे फजलुर रहमान हाशमीक दृष्टि रोचक आ इन्फोर्मेटिव लागल। ओना त हमरा कोनो विशेष लेना देना नई रहय अछि तथापि मैथिली साहित्य अकादमी मे की सब चलय अछि तकर ए,बी,सी आशीष अनचिन्हार के लेख/पोस्ट सभ से बुझय छी। एहि कड़ी मे एकटा लेख अहु अंक मे पढ़य लेल भेटल। मैथिली शैली पर विवाद के विषय मे हमर मत अछि जे कियौ देश के अलग अलग भाग से आबय बला हिंदी के पैघ साहित्यकार सभ के रचना पढ़य त ओय मे अलग अलग शैली के झलक देखाइए जेतय, जै मे रचनाकर के क्षेत्रीय परिवेश आ बोली के प्रभाव देखाय छै। तहिना अङ्ग्रेज़ी या अन्य भाषा के रचना/साहित्य संसार सभ मे सेहो देखल जाय छैक। अस्तु मैथिली के विभिन्न शैली के मैथिली के रूप मे अंगीकार केने मैथिली के विस्तारे भेटत, आ ओय आधार पर विभाजन केने भाषा के सिकुड़न। राज किशोर मिश्र के कविता लोक-जिनगी वर्तमान रोज़मर्रा के जिनगी, ओकर आपाधापी आ संघर्ष के चित्र झिकय छैक।



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