प्रमोद झा 'गोकुल'
तिला सँकरैंत
भोरे भोर तिलाठबाली बहुरिया बेटाक हाथमे गुरमिश्रित तील चाउर दैत दुलार
करैत बजलीह -
रौ बौवा! चूड़ा चिल्लाड़ु आ मुरही कोनियाँमे साजिके चिनवार पर राखल छै,से
कने कक्का के द' अबहून! नहा सोनाके दलान पर घूर तपैत बैसल छथीन।आ, हे मौनीमे
राखल तिलबामे से ल ' लिहें ! तिल चाउर हुनका हम कोनाके देबैन ? जा देखियौ
एकटा गप कहबते बिसरिये गेलियौ!
- सेहो कहिये दे ने!
- अपने दिस खाइले सेहो कहि देबहून! आ हे लूटन अबथीनते हुनका बैसाके रखिहें
!
-आर कोनो बात रहि गेलहौते सेहो कहिये दे ने!
-इहो छौंड़ा खियाल करै छै! झपसे द' अबहून नै ते एखने हम ••••••••।
चूड़ा मुरही आदि भरल कोनियांँ ल'के मकसूदन दलान पर पहुँचल। ओकरा देखितहिं
घूर तपैत कक्का हुलैसके बजलाह - हमरेले अनलेँहेँ की?
-हँ कक्का ! माय कहलकए जे तामे जलखै करैले ।
-मतलब आगोंक विचार छै!तखनते पैजबहिं पयर।
-आइ सँकरैँत छियै ने, तेँ खाइयोले कहलकए!
-एकरे कहै छै संस्कर आ कुल खानदान ••••अच्छे कहते की सब बनबै छौ माय तोहर?
-खिचड़ी !
-ओह••••खिचैरिये रौ!!! ई खिच्चैरते महिना दिनसे खिचारिके राखि देलक। लगैए
जेना कहुँ एहनने भै जाय जे धिया पुता कहय कका 'खिच्चैर' आ लाठी लय हम ओकरा
सबके खिहारैले दौड़ परी ।
- लगैए जेना अहाँ ऐसे ऊबि गेल होइ!
- की कहियौ! जहियासे तोहर बिसौलबाली काकी बिगैरके नैहर चल गेलीहे तहियासे
विसुनमा दुनू साँझ यैह खुवा खुवा मोनके भाँरि देलकए। कहैये जे हमरा आर किछ
बनबैयेनैअबैयै।खायबते खाउ नै ते चूड़ा फाँकि पानि घटोसिके सूति रहू !तोहीं
कह , एकरो कोनो जबाब छै? तैपरसे ओहो खचराहा आइ अपन माय लग ममहर टरि गेलए ।
धैन भाग जे तोहर मायके सुरता एलैन। नैते ऐ भरल पाबैनमे ठन ठन गोपाल।
- अहाँके खिचड़ी नै नीक लगैये कका!
- रौ! नीक किएने लागत। खिचड़ी सनक खिचड़ीने नीक लगै छै,आकि सीधे दालि चाउर
मे हरैद नोन द 'के हौंड़ि दियौ, भ' गेलै खिचड़ी ! कहबीयो छै ' खिचड़ीक चारि
यार,दही पापड़ घी अचार ' ।
- भटबर आ खमहरुवाक चक्का सेहो माय छानि रहल अछि आ तैपरसै कक्का ! फूंटि बला
कुम्हरौरी देल रसदार डालना सेहो बनि रहल छै ।
- एह! तखैनते इन्द्रस्य काँइ काँइ आ वरुणस्य टाँइ टाँइ भै जेतै।दही आ घियु
सेहोते अपने महिंसिक हेतह?
- तहूमे कहैक काज!
- सुनियेंके मूहंमे पानि भरि आयल ।
- जैले मूहँमे पानि भरि गेल से खेबै कोन पेटमे महेस्सर बाबू!
- ई ते लुटना सनक आबाज लगैये!
- हंँ यौ! खड़ा भेल भेल हम सबटा बात सुनि रहल छी। अहाँके पाउज करैसे फुर्सत
हुए तखनने हमरा दिस ताकब!
- तहूँ हमरे नजैर लगबैले अरबद्धल छेँ ! ले आब खो तोहीं!!
- बचले आब की अहि! दाबि दियौ अपने!! हमरा मैलकाइन बोलौने छै, देबे करतै सबटा।
बौवा! कने हमरो अर्जी मैलकाइन लग पहुँचा दियौगेते!
-हौए दोलखी लग सबटा ल'के ठाढ़ि छथून जाके लय आबह तोहूँ !
-अरे ! मलकिनी ठाढ़ि छथीन से ते हम बुझबो नै केलियै ।हरबड़ाके लूटन
तिलाठबालीक आगाँ जाके सकुचैत ठाढ़ भैके बाजल -ई एत्ती खिनासे ठैढ़ छलखीन से
हम बुझबो नै केलियै।
-- की करथीन ले! ई भैया सङे गप्प लड़बैमे मस्त छलाह !
लेथु, ई छियैन हिनकर! एत्तै बैसिके पनपियाइ कय लिहैथ आ ई छैन धिया पुताक
लेल! दय औथीन,ओहो सब खालेतै! खाइ बेरमे एत्तै आबिके खालिहैथ!आ मझौराबालीके
सेहो कहथीन अबैले! धिया पुताक लेल लय जेतै सब किछ। सबहक लेल खेनाइ बना रहल
छियैन। पाबैन तिहार सबहक सङे होइ छै ने!
मलकिनीक बात सुनि लुटनाट आँखि छल छला गेलै ओ सोचय लागल जे केहेन दयामैन्त
छथीन तिलाठबाली बहुरिया! साच्छात अनपुरना माइ! एकरे लोक लछमी कहै छै ने!
-दीप,मधुवनी (विहार), फोन -9871779851
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