प्रमोद झा 'गोकुल'
१
अप्रैल फूल (बीहनि कथा)
कनडेरिये हमरा दिस ताकि नूनू अपना घर दिसका बाट पकड़लक ते हम अकचकाके
खूब जोरसे टोकार मारलियै - सिताहल नढ़िया जकाँ मूहँ छुपाके किए भागल जाइ
छेँ रे नुनुवाँ ! ओहो तुरुछिके खूब जोरसे गारि पढ़ैत कहलक -गाँ ..मा .. स्स
ा.. सब के ! रखै जाइ जो अपन दोस्ती यारी !! ने नाढ़ो बेल तर जेती,ने बेलक
मारि भटा भट खेती !
-आखिर भेलौए की से ते कह !
-भोरे भोर बजा के कतौ लाल मिरचाइक बुकनी मिलौल शरवत पियौल गेल ए ते कतौ
नोनगरहा चाह ! तहू से ही नै भरलै भोलवा कनियाँके ते भैरियो गिलास झौवा नेवो
गारिके पिया देलक ।उपरे परान रहि गेल ।एमहर नाभिसे ल के लोल तकक लहैर आ
ओमहर बकरिक किदैन जकाँ मुहँ केने केने प्रान आच्छन्न भ' गेल ।आब तूँ की करै
ले बजबै छेँ ?
- ओह.. ! ओ सब आइ अप्रैल फूल बनौलकौ तोरा ,हम माछ भात खुएबौ ! जे सप्पत
खुवालेँ । हँसैत बाजल गोनू ।
२
लिक लिक (लघुकथा)
थाकल ठहियायल रामधन रिक्साक घंटी टुन टुनवैत अपन झुग्गी मे
पहुँचल.घन्टीक आबाज सुनि घरबाली रानी आ बेटा मगन दौड़ि के बाहर अयलै.बेटाक
हाथ मे मधूरक डिब्बा पकड़बैत रामधन कहलकै- रे मगना ! ले ई महावीरजीक परसाद
छियौ, सब बैँट खोटि के खा लिहें .
कथीक खुशी मे महावीरजी के भोग लगौलकैये मिठाइ ? घरबाली ऐँठैत पुछलकै .
-पिरितियाक परिच्छा नीक नहैंत खुशी खुशी समापत भ' गेलै तेँ, कबुलने छलियै.
- बड्ड दिब केलकै.महावीरजी कौहना नीक नहैंत पास करादैतथीन छौंड़ी के .दीन
रैत एकठाँड़ क' देने छलै पढ़ै खातिर.
-अच्छे ई ते कहौ प्रीतो छै कत ? देखै नै छियै ओकरा !
- जैन नै की भ' गेलैये छन मे ओकरा ! अखने फन पर किओ किछ कहलकै कि तखन से
मुरघोस लगौने छै.कतबो किछ पूछै छियै त' बजबे नै करै छै .ईहे जा के पूछौ ने
तनी !
रामधन गुन्धुन मे परिगेल. कहूँ ई छौंड़ा त'ने किछ कहलकै !ई बात ध्यान मे
ऐबते मगन से कड़क अबाज मे पुछलकै-
-तूँ किछ ते नै कहलहीहे रे मगना !
- हम नै किछ कहलियैहे दिदिया के हौ बाबू !
-तहन की भेलैहे जे एना केने छै ?
-ओकरे से पुछहक! साइत परिच्छा मे किछ भेलैये .
-एँ•••••!परिच्छा मे की भेलै रौ ? किछ अकैन••••हँ••••आइ मारकिट मे
धियापुताक भारी जलूस देखने छलियै.सब नारा लगबै छलै सिबिएस्सी मुर्दाबाद !आरो
किदैन किदैन कहै छलै ••हँ पेपर लिक लिक बन्न करो! चोरों को सजा दो आरो
किदैन किदैन .
-एकर मतलब दिदियाक पेपर केन्सिल भ' गेलैहे हौ बाबू !
- शुभ शुभ बाज तहूँ !
- तहन दिदिये पूछि लहक !
-हँ चलै जल्दी !
मुरघोस लगौने प्रीतो भुइयाँ भुइयाँ पर चीछ फैर रहल छलि आ मूड़ी डोला डोला
के अपने हाथें ओकरा मेटैबतो जैत छलि. बेटीक
हाल देखि रामधनक कोंढ़ फैटि गेलै. ओ दौड़ के बेटी लग पहुँचल
आ ओकर मूहँ उठवैत व्यग्रता सँ पूछ' लागल-
-की भेलौ तोरा जे भेख एना बनौने छें बेटू ! जत्ते दूर तक पढ़बें से हम
पढ़ेबौ दुन्नू भाइ बहीन के .तोरा बाप के आर किछ ने छौ हँ तहन ई रिक्सा छौ !
देखै छिहीन ने•••• कोनो चिन्ता नै कर, कह की भेलौ ?
एतबा सुनैत देरी प्रीतोक धैर्यक बान्ह टूटि गेलै.ओ फफैक फफैक के बापक गरा
पकैर कनैत बाजय लागलि -
-हँ हम सबटा बुझै छियै बाबू ! कोन धरानी तों हमरा आरू के पढ़बै छ' से ककरो
से छिपल नै छै .तखन••••
-तखन की गै ?
पेपर लीक भ' गेलाक कारने केन्सिल भ' गेलै परिक्षा .
-ऐ ले तुँ किए चिन्ता करै छेँ ?फेनो पढ़ जैम के आ देखा दहीन दुनियाँ के जे
गरीबक बच्चा मे कतेक दम होइ छै!हँ एगो बात ते बुझा ई लिक लिक की होइ छै गै
!
- लिक लिक नै हौ बाबू !
-तहन की ?
-पेपर लीक भ' गेलैये.बिहुँसैत बाजलि प्रीतो
-तैयो नै बुझलियौ ई अंरेजी बंरेजी .
-ओह !नै बुझलहक ? प्राइवेट स्कूल बला अपन अपन खास बच्चा लग तीन घंटा पैहनै
पहुँचा देलकै पेपर . बस्स एक कान दू कान वाट्सप पर पूरा अपन स्कुलक बच्टा
लग पहुँचा देलकै. आब बुझलहक !
- ओ•!ऐँ गै आ सरकार कुच्छो नै कहलकै ओकरा आरू के !
-हँ जाँच भ' रहल छै जे पकरेतै से जहल जेतै
-बच्चा आरुक जीवन से खेलनिहार के इस्सर माफ नै करथीन. चल लैग जो बेटू फेनो
अपन तैयारी मे. निसाँस छोड़ैत रामधन बाजल।
-प्रमोद झा 'गोकुल', दीप, मधुवनी (विहार); फोन -9871779851
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