राम शंकर झा"मैथिल"
अरिपन/ टिपीर-टिपीर
१
टिपीर-टिपीर
भरि राति मेघ वरषल
टिपीर-टिपीर..!
सङ्ग हवा-वसात बहल
अलहर झांअट
भरि राति मेघ....!
रहि-रहि ठनका ठनकै
बेंग बाजय टर्टर
भरि राति मेघ...!
खपड़ा कें दोग दअ
बुन्नी-झींसी पराअ
देह सिहराबैय झनझन
भरि राति मेघ...!
पहर पअर पहर बिती गेल
भुरूकबाक अता-पता नहिं
बंगु माअ हाक पअर हाक
आई ओछाएन नहिं छोड़ब
भरि राति मेघ....!
चौकी तअर मे घुसल शेरूआ
अनमठ कटने ओंघाल
शेरूआ कें नेना-भुटका सब
झबरा, करिया, अठरहा
घुरक छाउर पअर पड़अल
हअमरे सङ्ग सब
एहि प्रकृतिक आनंद पीबा
बेसुध पड़अल
भरि राति मेघ....!
दाबा लागल केरा कें गाछ
जाहि मे हरियर हरियर पाअत
ताहि पअर परैयत चोटगर
बमकैत -रमकैत मेघक बुन्नी
इन्द्रेव उतैर आएल छैथि
अपन सब प्रियसी सङ्ग
भरि राति मेघ....!
बान्हल गाय-बाछी सङ्ग
महिंस आ पअरु
पाअज पअर पाअज दैत
गोबर पअर पूँछ पटकैत
ढ़ोल सन टाप दैत
भरि राति मेघ....!
भरोहो वाली गदह
पअर गदह
सबटा जारैन मिसिया गेल
गोरहा-गोईठा सेहो तीतल
आब चूल्हा मे झोंकब कि
भरि राति मेघ....!
रहि-रहि बसातक झांअट
हृदय कें जुराबैय
सङ्ग ओसंघानी पअर सुखैत
नुआं -धोती कें सिमसिमाबैत
भरि राति मेघ....!
बुधनी माअ भरि पथीया
डोका नेने सगरों टोल
अनघोंल मचौने
ओलती मे सह-सह चाली
भुटकुनीयां बेंग हंजेरक
हंजेरक कुदि फानि मचाबैय
भरि राति मेघ...!
आधा चौकी भिझल
आधा ओछान भिझल
धोती कें ढ़अटा सँ झंपनै मुँह
धीगो बाबु भुस-भुस पादैत
भरि राति मेघ वरषल
टिपीर टिपीर...!!
२
अरिपन
हे अरिपन हे अरिपन
सिरा आगू सँ तुलसी चौड़ा
गौसोउनिक घर दुआईर सँ
हे अरिपन हे..!
लबकी मइंट सँ निपल
चकमक बीच आँगन
बा आ कनियाँ माअ
सोंसे हाथ सानल
अरबा चाउर हरैद पिठार
सङ्ग लागअल लाल सेनूर
हे अरिपन हे...!
कतेक जतन सँ षटकोण
अरिपन षड्दर्शन मे सांख्य
अरिपन षड्दर्शन मे योग
अरिपन षड्दर्शन मे न्याय
अरिपन षड्दर्शन मे वैशेषिक
अरिपन षड्दर्शन मे मीमांसा
अरिपन षड्दर्शन मे वेदांत
हे अरिपन हे...!
हअर फाड़ पालो बखारी
कोठी सर्वा ढ़कना करौछ
लोहिया बासन झांझ सांच
चालईन सूप कोनिया
खराम छता खुरपी हाँसू
चेरिया हरवाह भांट गवैया
हे अरिपन हे...!
भूरकबे सुति उठि आँखि
मिचैईत दौउड़ी बीच आँगन
भाअ बहिन ताकि अपन खराम
जीवन कला निहारी नब नब
मनगर हुलेसगर सीख भेटाअ
हे अरिपन हे...!
जीवनक उन्नतिक बाट
जीवनक सहयोगीक गच्छ
बिन किनको नहिं सहज
सब के लेल अन्न राखल
मालिन बरही कुम्हाईन
नबटोल गंगिया धनुकैन
सबहक सङ्ग सब कियौ
तखन जीवन बनल धन
हे अरिपन हे....!
सबकें माअन सबकें मोजर
सोहनगर साम्यवादक दर्शन
कतेक मिठागर सरस समाज
सब मैथिल सब मिथिलानी
बढ़ अजगुत बढ़ जीवन दर्शन
हे अरिपन हे...!
जागु जागु हे गोविन्द घुरि आउ
घुरि आउ घुरि आउ हे लक्ष्मीनंदन
धन्य धान करू दिअ अभायदान
सिरा आगू सँ तुलसी चौड़ा
हे अरिपन हे अरिपन..!!
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