दिलीप कुमार झा (संपर्क-9430989449)
माटि वस्तुए सएह छैक
अपन माटि ,अपन भूमि अपन भाव अपन भाषा सबकें नीक लगैत छै।सोहनगर लगैत छैक।हँ,किछु ओहनो अबूझ प्राणी अछि जिनका लेल अपन कहैवला वस्तु सभसँ कोनो माने मतलब नै।तेहन लोकक बिषयमे गपे कियै करब? आगाँ बढैत छी। एकटा सत्य घटनापर अबैत छी।दू सय बर्ष पहिने हमरा गामक एकटा परिवार उपटि क' राजस्थानक माउण्ट आबूमे बसि गेल।बसि तँ गेल मुदा कोनो ने कोनो तरहें गाममे अपन दियाद वादसँ सम्पर्क बनौने रहल।किछु बर्ष पूर्ब ओहि परिवारक पाँचम पीढ़ी गाममे फेरसँ घरारी कीनि क' घर बनौलनि अछि।पुछलियनि की जरूरति भेल एतय घर बनेबाक? ओ कहलनि माउण्ट आबूमे हमसब बहुत सुखी छी।मुदा की कही ,एतबे कहब जे माटि बजा लेलक। तहिना फिजी के राष्ट्रपति राम गुलाम जखन बिहारमे अपन पूर्बजक गाम गेल छलाह तँ कहलनि हमर पूर्बजक माटि हमरा भीतरे भीतर बेचैन कयने छल तकरे रजकण माथमे लगेबाक लेल हम एतय एलहुँ अछि।माटि चीजे सैह छैक।माटि मात्र अन्न,फल उपजेबाक लेल एकटा भौतिक अवयवे नहि माटि छी हमर पहिचान।माटि छी हमर जीवन।माटिसँ पृथक जीवनक कोनो परिकल्पना नहि कयल जा सकैछ।से प्राणी कतहुँ रहय खाहे ओ कोनो निर्जन गाममे वा आधुनिक महानगरीय सभ्यातामे रचल बसल,माटिसँ पृथक कियो नहि अछि।से हम माटिक बात क' रहलहुँ अछि हेबनियेमे प्रकाशित भेल कथा संग्रह 'माटि 'क प्रसंग।कथाकार छथि मैथिली कथाकें एकटा विशिष्ट पहिचान दिऔनिहार, समकालीन मैथिल कथाक प्रमुख स्वर डा.शिवशंकर श्रीनिवास।डा.श्रीनिवासक ई पाँचम कथा संग्रह छियनि लकधक पाँच दशकसँ मैथिलीमे कथा लिखि रहल छथि।हिनक कथाक अनेक भाषामे अनुवाद भेल अछि।वैद्यनाथ झा हिनक किछु चयनित कथाक हिन्दीमेअनुवाद कयने छथि। हिन्दीमे 'जमुनियाँ धार' नामसँ पुस्तक प्रकाशित भेल अछि।एहि पुस्तकक भूमिकामे हिन्दीक यशस्वी ओ वयोवृद्ध साहित्यकार रामदरश मिश्र हिनक कथाक बिषयमे लिखैत छथि,'शिवशंकरजी की कहानियों में व्याप्त कथा-रस उन्हें अत्यन्त पठनीय बनाता है।छोटी-छोटी उपकथाएं मुख्य कथा में सहजभाव से मिलकर कथ्य को अधिक सघन बनाती हैं। भिन्न -भिन्न चरित्र आपसी संबंधों को तो उजागर करते ही हैं, पाठकों को संवेदना में भिगोते भी हैं।कहानियों में व्याप्त मानववादी मूल्य-दृष्टि पाठकों को उजास के किसी बिंदु तक ले जाती हैं।'..।
माटि कथा संग्रहमे पहिल कथा अछि माटि।कमलनाथक कथा वस्तुतः मनुक्खक जीवनक अवसादक कथा थिक।कोना कमलनाथकें पत्नीक देहान्त पछाति अवसाद घेरि लैत छनि।प्रकृतिक सुन्नर वस्तु सभसँ ओ दूर भाग' लगैत छथि।सृजनक स्थानपर ढहल ढनमनायल चीजसब हुनका बेसी पसिन पड़ैत छनि।कथामे कथानायक कहैत छथि,'चाहे ओ पानिक बाढ़ि हो वा जीवनमे करुणाक बाढ़ि जे कहियौ जखन जीवन कोनो कारणसँ ठहरतै आ माटिसँ जुड़तै तखने फेरसँ कोनो अवसादग्रस्त,उदास जीवनमे फूल फूला सकैत अछि। से कमलनाथ जखन अपन अनाथ भागिनक पालन पोषण करय लगैत छथि।गाय पोसय लगैत छथि।फूल-पात रोप' लगैत छथि ।बाड़ीए फूलबाड़ीसन हुनको जीवन गमकि उठैत छनि।कथाक बुनाबटि तँ नीक छैहे ओहिमे प्रयुक्त अलंकार काव्यक अनुभूति दैत अछि।अपना अनाथ भागिनक बिषयमे कमलनाथ कहैत छथि-'की कहिय',ओ जखन आनन्दसँ हँसैए त' इजोड़िया रातिक अरिपन पर लाबा छिड़िया जाइए।' तहिना एकटा कथा अछि 'बदलैत रूप'।परिवारक बिखरैत तन्तु बरिष्ठ लोकनिक जीवनकें कतेक दुरूह बना देलक अछि तकर कथा कहयै बदलैत रूप।मथुरा ठाकुरक पत्नी अछि रानी जे बादमे रनियाँ कालान्तरमे रनियाँ बुढ़िया भ' जाइत अछि।मथुरा ठाकुरक बेटा बेचनक माय बापक ब्यवहारक कथा घर -घरक कथा छी।जाहि बेटा-बेटी कें एतेक जतनसँ लोक पालैत पोसैत अछि से संतान जखन होश सम्हारैत अछि तँ माय बापकें अपना परिवारक सदस्य नै बुझैत अछि।बापक मेहनतिक टाकाअपन बाल बच्चपर ,अपन नीजी रहन सहनमे,ऐसो आरामपर खर्च क' लैत अछि।से जखन अन्न,पानि,दवाइ ,पथ्यादिक वेत्रे मथुरा ठाकुर काहि काटि क' मरि जाइत अछि।रनियाँकें बेटा पुतहु साफे अबडेर दैत अछि तखन सहारा बनैत छैक नैहरक परिजन सभ।रनियाँ बुढ़ियाँ अपना भतिज पुतहु सबसँ प्रोत्साहन पाबि अपन लूड़ि क उपयोग क' फेरसँ नब जीवन शुरू करैत अछि।फेरसँ जीब' लगैत अछि रनियाँ।स्वरोजगार करैत अछि।अपन सहयोगी सबहक सम्बन्धमे कहैत अछि हम ई चारू स्त्रीगण मात्र ई पाँच गोटेयक हमर परिवार अछि।कथामे देखाओल गेलए जे आब रक्त सम्बन्ध धरि परिवार नहिअछि। जे जीवनमे संग दिए,सुख दुःखमे ठाढ़ हुए ओएह ने परिवार। परिवार आब नब रूप ल' रहल अछि से सम्पूर्ण संवेदना ओ वैचारिकताक संग।
भारतमे साम्प्रदायिकताक जहर कोन रूपमे पसरि रहल अछि से बहुत फरीछ भ'क' आयल अछि एहि संग्रहक कथा 'पसाही'मे।कोरोनासन भयावह महामारी जाहिसँ संसारक मानव समुदाय त्रस्त अछि।एहु समयमे जँ सब किछु जाति, सम्प्रदाय आ दलीय आधारपर संचालित होबय लागय तँ एहिसँ बेसी चिंताक बात की हैत? गामक एकघारा मुसलमान,गामक बेटी नूरो जखन मनमोहन पाठककें कहैत छनि-' अच्छा ई कह'बौआ,दिल्लीक ओ जमाती सब हमर के लागत?ओ जमाती सब कोरोना बेमारी फैलेलक ताहिमे हमर कोन दोख?' तों इहो कह' जे कोनो हिन्नू जँ कोनो मुसलमानकें मारि देलकै,तइमे दोसर हिन्नूक कोन दोख?गामक लोक नूरजहाँ उर्फ नूरोसँ हरियर तरकारी कीनब बन्न क' देलकै।दाहुरक बेटा ओकरा कहलकै जे ई गाम हिन्नूक छियै ।तों एहि गामसँ भाग।नूरो मनमोहन पाठकसँ प्रश्न करयै- से तों कह' की हम एहि गामसँ भागि जाउ? की ई हमर गाम नहि छी?गामो हिन्नू,मुसलमान होइ छै?ई कहि कान' लागलि नूरो।
से जाहि भरोसक संग नूरो मनमोहन पाठक लग आयल छल तकर ओ पूरा संज्ञान लेलनि आ कहलनि-'ई समाज सभ जातिक,सभ धर्मक छै।कियो नै भगा सकैत छौ तोरा फेर हमसब एहि गाममे की करै छियै?' एहने भरोस चाही एकटा लोकतांत्रिक देशमे कोनो प्रकार अल्पसंख्यककें। चाहे ओ धार्मिक अल्पसंख्यक हुए वा भाषायी वा कोनो अन्य प्रकार अल्पसंख्यक ।मुदा एकटा प्रश्न धरि एतय उठैत अछि जे हमरा देशमे एना कियै भ' रहल अछि? एतय अल्पसंख्यक के अर्थ फरीछा क' बूझ' पड़त।राजनीतिक दल जे अपन परिभाषा गढ़ने अछि से अपन राजनीतिक नफा नोकसानक लेल मुदा हमरा निरपेक्ष भ'क' एहिपर विचार करय पड़त।कश्मीरमे पंडित सबहक संग जखन अन्याय भेलै।ओतय हुनका सबपर अमानवीय अत्याचार भेलै।घर दुआरि छोड़ पड़लै की ताहिदिन कश्मीरक बहुसंख्यक अल्पसंख्यककें संग देलथिन? जँ तहिया कश्मीरक गाम गाममे जँ कोनो अब्दुल,कियो सत्तार,गफ्फार ओतुका अल्पसंख्यकक रक्षाक लेल अबैत तँ एहन हालति होइत! आग बत्तीस बर्षसँ बेचारा सब शरणार्थी शिविरमे दिन काटि रहल अछि।तहिना उत्तर प्रदेशमे कैरानामे कतेको मुस्लिम बहुल गामसँ हिन्नू सबकें पलायन करय पड़लै। मुजफ्फरनगरमे हिन्नू बहुल गामसँ मुसलमान सभकें भाग' पड़लै।तहिना कतहुँ ईसाइकें, कतहुँ सिक्ख तँ कतहुँ जैन आ बौद्धकें एहन तरहक समस्याक सामना करय पड़ैत छैक। एहन-एहन घटनापर जेना नूरोकें न्याय दियेबाक लेल मनमोहन पाठक,सरयुग यादव,हीरालाल कामति आगाँ एलाह तहिना आरो लोक सबकें, जे जतय बहुसंख्यक अछि,सबल अछि हुनका सबकें समुदायक संगआबय पड़तनि। तखने बाँचत हमर सौहार्द,सामाजिक सदभाव आओर अक्षुण्ण रहि सकत प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली।धधकैत साम्प्रदायिकतापर एकटा बहुत निस्सन कथा अछि पसाही।
डा.शिवशंकर श्रीनिवास गामकें बहुत ल'गसँ देखैत छथि। गामसँ मतलब गामक जीवनसँ अछि।गाममे होइत परिवर्तनसँ अछि।आब-सुख- सुविधाक मादे गाम आ शहरमे बेसी अन्तर नै छैक।मुदा गाम जेना हेरा रहल अछि।खेती उसरि रहल अछि।लोककें जेना अपना भूमि अपन सम्बन्ध-बन्धसँ जेना लगाव समाप्त भेल जा रहल छैक। से कोनो एक गामक कथा नहि भारतक प्रायः -गामक कथा छी।मिथिलामे पलायन बहुत बेसी छैक तें एतय गामक समस्या आर भयावह देखाइत अछि। से
श्रीनिवासजी अपन लेखनमे सेहो लकधक पचास बर्खसँ गाममे भ' रहल परिवर्तनकें देखि रहल छथि,अकानि रहल छथि।गाम बँचल रहय सेहो पूरा परिचितिक संग से लेखकक मोनमे ताहि बातक शुभेच्छा हरदम घुरिआइत रहैत छनि।आओर ओ कथा लेखनमे जखन-तखन प्रकट होइत रहैत अछि।
एहि कोरोनाकालमे जखन घरबन्दी भेलै तँ गमैया लोकसब शहरसँ पराय लागल।पराहि लागि गेलै।लोक कोनो धरानी अपन गाम पहुँच जाय चाहैत छल। कथा 'निज देश' मे एहि कोरोनाकालमे जे पराहि लागि गेलै से कोना एकटा बेदरा अपना गाम जेबा लेल आकुल अछि। रेल बस सभ बन्द अछि तैयो स्टेशनपर गाम जेबा लेल लोकक करमान लागल अछि।लोक अपन घर घुर' चाहैत अछि,एकटा आशा आओर उमेदक संग। अपन डीह डाबर बजा रहल छैक ।कहबाक अर्थ ई जे भले लोक रोजी रोजगार लेल शहर चलि गेल,मुदा बहुतो लोकक आत्मा एखनो गाममे बसैत छैक।जँ गामकें फेरसँ अपना पैरपर ठाढ़ करबाक ओरिओन हुए तँ कियै जैत लोक बाहर।एहि संग्रहमे एकटा कथा अछि 'शुभ इच्छा'।हीरानाथ ओ सुधीर मिलिक' गामकें फेरसँ बसेबाक जोगार करैत छथि।ओहिना जेना अशोक जीक कथा डैडी गामक डाक्टर अमेरिकासँ आबि गामकें फेरसँ आबाद करबाक लेल,गामक विकासक लेल फेरसँ काज करय लगलाह।' कथाकारक आत्मा गाममे बसैत छनि।गाममे भ' रहल सामाजिकताक क्षरणसँ व्यथित छथि।गाम आब ओ गाम नै रहल। ताहि चिंतासँ चिंतित छथि लेखक ।उजरैत गामकें कोना बसाओल जाय?से गामकें आबाद करबाक लेल हिनक अनेक पात्र नगरमे सेवा देलाक पछाति गाम घुरि अबैत अछि चाहे ओ'जकर टाङ तकर आम'क लालपरी देवी होथि वा 'जड़ी' कथाक श्रीश ठाकुर से ई सब शहरमे रहैत छथि मुदा गाम हिनका सबकें घिचि अनैत छनि।ओतबे नहि मित्र कथाक प्रयाग यादवक नाति अंशू जे महानगरमे पढ़ैत अछि।अंशूक गामक प्रति जिज्ञासा,ह'र बरद देखबाक सेहन्ता ई संकेत क' रहल अछि जे नबका पीढ़ी सेहो गामकें बिल्कुल समाप्त नहि होब' देबय चाहैत अछि।गाम अछि तँ हमर पहिचान अछि।हमर भाषा,बोली,सांस्कृतिक अवयव सब सुरक्षित अछि। 'मित्र' कथामे रामलखन कामति अंशूकें कहैत छथि-' तोरा गामकें बुझबाक छह त' बुझ' तों प्रयाग यादवक नाति छह त'पूरा गामक नाति छह।बुझलह ने?'
गाम बाँचत कोना? तकरो उत्तर कथाकार अपन कथा सबहक माध्यमसँ दैत छथि।गाम बाँचत काजसँ।काज जोड़ैत अछि लोककें।काज लोककें असगर नै होब' दैत अछि।काज सम्बन्ध मजगूत करैत अछि। से जँ गामकें बसेबाक अछि तँ गामकें चाही आत्मनिर्भता।गामके़ं चाही अपन ओ सब किछु जे पहिनेसँ गाम लग छल।ग्रामवासी कें एक- दोसराक बिना काज नै चलैत छल।सब पेशागत लोक एक दोसरापर निर्भर छल।मुदा आइ सबहक बेगरता बजार शान्त करैत अछि।सृजनसँ ककरो कोनो माने मतलब नै। तखन आत्मीयता कोना बढ़त?सामाजिक सद्भाव कोना बाँचत? एहि सब बातक बहुत फैलसँ आ फरीछसँ पड़ताल करैत छथि लेखक एहि संग्रहक अनेक कथामे। जेना 'जिनगी' कथाक सरस्वती देवीकें देखल जाय।सरस्वती देवीक पुतहु सब ,राग भास सिखबाक लेल हुनका शहर ल' जाय चाहलनि तँ ओ मना क' देलथिन।हुनका सबकें काकी (सरस्वती देवी)त' कम काकीक गुण बेसी आकर्षित केलकनि ओ हुनक संगीतमे बजार ताक' लगलीह।कोनो कमी नै रहनि हुनका सबकें मुदा बजार एकटा चीजे सैह छैक जतय लोक सब चीज बेच रहल अछि। जे नै बेचल जयबाक चाही सेहो सब।कहबाक नै चाही मुदा लोक अपन जबानी ओ सुन्दरता सेहो बेच रहल अछि।जीवन छी आनन्दक एकटा प'ल।से सरस्वती देवी जिनगी कथामे जखन कहैत छथि,'पराती एकटा बात बुझलहुँ।जिनगीमे कतेक सुविधा भेटयै ओ कोनो बात नहि छै।बात छै जे अहाँकें आनन्द कतय आ कोन तरहें भेटए?अहाँ सब हमर चिंता नहि करू।हम एहिठाम आनन्दसँ रहै छी।
'पिरीत'दाम्पत्य जीवनक एकटा खटमधुर कथा अछि।वास्तवमे दाम्पत्य जीवन तँ खटमधुर होइते अछि।दुनू रसक स्वाद जे लिए ओएह भेल असली गृहस्थ जीवन।मधुमती ओ श्रीकान्तक जीवन जेहने सोहनगर छलनि तेहने रसगर।गजब़कें तरलता अछि कथामे।मधुमती जँ कतहुँ चलि जाइत छथि तँ लगैत अछि जेना श्रीकान्त बीमार भ' गेलाह हुनका अबतहि एकाएक ओ स्वस्थ अनुभव करय लगैत छथि।'हँ, एहिना जेना अन्हार घरमे कोनो दीप सन रहथिन हिनका जीवनमे मधुमती।आ तहिना मधुमती हिनका कतहु कनियों दिनक लेल गेलाक बाद एकदमसँ तोड़ल गुलाबक फूल सदृश्य भ' जाइत छलीह,सेहो टहाटही रौदमे राखल फूल सदृश्य।
तहिना संवेदना कथामे कुमुदनाथक रुपक जे वर्णन अछि से अद्भुत अछि-
'हमरा तीनूमे कुमुदनाथ अद्भुत सुदर्शन छल।एकदम कमलक फूल जकाँ रतरत,पानिसँ टटके बहरायल सन। से प्रेम ओ सौन्दर्यक चासनी सेहो यत्र-तत्र छिड़िआयल भेटैत अछि एहि संग्रहक कथा सबमे।पर्यावरणीय सुन्दरताक वर्णन करबामे तँ महारति हासिल छनिहें कथाकारकें।ग्रामीण जीवनक गहेगह पसरल सुन्दरताकें कथानकक माध्यमसँ सटीक प्रस्तुतिक अद्भुत कलाशील्पी छथि कथाकार।
सम्बन्ध-बन्धमे आबि रहल क्षरण,पति-पत्नी के सम्बन्धमे भ' रहल टुटनक बीच कोना बचल अछि संवेदना कथा 'अन्तर' मे कतेक नीकसँ फरिछबैत छथि।पति द्वारा एकटा दोसर स्त्रीकें जे धोखा देल जाइत अछि संगहि सुगिया स्वयं प्रतारित होइत अछि।मुदा एकटा स्त्रीक पीड़ा स्त्रीए बुझि सकयै से सुगिया पतिक द्वारा एकटा दोसर स्त्रीकें देल गेल धोखासँ व्यथित होइत अछि आओर अपन पुत्र सूर्यनारायणक विरोधक बाबजूदो सतौत अरुणकें अपनबैत अछि। तहिना 'अखंड दीप' कथामे सेहो पाखीक संग धोखा होइत छैक।मुदा पाखी होस करैत अछि अपना मायक देखभाल करैत अछि।अखंड दीप बेटीक आत्मनिर्भर्ताक कथा अछि।उत्तरदायित्वक कथा अछि।जँ बेटा अपन माय-बापक भार नहि उठायत तँ की बेटियो छैड़ि दैतै बूढ़ ,बीमार माय बापकें।नै, बेटी सब आब साकांक्ष भेल अछि,आत्मविश्वासक संग अपन दायित्वक निर्वहन क' रहल छथि।
एहि तरहें एहि संग्रहक एक सोरहि कथा पढ़लाक बाद अहाँ एकैसम शताब्दीक मैथिली कथाक विकासकें अकानि सकैत छी।मिथिलाक समाज कोन नीक -बेजाय स्थितिसँ गुजरि रहल अछि से नीकसँ अनुभव क' सकैत छी।कथाकार गाममे रहैत छथि एकर मतलब ई नहि जे ओ नगर-महानगरक घटना-परिघटनासँ अनभिज्ञ छथि।ओ पूरा अद्यतन छथि।चाहे ओ घटना गामक कोनो गलीक हुए वा युरोप ,अमेरिकाक कोनो नगरक।हँ,हिनक ग्रामवाससँ मैथिली साहित्यकें एकटा पैघ लाभ ई भेटि रहल छैक जे आब संसारक प्रायः भाषाक प्रायः लेखक नगर-महानगरमे निवास करैत छथि।मैथिलीयोक बेसी एहने छथि।तखन जे किछु लोक गाममे रहिक' लेखन क' रहल छथि ओ बुझल जाय जे भाषाकें किछु विशिष्ट लाभ भ' रहल छैक।से शिवशंकर श्रीनिवासजीक कथा लेखनसँ मैथिली साहित्य बहुत समृद्ध भ' रहल अछि।हिनक कथा एकटा भरोस दैत अछि जे मैथिली कथा सेहो अन्य भारतीय भाषाक कथाक समक्ष सीना तानि क' ठाढ़ भ' सकयै।
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