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आशीष अनचिन्हार (संपर्क-8134849022)

 

मीना मधु जी केर रचना संसार

मीना मधु जीक रचनात्मक परिचय देबासँ पहिने हम अपने द्वारा संपादित पोथी 'प्रीति कारण सेतु बान्हल' (जे कि गजेन्द्र ठाकुर एवं प्रीति ठाकुरजीक काजक आलोचनात्म मूल्याकंन अछि तकर) भूमिकाक एकटा अंश दऽ रहल छी-

"हम जतेक जनैत छी ताहिमे ई पोथी संभवतः मैथिलीक एहन पहिल पोथी अछि जाहिमे एकै संग रचनाकार पति-पत्नीक मूल्यांकन कएल गेल अछि। प्रसंगवश ईहो जानब उचित जेपोथी प्रकाशन वर्षक आधारपर प्रीति ठाकुर, गजेन्द्र ठाकुरसँ वरिष्ठ रचनाकार छथि। जखन कि मैथिलीमे उल्टा होइत छै। पतिक पोथी पहिने आ पत्नीक पोथी बादमे या बहुत बादमे प्रकाशित होइत छै। किछु पत्नीक पोथी प्रकाशितो नै होइत छनि। सियाराम झा 'सरस' जीक देल सूचनाक आधारपर नीरजा रेणु एवं किशोरनाथ झा केर बाद ई संयोग घटित भेल अछि। एहिठाम ईहो कहब उचित जे किशोरनाथ झा मूलतः संस्कृत केर विद्वान एवं लेखक छथि। संस्कृतमे हुनक पोथी नीरजाजीसँ पहिने प्रकाशित भेल छनि। ओना सरसजी एक-दू नाम आर कहने रहथि जेना नरेन्द्र झा एवं पन्ना झा मुदा तजबीज केलापर पहने पतिक प्रकाशन सामने आएल। जे किछु हो एहन प्रवृति रेयर छै आ मैथिलीक स्त्री-विमर्शकार सभकेँ एहि बातक संज्ञान लेबाक चाही। प्रसंगेवश पाठक ईहो जानथि जे जाहि गामक गजेन्द्र ठाकुरजी छथि ताही गाममे हुनकासँ बहुत पहिने रचनाकार दंपति गोपाल झा 'गोपेश' एवं प्रभावती झा सेहो भेल छथिन

आब एहि भूमिकासँ अलग हटि आबि जाइ मीना मधुजीपर।

मीना मधु जीक पहिल कथा हुनक मूल नाम (वसुन्धरा देवी)सँ उपमान पत्रिका केर जुलाइ-सितंबर 2023 केर अंकमे भेल छल जकर शीर्षक छलै 'की आर खिस्सा कहू'। दोसर कथा मीनू मधु (गलतीसँ मीना बदला मीनू भऽ छपल) फेरो उपमाने पत्रिका केर कथा विशेषांक जनवरी-मार्च 2024 अंकमे प्रकाशित भेल जकर शीर्षक छलै 'जगनू आ सोनू'। तेसर कथा 'दालि दड़री...' शीर्षकसँ अरूणिमा नामक स्मारिका (वर्ष-2024) मे प्रकाशित भेल आ चारिम कथा 'पिरितक रंग' शीर्षकसँ फेरो अरूणिमे स्मारिकामे वर्ष 2025 मे छपल।  एहि तरहें एखन धरि मीना मधु जीक कुल चारि कथा प्रकाशित अछि आ लगभग 13-14 टा कथा अप्रकाशित छनि संगहि एक गोट उपन्यासक पांडुलिपि सेहो अप्रकाशित छनि। 

ऊपरक ई रचना संसार छनि मीना मधुजीक। हमरा लग ई प्रश्न रहिए जाइए जे आखिर शिवशंकरजीक पत्नी रहितो मीना मधुजीक साहित्यिक यात्रा अतेक कम किएक रहलनि? एहन नै जे मैथिलीमे अतबे पति-पत्नी साहित्यकार छथि, आरो छथि जाहिमे प्रदीप बिहारी-मेनका मल्लिक सेहो छथि। मेनकाजीक लेखन विपुल छनि मुदा प्रदीप जीक तुलनामे कम। ई सत्य सभ युगल रचनाकार लेल कमोबेस अछि, एकर अपवाद कियो नहि छथि वर्तमानमे।

आब पाठक फेरो ऊपर जा कऽ देल गेल भूमिकाक अंश पढ़थि, सुविधा रहतनि।

कहल जा सकैए जे परिवारक जिम्मेदारी लैत-लैत स्त्री अपन प्रतिभाकेँ बिसरि जाइत अछि (अथवा की जे मजबूरीमे बिसरि जाइत अछि)। खएर मीनाजीक जतबे रचना छनि तकर प्रकाशनक समुचित व्यवस्था हो आ ओकरा पोथी रूप देल जाए आ ताहिपर समुचित चर्चा-परिचर्चा हो।

 

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