डा. शैलेन्द्र मिश्र (संपर्क-7600744801)
श्री शिवशंकर श्रीनिवासक कथा-संसार: एकटा मूल्यांकन
मैथिली कथाक इतिहास बहुत पुरान अछि आ एखन तक एक सँ बढ़ि एक कथाकार भेलाह। शिवशंकर श्रीनिवास मैथिलीक एकटा सशक्त हस्ताक्षर छथि। लोकप्रियताक संगहि मिथिला–मैथिलीक भावनात्मक ओ भौगोलिकता के प्रमुख रूप सँ अपन कथा सभ मे एकटा माँजल चित्रकार जकाँ चित्रित केने छथि। हिनकर कथा मैथिल समाजक बदलैत सामाजिक–सांस्कृतिक मूल्यक एकटा ऐतिहासिक दस्तावेज़ कहल जा सकैत अछि। सामाजिक सरोकार, संस्कृति ओ व्यवहारक बदलैत स्वरूप आ आधुनिकता कोना सभटा पुरान व्यवस्थाकेँ ध्वस्त क’ रहल छै तकर वर्णन छन्हि।
हिनकर कथा सब मानवीय संवेदनाक जीवंत उदाहरण छै चाहे ओ विभिन्न धर्माबलम्बी के बीच सौहार्द हो वा विभिन्न जातिक बीच। हिनकर कथा एहन घैल सन सुगढ़ रहैत अछि जाहि मे कोनो पात्रक महत्ता कम कऽ कऽ नै देखल जा सकैत अछि। लगभग सभ कथाक पृष्ठभूमि मिथिलाक छन्हि मुदा यदि मिथिला सँ बाहरो कोनो कथाक पृष्ठभूमि छै तँ ओकर सभ पात्र ओ घटना मिथिलाक इर्द-गिर्द घुमैत चलि जाइत छै। श्रीनिवास जी कथाकारक रूप मे अपन कथाक माध्यम सँ बहुत संदेश दऽ जाइत अछि।
जेना अमेरिकाक नोबल पुरस्कार सँ सम्मानित विख्यात कवि रॉबर्ट फ्रॉस्ट के बारे मे कहल जाइत छै जे हुनकर कविता सभ एकटा दृश्य सँ शुरू भऽ कऽ एकटा विचार पर समाप्त होइत अछि तहिना शिवशंकर श्रीनिवास जीक कथा कोनो दृश्य सँ शुरू भ’ कोनो ने कोनो संदेश दैत अछि। जौं नारी सशक्तिकरणक बात हुए तँ हिनकर कथाक स्त्री पात्र सभ बहुत मजगूत छन्हि कतेको पात्र तँ खाम्ह जकाँ मजगूत।
मानवीय सम्बंध ओ स्त्री-पुरुषक बीचक सम्बंधकेँ बहुत महीन रूप सँ वर्णन हिनकर कथा मे भेटैत अछि। एकटा रुमाल हेरेनाइ के घटना सँ शुरू भऽ पति–पत्नीक बीच संबंधक महत्व ओ जरूरत के देखबैत ‘रुमाल’ शीर्षक नामक कथा बहुत भावपूर्ण अछि जतय मुख्य पात्रकेँ अपन पत्नीक प्रति प्रेम ओ अनुराग दोसर पात्रकेँ सोचवा पर मजबूर कऽ दैत छै जे कोनो वस्तुकेँ खाली छोट ओ पैघ, दामी की सस्ता देखि नै बल्कि ओकर देबय बलाक मोन सँ अँकबाक चाही आ पुरुख ओ स्त्री एक दोसराक बिना अपूर्ण होइत अछि बिना एक दोसराक सहारा बानि जीवन कटनाइ बहुत मोश्किल होइत छै। पत्नीकेँ मोजर ओ सम्मान देने जीवनक रस्ता आसान भऽ जाइ छै।
बदलैत मानवीय परिदृश्यक कथा सभ तँ आरो बहुत मारुख छन्हि आ मिथिलाक संस्कार ओ परिवेश लेने कथा सम्पूर्ण भारतक बनि जाइत अछि केना पुरान पीढ़ी अपन धिया-पूताकेँ कष्ट सँ पढ़बैत अछि मुदा जखन ओ संतान काबिल भऽ जाइ छै तँ कोना ओ अपन माए-बापकेँ मोजर देनाइ कम कऽ दैत अछि। वस्तुतः शिवशंकर श्रीनिवास जी आधुनिकता के बिहाड़ि मे टूटि रहल सामाजिक पारिवारिक परिवेशक कथा बहुत मार्मिक रूप सँ केने छथि। बुजुर्ग पीढ़ी कोना अंतर्जातीय, अंतर्राज्यीय आ अंतर्राष्ट्रीय विवाहकेँ सेहो आइ काल्हि स्वीकार कऽ लैत छथि मुदा अपन बेटा-पोताक तिरस्कार सँ कोना टूटि जाइत अछि तकर बेजोड़ उदाहरण हिनकर लिखल ‘मनुक्ख नदी थिक’ शीर्षक नामक कथा अछि। एहि कथा मे श्यामजी नामक मुख्य पात्र जे कि 85 बरिखक छथि से केना पत्नीक मुइने अपनहि बेटा–पोताक उपेक्षाक शिकार भऽ जाइत छथि। एहि निर्मम संसार मे नै ओ अपन पुरखा लेल कोनो आदर रहलै आ ने कोनो संवाद। संवादहीनता ओ पत्नीक जीवन मे महत्व लेने हिनकर ई कथा आइ–काल्हिक समाजक दर्पण अछि।
हिनकर कथा ‘सिनुरहार’ हम जखन पहिल बेर पढ़ने रही तँ बुझा गेल छल जे हिनका लेल समाजक एकटा छोट–छोट सामाजिक सरोकार सँ जुड़ल विषय कतेक महत्वपूर्ण अछि। ‘सिनुरहार’ कथा वस्तुतः कल्याणी नामक केन्द्रीय नारी पात्रक चारु तरफ घुमैत अछि। एकर विषय छै ब्राहमण जाति मे विधवा पुनर्विवाह आ ओकर बाद समाजक नजरिया। आब तँ साधारण गप भऽ गेल मुदा जाहि समय मे ई कथा लिखल गेल ओहि समय ब्राह्मण वर्ग मे विधवा पुनर्विवाहकेँ लोक नीक रुपे नहि देखैत छल। दोसर जाति मे विधवा पुनर्विवाह प्रचलित छल। हिनकर दूर-दृष्टि ओ कथाक प्रस्तुति बहुत विशिष्ट अछि।
शिवशंकर श्रीनिवासकें अपन पुरान पीढ़ी सँ फराक एहि दुआरे छथि कियाक तँ हिनकर कथाक मुख्य पात्र समाजक कमजोर वर्ग रहैत छन्हि, आर्थिक रूप सँ कमजोर, शोषित, वंचित आ स्त्री सभ हिनकर केन्द्रीय पात्र रहैत छन्हि।
शिवशंकर श्रीनिवास मैथिली कथा-साहित्यक परंपराकेँ नहि केवल समृद्ध करैत छथि, बल्कि ओहि मे नूतन दृष्टिकोण आ संवेदनशीलता जोड़ैत छथि। हुनकर कथा सभ पाठककेँ केवल पढ़बाक अनुभव नहि, बल्कि सोचबाक प्रेरणा दैत अछि।
अपन मंतव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।